
03/03/2024
रुदौली के शासक
राजा रुद्रमल पासी का जन्म शिवरात्रि के दिन सन 990 ईस्वी में हुआ , राज परिवार का भगवान शिव के प्रति असीम श्रद्धा के चलते पासी राज ने अपने पुत्र का नाम भगवान ( शिव) नाम के तर्ज पर अपने बड़े पुत्र का नाम ( रुद्र ) रखा जो आगे चलकर राजा रूद्रमल पासी के नाम से विख्यात हुए , राजा रुद्रमल पासी चार भाई थे जिनके किले चार पांच कोस के परिधि में आज भी खंडहर अवशेष के रूप में विद्यमान है
इनकी कहानी पर पर्दा तब उठता है जब सैयद सालार मसूद गाजी ने भारत में जेहाद छेड़ा था उसके रास्ते में कोई भी हिंदु राजा उसे चुनौती देने का प्रयास नही किया , उसका विजय रथ तब तक नही रुका जब तक अवध के शक्तिशाली जाति पासियो ने उसको चुनौती नही दी, सैयद सालार गाज़ी के अजीज रिश्तेदार और आधी सेना लखनऊ कंसमंडी के संघर्ष में समाप्त हो गई क्योंकि अवध की धरती पर कदम रखते हुए उसकी पहली लडाई पश्चिम कंसमंडी के राजपासी राजा कंस से लड़नी पड़ी और लाखन कोट के बिकट संघर्ष बाद उसका अगला पड़ाव बाराबंकी का सतरिख बना
मुसलमान आक्रमणकारियों ने इस जिले में अपनी पहली स्थायी बस्ती सतरिख में हिजरी 421, यानी 1030 में बनाई थी; वहां से उन्होंने वर्षों तक भयंकर और धर्मांतरण युद्ध छेड़ रखा था से प्रेरित थे सतरिख से सैयाद सालार के पिता सालार साहू ने युद्ध नीति रणनीति योजना बनाई और मसूद को उतराधिकारी घोषित किया, उसने सतरिख से ही युद्ध का संचालन किया ।
मसूद गाज़ी ने राजा रुद्रमल पासी को संदेश भिजवाया की वो खुद मुसलमान बन इस्लाम स्वीकार कर ले और सारी सेना मसूद के लश्कर में शामिल हो जाए अन्यथा जंग के लिए तैयार रहे ।
ऐसा संदेशा पाकर राजा रुद्रमल पासी क्रोध से आगबबूला हो गए , उन्होंने ने संदेशा भिजवाया की हमारी स्वतंत्रता ही हमारी जंग है उनको पश्चिम के हालात की जानकारी थी ही , उन्होंने फौरन डंका बजवा कर युद्ध की घोषणा कर दी।
ऐसा उत्तर पाकर मसूद गाजी तिलमिला गया उसने फौरन रुद्रवाली पर हमले के आदेश अपने फौजों को दे दिया लेकीन मसूद जितना आसान सोचता था उतना आसान था नही लखनऊ में उसकी पहली हार अभी मसूद को याद थी कही गरमा गरम तेल उसकी ईह लीला न समाप्त कर दें उसने किले पर हमला ना करके बाहर मैदान में युद्ध लड़ने को चुनौती दी राजा रूद्रमल पासी स्वाभिमानी और अड़ियल राजा किसी भी चुनौती की स्वीकार करने उसको जवाब देने के लिए तैयार रहते थे वो अपनी चतुरांगी सेना के साथ युद्ध मैदान में उतर गए , देखते ही देखते मसूद की सेना पर बिकट गुर्जो के प्रहार से मासूद की सेना भयभीत होकर बाहर भाग खड़ी हुई हजारों लाशों के ढेर रुदौली निकट मैदान में भर गया वहीं स्थान आज भी गंज शाहिदा कहलाता है
सैय्यद सलार के कमांडरो ने दो तीन बार हमले किए पर विफल रहे , सैयद सालार की कोई युक्ति काम नही कर रही थी ।
जोहरा बीवी नाम की महिला जो मसूद के प्रेम में मंत्रमुग्ध थी उसने सैयद सालार के बचे हुए सिपाहियों से संदेशा भिजवाया था एक बार भेंट के बदले रूद्रमल के भेद को बताएगी , फ़ौरन सिपाहियों ने मसूद को इस बात से अवगत कराया, मसूद से जब जोहरा बीवी मिली तो उससे निकाह की शर्त रखी तब मसूद ने युद्ध समाप्ति पश्चात निकाह की हामी भरी , इस पर जोहरा बीवी ने राजा रूद्रमल की चुगली सैयद सालार मसूद से की,
राजा सहित उसकी पूरी सेना किले में रात में दारू शराब के नशे में जश्न में डूबे रहते है ढोल नगाड़ों की आवाज में बदहवास होते है उसी समय अगर हमला किया जाए तो रुदौली जीती जा सकती है इस बात को सुनकर मसूद ने अपनी सेनाओं को रात में हमला करने की तैयारी करवाता है और जब किले से ढोल नगाड़ों की आवाज़ों से धरती गगन कांपने लगती है तब मसूद को पूरा विस्वास हो जाता है सब नशे में हो गए , तब उसने किले पर चढ़ाई करने का आदेश देता है अचानक हुए इस हमले का किसी को भी अंदेशा ना था औचक हुए हमले से राजा रूद्रमल पासी स्थिति को भांप गए अपने गुर्ज को लेकर प्रांगण पर दौड़ पड़े बिकट युद्ध छिड़ गया राजा रूद्रमल ने घोर संग्राम किया उसी रात को सैकड़ों शत्रु से घिरे राजा रूद्रमल पासी
जब तक जान बनी थी काया में, तब तक लड़े अंतत: वो वीर गति हुए, रुदौली पर सैयद सालार का कब्जा हो गया और सालार मोहल्ला आबाद किया गया
1034 में वह बहराइच गया जहां उसको राजा सुहेलदेव पासी ने मार गिराया
जोहरा बीवी की चुगली की उसका नतीजा यह रहा हजारों बच्चे बूढ़े मारे गए उनकी हाय ने उसको मसूद से जुदा कर दिया बाद में मसूद को मानने वालों ने जोहरा बीबी और मसूद के रिश्तों का महिमा मंडन करना शुरू किया और उनके रिश्तों को रूहानी तकतो से तुलना करनी शुरू कर उसको अमर कर दिया आज भी रुदौली में साल में सबसे बड़ा उर्स जोहरा बीबी के नाम पर होता है
और राजा रूद्रमल पासी के अमर इतिहास को पासी समाज के ( बिरातिया पसमंगता ) द्वारा सुनी जाती है रुदौली बुर्जुग मुस्लमान आज भी बताते है रूद्रमल के चार भाई थे
कई किस्से अंग्रेजो ने भी दर्ज किए है जिसमें एक किस्सा ये रहता है
" की पासियों तथा लोगो द्वारा प्राप्त कहानियों के विवरण में अक्सर देखा जाता है की इनके राजा शराब के नशे में होते थे तब हमलावर हमला करके उनको मार देते थे "
यह शराब का नशे का मसला राजा डालदेव पासी के संबध में भी है राजा हंसा पासी के संबंध में भी कई राजाओं के बारे में ये किस्सा कॉमन है
राजा रुद्रमल पासी के बारे में भी मवई के पासियो से भी सुनी है और बसौढ़ी के पासियो से भी
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कुंवर प्रताप रावत
The Pasi Landlords