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26/10/2025
डबवाली को बनाया जा सकता है जिला मुख्यालय सिरसा। हरियाणा राज्य का उपमंडल डबवाली,जो राजस्थान तथा पंजाब की सीमा से लगता है,...
26/10/2025

डबवाली को बनाया जा सकता है जिला मुख्यालय

सिरसा। हरियाणा राज्य का उपमंडल डबवाली,जो राजस्थान तथा पंजाब की सीमा से लगता है,को जिला मुख्यालय बनाये जाने की कवायद शुरू हो गई है और संभावना है कि हरियाणा दिवस पर इसकी घोषणा भी हो जाए। डबवाली को 14 मई 2023 को तत्कालीन भाजपाई महिला सांसद व भाजपा की राष्ट्रीय नेत्री सुनीता दुग्गल के प्रयास से पुलिस जिला बनाया गया था और तभी से जिला बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। डबवाली लोकसभा क्षेत्र सिरसा का एक विधानसभा क्षेत्र है और इस लोकसभा क्षेत्र से सुनीता दुग्गल सांसद रही है। डबवाली को जिला मुख्यालय बनाने के लिए सुनीता दुग्गल के प्रयास अभी भी जारी बताये जा रहे हैं,जिसका संकेत वह कई बार दें चुकी है। वर्तमान में सिरसा जिला में डबवाली उपमंडल का गांव चौटाला पड़ता है, जिसकी सिरसा से दूरी 90 कि मी है, जबकि डबवाली और सिरसा की दूरी 60 कि मी है। भुगोलिक से राजस्थान की सीमा डबवाली से 32 कि मी की दूरी पर शुरू होती है और डबवाली उपमंडल के 71 गांव 1058-33 कि मी के दायरे में फैले हुए हैं। जिला सिरसा का उपमंडल कालांवाली भी डबवाली न्यायालय से संबंधित है। यदि सरकार डबवाली को जिला मुख्यालय का दर्जा देती है तो डबवाली,कालांवाली उपमंडल में चौटाला तथा चोरमार या ओढ़ां को उपतहसील बनाकर आमजन को राहत पहुंचाई जा सकती है। हरियाणा में डबवाली के अतिरिक्त गोहाना तथा हांसी को भी जिला बनाने की चर्चा है, मगर राजस्थान तथा पंजाब की सीमा से सटा डबवाली भूगोलीय स्थिति के अनुसार हांसी तथा गोहाना पर भारी पड़ता नजर आता है।

26/10/2025

सम्पादकीय

नए आयाम स्थापित करने की ओर डीजीपी

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह पुलिस की छवि बदलने के अभियान में जुट गए है। वे पुलिस की कार्यशैली में पारदर्शिता लाने और पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करने में जुट गए है। अपनी नियुक्ति के साथ ही डीजीपी ओ.पी. सिंह ने अपने मातहत पुलिस अधिकारियों को खुला पत्र जारी कर अपनी मेज का आकार छोटा करने के निर्देश दिए। साथ ही विजिटर्स यानि फरियादियों और अपनी कुर्सी को समान करने और कुर्सी पर सफेद तौलिया रखने की प्रथा को हटाने की हिदायत दी।

साथ ही फरियादियों से सीधे मुलाकात कर, बातचीत के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल न करने, फरियादियों की शिकायत की जवाबदेही तय करने की हिदायत दी।

डीजीपी ओ.पी. सिंह ने एक बार फिर पुलिस थाना प्रभारियों के नाम खुला पत्र जाहिर किया है। जिसमें उन्हें अपनी शक्ति का भी अहसास करवाया है। पत्र में कहा है कि आमजन को पुलिस पर विश्वास है कि पुलिस की मर्जी के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जनता का इतना विश्वास पुलिस पर है। इसलिए थाना प्रभारी अपने-अपने एरिया में लॉ एंड आर्डर को बनाए रखने में जी जान से जुट जाए।
अपराधियों को चुन-चुनकर सलाखों के पीछे पहुंचाए और आमजन को भय मुक्त करें। डीजीपी ओ.पी. सिंह ने थाना प्रभारियों से अपने एरिया में जनता से सीधा संवाद कायम करने, नशे के खिलाफ अभियान को तेज करने, युवाओं को मोबाइल की लत से बचाने के लिए कहा है।
डीजीपी श्री सिंह ने खुले पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि यदि किसी को अपराधियों के खिलाफ एक्शन लेने में दिक्कत है तो वह उन्हें चि_ी लिख दें। पूर्व में लिखे खुले पत्र में भी उन्होंने पब्लिक से मधुर व्यवहार न करने वाले पुलिस अधिकारियों को अन्यत्र भेजने के लिए कहा था। यानि डीजीपी हरियाणा पुलिस की छवि में बड़ा बदलाव लाने में जुट गए है।
दरअसल, पुलिस का खौफ अपराधियों में होना चाहिए। पुलिस की मौजूदगी से आमजन को सुकून महसूस होना चाहिए। डीजीपी इसी को अधिक सार्थक करने में लगे है और यह प्रदेशवासियों के लिए बड़ा तोहफा है कि डीजीपी के पद पर ऐसा संवेदनशील अधिकारी तैनात किया गया है। डीजीपी ओ.पी. सिंह के प्रयासों का आमजन को बड़ा लाभ मिलने वाला है, वहीं पुलिस और पब्लिक के बीच की खाई भी कम होगी।
- हरिप्रसाद मुद्गिल
सम्पादक

