07/10/2025                                                                            
                                    
                                                                            
                                            पांच स्वर से उत्पन्न चार  #राग 
एक कहानी से शुरुआत करते हैं 
कई सालों पहले की बात है  #हिन्दुस्तानी नाम का एक गांव था वह दो बहुत गुणी औरतें रहती थी, एक का नाम था  #कल्याण और एक का नाम  #बिलावल
दोनों ही व्यापार करती थी बिलावल का धागों का व्यापार था और कल्याण गधों का व्यापार करती थी,उनकी मेहनत से हिंदुस्तानी गांव की कुलदेवी जो थी जिसका नाम था पंचस्वरा देवी, उसने उन दोनों को आशीर्वाद दिया कि वो दोनों जल्द ही सुंदर कन्याओं को जन्म देगी, कुछ समय बाद बिलावल और कल्याण दोनों ने जुड़ाव बच्चियों को जन्म दिया
कल्याण की बेटियों का नाम था  #भूपाली और  #शुद्धकल्याण 
और वही बिलावल की बेटियों का नाम था  #देसकार और  #पहाड़ी 
मजे की बात ये थी कि चारों बच्चियां रंग रूप में बिल्कुल एक समान थी बिल्कुल एक जैसी दिखती थी पर जैसे जैसे वो बड़ी हुई उनके स्वभाव उनकी पसंद नापसंद एक दूसरे से अलग होने लगे
अभी तक तो आप समझ ही गए होंगे इस कहानी में मैं चार लड़कियों की नहीं चार रागों की बात कर रहा हूं
जी हां दोस्तों हिन्दुस्तानी संगीत में ऐसे कई राग हैं जो शक्ल से मिलते-जुलते हैं यानी उनके स्वर समान हैं उनका स्केल एक जैसा हैं
तो आज की पोस्ट में हम जानेंगे भोपाली, शुद्ध कल्याण, देशकार और पहाड़ी रागों में एक जैसे स्वर होते हुए भी ये अलग कैसे हैं
सबसे पहले बात करते हैं इनके स्केल की, कहानी में हम ने देखा था कि ये चार लड़कियां पंच स्वरा देवी के वरदान से जन्मी थी
पंच स्वरा यानी पांच स्वर इन चारों में पांच स्वर लगते हैं
वो कौन से हैं
सा रे ग प ध (सां)
इसमें से सा और प अचल स्वर हैं और रे,ग,ध अपने तीव्र स्वरूप में लगते हैं जिन्हें हम शुद्ध स्वर के रूप में समझते हैं
राग भूपाली और राग देसकार एक दूसरे से बहुत ही मिलते जुलते हैं लगभग एक जैसे हैं इनमें अंतर करना थोड़ा मुश्किल है
सबसे पहले राग भूपाली के बारे में जानते हैं
इसे राग भूप (राजा) या राग भूप कल्याण भी कहते हैं अक्सर कहते हैं कि भूपाली के स्वभाव में एक गंभीरता और ठहराव होता हैं इत्मीनान से इसे गाया जाता है उसकी उर्जा बहुत ही सकारात्मक और सौम्य होती हैं
ये एक ऐसा राग हैं जो हमारे तीन सप्तक हैं ( मंद्र सप्तक, मध्य सप्तक, और तार सप्तक)
राग भूपाली मंंद्र सप्तक और मध्य सप्तक में बहुत ज्यादा खिलता है लेकिन ये सप्तक के ऊपरी हिस्से यानी तार सप्तक में भी ये जाता हैं
इसका चलन ऐसा हैं
सा  ध़ S ,ध़ S सा,सा S रे S S ग  ,ग रे S प ग,ग धप,गरे,गरे,ध़  ध़ सा
जहां भूप का स्वभाव धीर गंभीर है वही राग देसकार एक चंचल प्रकृति का एक उर्जावान राग हैं ये राग सप्तक के ऊपरी हिस्से में शुरू होता हैं और वहीं गाया जाता है वहीं खिलता है
राग देसकार का चलन
सां ध ध प,गपधप,पग,रेसा गपध,सांध प,धग प,गप ध ध , सां
कहानी के हिसाब से भूपाली कल्याण की बेटी हैं और देसकार बिलावल की बेटी हैं
कल्याण गधों का व्यापार करती थी,ग धा यानी ग और ध स्वर की संगति
कल्याण थाट के रागों की विशेषता होती है कि उसमें ग और ध की संगति पाई जाती हैं
