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21/09/2025

सीवान के लोजपा नेता रईस खान की गिरफ्तारी पर डीआईजी निलेश कुमार का बयान आया सामने।।siwan news bihar।।

*सीवान के लोजपा नेता रईस खान की गिरफ्तारी पर डीआईजी निलेश कुमार का बयान आया सामने।।siwan news bihar।।*
21/09/2025

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21/09/2025

ग्यासपुर में पुलिस की बड़ी कार्रवाई, लोजपा नेता रईस ख़ान गिरफ़्तार

सिवान। सिसवन प्रखंड के ग्यासपुर में शुक्रवार देर रात पुलिस ने भारी दल-बल के साथ छापेमारी की। इस दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के स्थानीय नेता रईस ख़ान को गिरफ्तार कर लिया गया। अचानक हुई इस कार्रवाई से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

रईस ख़ान पर पूर्व में कई आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं, हालांकि इनमें से अधिकतर मामलों में वे अदालत से बरी हो चुके थे। इसके बावजूद उनकी गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। राजनीतिक जानकार इस कार्रवाई को आगामी चुनावों से भी जोड़कर देख रहे हैं।

रईस ख़ान लंबे समय से इलाके में सक्रिय राजनीति कर रहे हैं। लोजपा के बैनर तले उन्होंने पंचायत और विधानसभा स्तर तक कई बार चुनावी गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। समर्थकों के बीच उनकी छवि एक मजबूत स्थानीय नेता की रही है।

हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तारी किसी पुराने आपराधिक मामले से जुड़ी हो सकती है। वहीं उनके समर्थकों का आरोप है कि यह पूरी तरह से राजनीतिक साजिश है।

गिरफ्तारी के बाद ग्यासपुर व आसपास के क्षेत्रों में तनाव का माहौल है। प्रशासन एहतियातन कड़ी निगरानी रखे हुए है। पुलिस की ओर से आधिकारिक बयान जल्द जारी होने की संभावना है।

20/09/2025

सैकड़ो गाड़ियों के साथ निकाला डॉक्टर अजीत का काफिला, समर्थकों ने की टिकट की मांग।। Siwan news Bihar ।।

20/09/2025

रशियन जलपरी से लेकर भूत बंगले तक, सीवान के फतेहपुर बाईपास में धूम मचा रहा डिज्नीलैंड मेला।। SIWAN NEWS।।
2 दिन एंट्री फ्री

*रशियन जलपरी से लेकर भूत बंगले तक, सीवान के फतेहपुर बाईपास में धूम मचा रहा डिज्नीलैंड मेला।। SIWAN NEWS।।**2 दिन एंट्री ...
20/09/2025

*रशियन जलपरी से लेकर भूत बंगले तक, सीवान के फतेहपुर बाईपास में धूम मचा रहा डिज्नीलैंड मेला।। SIWAN NEWS।।*
*2 दिन एंट्री फ्री*

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19/09/2025

डॉ अर्जेश सिंह एवं डॉ प्रेममाला के क्लीनिक में नवजात की मृत्यु के बाद परिजनों का हंगामा।।SIWAN NEWS BIHAR ।।

*डॉ अर्जेश सिंह एवं डॉ प्रेममाला के क्लीनिक में नवजात की मृत्यु के बाद परिजनों का हंगामा।।SIWAN NEWS BIHAR ।।*
19/09/2025

*डॉ अर्जेश सिंह एवं डॉ प्रेममाला के क्लीनिक में नवजात की मृत्यु के बाद परिजनों का हंगामा।।SIWAN NEWS BIHAR ।।*

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19/09/2025

अभी –अभी सीवान के प्रतापपुर हबीब नगर में रंगीला यादव को लगी गोली।।siwan news।।

*अभी –अभी सीवान के प्रतापपुर हबीब नगर में रंगीला यादव को लगी गोली।।siwan news।।*
19/09/2025