= नवनियुक्त एसपी दीपक सहारण ने जाहिर किए इरादे - पुलिस प्रशासन में दिखाई देगा बड़ा बदलाव - असामाजिक तत्वों की सिरसा में ...
26/10/2025

= नवनियुक्त एसपी दीपक सहारण ने जाहिर किए इरादे
- पुलिस प्रशासन में दिखाई देगा बड़ा बदलाव
- असामाजिक तत्वों की सिरसा में अब खैर नहीं
- बड़े मगरमच्छ और उनके आकाओं की बजी घंटी
नगरयात्रा न्यूज, सिरसा। 2014 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी दीपक सहारण के हाथों में सिरसा जिला की कमान सौंपी गई है। वे काफी अनुभवी है और कुशल प्रशासनिक क्षमता के धनी है। साइबर अपराध के भी विशेषज्ञ है। उनकी सिरसा में तैनाती को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे है। चूंकि एकाएक पुलिस अधीक्षक डा. मयंक गुप्ता का सिरसा से स्थानांतरण कर दीपक सहारण को सिरसा के पुलिस अधीक्षक की जिम्मेवारी सौंपी गई है। डा. गुप्ता सिरसा में ट्रेफिक रूल को सख्ती से लागू करने को लेकर पहचाने जाएंगे। उनके कार्यकाल के पहले माह में ही करीब अढ़ाई करोड़ का चालान वसूला गया था। ट्रेफिक पुलिस ने गली-मोहल्लों में जाकर चालान करने का अभियान चला छोड़ा था। आमजन की पुलिस के प्रति नाराजगी बनी हुई थी।
नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण चूंकि सुलझे हुए प्रशासनिक अधिकारी है, इसलिए उन्हें एकसाथ कई मोर्चों पर लडऩा होगा। सिरसा पंजाब एवं राजस्थान का सीमावर्ती जिला हैै, ऐसे में यहां नशा तस्करों का अधिक बोलबाला है। साथ ही नशा तस्करों को राजनीतिक शह भी रही है। जिस कारण चूरापोस्त, अफीम ही नहीं बल्कि हेरोइन की खपत और तस्करी में सिरसा का नाम आता है। मेडिकल नशे के मामले में भी सिरसा का रिकार्ड है। पंजाब के नशेड़ी कालांवाली व अन्य कस्बों में सस्ते मेडिकल नशे के लिए आते-जाते है।
पुलिस व प्रशासन नशे को लेकर काफी संजीदा है और इसे जड़मूल से नष्ट भी करना चाहता है। पुलिस अधिकारियों की ओर से नशे के खात्मे के लिए काफी प्रयास भी किए गए। लोगों को जागरूक किया गया, वहीं नशा तस्करों पर जोरदार चोट की गई। लेकिन कुछ समय के लिए यह चैन टूट गई। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण को नशे के खिलाफ अभियान को फिर से गति देनी होगी। पब्लिक को विश्वास दिलाना होगा कि पुलिस उनके साथ है। अविश्वास की खाई को पाटना होगा।
सिरसा की जनता बेहद सहयोगी रही है। पुलिस हो या प्रशासन, जनहित के कार्यों में सिरसावासी दिल खोलकर साथ देते है। तन-मन-धन की भी परवाह नहीं करते, बशर्तें सामने वाले के इरादे नेक हो। यह सिरसा ही है जो तीन दशक बाद भी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी. कामराज को याद करता है। सिरसा की जनता कानून की पालना की समर्थक रही है लेकिन पक्षपात के खिलाफ है। कानून सबके लिए समान है, यह पुलिस के व्यवहार में दिखना चाहिए। प्रभावशाली को छोड़ देना और आम आदमी का चालान, उचित नहीं हो सकता?
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- अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप
सिरसा राजनीतिक का केंद्र रहा है। यहां अधिकारियों को बड़े दबाव में काम करने पर विवश होना पड़ता है। कदम-कदम पर एक पक्ष साथ खड़ा होता है और दूसरा विरोध करता है। एसपी दीपक सहारण को भी इस चुनौती से जूझना पड़ सकता है। इसमें उनकी प्रशासनिक कुशलता का परिचय भी देखने को मिलेगा।
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- सफेदपॉश अपराधियों को दबोचना होगा
सिरसा में नशा तस्करों से बढ़कर आर्थिक अपराधी अधिक मजबूत है। सफेदपॉशधारी ऐसे आर्थिक अपराधी समाजसेवी बनकर पुलिस व प्रशासन के साथ मंच भी सांझा करते है। विभिन्न कार्यक्रमों के सह आयोजक भी बनते है। लेकिन क्रिकेट बुकीज, हवाला कारोबार, फर्जी फर्में उनका धंधा है। युवाओं को क्रिकेट सट्टे में धकेलने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की जरूरत है। दो नंबर के धंधे से जुटाई अकूत संपत्ति पर बुलडोजर चलाए जाने की जरूरत है। पुलिस अधीक्षक से आमजन की यह अपेक्षा रहेगी?

