रूहानियत से सराबोर (Ruhaniyat se Sraabor

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रूहानियत से सराबोर (Ruhaniyat se Sraabor आध्यात्म + समाज कल्याण + राष्ट्रवाद + स्

सेवा हमारा धर्म है, सेवा हमारा कर्म है,
धरती हिले, बदल फटे, आए सुनामी,
नदी की बहती धार या सूखे दरार, मुश्किल में
प्राण हो, सेलाब हो, या आग हो,

  आप सभी को परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के गुरुगद्दी महा की शुभकामनाएं, जो Dera Sacha Sauda  के द्वितीय शाही आध्यात...
28/02/2025


आप सभी को परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के गुरुगद्दी महा की शुभकामनाएं, जो Dera Sacha Sauda के द्वितीय शाही आध्यात्मिक गुरूजी थे, जिन्होंने हमें मानवता का पाठ सिखाया 🙏 अब आगे तीसरी पाठशाही के रूप में सेंट डॉक्टर एमएसजी आगे बढ़ा रहे हैं और जो करोड़ों लोगों को मानवता का संदेश देकर इंसानियत की सेवा करवा रहे हैं।
शाह सतनाम जी के वचन थे हम थे, हम है और हम ही रहेंगे।

धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा 🙏 💐💐अपंग💐💐 #रूहानियत_से_सराबोर बहुत समय पहले की बात है। किसी नगर में एक सेठ रहते थे। उनके पास ...
22/02/2025

धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा 🙏
💐💐अपंग💐💐
#रूहानियत_से_सराबोर

बहुत समय पहले की बात है। किसी नगर में एक सेठ रहते थे। उनके पास अपार संपत्ति थी, लंबी-चौड़ी हवेली थी, नौकर-चाकरों की सेना थी, भरापूरा परिवार था। सब तरह के सुख थे, पर एक दुख था। सेठ को रात को नींद नहीं आती थी,कभी आंख लग भी जाती तो भयंकर सपने आते। सेठ को बड़ी बेचैनी रहती।

उन्होंने बहुतेरा इलाज कराया, लेकिन रोग घटने के बजाय बढ़ता ही गया।

एक दिन एक साधु उस नगर में आए। वे बहुत पहुंचे हुए साधु थे। लोगों के दुख दूर करते थे।

सेठ को पता लगा तो वह भी उनके पास गए और अपनी विपदा उन्हें कह सुनाई। बोले-

"महाराज! जैसे भी हो मेरा कष्ट दूर कर दीजिए।“

साधु ने कहा- "सेठजी! आपके रोग का एक ही कारण है और वह यह कि आप अपंग हैं।“

सेठ ने विस्मय से उनकी ओर देखा। पूछा- "आप मुझे अपंग कैसे कह सकते है? यह देखिए, मेरे अच्छे-खासे हाथ पैर हैं।“

साधु ने हंसकर कहा-अपंग वह नहीं होता जिसके हाथ-पैर नहीं होते। वास्तव में अपंग तो वह है जो हाथ-पैर होते हुए भी उनका इस्तेमाल नहीं करता। तुम्हीं बोलो,अपने शरीर से तुम कितना काम करते हो?

सेठ क्या जवाब देते! वे तो हर छोटे-बड़े काम के लिए नौकर पर निर्भर करते थे।

साधु ने कहा- *"अगर तुम अपने रोग से बचना चाहते हो तो हाथ-पैर की इतनी मेहनत करो कि थककर चूर हो जाओ। तुम्हारी बीमारी दो दिन में दूर हो जाएगी।"*

सेठ ने यही किया। साधु की बात सही निकली। दूसरे दिन रात को सेठ को इतनी गहरी नींद आई कि वह चकित रह गये।

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धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा 🙏 *💐💐संस्कारों की नींव💐💐* #रूहानियत_से_सराबोर जिंदगी में कुछ घटनाएं ऐसी घटित हो जाती हैं, जो भ...
19/02/2025

धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा 🙏
*💐💐संस्कारों की नींव💐💐*
#रूहानियत_से_सराबोर

जिंदगी में कुछ घटनाएं ऐसी घटित हो जाती हैं, जो भीतर तक आपको भयभीत कर देती हैं।
जीवन का हर दिन या यूं कहें प्रत्येक क्षण कुछ न कुछ सीख देकर जाता है।

ऐसा ही कुछ उस दिन हुआ जब हमेशा की तरह में अपनी ट्यूशन क्लास ले रही थी। अचानक बैंड बाजे की आवाज आने लगी।
बच्चे पूछने लगे कि मैडम, आवाज कहां से आ रही है? जरूर किसी के यहां शादी है।

तभी एक आठ वर्षीय बच्चा बोला, हां, मैडम लगता है किसी की शादी हुई है, दुल्हन आई होगी। आज से घर के सारे काम वो ही करेगी।

एक बार तो मुझे उसकी सोच पर आश्चर्य हुआ कि इतने छोटे बालक की ऐसी सोच ? फिर लगा कि वो वही बोल रहा है जो उसने अपने आसपास देखा होगा। क्या इसमें बालक का दोष है? नहीं।

यह दोष है बड़ों की मानसिकता का जो बच्चों को अनायास ही ये बातें सिखा रहे हैं। एक तरफ हम महिलाओं के प्रति सम्मान की बातें करते हैं और दूसरी तरफ भावी पीढ़ी को ऐसे दूषित विचार प्रदान कर रहे हैं। क्या सिखाएं, क्या नहीं? यह अभिभावकों की जिम्मेदारी है।

जन्म से ही अच्छे संस्कारों की नींव डालना बहुत जरूरी है अन्यथा महिलाएं यूं ही प्रताड़ित होती रहेंगी।

