01/08/2025
एक पहाड़ी गाँव में एक पुरानी हवेली थी जिसे लोग "श्रापित हवेली" कहते थे। वहाँ कोई नहीं जाता था। कहते हैं, वहाँ एक बच्चा रहता है — जो कभी रोता नहीं, बस घूरता है।
शेखर नाम का एक युवा फिल्म मेकर था। उसे डरावनी जगहों पर जाकर डॉक्यूमेंट्री बनाना पसंद था। जब उसने इस हवेली के बारे में सुना, तो उसका रोमांच जाग उठा।
वो अपनी कैमरा टीम के बिना, अकेले ही वहाँ चला गया।
दरवाजा चरमराया… अंदर घुप्प अंधेरा था… पुरानी लकड़ी की बदबू और धूल से भरी हवा... और अचानक —
हवेली के एक कोने में एक नंगा बच्चा बैठा था। तकरीबन एक साल का। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी थीं, बाल बिखरे हुए, और चेहरा बिल्कुल भावशून्य। वो न हंस रहा था, न रो रहा था। बस शेखर को घूर रहा था।
शेखर ने हल्के से पूछा,
"बेटा, तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो?"
बच्चा कुछ नहीं बोला।
शेखर ने कैमरा चालू किया और फिर पूछा,
"तुम्हारा नाम क्या है?"
बच्चे ने अचानक अपना सिर घुमाया, उसकी मुस्कान थोड़ी और चौड़ी हो गई… और फिर उसने जवाब दिया — मगर बच्चे की आवाज नहीं थी… वो आवाज थी एक बूढ़े आदमी की!
"मैं रोया था… सौ साल पहले। अब तुम्हारी बारी है… चुप हो जाने की।"
शेखर का कैमरा ज़मीन पर गिर गया। उसकी स्क्रीन ब्लैक हो गई। अगली सुबह गाँव वालों ने देखा कि हवेली के बाहर एक नया बच्चा बैठा था। हूबहू शेखर जैसा चेहरा।
वो भी चुप था… और बस सबको घूर रहा था।
हर मासूम चेहरा मासूम नहीं होता।
कुछ आत्माएँ कभी रोती नहीं…
वो सिर्फ इंतज़ार करती हैं… अगली आत्मा के आने का।