किस्त-1मुख्यमंत्री के महकमे में विज्ञापन की "नायाब'लूटसूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के अद््भुत कारनामे, एक बानगी सिरसा...
26/10/2025

किस्त-1
मुख्यमंत्री के महकमे में विज्ञापन की "नायाब'लूट
सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के अद््भुत कारनामे, एक बानगी सिरसा की
- अखबार छपता है 500, सरकार से लिया 3 करोड़ से भी अधिक का विज्ञापन
- अखबार छपता है 300, सरकार से लिया अब तक 1.5 से 2 करोड़ तक का विज्ञापन
- साप्ताहिक फाईल पेपर को मिला 10 लाख से अधिक का विज्ञापन, न छपने वाले अखबार को भी दिया 15 लाख से अधिक का विज्ञापन
- भाजपा नेता भी हुए जागरूक, कालांवाली से प्रकाशित होने वाले अखबार की शिकायत, सिरसा वाले भी रडार पर, जांच एवं रिकवरी की मांग
सिरसा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री के अधीन आने वाले सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग में विज्ञापन की "नायाब" लूट चल रही है। इस लूट काे रोकने के लिए न तो सत्तापक्ष कुछ कर रहा है और न ही विपक्ष आवाज उठा रहा है। फाईल पेपर एवं फर्जी सरकूलेशन के आधार पर जिन्हें विज्ञापन दिए जा रहे हैं उनसे पक्ष-विपक्ष दोनों की सांठगांठ दिख रही है। अगर जांच की जाए तो इस लूट के मास्टर माइंड सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग में बैठे उच्च पदस्थ अधिकारी बेनकाब होंगे। वैसे सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग भाजपा सरकार में अरबों रूपए के विज्ञापन प्रदेश एवं प्रदेश से बाहर के विभिन्न नियमित प्रकाशित होने व न होने वाले समाचार पत्रों को बांट चुका है। इतना ही नहीं ज्यादातर विज्ञापन ऐसे अखबारों को दिए गए हैं जो कागजों में हकीकत से 20 से 30 गुणा अधिक प्रकाशित एवं प्रसारित हो रहे हैं। यानि हकीकत में प्रकाशित होते हैं 500 से 1000 और कागजों में दिखा रखे हैं 20 से 30 हजार। हरियाणा में एक अखबार तो ऐसा है जो हरियाणा में ही 14 जगह से प्रकाशित दिखाया हुआ है। अगर जांच कर ली जाए तो हकीकत में उसकी प्रसार संख्या पूरे हरियाणा में 5 से 10 हजार मिलेगी लेकिन कागजों में उसने 4 से 5 लाख दर्शा रखी है जिसकी एवज में उसने सरकार से 250/- रूपए प्रति स्कवेयर सेंटीमीटर रेट निर्धारित करवा रखा है। इतनी सरकूलेशन तो वास्तव में हरियाणा में सबसे ज्यादा प्रसारित होने वाले अखबार की भी नहीं है। उक्त अखबार एक भाजपा विधायक के बेटे का है और वह भाजपा सरकार में करोड़ों-करोड़ रूपए के विज्ञापन ले चुका है। ये तो एक अखबार की बात है, ऐसे अनेकों अखबार हैं जिनकी प्रसार संख्या वास्तव में ना के बराबर है लेकिन सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग उन पर पूरी तरह से मेहरबान है। एेसा नहीं है कि विभाग, सत्तापक्ष एवं विपक्ष को इस बात की जानकारी नहीं है उन्हें सबकुछ पता होते हुए प्रदेश का खजाना लूटाने में लगे हुए हैं।
खैर आज हम बात करते हैं सिरसा से प्रकाशित होने वाले अखबारों की जिन्हें भाजपा सरकार में सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा करोड़ों के विज्ञापन दिए गए हैं। सरकार को जगाने व सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा को बेनकाब करने के लिए ये सिलसिला हम सिरसा से शुरू कर रहे हैं और यह निरंतर जारी रहेगा जब तक सरकार गलत ढंग से दिए गए विज्ञापन की राशि की रिकवरी नहीं कर लेती। सिरसा के बाद फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, रोहतक, कैथल सहित प्रदेश व प्रदेश से बाहर जिन्हें सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग,हरियाणा विज्ञापन दे रहा है उनकी पोल खोलने का काम करेंगे। इतना ही नहीं सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा द्वारा गैर पत्रकारों के किए गए एक्रीडेशन का भी भंडाफोड़ करने का काम करेंगे। विभाग द्वारा फर्जी कागजों के सहारे एक्रीडेशन करवाने वाले अखबार संचालकों के साथ मिलकर एेसे लोगों के एक्रीडेशन किए गए हैं जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं है।
बात सिरसा की : हरियाणा सरकार के सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। विभाग की ओर से सिरसा जिले में प्रकाशित होने वाले कई छोटे, सीमित प्रसार वाले समाचार पत्रों को करोड़ों रुपये के सरकारी विज्ञापन दिए जाने के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। विज्ञापन नीति की पारदर्शिता और जवाबदेही पर अब गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।
सूत्रों के अनुसार, सिरसा जिले में एक ऐसा अखबार है जिसकी वास्तव में छपाई मात्र 500 प्रतियों की बताई जा रही है, लेकिन उसे विभाग द्वारा तीन करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापन जारी किए गए। ये अलग बात है कि कागजों में उसने अपनी प्रसार संख्या 20 हजार से भी अधिक दिखाई हुई है। यही नहीं, एक अन्य प्रकाशन, जिसकी दैनिक छपाई वास्तव में केवल 300 प्रतियाँ बताई जाती है, उसे भी अब तक डेढ़ से दो करोड़ रुपये तक के विज्ञापन आवंटित किए जा चुके हैं। मजेदार बात तो यह है कि कुछ वर्ष पूर्व इन दोनांे अखबारों ने एक-दूसरे की िशकायत विभाग से की। बताया जा रहा है कि उस समय एक ने तो विभाग को लिखकर भी दे दिया था कि मुझे सरकरी विज्ञापन नहीं चाहिए। एक बारगी उक्त अखबार का विज्ञापन बंद भी कर दिया गया लेकिन मामला शांत एवं सेटिंग हाेने के बाद एक-दो साल बाद फिर दोबारा विज्ञापन शुरू करवा लिया गया।
"सच" की बात करने वाले डेरे भी इस लूट से अछूते नहीं है। डेरे के अखबारों को भी भाजपा सरकार में हरियाणा के सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा करोड़ों के विज्ञापन दिए जा चुके हैं।
मामला यहीं समाप्त नहीं होता। जानकारी के मुताबिक, एक साप्ताहिक फाइल पेपर (जो विज्ञापन वाले दिन छपता है रिकॉर्ड कॉपी, कागजों में दिखाई हुई है हजारों में प्रसार संख्या) को भी एक-डेढ़ साल की अवधि में 10 लाख रुपये से अधिक का सरकारी विज्ञापन दिया गया, जबकि न छपने वाले अखबार को 15 लाख रुपये से अधिक का विज्ञापन जारी किया जा चुका है। यह सब उस समय हुआ जब विभाग के पास विज्ञापन जारी करने से पहले अखबारों की सत्यापित प्रसार संख्या की व्यवस्था मौजूद है और जिले में विभाग को जिला अधिकारी तैनात है।

