Simple Road

Simple Road सोचो लिखो बातें जो दिल को छू जाए

08/10/2025

कभी-कभी पढ़ने का बिल्कुल मन नहीं करता। सामने पुस्तक खुली होती है फिर भी उसमें देखा नहीं जाता। जीवन के सबसे अजीब एवं भयावह दौर से गुज़र रहा हूं। वक्त बर्बाद किया तब समझ आया वक्त से कीमती कुछ नहीं, आपकी सांसे भी नहीं। बाहर से शांत किंतु अंदर कितनी घमासान है केवल मैं जानता हूँ। जबतक आप पैसे नहीं कमाते, बेरोजगारी में जीते हैं तबतक आपकी कोई ज़िंदगी नहीं होती। अनजान तो छोड़िए आपके घर, दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी सभी तुम्हें नगण्य समझते हैं।वास्तविकता में तुम्हारी उपयोगिता ही तुम्हें सम्मान और शान से जीने का हक दिलाती है.....!!!!!

07/10/2025

यहां हर चेहरा मुस्कुरा रहा है, पर हर आत्मा कराह रही है। जिन्हें तुम प्रेरणा समझते हो, जिनसे तुम सीखने की कोशिश करते हो वे खुद अपने भीतर मर चुके हैं। किसी का प्यार उसे छोड़ गया, किसी की महत्वाकांक्षा ने उसे निगल लिया, कोई लोन में डूबा है, कोई किस्तों में जी रहा है, कोई रिश्तों की कर्ज़दारी में खुद को गिरवी रख चुका है। सबका चेहरा चमकता है, लेकिन भीतर का अंधेरा अब इतना गहरा हो चुका है कि रोशनी की कोई किरण वहां तक पहुंच ही नहीं पाती।
यह दुनिया अब आत्माओं का कब्रिस्तान है, जहां हर कोई अपने ही बनाए भ्रम में दफ्न है। यहां दिखावे की एक ऐसी परत चढ़ चुकी है कि सच्चाई अब असहज कर देती है। लोग इंसान नहीं ब्रांड बन गए हैं। वे मुस्कुराते हैं ताकि कोई उनकी पीड़ा न देख सके। वे सफल दिखते हैं ताकि कोई उनकी बेचैनी न समझ सके। उनके जीवन में सब कुछ है पैसा, पहचान, प्रतिष्ठा पर चैन नहीं, सुकून नहीं, आत्मा नहीं।
यहां हर कोई दौड़ रहा है पर किसी को नहीं पता कि मंज़िल कहां है। महत्वाकांक्षा अब ज़हर बन चुकी है। लोग खुद की सीमाओं को भूल गए हैं, अपने भीतर की थकान को झुठला रहे हैं, बस दूसरों से बेहतर दिखने की होड़ में खुद को खा रहे हैं.....!!!!!!!

06/10/2025

कई बार हम सोचते हैं कि लोग बदल गए हैं। कुछ सालों बाद, कुछ महीनों बाद, या शायद किसी एक घटना के बाद। हम चौंक जाते हैं, निराश हो जाते हैं, और सोचने लगते हैं कि क्या यह वही इंसान है जिसे हम जानते थे, जिस पर हमने विश्वास किया था, जिसे हमने अपना समझा था। मगर सच्चाई अक्सर कहीं और होती है। लोग उतने नहीं बदलते, जितना उनके मुखौटे गिरते हैं।
हम सब जीवन में किसी न किसी रूप में मुखौटा पहनते हैं। कभी दुनिया से अपने दुख छुपाने के लिए, कभी समाज की स्वीकृति पाने के लिए, और कभी-कभी अपनों को खुश करने के लिए। मगर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ये मुखौटा सिर्फ जीने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों को भ्रम में रखने के लिए पहनते हैं। वे चेहरे जो शुरू में भरोसेमंद लगते हैं, समय के साथ जब अपने असली रंग दिखाते हैं, तब हमें एहसास होता है कि वो इंसान कभी वैसे थे ही नहीं, जैसे उन्होंने दिखाया था......!!!!!!

