31/07/2025
DNT अधिकार आंदोलन क्या है ?
“1871 में ब्रिटिश सरकार ने एक क़ानून बनाया—Criminal Tribes Act।
उसमें लिखा था: कुछ जातियां ‘अपराधी होती हैं’—जन्म से, बिना अपराध किए।
हजारों परिवारों को कहा गया—‘तुम जहां भी जाओ, पुलिस को बताओ। बच्चों को भी गिनवाओ। तुम आज़ाद नहीं हो।’”**
“कल्पना कीजिए, अगर आपके माता-पिता को थाने में हाज़िरी लगानी पड़ती…
अगर आपका बच्चा स्कूल जाने से पहले ‘अपराधी’ कहलाता…
अगर आपका जीवन जंगलों में था, पर कानून ने कहा—अब यहां से जाओ।”
“मैं एक महिला से मिला—राजस्थान के एक छोटे गांव में।
उसने कहा—‘मेरे बेटे का स्कूल में नाम नहीं चढ़ा, क्योंकि हमारे पास घर का पता नहीं था। हम तो चलते रहते हैं। सरकार कहती है—तुम तो बस घूमते हो।’
“भारत में आज लगभग 10 करोड़ लोग DNT/NT समुदाय से हैं।
पर इनमें से ज़्यादातर को न आरक्षण मिलता है, न पहचान।
1949 में ब्रिटिश कानून हटा, पर उसका कलंक नहीं हटा।
आज भी कई राज्यों में ‘Habitual Offenders Act’ जैसी नीतियाँ उन्हें अपराधी की तरह ट्रीट करती हैं।”
“DNT समुदाय के लोग अपराधी नहीं हैं—वो उस इतिहास के ज़ख्मी हैं, जो हमने कभी लिखा, और आज भी मिटाया नहीं।
अब समय आ गया है कि हम उन्हें पहचान दें, अधिकार दें, और सबसे पहले… इंसान समझें।
मुहर हटाइए, अवसर दीजिए।
क्योंकि वो नहीं बदले हैं—हमारी सोच अब बदलनी चाहिए।”
“उनकी गलती ये नहीं थी कि वे घूमते थे…
हमारी गलती थी कि हमने उन्हें रोका नहीं, बल्कि तोड़ा। अब उन्हें जोड़ने का समय है।
भरत सराधना - रानीवाड़ा
रानीवाड़ा भरत सराधना Hariram Devasi Siwana
श्री जेतेश्वर शिक्षा संस्थान देवासी समाज सिवाना @