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Simple Road सोचो लिखो बातें जो दिल को छू जाए
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कृपया आप अपना जिला खोज लीजिए ✨
22/07/2025

कृपया आप अपना जिला खोज लीजिए ✨

21/07/2025
18/07/2025

लोगो से हमारे रिश्ते अब daily routine तक ही सीमित हो गए है, Good morning, kaise ho, khana khaya, good night बस इसी में सब सिमट गया है ये सब ना करो तो लोग बोल देते है हमें भूल गए हो और ये सब करके जो रोज भूल रहे उसपर किसी का ध्यान ही नहीं जाता, अक्सर लोग अब दिखावे में ही सिमट गए है.....!!

16/07/2025

जीवन हाँथ पे हाँथ रखकर बैठने का नाम नहीं परन्तु सदैव आगे आगे बढ़ते रहने वाली एक नाव है। हम ज्यादातर वक्त सोचने में ही निकाल देते हैं और यही हमारे पीछे रह जाने का मुख्य कारण होता है। जितना हम तय करें उससे दस प्रतिशत अधिक करना चाहिए... यही ज़िंदगी की सार्थकता है...!!! कुछ समय पहले मैं दोस्तों को लेकर काफ़ी परेशान रहता था परन्तु अब सब सामान्य लगता है, एक वर्ष से अधिक वक्त बीत गया जब किसी मित्र से कोई सम्पर्क नहीं हुआ। दरअसल हम सभी अपनी जिंदगियां जीते हैं और परेशानियों से लड़ते हैं इसलिए गिले शिकवे वहीं छोड़ देने चाहिए जहां हम दोस्त हुआ करते थे......!!!!!!!

15/07/2025

संघर्ष में जीवन है या जीवन में संघर्ष समझ ही नहीं आता। अपने कमरे में बैठा हूं। बिजली नहीं है। कमरे में मकड़ियां दौड़ रही है और दो छिपकलियां आपस में लड़ रही है। कमरे के दोनों खिड़कियां खुली हुई है। खिड़की से गर्म हवा कमरे में प्रवेश कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे बाहर किसी ने आग लगा दी है। गर्मी ने दस्तक दे दी है। मन में कई उलझने लिए अपने बिस्तर पर लेटा हूं। माता-पिता की बहुत याद आती है। उनको मुझसे काफी उम्मीदें है। जिंदगी में कुछ बड़ा कर दिखाने की लालसा में अपनी उम्र का गला घोंटे जा रहा हूं। बिना माता-पिता के जिंदगी गुजारना जहन्नुम में जिंदगी गुजारने के बराबर होता है। आप उस वक्त अपनी जिंदगी का असली चेहरा देखते हैं, जब बिस्तर पर बीमार लेटे आप मर रहे होते हैं, और आपको पानी देने वाला भी आपके पास कोई नहीं होता। मेरी जिंदगी बड़ा निर्दय है। हर वक्त हमसे रूठी रहती है। मैं अपने किस्मत पर घमंड करता हूं क्योंकि मैं आज तक अपने जिंदगी में जो कुछ भी चाहा है मुझे वो हासिल नहीं हुआ। मैं जानता हूं मुझे कोई नहीं पूछता। मैं जानता हूं कि मुझसे कोई बात नहीं करना चाहता। मैं जानता हूं कि मेरी कोई इज्जत नहीं करता। मैंने जिंदगी को बहुत करीब से देखा है। यहां सरकारी नौकरी वालों को लोग भगवान मानते हैं। दुनिया के नजर में आप कुछ नहीं हैं क्योंकि आपका जेब पैसों से लदे नहीं हैं....!!!!!

14/07/2025

लोगो में, अब मेरी रुचि नगण्य हो गई है। अकेला रहना सीख चुका या फिर अकेलेपन का आदि हो चुका हूं। अपने राज किसी के आगे नही खोलता हूं। अगर किसी से मिलता भी हूं तो चेहरे पर जरा सी भी शिकन झलकने नही देता हूं। लोग बोलते है कि तुम हेमशा इतना खुश कैसे रह लेते हो।
अब उन्हें कौन समझाए ?
खैर.... खुद के जीवन में परेशानियां कम है क्या..!
जो दूसरों की बातों को दिल से लगाकर बैठ जाऊं और सोचने लग जाऊं कि उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, मेरे बारे में ऐसा क्यों कहा। सच कहूं तो अब मैं इन सब चीजों से बहुत ऊपर उठ चुका हूं और इन सब टुच्ची चीजों पर रत्ती भर भी दिमाग नहीं लगाता हूं......!!!!!

