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30/11/2025

तु हार नही रहा बदल रहा है
और ये बदलाव जरूरी है।💯

30/11/2025

अपने घर के पास नौकरी करने वाले, नौकरी करते हैं, शादी-ब्याह में जाते हैं, घर-परिवार संभालते हैं, और जिंदगी से लगभग खुश रहते हैं..

पर

अपना घर छोड़कर कहीं और नौकरी करने वाले

सिर्फ "नौकरी" ही कर पाते हैं।

30/11/2025

दो पक्षों में लड़ाई हुई सबने एक दूसरे को माँ - बहन की गालियाँ दी महिलाएं घर में बैठी उनके लिए रोटियां बनाती रहीं। ये जानते हुए भी कि आज फिर पुरुषों ने अपनी मर्दानगी उनपर खर्च कर दी।

29/11/2025

एक थी बुढ़िया। उसका एक पोता था। पोता रोज रात में सोने से पहले दादी से कहानी सुनता। दादी रोज उसे तरह-तरह की कहानियाँ सुनाती।

एक दिन मूसलाधार बारिश हुई। ऐसी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। सारा गाँव बारिश से परेशान था। बुढ़िया की झोंपड़ी में पानी जगह-जगह से टपक रहा था टिपटिप-टिपटिप। इस बात से बेखबर पोता दादी की गोद में लेटा कहानी सुनने के लिए मचल रहा था। बुढ़िया खीझकर बोली अरे बचवा, का कहानी सुनाएँ? ई टिपटिपवा से जान बचे तब न!

पोता उठकर बैठ गया।

उसने पूछा- दादी, ये टिपटिपवा कौन है? टिपटिपवा क्या शेर-बाघ से भी बड़ा होता है?

दादी छत से टपकते हाँ हुए पानी की तरफ़ देखकर बोली बचवा, न शेरवा के डर, न बघवा के डर। डर त डर, टिपटिपवा के डर
संयोग से मुसीबत का मारा एक बाघ बारिश से बचने के लिए झोंपड़ी के पीछे बैठा था। बेचारा 'बाघ बारिश से घबराया हुआ था। बुढ़िया की बात सुनते ही वह और डर गया।

अब यह टिपटिपवा कौन-सी बला है? जरूर यह कोई बड़ा जानवर है। तभी तो बुढ़िया शेर-बाघ से ज्यादा टिपटिपवा से डरती है। इससे पहले कि बाहर आकर वह मुझ पर हमला करे, मुझे ही यहाँ से भाग जाना चाहिए।

बाघ ने ऐसा सोचा और झटपट वहाँ से दुम दबाकर भाग चला।

उसी गाँव में एक धोबी रहता था। वह भी बारिश से परेशान था। आज सुबह से उसका गधा गायब था। सारा दिन वह बारिश में भीगता रहा और जगह-जगह गधे को ढूँढ़ता रहा लेकिन वह कहीं नहीं मिला।

धोबी की पत्नी बोली- जाकर गाँव के पंडित जी से क्यों नहीं पूछते ? वे बड़े ज्ञानी हैं। आगे-पीछे, सबके हाल की उन्हें खबर रहती है।
पत्नी की बात धोबी को जँच गई। अपना मोटा लट्ठ उठाकर वह पंडित जी के घर की तरफ चल पड़ा। उसने देखा कि पंडित जी घर में जमा बारिश का पानी उलीच-उलीचकर फेंक रहे थे ।

धोबी ने बेसब्री से पूछा-महाराज, मेरा गधा सुबह से नहीं मिल रहा है। जरा पोथी बाँचकर बताइए तो वह कहाँ है?

सुबह से पानी उलीचते-उलीचते पंडित जी थक गए थे। धोबी की बात सुनी तो झुंझला पड़े और बोले मेरी पोथी में तेरे गधे का पता ठिकाना लिखा है क्या, जो आ गया पूछने? अरे, जाकर ढूँढ़ उसे किसी गढ़ई-पोखर में।

और पंडित जी लगे फिर पानी उलीचने। धोबी वहाँ से चल दिया। चलते-चलते वह एक तालाब के पास पहुँचा। तालाब के किनारे ऊँची-ऊँची घास उग रही थी। धोबी घास में गधे को ढूँढ़ने लगा। किस्मत का मारा बेचारा बाघ टिपटिपवा के डर से वहीं घास में छिपा बैठा था। धोबी को लगा कि बाघ ही उसका गधा है। उसने आव देरता न ताव और लगा बाघ पर मोटा लट्ठ बरसाने। बेचारा बाघ इस अचानक हमले से एकदम घबरा गया।
बाघ ने मन ही मन सोचा लगता है यही टिपटिपवा है। आखिर इसने मुझे ढूँढ़ ही लिया। अब अपनी जान बचानी है तो यह जो कहे, चुपचाप करते जाओ।

आज तूने बहुत परेशानं किया है। मार-मारकर मैं तेरा कचूमर निकाल दूँगा - ऐसा कहकर धोबी ने बाघ का कान पकड़ा और उसे

खींचता हुआ घर की तरफ़ चल दिया। बाघ बिना चूँ-चपड़ किए भीगी बिल्ली बना धोबी के पीछे-पीछे चल दिया। घर पहुँचकर धोबी ने बाघ को खूँटे से बाँध दिया और सो गया।

सुबह जब गाँव वालों ने धोबी के घर के बाहर खूँटे से एक बाघ को बँधे देखा तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं।

आपका समय शिमित है ,इसलिए समाज को नही अपनी आत्मा को संतुष्ट कीजिए 🙏🏻
28/11/2025

आपका समय शिमित है ,इसलिए समाज को नही
अपनी आत्मा को संतुष्ट कीजिए 🙏🏻

25/11/2025
22/11/2025

!! सर्वं भवतः समीपं सम्यक् समये आगमिष्यति !!

सब कुछ सही समय पर आपके पास आएगा।

Everything will come to you at the right time.

22/11/2025

"2025"

चंद यादें, सुर्ख लम्हे, फिसलती हुई जिंदगी और जाता हुआ ये साल !!

22/11/2025

मुझे खुद को बदलना जरूरी है क्योंकि अब तक की आदतें.. मुझे वहां नहीं ले जा पा रही जहां से मेरे सपने मुझे बुलाते है

22/11/2025

जिंदगी की थाली में 15 तरह के व्यंजन हैं अगर रायते में नमक ज़्यादा है, तो बाकी 14 का आनंद लीजिये पूरी थाली में रायता क्यों फैलाना !!

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