05/10/2025

जीवन नयी ओर मुड़ चुकी है। एक वक्त था जब मुझे लगता था मैं बहुत तेज हूं और सबकुछ जानता हूं। अब एहसास हो रहा मैं एक औसत से भी निम्न स्तर का व्यक्ति था। अब मैं अपनी औकात में रहता हूं और बिना किसी उम्मीद के बेहद साधारण ज़िन्दगी जी रहा। कोई शिकवा नहीं, कोई पछतावा नहीं, कोई शोर नहीं।मां-बाप के चेहरों की बढ़ती झुर्रियां एहसास दिला रही हैं कि मैं अबतक उनका अच्छा बेटा नहीं बन पाया। अब किसी से बातें करना या किसी का इंतजार करना बेहद छोटा महसूस कराता है। एक योद्धा को केवल अपने लड़ाई से मतलब होना चाहिए। किसी भी प्रकार का भटकाव उसके सर्वोपरि लक्ष्य का दुश्मन है। खैर.. जिंदगी में निरंतर प्रयास करना ही एक दिन सफलता दिलाएगा.....!!!!!

04/10/2025

आज के समय में अगर तुम यह सोचकर चल रहे हो कि सबको खुश कर लोगे, तो यकीन मानो तुम अव्वल दर्जे के महामूर्ख हो। इंसानियत की यह सबसे बड़ी त्रासदी है कि जितना तुम दूसरों को खुश करने की कोशिश करोगे, उतना ही खुद को खोते जाओगे और अंत में वही लोग तुम्हें सबसे ज़्यादा गिरा देंगे। यहां किसी के पास तुम्हारे एहसानों की लिस्ट रखने का वक्त नहीं है। उल्टा, अगर तुमने एक बार भी उनकी उम्मीदों के खिलाफ कुछ किया तो वही लोग तुम्हें सबसे पहले नकार देंगे।
यह पक्का जान लो कि अगर तुमने अपनी जिंदगी दूसरों की हां में हां मिलाने में बर्बाद की, तो तुम्हारा बुरा वाला कटेगा। और कटेगा इस हद तक कि जब तुम थककर गिरोगे तो कोई तुम्हें संभालने भी नहीं आएगा। उस वक्त तुम्हारा रोना, तुम्हारा पछतावा, सब तुम्हें ही झेलना पड़ेगा क्योंकि किसी को फर्क ही नहीं पड़ेगा......!!!!!!

03/10/2025

सुबह आंख खुली, तो देखा सूर्य आज मेरी खिड़की से मुझे ताक रहा था। मैं डर जाता हूं जब भी कोई मुझे एकटक होकर तकता है। सूर्य के मुखड़े को देख मैने कहा "आज का दिन मेरे लिए कुछ खास नहीं जो तुम मुझे इस कदर देख रहे हो।" मुझे महसूस होता है कि मेरी पूरी जिंदगी ही खास नहीं है। बिस्तर पर लेटे-लेटे मोबाइल की तरफ नजर फेरा तो देखा, न ही किसी का मैसेज और न ही किसी का कॉल आया हुआ था। एक उम्र आती है जब आपको लगता है कि आपके अपने भी अपने नहीं होते हैं। शरीर में आलस रेंग रही थी, फिर भी खुद को दो गाली दे, मैं बिस्तर पे उठ बैठा और अपने कमरे को निहारने लगा। अपने कमरे को देख, मुझे खुद पर तरस आता है। कमरे की सारे समान बिखरी हुई थी। बिखरी हुई चीजें मुझे मेरे अतीत की याद दिलाती है। मुझे याद नहीं मैं कब अपने कमरे को सही से संभाल रखा था। मैं जब भी अपने बिखरे कमरे को देखता हूं तो मां की बहुत याद आती है.....!!!!!!