*अभी –अभी सीवान के प्रतापपुर हबीब नगर में रंगीला यादव को लगी गोली।।siwan news।।*

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19/09/2025
19/09/2025

यूट्यूबर दीपक सिंह कश्यप के लिए तेजस्वी यादव आयेंगे सिवान के गोरेयाकोठी में ||

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जरूरतों ने मुझे पैदा किया……….. SIWAN NEWS·THURSDAY, MARCH 23, 2017 मैं अखबार हूँ , मुझसे जुड़े लोग पत्रकार तथा मुझसे जुड़े कार्य को पत्रकारिता कहते है। वही जो लगभग दस से बारह पन्नों का टुकड़ा जिसपर न जाने कितनी बलात्कार , हत्याएं ,लूट-डकैती और न जाने कितनी असामाजिक गतिविधियों सहित सामजिक गतिविधियां सहेजी रहती है। हां, वही जिसे आप आज के दौर में प्रभात खबर, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान , दैनिक भास्कर, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द हिन्दू और भी कई नामो से जानते हैं। विश्व में मेरा आरम्भ काल लगभग 131 ईo में पूर्व रोम में माना जाता है। उस वक़्त मैं प्रतिदिन सारणी से प्रकाशित होता था। जिसका नाम Acta Diurna था। एक पत्थर या किसी धातु की पट्टियों पर कुछ संदेशों को अंकित कर लोगो से परिचित कराया जाता था। मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों ने मुझे एक और नाम से प्रकाशित कराया -जिसका नाम 'सुचना-पत्र' था। इसमें कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्यों में उतार-चढ़ाव से सम्बंधित सूचनाएं होती थी। लेकिन ये हस्तलिखित होती थी जो काफी महँगा होता था। बढ़ती जरूरतों ने मुझे तकनीकी रूप से छापने के लिए तैयार कर दिया था और 15 वी शताब्दी में गुटेनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार कर मुझे बेहद सरल और सस्ता बना दिया। इस मशीन द्वारा गुटेनबर्ग धातुओ की अक्षरों का आविष्कार कर संदेशों को छापने में आसानी कर दी। 16 वी शताब्दी के अंत में यूरोप के एक कारोबारी योहन करालुस ने स्ट्रासबर्ग शहर में धनवान कारोबारियों के लिए मुझे उपयोग में लाता था। जिसे वो खुद ही लिख कर उनके पास भेजता था, पर छापने की मशीन आ जाने के बाद सन 1605 से छपाई वाला सन्देश सहित पन्ना उनके पास भेजने लगा था और करालुस ने मेरा नाम बदलकर "रिलेशन" रख दिया। जो विश्व का पहला मुद्रित अखबार माने जाने लगा। मैं देश भ्रमण पर निकल चुका था। हर एक देशों में अपना अलग अलग नाम छोड़ते हुए भारत पंहुचा। मेरे भारत पहुचने से पहले मुझे छापने वाली मशीन करीब 1674 ईस्वी में भारत पहुच चुकी थी पर मैं इसके ठीक 102 वर्ष बाद यानी 1776 ईस्वी में पंहुचा। मुझे भारत में आश्रय देने वाली संस्था थी "ईस्ट इंडिया कंपनी" तथा इसके भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स। उस वक़्त मैं अंग्रेजी भाषा में लोगो से रूबरू होता था पर मेरा क्षेत्र कंपनी तथा सरकार के बीच ही सीमित था। 4 साल बाद 1780 ईस्वी में जेम्स आगस्टस हिक्की ने मुझे एक अलग नाम से प्रकाशित किया। नाम था "बंगाल गजट" . दो पन्ने तथा मुझमे छपी लेख ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर ही होते थे। 1790 ईस्वी तक मेरे और भी कई नाम प्रकाशित हो चुके थे। कुछ जीवित रहे कुछ ओझल भी हो गए। 1819 ईस्वी में राजा राम मोहन रॉय ने बंगाली भाषा में "संवाद कौमुदी" नाम से एक और अखबार प्रकाशित किये। बढती जरूरतों ने मुझे और भी नाम दिया था। 1822 में "मुंबईना समाचार(गुजराती भाषा, साप्ताहिक )" के नाम से प्रकाशित हुआ जो दस वर्ष बाद दैनिक सारणी में परिवर्तित हो गया। 1826 में "उदंत मार्तण्ड ( हिंदी भाषा,साप्ताहिक )" के नाम से लोगो के बीच पंहुचा ,पर पैसो की कमी ने मुझे एक साल में ही लोगो के बीच से हटा दिया । 1830 में राजाराम मोहन रॉय ने "बंगदूत ( हिंदी भाषा, साप्ताहिक )" नाम से मुझे लोगो से परिचित कराया। वैसे मेरा सम्बन्ध बहुभाषीय था जैसे कि बँगला, हिंदी, अंग्रेजी तथा फ़ारसी। मेरे प्रकाशन का केंद्र कोलकाता था। करीब 1833 ईस्वी तक भारत में मेरे 20 नाम अलग अलग हो चुके थे। वही 1850 में 28 तथा , 1953 में 35 नाम हो चुके थे। इस तरह मेरे नाम तो बढे पर नाममात्र ही। मेरी भाषाएँ उस वक़्त बहुत कठिन थी जो आम लोगो के समझ से बिलकुल ही बाहर थी। जिसके वजह से मेरे बहुत सारे नाम लोगो के बीच से समाप्त ही हो गए। नए विचारो सहित हिंदी भाषा में 1846 में राजा शिव प्रसाद ने "वनारस अखबार" के नाम से प्रकाशन शुरू किया लेकिन इसमें भी वही समस्या थी , कठिन शब्द। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने 1868 में "कविवच सुधा" नाम से साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया ,लेकिन 1868 से पहले 1854 में "समाचार सुधा वर्षण" नाम से लोगो से रूबरू हो चूका था। अंततः सरल शब्द और आसान भाषा सहित कम खर्च में लोगो के पास पहुचने लगा। लोग मुझे बेहद पसंद करने लगे थे क्योंकि नए नए विचार , नयी नयी ज्ञान सहित सामाजिक सुधार से सम्बंधित मूल तथ्यों को पहुचा रहा था। Sharyar Amit singh