Afzal Shaikh The Express magazine

Afzal Shaikh The Express magazine ( मंदसौर ध्वज ) पत्रकार & समाज सेवी सीतामऊ जिला मंदसौर ( म. प्र. )

सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें.

09/10/2025

#पुलिस #प्रशासन #की #सेवा #जनता #की #सेवा #पुलिस #सिर्फ #वर्दी #नहीं #जिम्मेदारी का #प्रतीक #है। यह वाक्य तब और सच्चा लगता है जब हम किसी पुलिसकर्मी को धूप बारिश या रात के अंधेरे में ड्यूटी निभाते देखते हैं। पुलिस प्रशासन का असली उद्देश्य सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं, बल्कि जनता की सुरक्षा और सेवा करना है। हर हालात में हर परिस्थिति में। कानून और व्यवस्था का प्रहरी पुलिस प्रशासन समाज का वह स्तंभ है जो कानून और व्यवस्था को बनाए रखता है। छोटी-छोटी घटनाओं से लेकर बड़े अपराधों तक, पुलिस का काम केवल कार्रवाई करना नहीं, बल्कि समाज में शांति और विश्वास बनाए रखना भी है। जब जनता निडर होकर अपने घरों में सो पाती है, तब कहीं न कहीं कोई पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभा रहा होता है। जनता और पुलिस का रिश्ता भरोसे पर आधारित
अक्सर लोग पुलिस को केवल सख्त रूप में देखते हैं, लेकिन असल में पुलिस का चेहरा संवेदनशील और सहयोगी भी है। चाहे ट्रैफिक में फंसे नागरिकों की मदद हो, लापता बच्चों की खोज हो, या बाढ़-संकट जैसी आपदाएँ पुलिस सबसे पहले मौके पर पहुँचती है। पुलिस का असली बल उसकी वर्दी में नहीं, बल्कि उसकी नीयत में है। सेवा, सुरक्षा और सम्मान तीन स्तंभ हर पुलिसकर्मी की शपथ में यही तीन शब्द गूंजते हैं सेवा, सुरक्षा और सम्मान। पुलिस प्रशासन जनता की सेवा में तब तक लगा रहता है जब तक समाज सुरक्षित न हो जाए।
अक्सर ड्यूटी के दौरान त्याग, परिवार से दूरी, और खतरे के बावजूद वे अपने फर्ज से पीछे नहीं हटते। बदलते समय में नई जिम्मेदारियाँ आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध, नशे का प्रसार और सामाजिक तनाव जैसे नए खतरे सामने हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। पुलिस अब सिर्फ डंडा नहीं चलाती, बल्कि तकनीक, जागरूकता और संवाद के जरिए समाज से जुड़ रही है। जनता का सहयोग पुलिस की ताकत पुलिस अकेले नहीं लड़ सकती। जब जनता कानून का सम्मान करती है, सच बोलती है और अपराध के खिलाफ खड़ी होती है, तभी असली जन-पुलिस भागीदारी बनती है। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह पुलिस की मदद करे, न कि उससे दूरी बनाए। निष्कर्ष
पुलिस प्रशासन केवल एक संस्था नहीं, बल्कि समाज की सुरक्षा का आत्मबल है। जब हम पुलिस हमारी सेवा में” कहते हैं, तो यह केवल नारा नहीं — एक सच्चाई है, जो हर दिन हजारों वर्दियों के त्याग और समर्पण से लिखी जाती है। जनता की सुरक्षा, पुलिस की प्राथमिकता यही है असली सेवा।

 #मान्यवर  #कांशीराम जी की  #जयंती पर उन्हें सत सत नमन । भारत के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में कुछ ऐसे व्यक्तित्व हुए ह...
09/10/2025

#मान्यवर #कांशीराम जी की #जयंती पर उन्हें सत सत नमन । भारत के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में कुछ ऐसे व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने समाज की दिशा बदल दी। मान्यवर कांशीराम जी उन्हीं महान हस्तियों में से एक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित, पिछड़े, वंचित और शोषित वर्गों को उनका हक़ दिलाने के लिए समर्पित कर दिया। उनकी जयंती केवल एक नेता को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय के उस संघर्ष को दोहराने का समय है जिसे उन्होंने जनआंदोलन का रूप दिया। कांशीराम जी का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ ज़िले में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनमें अन्याय और भेदभाव के खिलाफ़ एक आग थी। उन्होंने सरकारी नौकरी से शुरुआत की, लेकिन जब उन्होंने समाज में फैले जातिगत भेदभाव और अन्याय को करीब से देखा, तो उन्होंने नौकरी छोड़कर समाजसेवा का रास्ता चुना। उन्होंने कहा था हमारी राजनीति, सत्ता के लिए नहीं समाज परिवर्तन के लिए है। #कांशीराम जी ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। उन्होंने उन वर्गों को राजनीतिक चेतना दी जो सदियों से हाशिए पर थे। उनका नारा जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी ने लोकतंत्र के असली अर्थ को जनता के बीच पहुँचाया। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि वोट सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि सम्मान का हथियार है। उनके मार्गदर्शन में बहुजन आंदोलन एक जनशक्ति बन गया, जिसने सत्ता और समाज की संरचना को चुनौती दी। आज जब हम कांशीराम जी की जयंती मना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि हम उनके विचारों को केवल भाषणों में नहीं, बल्कि अपने व्यवहार और राजनीति में उतारें। उन्होंने जो सपना देखा था एक समानता, भाईचारे और आत्मसम्मान से भरे समाज का उसे साकार करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। कांशीराम जी ने भले ही 2006 में यह संसार छोड़ दिया हो, लेकिन उनका विचार, उनका संघर्ष और उनकी प्रेरणा आज भी ज़िंदा है। वे हमें याद दिलाते हैं कि सत्ता नहीं, समाज परिवर्तन ही सच्ची क्रांति है।