भाजपा नेताओं ने भी उठाई आवाज
मामले के तूल पकड़ने के बाद अब सत्तारूढ़ दल के कुछ भाजपा नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई है। जानकारी के अनुसार, कालांवाली से प्रकाशित होने वाले एक अखबार के खिलाफ भाजपा नेता ने सोशल मीडिया पर खुलकर लिखा है कि छपती नहीं है एक कॉपी, 5000 दिखाकर ले रहे हैं करोड़ों के विज्ञापन और साथ ही कहा है कि वे सरकार को शिकायत दर्ज करवायेंगे। नेताओं ने कहा कि कुछ “कागज़ी अखबारों” ने विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन का दुरुपयोग किया है।

जांच और रिकवरी की मांग तेज
इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी उठनी लाजिमी है। सरकार को चाहिए कि जिन प्रकाशनों ने अपने प्रसार के झूठे आंकड़े देकर विज्ञापन प्राप्त किए हैं, उनसे संपूर्ण राशि की रिकवरी की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच कराई जाए। हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह केवल सिरसा तक सीमित नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी जांच करने में ऐसे कई उदाहरण मिल सकते हैं, जहाँ नाममात्र के अखबारों को लाखों रुपये के विज्ञापन जारी किए गए। अपनी इस सीरीज़ में नगर यात्रा ऐसे अखबारों को बेनकाब करने का काम करेगा।
जानकारों का कहना है कि सरकारी विज्ञापन का उद्देश्य आम जनता तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुँचाना होता है, लेकिन यदि विज्ञापन ऐसे प्रकाशनों को दिए जाएँ जो वास्तविक रूप से जनता तक पहुँच ही नहीं पाते, तो यह न केवल नीति के खिलाफ है, बल्कि जनता के कर के पैसों की खुली लूट भी है।
यह मामला हरियाणा में सरकारी विज्ञापन वितरण प्रणाली की पारदर्शिता, जवाबदेही और मीडिया नीति की वास्तविकता पर एक गहरा सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है? क्या दोषियों पर गाज गिरेगी या फिर यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?

