Rankubeshy Chaudhary

Rankubeshy Chaudhary ☝️Miles to go🚶Before I Sleep🌙

19/06/2025

मनुवादियो का स्वर्ग
बहुजनों के नर्क से बना है.

18/06/2025

चूहा पिंजरे में इसलिए फंसता है क्योंकि वो समझ नहीं पाता कि पिंजरे में रखी रोटी उसे फ्री में क्यों दी जा रही है..!!

देश की सरकार हर माईने में fail होती दिख रही है, न जाने इस देश की जनता को कब एहसास होगा,? विमान दुर्घटना, रेल दुर्घटना, प...
16/06/2025

देश की सरकार हर माईने में fail होती दिख रही है,
न जाने इस देश की जनता को कब एहसास होगा,?
विमान दुर्घटना, रेल दुर्घटना, पुलवामा व पहलगाम जैसी घटनाओ को पर जनता की आंखें कब खुलेगी?
मैं ये अंधभक्तो के लिए नहीं बोल रहा हूँ...!!!

15/06/2025

📘 बहुजन समाज की मसीहा ,
🌟 आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी 🌟
(पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश | राष्ट्रीय अध्यक्ष - बसपा)

🔷 आदरणीय बहन कु. मायावती जी के नेतृत्व में बसपा सरकार के ऐतिहासिक कार्य —

✅ दलित, पिछड़े, मुस्लिम और गरीब समाज को मुख्यधारा में लाना।
✅ सामाजिक न्याय की लड़ाई को संवैधानिक दिशा देना।
✅ उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री बनकर ऐतिहासिक कार्य करना।
✅ मान्यवर साहेब कांशीराम जी के मिशन को आगे बढ़ाना।
✅ राजधानी लखनऊ में "भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल" की स्थापना।
✅ गौतम बुद्ध, अंबेडकर, कांशीराम और अन्य महापुरुषों के भव्य स्मारक निर्माण।
✅ राजकीय छुट्टियों में दलित महापुरुषों को शामिल करना।
✅ दलित समाज के युवाओं के लिए रोजगार व शिक्षा के अवसर बढ़ाना।
✅ पुल, सड़क, बिजली और चिकित्सा के क्षेत्र में ऐतिहासिक विकास।
✅ आरक्षण का लाभ सही वर्गों तक पहुँचाना।
✅ कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाना – 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' के सिद्धांत पर शासन।
✅ किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं।

🔵 "जो संघर्ष करेगा, वही सत्ता पाएगा"
🔵 "बहुजन की बेटी, संविधान की रक्षक"

📢 2027 – नया संकल्प, नया इतिहास!
📍 बसपा को सत्ता में लाकर फिर
से लायें बहुजन राज।

जय भीम | जय भारत
BSP UP मिशन 2027
Rankubeshy Chaudhary

15/06/2025

अर्णव गोस्वामी बता रहे थे कि 3 जून 2025 को डीजीसीए ने टाटा समूह को Show Cause Notice दिया था जिसमे उनके कई विमानों की इमरजेंसी उपकरण तक मे कमियां थी।

इससे;

"सरकारी व प्राइवेट सेक्टर का अंतर समझ सकते है"

सरकारी सेक्टर घाटे में रहता है जबकि प्राइवेट सेक्टर लाभ में क्योंकि;

1.सरकारी सेक्टर में उपकरण दुरुस्त रहते है।
2.सरकारी सेक्टर में घिसा नही जाता बल्कि बदल दिया जाता है।
3.सरकारी सेक्टर में समय समय पर नवीनीकरण होता रहता है।

जबकिं;

"प्राइवेट सेक्टर में गन्ने से जूस जिस प्रकार निकाला जाता है, अथार्त दो या तीन गन्ने को तब तब मशीन के अंदर डालते है तब तक कि अंतिम बून्द तक न निकल जाए। उसी प्रकार से प्राइवेट सेक्टर को नवीनीकरण, देखभाल से क्या मतलब, तब तक उसे घिसो जब तक मुनाफा न दे"

विकास कुमार जाटव

हमारे देश ने बुद्ध को मिटा दिया और वही लोग अम्बेडकर जी को मिटाने कोशिश कर रहे हैं,हमारे देश ने हम मूलनिवासियों को हज़ारो...
15/06/2025