गSsssध ,प Sग,गपरे प,गध प,पग
वहीं देसकार बिलावल की बेटी हैं जिनका धागों का व्यापार हैं,धागा यानी ध और ग स्वर की संगति
ध और ग की संगति बिलावल थाट के रागों में पाई जाती हैं इसलिए ये देसकार में भी दिखाई देगी
प ,धग गपधग,प धग,
ये थी भूप और देशकार की कहानी
अब जानते हैं शुद्ध कल्याण के बारे में
हमने कहानी में देखा शुद्ध कल्याण, कल्याण की बेटी हैं
शुद्ध कल्याण थाट कल्याण का राग हैं ये राग भी भूप की तरह सप्तक के निचले हिस्से यानी मंद्र सप्तक में और मध्य भाग में शुरू होता हैं पर ये भी ऊपरी भाग में भी जाता हैं यानी ये तीनों सप्तक में गाया जाता हैं
शुद्ध कल्याण का स्वभाव भी कुछ कुछ भूप जैसा हैं
लेकिन इस राग में मींड का प्रयोग बहुत होता हैं
शुद्ध कल्याण का चलन इस प्रकार हैं
सा रे ग प SS ग,सारेग प SSग,प S रे ,गप ध Sध S सां, सां SSध,प SSग,प SSरे ,रेSSसा
मींड प्रधान राग हैं
चौथा राग पहाड़ी
इस राग का स्वभाव बहुत ही साफ सुथरा हैं फ्रेशनेस महसूस कराता है लिबरल हैं यानी इसमें पांच स्वर के अतिरिक्त अन्य स्वर भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं
ध्यान दीजिए 
पहाड़ी राग में जो मंद्र सप्तक का प़ हैं वहां से शुरू होकर जो मध्य सप्तक का प हैं वहां तक उसकी चलन है
पहाड़ी का चलन
प़ध़सा,ध़सा प़ध़सा रे,सारेगरे ग,पग रेसारे,गरेसाध़,प़ध़सा ऩिध़प़,प़ध़सा,
इन सारी बातों को थोड़ा व्यावहारिक बनाते हैं और कुछ फिल्म गीतों का उदाहरण लेते हैं
लेकिन सामान्यतः कोई संगीतकार राग सोचकर गाना कंपोज नहीं करते हैं, इसलिए किसी एक राग का चलन उसमें आता ही नहीं है, सम्मिश्रण होता हैं रागों का
लेकिन फिर भी कुछ गाने आपको मिल जाएंगे जिनसे हम इन रागों की समझ बनाये
राग भूपाली या भूप के लिए
रूदाली फिल्म का गीत
दिल हुम हुम करें, घबराये, घन धम धम करें,गरजाये
सारेगरे गरे गप ,
इस गीत में राग भूपाली का भाव समझ आता हैं
नये गानों में फिल्म बाजीराव मस्तानी का गीत सुनिए
तुझे याद कर लिया हैं,आयत की तरह Sss
कायम तू हो गई हैं,कायम तू हो गई है, रिवायत की तरह SS
इन दोनों फिल्म गीत में सुकून, इत्मीनान राग भूप का हैं
राग देसकार की बात करें तो बाजीराव मस्तानी का ही फिल्म गीत
अलबेला साजन आओ री,मोरा अतिमन सुख पायो री
एक पुराना गीत
पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया ओ जालिमा
जब ऊंचे सप्तक में उर्जा से भरे स्वर लगते हैं तो देसकार
अब तीसरे राग 
राग शुद्ध कल्याण की बात करें तो
रसिक बलमा,हाय,दिल क्यों लगाया
देखिए सुनिए इस गीत को मींड का जबरदस्त प्रयोग
एक गीत और
चांद फिर निकला,मगर तुम ना आए
अंतिम और चौथा राग पहाड़ी
पहाड़ी में आपको कभी फिल्म गीत मिल जायेंगे
प़ध़सा,प़ध़सारेग,
इस तरह का भाव इन फिल्म गीत में समझिए
चौदहवीं का चांद हो,या, अफताब हो,
प़ध़सा,ध़सासा,सारेरेग इसी प्रकार
करवटें बदलते रहे,सारी रात हम
प़ध़सा यहां भी इसी प्रकार की शुरुआत हैं
एक ओर गीत
कोरा कागज था ये मन मेरा,लिख
प़ध़सा
इन तीनों गानों में राग पहाड़ी का मूल स्ट्रेक्चर प़ध़सा दिखाई दे रहा है
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धन्यवाद
आपका रामबाबू पटेल
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Rambabu Patel Telsir पेज 
            
   #ऋषिपंचमी