बॉलीवुड और टीवी का जाना माना नाम रहे एक्टर सतीश शाह का निधन हो गया है। 25 अक्टूबर दोपहर 2.30 बजे उन्होंने अपनी आखिरी सां...
26/10/2025

बॉलीवुड और टीवी का जाना माना नाम रहे एक्टर सतीश शाह का निधन हो गया है। 25 अक्टूबर दोपहर 2.30 बजे उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। एक्टर लंबे समय से किडनी संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।

CMO Haryana : Report CARD CMO Haryana CM Haryana Viral News Dushyant Chautala Pankaj Khemka BJP Haryana Nagar Yatra News...
24/10/2025

CMO Haryana : Report CARD CMO Haryana CM Haryana Viral News Dushyant Chautala Pankaj Khemka BJP Haryana Nagar Yatra News

IPS दीपक सहारण सिरसा के नए एसपी होंगे, मयंक गुप्ता को एसपी पद से हटाया गया
24/10/2025

IPS दीपक सहारण सिरसा के नए एसपी होंगे, मयंक गुप्ता को एसपी पद से हटाया गया

24/10/2025

सम्पादकीय

क्या सुनाई देगी 'गब्बर' की दहाड़?

हरियाणा की राजनीति में वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल विज को 'गब्बरÓ के नाम से पहचाना जाता है। वे वर्तमान में प्रदेश के परिवहन एवं ऊर्जा मंत्री है और आगामी 31 अक्टूबर को सिरसा में प्रस्तावित जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करना तय है। लंबे राजनीतिक सफर में वे बेबाकी से बात रखने के लिए पहचाने जाते है। विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने हमेशा जनता की आवाज को बुलंद किया। मनोहर सरकार में गृह मंत्री के रूप में उनके काम की गूंज पूरे हरियाणा में सुनाई पड़ती थी। उनके जनता दरबार में प्रदेशभर से लोग अपनी समस्याएं सुनाने के लिए अंबाला उमड़ते थे। विज भी देर रात्रि तक लोगों की समस्या सुनते और उनका समाधान करते।
विज ने स्वास्थ्य मंत्री रहते, स्वास्थ्य विभाग में सुधार लाने का कार्य किया। इसके साथ ही वे जहां भी गए, वहां अव्यवस्था पर चोट की। उन्होंने अपने-पराए का फर्क किए बगैर जनहित में कदम उठाया। उनकी बेबाकी से 'अपनेÓ भी असहज हुए लेकिन उन्होंने कभी परवाह नहीं की। जब मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाकर लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया और नायब सैनी को सीएम चुना गया। तब वरिष्ठ नेता होने के बावजूद उन्हें मंत्रीमंडल से बाहर रखा गया।
वर्ष 2024 में स्पष्ट बहुमत मिलने पर भाजपा ने लगातार तीसरी बार सत्ता संभाली तो अनिल विज को रोडवेज और बिजली विभाग की जिम्मेवारी सौंपी। बड़ी अपेक्षा की जा रही थी कि श्री विज इन पटरी से उतरे विभागों को पटरी पर लाने का काम करेंगे। लेकिन करीब एक वर्ष का समय बीत जाने पर भी वे अपनी कोई छाप इन विभागों पर नहीं छोड़ पाए है। आमजन की परिवहन और बिजली विभाग से शिकायत आज भी जस की तस बनी हुई है।
बिजली विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला बना हुआ है। लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है। किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। उपभोक्ताओं को भारी भरकम गलत बिल भेज दिए जाते है और उन्हें ठीक करवाने के लिए उपभोक्ता को चक्कर लगाने पर मजबूर होना पड़ता है। बिजली सुविधा केंद्र पर उपभोक्ताओं की शिकायत ही नहीं सुनी जाती। उपभोक्ता घंटों डॉयल करते रहते है लेकिन कोई फोन तक नहीं उठाता? विज के राज में ऐसे हालात सिरसा में बने हुए है।
अब 31 अक्टूबर को परिवहन एवं बिजली मंत्री अनिल विज का सिरसा आना प्रस्तावित है। ऐसे में देखना होगा कि उनकी दहाड़ आज भी प्रभावी है या मंद पड़ गई है?