हमारे देश ने बुद्ध को मिटा दिया और वही लोग अम्बेडकर जी को मिटाने कोशिश कर रहे हैं,हमारे देश ने हम मूलनिवासियों को हज़ारों साल प्रताड़ित किया
और ये सब एक धर्म ने किया.बताओ ऐसे धर्म को हम कैसे स्वीकार कर ले जिसकी नींव ही विदेशी आर्यों के दुश्विचारों पर खड़ी हैं?
हज़ारों साल हमें धर्म की आड़ में शुद्र बनकर शोषण किया गया
और हमारी आखें आज भी खुली नहीं .
इस देश के असली शासक हम SC, ST, OBC हैं
इस देश की हर नींव हमी से शुरू है
हमें अपने आपको जानना होगा अपने हक को पहचनना होगा
जय भीम जय भारत 🙏🙏
जागो बहुजन जागो 😳😳😳😳😳

यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने लालच के जाल में पहले अपने भाइयों को, फिर गाँव वालों को, और अब उसके बेटे अपनी बह...
14/06/2025

यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने लालच के जाल में पहले अपने भाइयों को, फिर गाँव वालों को, और अब उसके बेटे अपनी बहन की शादी के बहाने अपने दोस्तों को फँसा रहे हैं। खास तौर पर यह कहानी उसके दूसरे बेटे की है।
मैं इस फिल्म पर काम कर रहा हूँ, जल्द ही यह फिल्म आपको facebook व youtube पर मिलेगी देखियेगा ज़रूर.
यह एक real स्टोरी है.

**लालच का जाल**

किसी गाँव में रामू नाम का एक व्यक्ति रहता था। रामू कभी गरीब था, उसकी सारी ज़मीन गिरवी थी। उसके तीन बेटों—मोहन, सोहन, और रोहन—के पास अच्छे कपड़े तक नहीं थे। रामू कोई साहूकार नहीं था, बल्कि गाँव के साधारण लोगों जैसा ही था। लेकिन उसके मन में पैसों का लालच इस कदर घर कर गया था कि वह उल्टे-सीधे तरीकों से धन कमाने लगा।

रामू ने पहले अपने तीनों भाइयों—श्याम, घनश्याम, और बलराम—को अपने लालच का शिकार बनाया। वह उनसे उधार लेता, छोटी-मोटी मदद माँगता, और फिर हिसाब में ऐसी चालाकी करता कि ब्याज के नाम पर उनकी ज़मीन और संपत्ति हड़प लेता। धीरे-धीरे उसने अपने भाइयों को कंगाल कर दिया। गाँव वाले हैरान थे कि रामू, जो कभी गरीब था, अब इतना मालामाल कैसे हो गया? लेकिन उसका लालच यहीं नहीं रुका।

रामू ने गाँव के हर व्यक्ति को अपने जाल में फँसाना शुरू किया। वह पहले लोगों का भरोसा जीतता—कभी किसी को थोड़ा उधार देता, कभी किसी की छोटी मदद करता। फिर समय बीतने पर वह हिसाब में ऐसी हेराफेरी करता कि लोग उसका कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी ज़मीन, गहने, या सामान तक गँवा बैठते। गाँव वाले उससे डरने लगे, लेकिन रामू का लालच बढ़ता ही गया।

अब रामू के तीनों बेटों ने भी अपने पिता का रास्ता अपनाया। वे अपनी बहन की शादी के बहाने अपने दोस्तों को शिकार बनाने लगे। यह कहानी खास तौर पर रामू के दूसरे बेटे, सोहन, की है।

सोहन बड़ा चालाक था। वह अपने दोस्तों का भरोसा जीतने में माहिर था। वह अपने दोस्तों की ज़रूरत के समय उनकी मदद करता—कभी 500 रुपये, कभी 1000 रुपये उधार देता। उसके दोस्त वो रकम लौटा भी देते फिर भी वो अपने बही खाते से उनका हिसाब नहीं काटता दोस्तों को उसकी मक्कारी का पता नहीं था। इस लिए दोस्त समझते की मदद कर रहा है और एक अच्छा दोस्त है और कहते भाई तूने हमारी बुरे वक्त में मदद की है हमारी कभी जरूरत हो तो बताना जान हाजिर है तेरे लिए तो वह दोस्तों से कहता, "तुम मेरी बहन की शादी में मदद करना।" दोस्त उसकी बात मानते और शादी के लिए सामान—कपड़े, बर्तन, या गहने—लाकर दे देते। सोहन बड़े प्यार से सामान ले लेता और दोस्तों को भरोसा दिलाता कि वह इसका हिसाब रखेगा।

