08/10/2025
कभी-कभी पढ़ने का बिल्कुल मन नहीं करता। सामने पुस्तक खुली होती है फिर भी उसमें देखा नहीं जाता। जीवन के सबसे अजीब एवं भयावह दौर से गुज़र रहा हूं। वक्त बर्बाद किया तब समझ आया वक्त से कीमती कुछ नहीं, आपकी सांसे भी नहीं। बाहर से शांत किंतु अंदर कितनी घमासान है केवल मैं जानता हूँ। जबतक आप पैसे नहीं कमाते, बेरोजगारी में जीते हैं तबतक आपकी कोई ज़िंदगी नहीं होती। अनजान तो छोड़िए आपके घर, दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी सभी तुम्हें नगण्य समझते हैं।वास्तविकता में तुम्हारी उपयोगिता ही तुम्हें सम्मान और शान से जीने का हक दिलाती है.....!!!!!