03/10/2025
02/10/2025

छत पर टहलते टहलते मै सोचने लगा के शायद यह जीवन असल में हमारा नहीं है। हम इसे किसी नाटक के पात्र की तरह बस निभा रहे हैं। इसे लिख कोई और रहा है और इसका निर्देशन भी किसी और ने किया है। क्योंकि मैं जो कुछ भी करना चाहता हूं वो मैं नहीं कर पाता हूं। मैं खुद को कमजोर महसूस करता हूं।।
मैं अपने बंद कमरे में लेटा खुद को काफी खाली महसूस कर रहा था। मैंने सोचा क्यों ना !! मैं अपने पुराने दोस्तों से बात कर लूं। यही सोच मैंने अपने कुछ पुराने दोस्तों को फोन लगाया परंतु सभी से जवाब मिला की "भाई अभी काफी व्यस्त हूं, रात में बात करते हैं न"। खैर.... सब कहने के साथ है, अगर आप किसी के काम के लायक नहीं है तो आपको कोई नहीं पूछेगा....!!

02/10/2025

बड़ी बड़ी बातें करना और दूसरों को मोटिवेशन का टॉनिक देना बहुत आसान है परंतु जब आप धरातल स्तर पर पैसे कमाने निकलते हैं तब समझ आता है ये जीवन क्या है? और असल में संघर्ष किसे कहते हैं। जो व्यक्ति पैसा देता है वो आपको हमेशा गुलाम समझेगा। आपके स्वाभिमान से उसे कोई फर्क नही पड़ता।जीवन में बेरोजगारी का दौर सभी अपने-पराए में भेद करवा देती है। आपके सबसे करीबी दोस्त, रिश्तेदार या प्रियजन भी आपसे मुंह मोड़ लेते हैं.... हर कोई आपकी विफलताओं पर टिप्पणियाँ करता है। किसी को फ़र्क नहीं पढ़ता तुम कहां हो, कैसे हो; पर तुम सबका ज़बाब अपनी मुस्कुराहट से देना....!!!!

01/10/2025

किसी भी तैयारी के लिए पूरी तरह कोचिंग पर आश्रित नहीं होना चाहिए, बहुत लोग तो self study से भी exam क्रैक कर लेते बाकी एक बार मार्गदर्शन के लिए कोचिंग करके अच्छे से नोट्स बना लिया जाए फिर उसी का अभ्यास करते रहना चाहिए। इसके बाद दुनिया भर के बैच लेने का कोई मतलब नहीं है......!!!!!!

01/10/2025

सबको साथ लेकर चलने वाला इंसान अंत मे अकेला रह जाता है। लोगों को लगने लगता है कि हमें उनकी सहारों की जरूरत है। हम उनके बिना कोई कार्य नहीं कर सकते। इस संसार मे भावुक लोगों का कोई स्थान नहीं है। किसी की मदद करने के पहले हम स्वयं की मदद करना भूल जाते हैं। भूल जाते हैं कि ये संसार स्वार्थ में चूर हैं। हम भूल जाते हैं कि यहां कोई भी इंसान केवल एकदूसरे के रूचियों को मिलने तक साथ है। जैसे ही पसन्द और रुचि बदलती है, रिश्ते तार-तार हो जाते हैं। जरूरत ही संसार का सत्य है।
परन्तु हमारे जैसे मूर्ख लोग जो अपनों को सच मे अपना मानते हैं, हमें एक पल के बाद लोग सम्मान करना भूल जाते है। भूल जाते है की कैसे बुरे वक्त में इसने मुझे अपनी कीमती समयों से कंधा दिया था.....!!!!!

30/09/2025

हमें दुःख तब नहीं होता जब कुछ बुरा होता है,बल्कि तब होता है जब हम उस बुरे को स्वीकार नहीं कर पाते जब वर्तमान की सच्चाई आँखों के सामने होती है,मगर दिल बार-बार बीते हुए कल में भटकता है हम जानते हैं अतीत को बदला नहीं जा सकता,वो लोग, वो पल, वो फैसले सब गुजर चुके हैं,पर फिर भी भीतर से एक आवाज़ आती है काश मैंने ऐसा न किया होता,काश वो रुक जाता,काश वक़्त थोड़ी मोहलत और दे देता यही काश हमारे दुःख का असली कारण बन जाता है..!!

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