लेकिन कुछ समय बाद, जब दोस्त उससे अपना सामान या उसकी कीमत माँगने आते, सोहन अपनी चाल चलता। वह कहता, "अरे, तुमने जो सामान दिया था, उसकी कीमत तो बहुत ज्यादा हो गई है। अब ब्याज के साथ इतना देना होगा!" वह इतनी बड़ी रकम माँगता कि दोस्त हैरान रह जाते। कोई सामान वापस लेने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि सोहन की माँगी रकम सामान की कीमत से कहीं ज्यादा होती। लोग सोचते कि सामान छोड़ देना ही बेहतर है। इस तरह सोहन अपने दोस्तों को ठगता और अपनी बहन की शादी के नाम पर धन बटोरता।

सोहन के भाई, मोहन और रोहन, भी यही काम करते। तीनों भाइयों ने मिलकर अपने दोस्तों को एक-एक करके अपने लालच का शिकार बनाया। गाँव में अब लोग रामू और उसके बेटों से दूरी बनाने लगे, लेकिन जो नए लोग उनके जाल में फँसते, वे भी ठगे जाते।

रामू और उसके बेटों का लालच दिन-ब-दिन बढ़ता गया। लेकिन कहते हैं न, लालच का फल कभी अच्छा नहीं होता। एक दिन गाँव वालों ने मिलकर ठान लिया कि अब वे रामू और उसके बेटों की चालाकी को बेनकाब करेंगे। क्या हुआ, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच का रास्ता भले ही शुरू में चमकदार लगे, लेकिन वह हमेशा अंधेरे की ओर ले जाता है।

यह एक सच्ची कहानी है

और ये कहानी उस व्यक्ति की कहानी से काफी मेल खाती है

हालांकि इस कहानी को लिखा तो मैने ही है,पर थोड़ा मोडिफाई कर दिया है

समझने वाले समझ सकते हैं

आप लोग बताइए ऐसे व्यक्तियों को कैसे सुधारा जा सकता है?

या समय के भरोसे छोड़ना बेहतर होगा?

धन्यवाद!

01/05/2024

सरकार सौदागर नहीं होनी चाहिए!

चंदे के नाम पर कुछ करोड़ रुपयों के लिए देश की 80% आबादी का जीवन ख़तरे में डालनेवाली पैसों की लालची पार्टी को देश की जनता लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हराकर अपना जवाब देगी।

देशभर की डरी हुई जनता अपना वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट निकालकर देख रही है कि उसे कौन सी वैक्सीन लगी है।

हमने पहले भी कहा था, अब भी कह रहे हैं कि पूरी तरह से जाँच-परीक्षण के बिना वैक्सीन दिया जाना सही नहीं था। अब जब विदेशी कोर्ट में कोविशील्ड वैक्सीन बनानेवाली कंपनी ने ख़ुद इसके बुरे साइड इफ़ेक्ट के बारे में स्वीकार कर लिया है तो फिर जनता को और क्या सबूत चाहिए।

अब भाजपाई जहाँ भी जाएंगे, जनता के जीवन का सवाल उनका पीछा करेगा। इसका शिकार तो भाजपा के समर्थक भी हुए हैं। वैक्सीन के बुरे असर और जनता के विरोध के कारण, भाजपाइयों का डर तो आम जनता के डर से दोगुना हो गया है। धीरे-धीरे पनपते जन विरोध को देखते हुए भाजपाइयों के घरों और वाहनों से झंडे उतर गये हैं और गलों से भाजपा के पट्टे भी क्योंकि आम भाजपाई को तो सुरक्षा का कोई घेरा नहीं मिला है।अब देखें भाजपा कैसे अपने मंचों से दावा करती है कि उसने कोरोनाकाल में जनता की जान बचाने का काम किया है; जबकि सच में जान जोखिम में डालने का काम किया है। भाजपा ने एक वैश्विक महामारी की आपदा में भी कोविड के टीके के प्रमाणपत्र में तस्वीर छापकर अपने प्रचार का अवसर ढूँढ लिया था। अब जब लोग अपने वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट को देख रहे हैं, तो उनका विरोध और ग़ुस्सा और बढ़ रहा है।

देश की सम्पत्ति बेचनेवालों ने, चंद पैसों के लिए देश की करोड़ों लोगों की ज़िंदगियों की भी बाज़ी लगा दी है। अब जनता भाजपा को हमेशा के लिए हटाकर अपना वर्तमान और भविष्य दोनों सुरक्षित कर लेगी।

#कभी_नहीं_चाहिए_भाजपा

12/07/2023

मृत्यु पर खेद कैसा?
हम हर क्षण मार रहे हैं

12/07/2023

उसूलों पे जो आंच आए
तो टकराना जरूरी है,
जो ज़िंदा हो तोफिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है।

17/04/2023

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