
29/09/2025
हरियाणा कांग्रेस में बड़ा फेरबदल: राव नरेंद्र सिंह नए प्रदेश अध्यक्ष, हुड्डा फिर विधायक दल के नेता
नई दिल्ली| 29 सितंबर 2025
हरियाणा कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल करते हुए पार्टी हाईकमान ने चौधरी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है। उनकी जगह पूर्व मंत्री राव नरेंद्र सिंह को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर से कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया है। यह फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा हाल ही में संपन्न हुई बैठकों और ऑब्जर्वर रिपोर्ट के आधार पर लिया गया। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के नाम पर 24 अगस्त को बिहार में हुई सीडब्ल्यूसी बैठक में अंतिम मुहर लगी थी।
18 साल बाद गैर-दलित को मिली कमान
कांग्रेस ने लगभग 18 साल बाद किसी गैर-दलित नेता को हरियाणा की कमान सौंपी है। 2007 से अब तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष SC समाज से आते रहे — जिनमें फूलचंद मुलाना, अशोक तंवर, कुमारी सैलजा और उदयभान शामिल रहे।
53 साल बाद अहीरवाल क्षेत्र से किसी नेता को कांग्रेस ने बनाया प्रदेश अध्यक्ष
ओबीसी वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया है। 2024 के विधानसभा चुनावों में OBC वर्ग का झुकाव बीजेपी की ओर देखा गया, जहां नायब सैनी को मुख्यमंत्री चेहरा बनाया गया था। राव नरेंद्र अहीर (ओबीसी) समुदाय से आते हैं, और पार्टी उन्हें सामने रखकर अहीरवाल क्षेत्र में फिर से पकड़ मजबूत करना चाहती है। गौरतलब है कि 53 साल बाद अहीरवाल क्षेत्र से किसी नेता को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इससे पहले राव निहाल सिंह 1972-77 तक इस पद पर रहे थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राव नरेंद्र किसी गुट से नहीं जुड़े रहे हैं और उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं आई। यही वजह रही कि उनके नाम पर सहमति बनाना आसान रहा।
भूपेंद्र हुड्डा को क्यों बनाए रखा गया?
हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की संगठन में पकड़ बनी रही। 18 अक्टूबर को विधायक दल की बैठक में 37 में से 31 विधायकों ने हुड्डा के नाम का समर्थन किया। इस बैठक में अशोक गहलोत, अजय माकन, प्रताप सिंह बाजवा और टीएस सिंह देव जैसे वरिष्ठ नेता बतौर पर्यवेक्षक शामिल थे। कांग्रेस हाईकमान को आशंका थी कि यदि हुड्डा को हटाकर किसी और को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया, तो पार्टी में फूट पड़ सकती थी। यही कारण रहा कि उन्हें दोबारा विधायक दल का नेता चुना गया।
चुनाव समीकरणों को साधने की कोशिश
हरियाणा में अगले कुछ महीनों में राजनीतिक सरगर्मी तेज होने की संभावना है। कांग्रेस ने इस बदलाव के जरिए एक तरफ ओबीसी और अहीरवाल समाज को साधने की कोशिश की है, तो दूसरी तरफ गुटबाजी को नियंत्रित करने का संकेत भी दिया है। अक्टूबर 2024 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को निराशाजनक प्रदर्शन मिला था। पार्टी को अहीरवाल की 12 में से सिर्फ 1 सीट मिली। चुनाव के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर खींचतान जारी थी। अब यह बदलाव कांग्रेस के आगामी मिशन 2029 के लिए संगठन को तैयार करने का संकेत माना जा रहा है।