- हरिप्रसाद मुद्गिल
सम्पादक

24/10/2025

= डीटीपी की जेसीबी से मिलता है अवैध कालोनी पनपने का सर्टिफिकेट?
- विभाग ने जिन-जिन एरिया में चलाई जेसीबी, सब हुई विकसित
- जेसीडी विद्यापीठ के पीछे विकसित की जा रही अवैध कालोनी को लेकर चर्चाएं
- कालोनी काटने वालों के खिलाफ एफआईआर भी गुपचुप रद्द करवा देता है विभाग?
नगरयात्रा न्यूज, सिरसा। बरनाला रोड पर जेसीडी विद्यापीठ के पीछे विकसित की जा रही अवैध कालोनी पर वीरवार को डीटीपी विभाग द्वारा जेसीबी चलाई गई। प्रोपर्टी मार्केट में इसे अवैध कालोनी को विभाग की ओर से एनओसी सर्टिफिकेट के रूप में माना जा रहा है। यानि विभाग ने जो करना था, सो कर दिया। अब वहां पर धड़ल्ले से अवैध कालोनी विकसित होगी। प्रोपर्टी की खरीद-बेच होगी, गलियां बनेगी, बिजली-पानी के कनेक्शन भी मिलेंगे। सीवर की सुविधा भी पहुंच जाएगी।
दरअसल, सिरसा में अवैध कालोनियों के मामले में ऐसा ही घटनाक्रम दोहराया जाता है। सिरसा में हर दिशा में कोलोनाइजरों ने अवैध कालोनियां काटी और बेच डाली। डीटीपी विभाग अवैध कालोनियों के मामले में अपनी मुठी गर्म होने की वजह से चुप्प रहा। अवैध कालोनी काटने वालों ने मार्केट में बकायदा नक्शे जारी किए। बिना परवाह किए प्रोपर्टी बेची। रजिस्ट्री न होने पर फुल पेमेंट के एग्रीमेंट कर पैसा जुटा लिया।
पिछले दो दशक के दौरान एकाध नहीं बल्कि बीसियों अवैध कालोनियों सिरसा में बस चुकी है। हैरानी की बात यह है कि यह सिलसिला आज भी जारी है। 'नगरयात्राÓ ने ही दर्जनों अवैध कालोनियों के खुलासे प्रमुखता से किए। कोलोनाइजरों द्वारा जारी नक्शे भी प्रमुखता से प्रकाशित किए। लेकिन डीटीपी विभाग इन अवैध कालोनियों को पनपने से रोकने में असफल रहा।
अवैध कालोनियों के मामले में डीटीपी विभाग द्वारा नोटिस देने की औपचारिकता पूरी की जाती है। कभी कभार नोटिस बोर्ड लगाए जाते है। ज्यादा हुआ तो रकबा लॉक करवा दिया जाता है ताकि रजिस्ट्री न हों। इससे अधिक अवैध कालोनी में बनाई जा रही नींव को, कच्ची गलियों को जेसीबी से तोड़ दिया जाता है। इससे भी अधिक हुआ तो कोलोनाइजर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जाता है। लेकिन परिणाम अवैध कालोनी पनप जाती है। प्रोपर्टी की रजिस्ट्री हो जाती है और पुलिस से केस वापस ले लिया जाता है। यानि विभाग की जेसीबी अवैध कालोनी के पनपने का एक प्रकार से सर्टिफिकेट माना जाने लगा है। जेसीडी विद्यापीठ के पास विभाग ने जेसीबी चलाकर एक और कालोनी को पनपने का रास्ता दिखा दिया है?
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- डीटीपी विभाग की सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत?
अवैध कालोनियों को पनपने से रोकने का जिम्मा डीटीपी विभाग का है। लेकिन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कोलोनाइजरों की गोद में दिखाई पड़ते है, इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। शहर की हर दिशा में अवैध कालोनी विकसित हो चुकी है। कोलोनाइजरों द्वारा कृषि भूमि की खरीद की जाती है और वहां पर रिहायशी अथवा कमर्शियल प्लॉट काटे जाते है।
सरकार की ओर से भारी भरकम महकमा बनाया हुआ है, इसके बावजूद कोई अवैध कालोनी पनप जाए, यह कैसे संभव है? पूरे मामले की गहन पड़ताल के जरूरी है कि डीटीपी विभाग की सर्जिकल स्ट्राइक हों। तमाम रिकार्ड जांचे जाए, कब किन-किन को नोटिस दिए। फिर क्या एक्शन लिया? एफआइआर दर्ज होने के बाद किस आधार पर रद्द की गई? विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की संपत्ति का रिकार्ड भी खंगाला जाए?
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- पांच एकड़ में काटी अवैध कालोनी
बरनाला रोड पर जेसीडी विद्यापीठ के पीछे करीब पांच एकड़ जमीन पर अवैध कालोनी काटी गई, कॉलोनाइजर नक्शा बनाकर यहां प्लॉट बेच रहा था। करीब तीन दर्जन लोगों को प्लॉट बेचे भी जा चुके है। मामले में डीटीपी विभाग की ओर से 41 भूमि मालिकों को नोटिस जारी कर वीरवार को कच्ची गलियों व नींव को उखाड़ दिया गया। बताया जाता है कि खैरपुर रकबे की पांच एकड़ के अंदर खेती की जा रही है, जो रकबा किला नंबर 12 का खसरा नंबर 13, 14, 15, 16, 17, 18 है। जबकि इसी रकबा के किला नंबर 12 का खसरा नंबर 23, 24, 25 और किला नंबर 13 का खसरा नंबर 3, 4, 5, 8 में कॉलोनी काटी जा रही है, जो पूरी तरह से अवैध है।

