
16/05/2023
पुलिस अधीक्षक कार्यालय रुस्तम जी कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित हुई बालकल्याण पुलिस अधिकारियों की बैठक
#सिंगरौली- पुलिस अधीक्षक महोदय श्री मो. यूसुफ कुरैशी के निर्देशन में दिनांक 15.05.2023 को पुलिस अधीक्षक कार्यालय सभागार रूस्तमजी कॉन्फ्रेंस हॉल में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों की बैठक संपन्न हुई। बैठक में उप पुलिस अधीक्षक महिला सुरक्षा शाखा श्री राजाराम धाकड़, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आनंद कमलापुरी, परिवीक्षा अधिकारी श्री कुमार वैभव गुप्ता, सहायक उपनिरीक्षक अशोक सिंह तोमर, प्रधान आरक्षक आशीष बागरी, आरक्षक धनंजय कुमार यादव उपस्थित रहे। साथ ही बाल कल्याण समिति से विनोद सिंह परिहार, आर.डी. पांडे, आरती पांडे, अखिलेश द्विवेदी एवं सभी थानों से आए हुए बाल कल्याण पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में चर्चा करते हुए सहायक लोक अभियोजन अधिकारी आनंद कमलापुरी ने बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के कर्तव्यों के संबंध में बताया कि विधि विवादित बच्चों के मामलों की जांच सुनवाई और उन को निपटाने के लिए प्रत्येक जिले में एक या एक से अधिक किशोर न्याय बोर्ड के गठन का प्रावधान किशोर न्याय अधिनियम में किया गया है। अधिनियम की धारा 107(1) में बाल कल्याण पुलिस अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक पुलिस थाने में सहायक उपनिरीक्षक से अन्यून कम से कम एक पुलिस पदाधिकारी को जिसके पास योग्यता, समुचित प्रशिक्षण हो और जो बच्चों से जुड़े मुद्दों पर जानकारी रखता हो, को बाल कल्याण पुलिस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यह अधिकारी पुलिस स्वैच्छिक और गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय कर देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों तथा विधि विरुद्ध बच्चों के संबंध में कार्य करने हेतु नियुक्त किया जाएगा। उक्त अधिकारी द्वारा थाना क्षेत्र के विधि से संघर्षरत एवं देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के मामले देखे जाएंगे। यह अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि चाइल्ड हेल्प डेस्क प्रभावी ढंग से कार्य करें। अपराध कारित बालिकाओं के मामले में अनिवार्य रूप से महिला अधिकारी की सहायता ली जाएगी। थाने के सूचना पट्ट पर सभी बाल कल्याण अधिकारियों के अतिरिक्त जिले में गठित किशोर न्याय बोर्ड बाल कल्याण समिति संप्रेषण तथा बालग्रह का नाम पता दूरभाष नंबर प्रदर्शित हो।
जब कोई देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक किसी पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में पाया जाता है तो बालकल्याण पुलिस अधिकारी द्वारा निम्न कार्यवाही की जाएगी बालकों से पूछताछ एवं उसका बयान सावधानीपूर्वक उसके माता-पिता एवं परिजनों के समक्ष लिया जाएगा।
साथ ही पोक्सो कानून के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चे बालक या बालिका जिनके साथ किसी भी तरह का लैंगिक शोषण हुआ हो इस कानून के दायरे में आता है। पोक्सो कानून के अंतर्गत आने वाले मामलों की सुनवाई विशेष न्यायालय में होती है। इस कानून के अंतर्गत बच्चों को सेक्सुअल असाल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान किया गया है।
यौन शोषण से पीड़ित बच्चों को तुरंत चिकित्सकीय इलाज पाने का अधिकार है। पॉक्सो एक्ट के तहत सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में विशेष पॉक्सो न्यायालय बनाए गए हैं। जिनमें विशेष सरकारी वकील को प्रतिनियुक्त किया गया है। पीड़ित बच्चे एवं उसके अभिभावक को कांड के अनुसंधान एवं न्यायालय की पूरी प्रक्रिया के दौरान मदद के लिए बाल कल्याण समित/ जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा एक सहायक व्यक्ति उपलब्ध कराया जाता है। बच्चों की मदद से तो बाल कल्याण समिति द्वारा मनोविज्ञान चिकित्सा एवं बाल विकास आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षित व्यक्तियों की सहायता उपलब्ध कराई जाती है। पीड़ित बच्चे को उसकी शारीरिक मानसिक एवं पुनर्वास हेतु आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है।
बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन)अधिनियम, 1986 के संबंध में बताते हुए सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आनंद कमलापुरी ने कहा कि बाल श्रम(निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों में संशोधन कर नए नाम के साथ दिनांक 29 जुलाई 2016 को लागू किया गया। संशोधित अधिनियम का नाम बदलकर बाल एवं किशोर (श्रम निषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986 रखा गया। इस अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार के उद्यमों में बच्चों तथा जोखिम भरे व्यवसाय एवं प्रक्रियाओं में किशोरों का काम करना पूर्णता प्रतिबंधित है।