12/07/2025

परिवर्तनहीन जीवन सदैव कष्टकारी होता है। आरामदायक क्षेत्र में पड़े-पड़े गलत आदतें एवं अनियमित दिनचर्या आपको मानसिक बीमार बना देती हैं। आप लोगों से छिपना चाहते हैं क्योंकि आपकी व्यक्तित्व कमज़ोर है। निजी रिश्ते भी बोझ लगते हैं और जिम्मेदारियों की अनदेखी आपको नगण्य घोषित कर देती है। केवल एक शुरुआत करने की देर है, तुम सचमुच में बहुत कुछ बदल सकते हो। तुमने अब तक कोई कदम नहीं उठाया। तुम आरामदायक क्षेत्र का मज़ा ले रहे हो, तुम्हें आलस्य ने घेरा हुआ है...मैं बस इतना कहूँगा ये क्षणिक सुख तुम्हें जीवन भर की कसक दे जाएगा इसलिए जाग जाओ बिना विलंब किए। अब बहुत हुआ....!!!!

10/07/2025

यूपीएससी की तैयारी करते करते व्यक्ति को इतना तो समझ में आ जाता है की नौकरी हो या न हो....पर जो सालों इसकी तैयारी में झोंक रहे हैं ये व्यर्थ नहीं जाने देंगे....पत्रकारिता कर लेंगे, एजुकेशनल चैनल बना लेंगे, विद्यार्थियों को गाइड करेंगे.... लेकिन हार नहीं मानेंगे....!!!!
आज यूपीएससी की तैयारी करते एक वर्ष हो गए। बारह महीने के इस यात्रा में कुछ प्राप्त तो नहीं हुआ परन्तु कुछ सोचने और विचारों को एकत्रित करके लिखने की क्षमता विकसित हुई है। व्यक्तित्व तो विकसित नहीं हुआ है परन्तु एक धैर्य और निरंतरता में वृद्धि दिखी है। खुद का अवलोकन करता रहता हूँ......!!!!!

09/07/2025

शायद कुछ न प्राप्त होना ही जीवन है! जिन्हें सब कुछ मिलता है, मैं उन्हें नहीं जानता।शायद वे सिद्ध होंगे, लेकिन मेरे अनुभव में,जो भी मैं चाहता हूँ, जिसे आत्मसात मान लेता हूँ, उसी क्षण वह मेरे भीतर किसी झंझावात की तरह उभर आता है! बनाने वाले ने कोई कसर नहीं छोड़ी, सब कुछ दिया मुझे।
पर मैंने?
मैंने ही स्वयं को दबाया, खुद से अन्याय किया, अपनी ही घटनाओं का भार ईश्वर के सिर रख दिया। यही वो रेखा है, मेरे और प्रभु के बीच की जिसे मैं पकड़े रहता हूँ…जिससे खुद को बाँधे रखता हूँ! कभी-कभी मेरा मन इतना डूब जाता है चिंतन में, दर्द में, कि ईश्वर को भूल जाना चाहता हूँ।हाँ, मैं उसे नकार देता हूँ।क्या यह हिम्मत है या मूर्खता? फिर याद आती है माँ की बात “तू जीवित बचा था ईश्वर की कृपा से।” और वही स्मृति मुझे खींच लाती है फिर से उस परमात्मा की ओर। अब मुझे स्पष्ट है, मेरी गति, मेरी सद्गति सब उसी के हाथ में है।वो है, तो भी…वो नहीं है, तो भी…अब मेरी इच्छाएँ, चाहतें, उम्मीदें, सब उसी में समा चुकी हैं।
मैं मान चुका हूँ, मैं कभी बंधन में था ही नहीं। मैं सदा से मुक्त हूँ। अब मैं तुमसे अलग होने के भ्रम को त्याग चुका हूँ। तुम, तुम हो। और मैं…मैं भी तुम ही हूँ। अब मुझे नहीं मालूम कि क्या करना है।
बस…
मैं अब तुममें विश्राम करना चाहता हूँ.....!!!!!

09/07/2025

पुरुष के लिए सफलता कोई विकल्प नही है। यह उसके लिए जीवन और मरण का सवाल है।
बिना सफलता प्राप्त किये पुरुष को पुरुष नही माना जाता। स्वयं स्त्री उसे स्वीकार नही करती। कोई क्यूँ एक बेरोजगार को अपनी बेटी नही देता,परंतु जैसे ही वह रोजगार प्राप्ति करता है, लड़कियों की लाइन खड़ी होती है..!!

08/07/2025

जब आप जिंदगी की जद्दोजहद से उलझ रहे हो तब घंटा कोई मोटिवेशन काम नहीं करता बाहरी दुनिया के शोर से ज्यादा रूह कितना चीखती है इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता नब्ज़ थम जाती है सासों की उथल-पुथल में हमारी लाख कोशिशों के बाद भी एक एक कर सब कुछ छूट जाता है हाथों से !! और मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मैं खुश आँखों से आसमान को देखूंगा जब मैं आखिरकार ठीक हो जाऊंगा दुखी आहत या खोई हुईं नहीं रहूंगा जब मेरे दिन शांति चुप्पी और अच्छे पलों से भरे होंगे जब मुझे इस दुनिया में अपना सही स्थान मिल जाएगा और एक दिन मैं अपने सपनों की ज़िंदगी जिऊंगा....!!
🧡🙏

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