24/10/2025

1 नवम्बर से ऑनलाइन ही होगा डीड पंजीकरण, ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य

चंडीगढ़। हरियाणा की वित्त आयुक्त डा. सुमिता मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के दृष्टिकोण अनुसार, 1 नवम्बर, 2025 से राज्य के सभी 22 जिलों में कागज रहित डीड पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा। पेपरलैस डीड पंजीकरण वाला हरियाणा होगा देश का पहला राज्य होगा।

डिजिटल शासन की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम उठाते हुए हरियाणा सरकार का यह कदम पारंपरिक जटिल पंजीकरण प्रणाली से पूरी तरह से निजात दिलाकर सरल, डिजिटल, पारदर्शी और नागरिक -अनुकूल प्लेटफॉर्म बन जाएगा। कार्यान्वयन तिथि के बाद मौजूदा प्रणाली स्थायी रूप से बंद कर दी जाएगी, जिससे हरियाणा भारत में 100 प्रतिशत कागज रहित संपत्ति पंजीकरण प्राप्त करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।

पहले चरण का शुभारंभ मुख्यमंत्री सैनी द्वारा 29 सितम्बर, 2025 को कुरुक्षेत्र के बबैन उप तहसील से किया गया। इसके बाद कागज रहित पंजीकरण का दूसरा चरण 28 अक्तूबर, 2025 से

10 और जिलों अम्बाला, यमुनानगर, करनाल, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, फतेहाबाद, पलवल, जींद और झज्जर में शुरू होगा। शेष जिलों भिवानी, चरखी दादरी, गुरुग्राम, हिसार, कैथल, नूंह, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा और सोनीपत के लिए पंचकूला, तीसरे चरण के तहत 1 नवम्बर, 2025 से इस नई प्रणाली को अपना लिया जाएगा।

प्रयोगकर्ता के डा. मिश्रा ने कहा कि नया ऑनलाइन डीड पंजीकरण पोर्टल संपत्ति पंजीकरण के सभी पहलुओं को एक एकीकृत, उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस में एकीकृत करता है। नागरिक अब सुरक्षित ओ.टी.पी. प्रमाणीकरण के माध्यम से अपनी पहचान पंजीकृत और सत्यापित कर सकते हैं सभी दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन हो जाने के बाद, नागरिकों को केवल एक बार अंतिम बायोमैट्रिक सत्यापन और विलेख निष्पादन के लिए पंजीकरण कार्यालय जाना होगा। एक नागरिक के लिए, एक आधिकारिक रिकॉर्ड के लिए और एक इलैक्ट्रॉनिक रूप से पटवारी को तत्काल नामांतरण और भूमि रिकॉर्ड अपडेट के लिए।

@ सभी नामांतरण प्रविष्टियां 25 अक्तूबर से पहले सिस्टम में शामिल की जाएं

डा. मिश्रा ने कहा कि निर्वाध डाटा स्थानांतरण की सुविधा के लिए सभी नामांतरण प्रविष्टियों को 25 अक्तूबर, 2025 से पहले सिस्टम में शामिल क्रिया जाना चाहिए। नागरिकों और संपत्ति डीलरों को सलाह दी जाती है कि वे इस समय नए स्टाम्प पेपर न खरीदें, क्योंकि कागज रहित प्रणाली भौतिक स्टाम्प की आवश्यकता को समाप्त कर देगी।

आज सभी जिला पंजीकरण अधिकारियों (डी.आर.ओ.) के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य के सभी 6 प्रशासनिक प्रभाग शामिल हुए। प्रशिक्षण सत्र के दौरान उनके संपर्क विवरण और निर्धारित जिलों की जानकारी डी.आर.ओ. के साथ साझा की गई, जिससे किसी भी तकनीकी समस्या का तत्काल समाधान सुनिश्चित होगा।

- टैक्स चोरी के धंधे का मामला= विभाग की शह पर होती है टैक्स चोरी?- बिना बिल के दिल्ली से सिरसा पहुंचते है माल से लदे ट्र...
23/10/2025