09/10/2025

#देश का #किसान #भारत एक #कृषि #प्रधान देश है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या #गाँवों में #बसती है और खेती-बाड़ी पर निर्भर है। इसलिए कहा जाता है भारत की आत्मा गाँवों में बसती है, और #गाँव की #आत्मा #किसान में। देश का किसान न केवल धरती का सच्चा पुत्र है, बल्कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है.। किसान सूरज उगने से पहले खेतों में पहुँच जाता है और देर रात तक मेहनत करता है, ताकि देश के हर नागरिक की थाली में अन्न पहुँचे। उसकी मेहनत से ही देश आत्मनिर्भर बनता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जो किसान दूसरों को भोजन देता है, वही आज अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करता है.। मौसम की मार, कर्ज़ का बोझ महँगाई और बाजार की अनिश्चितता ये सब किसान के जीवन की कठोर सच्चाइयाँ हैं.। कभी सूखा तो कभी बाढ़, कभी फसल का सही दाम न मिलना इन सबके बीच किसान का जीवन अस्थिर और असुरक्षित हो गया है। सरकारें योजनाएँ बनाती हैं.लेकिन कई बार वे ज़मीनी स्तर तक नहीं पहुँच पातीं ? किसान को आज सबसे ज़्यादा जरूरत है न्यायसंगत मूल्य, आधुनिक तकनीक, सिंचाई के साधन और मजबूत समर्थन प्रणाली की। कृषि सिर्फ उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और अर्थव्यवस्था का आधार है। जब किसान खुश रहेगा, तभी देश समृद्ध होगा। आज हमें यह समझने की जरूरत है कि किसान की समस्याएँ केवल ग्रामीण भारत की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या हैं। जिस दिन किसान के पसीने की कीमत उसे ईमानदारी से मिलने लगेगी उस दिन भारत वास्तव में सोने की चिड़िया कहलाने लायक बनेगा। किसान सिर्फ खेत का मजदूर नहीं, वह राष्ट्र निर्माता है। उसके श्रम का सम्मान करना उसकी आय बढ़ाना और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना यह सिर्फ सरकार का नहीं, हर नागरिक का कर्तव्य है। आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि किसान की मेहनत व्यर्थ न जाए और उसका जीवन सम्मान और समृद्धि से भरा हो क्योंकि “किसान बचेगा, तभी देश बचेगा।

 #कांग्रेस  #विधायक  #भेरू  #सिंह  #परिहार  #बापू विधान सभा क्षेत्र 165  #सुसनेर के  #विकास के  #प्रतीक भेरू सिंह परिहार...
09/10/2025

#कांग्रेस #विधायक #भेरू #सिंह #परिहार #बापू विधान सभा क्षेत्र 165 #सुसनेर के #विकास के #प्रतीक भेरू सिंह परिहार बापू जिन्हें जनता प्यार से बापू कहकर पुकारती है। बापू ने अपने क्षेत्र में विकास की एक नई पहचान बनाई है। उनकी ईमानदारी, सादगी और जनसेवा की भावना ने लोगों के दिलों में गहरा स्थान बनाया है। उनके कार्यकाल में क्षेत्र में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और रोजगार जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भेरू सिंह परिहार बापू ने राजनीति को सत्ता का नहीं, सेवा का माध्यम बनाया। वे हमेशा जनता के बीच रहते हैं, उनकी समस्याएँ सुनते हैं और उनका समाधान करने के लिए तत्पर रहते हैं। जनता का मानना है कि उनके नेतृत्व में क्षेत्र में जितना विकास हुआ, उतना पहले कभी नहीं देखा गया। उनकी कार्यशैली पारदर्शी, निष्ठावान और जनहितैषी है। वे न केवल एक नेता बल्कि एक सच्चे जनसेवक के रूप में पहचाने जाते हैं। भेरू सिंह परिहार बापू ने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ़ हो और इरादा जनता की भलाई का हो। तो राजनीति भी सेवा और विकास का सशक्त माध्यम बन सकती है। Bhero Singh Parihar Bapu Bablu Bana Bablu Indian National Congress

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