26/08/2025
बेटा नया घर बना रहा है। ये बात हरिप्रसाद को पता चली तो उसका दिल टूट गया। वह पत्नी कमला से बोला " तुम्हारा बेटा चुपके चुपके नया घर बना रहा है। चार पैसे कमाने लगा तो अपना घोसला बनाने लगा। अब शायद जल्दी ही फुर हो जायेगा? " हरि प्रसाद की पत्नी बोली " अच्छी बात है जी। इस छोटे से घर मे हमारी पूरी जिंदगी गुजर गई। अब रहने के लिए बड़ा घर मिलेगा। बहु और बेटा दोनों कमा रहे है। बड़ा बंगला बना रहे होंगे। ये तो खुशी का समाचार है जी। वो कहीं फुर्र नही होगा। आपका खून है। मुझे उस पर पूरा भरोसा है। " हरिप्रसाद के चेहरे पर चिंता की लकीरें थे। वह पत्नी को टेंशन देना नही चाहता था। अगले दिन कमला ने बहु से नये घर के बारे मे पूछा तो वो बातों बातों मे टाल गई। हरिप्रसाद ने भी बेटे से पूछा " तू खुद के लिए नया हर बना रहा है क्या? " बेटा बोला " नही पापा। ऐसा कुछ नही है।" दिन गुजरने लगे। एक साल गुजर गया। हरिप्रसाद इस एक साल मे कई बार बेटे के बन रहे घर को चुपके से देख आता था। दो मंजिला घर बना था। बहुत बड़ा था। घर के ठीक आगे बड़ा सा बगीचा बन रहा था। उसमे सुंदर फूलों के पौधे लगाए गए थे। एक छोटा सा स्विमिंग पुल भी बनाया गया था। हरिप्रसाद का सपना था कि बड़ा सा घर हो। उसमे सुंदर सा बगीचा हो। एक छोटा सा स्विमिंग पुल हो। मगर हरिप्रसाद अपनी खुद की जिंदगी मे ऐसा घर नही बना पाया। पांच बहनो की शादी। एक बेटे और दो बेटियों को पढाना। फिर उनकी शादी। बस यही जिम्मेदारियां पूरी कर पाया था। आज बेटे का घर देखकर उसके आँखों मे पानी आ गया था। जब घर पूरी तरह बनकर तैयार हो गया तब बेटे ने गृह प्रवेश का दिन फिक्स कर दिया। गृह प्रवेश वाले दिन हरिप्रसाद और उसकी पत्नी को लेने एक गाड़ी आई। दोनों उसमे बैठ कर बेटे के घर की तरफ रवाना हुए। ज्यों ही गाड़ी घर के सामने रुकी। तब हरिप्रसाद की नजर घर के गेट पर लगी नेम प्लेट पर गई। उस पर लिखा था " हरिप्रसाद विला" दरवाजे के दोनों सिरों को मिलाता हुआ एक बड़ा सा कपड़े का बेनर लगा था जिस पर लिखा था " पापा के सपनो का घर।" ये सब देखकर हरिप्रसाद की आँखों मे आंसू आ गए थे। ज्योंही हरिप्रसाद गाड़ी से नीचे उतरा सभी उन्हे बधाईयाँ देने लगे। " क्या बेटा पाया है?कलयुग का श्रवण कुमार। " कमला की आँखों मे आंसू थे। उसने कस कर अपने पति का हाथ पकड़ रखा था। जब लोग बधाई दे रहे थे तब कमला पति का हाथ जोर से दबा देती थी। यह जताने के लिए कि बेटे पर शक क्यों किया। पति पत्नी अंदर पहुंचे तो देखा बेटा बहु पंडित जी के साथ मंत्रणा कर रहे थे। उन दोनों को देखकर बेटा और बहु उनके पैरों मे झुक गए। दोनों बेटियां और पांचों बहने भी आई हुई थी। हरिप्रसाद ने बेटे हो भुजाओं मे पकड़ कर सीने से लगा लिया। बेटा भावुक होकर धीरे से कान मे बोला " कैसा लगा पापा? आपके सपनो का घर? " हरिप्रसाद ने उसे भुजाओं मे कसते हुए कहा " उतनी ही खुशी हुई जितनी तेरे जन्म पर हुई थी। "