- टैक्स चोरी के धंधे का मामला
= विभाग की शह पर होती है टैक्स चोरी?
- बिना बिल के दिल्ली से सिरसा पहुंचते है माल से लदे ट्रक
- कारोबारियों से अधिक किराया वसूलकर गारंटीशुदा माल पहुंचाते है ट्रांसपोर्टर
नगरयात्रा न्यूज, सिरसा। सिरसा में लंबे समय से टैक्स चोरी का धंधा संचालित किया जा रहा है, जिसमें कराधान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत दिखाई देती है। इन अधिकारियों की मिलीभगत से ही दिल्ली से चलकर माल से लदे ट्रक सिरसा तक पहुंचते है। हैरानी की बात यह है कि बिना बिल और बिना बिल्टी के इस माल को रोकने की जहमत नहीं दिखाई जाती। इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि कराधान विभाग के अधिकारियों द्वारा रोड साइड चैकिंग की जाती है?
सवाल उठता है कि जब रोड साइड चैङ्क्षकग की जाती है, तब ट्रकों के ट्रक दो नंबर में माल सिरसा कैसे पहुंच पाता है? यह भी कि ट्रांसपोर्टर किसकी शह पर गारंटी से दो नंबर का माल दिल्ली से सिरसा पहुंचाने का दावा करते है और यह उनके कारोबार का हिस्सा बना हुआ है। टैक्स चोरों और कराधान विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ कोई नया नहीं है, बल्कि कई दशकों के दौरान यह अधिक मजबूत हुआ है। विभाग में जो कभी ईटीओ होता था, वह पदोन्नत होकर उच्चाधिकारी बन चुका है। ऐसे में टैक्स चोरों के रिश्ते पहले से अधिक मजबूत हुए है।
सरकार की ओर से भले ही टैक्स चोरी पर लगाम कसने के दावे किए जाते हों लेकिन आज भी सरकार को रोजाना लाखों रुपये टैक्स की चपत लग रही है। यह बीच का माल अधिकारियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच बंट रहा है। भले ही जीएसटी लागू करने की बात की जाती हो, तब भी विभिन्न आइटमों पर टैक्स चोरी जारी है?
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- नशीले उत्पादों की डिलीवरी?
सरकार की ओर से पान मसाला, गुटखा और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाई हुई है, इसके बावजूद भारी मात्रा में उक्त प्रोडेक्ट सिरसा तक पहुंचते है। कुछ समय पूर्व कोरियर के जरिए नशीली गोलियां पहुंचाने मामले का खुलासा हो चुका है। यानि इस धंधे से जुड़े लोग ट्रांसपोर्टर के जरिए माल इधर से उधर करते है। बड़ी आशंका है कि नशीले पदार्थों-अफीम, चरस, हैरोइन इत्यादि की भी ट्रांसपोर्टरों के जरिए डिलीवरी दी जाती हो? चूंकि इनकी कोई जांच नहीं होती, इसलिए आशंका गहरा जाती है।
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- नहीं किया जाता गोदामों का निरीक्षण?
दो नंबर में आने वाले माल को गोदामों में रखा जाता है। ट्रासपोर्टरों को किसी का भय नहीं है, इसलिए वे बिना बिल और बिल्टी वाले 'मार्काÓ लगे माल को भी गोदाम पर उतारते है और फिर पार्टी तक मार्का देखकर माल पहुंचाते है। उन्हें इस आश्य का भय नहीं है कि कराधान विभाग के अधिकारी कभी गोदाम की तलाशी भी ले सकते है। बताते है कि गोदाम की तलाशी का अधिकार विभाग के ज्वाइंट कमीशनर स्तर के अधिकारी के पास है और उन्हें कभी तलाशी के लिए बुलाया ही नहीं जाता? गोदामों की जांच न होने से ट्रांसपोर्टर बेखौफ है।
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- विभागीय कर्मी करते है रेकी?
टैक्स चोरी के मामले में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत रहती है। जिसके कारण जब कभी टैक्स चोरी पकडऩे वाली टीम फील्ड में उतरती भी है तो विभाग के ही कर्मचारी रेकी कर ट्रांसपोर्टरों को सावधान कर देते है। ऐसा ही मामला कुछ वर्ष पहले एक्सपोज भी हुआ था। तब विभागीय टीम की जीपीएस के माध्यम से रेकी करके ट्रांसपोर्टरों को पहले ही अवगत करवाया जा रहा था। मामले में विभाग के एक कर्मचारी का चेहरा भी सामने आया लेकिन ले-देकर मामले को दबा दिया गया।
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- दो नंबर के माल से हवाला को बढ़ावा
दो नंबर में माल की आसान आवक के कारण हवाला कारोबार को बढ़ावा मिला है। कारोबारियों द्वारा दो नंबर में माल की खरीद की जाती है और इसके लिए नगद भुगतान किया जाता है। सिरसा में दर्जनभर हवाला कारोबारी सक्रिय है, जोकि कमीशन पर देशभर में कहीं भी भुगतान की सुविधा उपलब्ध करवाते है। ऐसे में नशीले पदार्थ का कारोबार करने वाले भी हवाला के जरिए ही भुगतान करते है और ट्रांसपोर्टरों के जरिए खेप सिरसा पहुंच जाती है। ऐसे में हवाला कारोबार के नेक्सस को तोडऩे के लिए दो नंबर के माल की आवक को रोकना होगा?

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