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"आज का विचार""एकांत" #रूहानियत_से_सराबोर जब हम अकेले होते हैं, तो हमें यह सोचने का अवसर मिलता है कि हम कौन हैं, क्या चाह...
04/02/2025

"आज का विचार"
"एकांत"
#रूहानियत_से_सराबोर

जब हम अकेले होते हैं, तो हमें यह सोचने का अवसर मिलता है कि हम कौन हैं, क्या चाहते हैं, और हमारी ज़िंदगी का उद्देश्य क्या है। एकांत में बैठकर हम अपनी कमजोरियों, ताकतों और भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। यह समय हमें जीवन के शोरगुल से दूर ले जाकर आत्मविश्लेषण का मौका देता है।
भीड़ के बीच हमारा ध्यान बाहरी चीज़ों पर रहता है। हम दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करने और समाज के बनाए ढांचे में फिट होने की कोशिश में लग जाते हैं। लेकिन एकांत में, हम अपने मन के भीतर झांकने का साहस करते हैं। यह हमें अपनी सच्चाई से रूबरू कराता है।
भीड़ में हम अक्सर अपनी पहचान खो देते हैं। हमें लगता है कि दूसरों के साथ चलने से ही हमारी प्रगति होगी। लेकिन यह भूलना नहीं चाहिए कि भीड़ का हर हिस्सा अपनी दिशा में चलता है। उसमें हमारा असली उद्देश्य कहीं गुम हो सकता है।
भीड़ हमें प्रेरणा दे सकती है, लेकिन यह हमारी पहचान और स्वतंत्र सोच पर भी असर डाल सकती है। अगर हम लगातार दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करने में लगे रहेंगे, तो खुद के प्रति ईमानदार रहना मुश्किल हो जाएगा।
मैं यह संदेश देना चाहती हूं जो लोग ये कहते हैं कि हम तो इतनी मेहनत करते हैं इतना परिश्रम करते हैं तो भी हमे सफलता क्यों नहीं मिलती हम कामयाब क्यों नहीं होते, आप सफल इसलिए नहीं होते क्योंकि आप सही दिशा में नहीं हैं दुनियां का देखा देखी काम कर रहे जो लोग करते हैं वहीं करने लग जाते है तो सफलता कहां से मिलेगी आप वो कीजिए जिसमें आप निपुण है । निश्चित सफलता मिलेगी।

🌺 आपका दिन शुभ हो🌺

Heartfelt congratulations on the pious MahaRehmokaram Month, when Shah Mastana Ji declared Shah Satnam Ji as holy succes...
01/02/2025

Heartfelt congratulations on the pious MahaRehmokaram Month, when Shah Mastana Ji declared Shah Satnam Ji as holy successor & the second Master of Dera Sacha Sauda.💐🙏
Saint Dr MSG Insan 🧿❤

धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा 🙏 💐💐ईश्वर बहुत दयालु है💐💐एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था।उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उ...
10/01/2025

धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा 🙏
💐💐ईश्वर बहुत दयालु है💐💐

एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था।उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बगीचा की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था. वह किसान हर दिन बगीचे के ताज़े फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था।

एक दिन किसान ने पेड़ों पे देखा नारियल अमरुद, बेर, और अंगूर पक कर तैयार हो रहे हैं, किसान सोचने लगा आज कौन सा फल महाराज को अर्पित करूँ, फिर उसे लगा अँगूर करने चाहिये क्योंकि वो तैयार हैं इसलिये उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा! किसान जब राजमहल में पहुचा,राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और नाराज भी लग रहा था किसान रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़े दूर बेठ गया,अब राजा उसी खयालों-खयालों में टोकरी में से अंगूर उठाता एक खाता और एक खींच कर किसान के माथे पे निशाना साधकर फेंक देता।

राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था किसान कहता था, ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’ राजा फिर और जोर से अंगूर फेकता था किसान फिर वही कहता था ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’।

थोड़ी देर बाद राजा को एहसास हुआ की वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है वो सम्भल कर बैठा,उसने किसान से कहा,मै तुझे बार-बार अंगूर मार रहा हूँ,और ये अंगूर तुंम्हे लग भी रहे हैं,फिर भी तुम यह बार-बार क्यों कह रहे हो की ईश्वर बड़ा दयालु है।

किसान ने नम्रता से बोला, महाराज,बागान में आज नारियल,बेर और अमरुद भी तैयार थे पर मुझे भान हुआ क्यों न आज आपके लिये अंगूर् ले चलूं लाने को मैं अमरुद और बेर भी ला सकता था पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल,बेर या बड़े बड़े अमरुद रखे होते तो आज मेरा हाल क्या होता ? इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’!!

💐शिक्षा💐
इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत हल्का कर के हमें उबार लेता है पर ये तो हम ही नाशुकरे हैं जो शुकर न करते हुए उसे ही गुनहगार ठहरा देते हैं,मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ,मेरा क्या कसूर,आज जो भी फसल हम काट रहे हैं ये दरअसल हमारी ही बोई हुई है,बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होये।।और बबुल से अगर आम न मिला तो गुनहगार भी हम नहीं हैं, इसका भी दोष हम किसी और पर मढेंगे ,, कोई और न मिला तो ईश्वर तो है ही ।

डेरा सच्चा सौदा द्वारा Saint Dr MSG Insan के मार्गदर्शन में आंखों की आंच का विशाल कैंप आयोजन किया गया। जिसमें 13102 मरीज...
16/12/2024

डेरा सच्चा सौदा द्वारा Saint Dr MSG Insan के मार्गदर्शन में आंखों की आंच का विशाल कैंप आयोजन किया गया। जिसमें 13102 मरीज पंजीकृत हुए। और 185 फ्री आई ऑपरेशन सफलतापूर्वक हुए है।

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