सहदेव महाभारत में पांच पांडवों में से एक और सबसे छोटे थे। वह माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्रों में से एक थे, जिनका जन्म देव चिकित्सक अश्विनों के वरदान स्वरूप हुआ था। जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ था तब यह आकाशवाणी हुई की, ‘शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।’ सहदेव त्रिकालदर्शी थे वे परशु अस्त्र के निपुण योद्धा थे। अज्ञातवास के समय इन्होंने तंतीपाल नाम धारण कर
गायों की देखभाल करने का कार्य किया।
देवता बाडु-बाड़ा जी महाभारत काल के पांडवों के सबसे छोटे भाई सहदेव जी के नाम से जाने जाते हैं यह त्रिकालदर्शी थे चार वेदों के ज्ञाता थे इनका मूल स्थान बाडु में है कांगरीधार इनका प्राचीन मंदिर है बहुत युगो युगो से वहां पर निवास कर रहे हैं और देवता जी हर साल जात्रा पर निकलते हैं अपने भगत जनों के दुख और कष्टों का निवारण करते हैं इनकी काफी मान्यता है और लोगों में बहुत आस्था है इनकी जात्रा 6 महीने की होती है जिस के बीच यहां अपने भाई से जात्रा के दौरान मिलते हैं (सुकेत) और अन्य देवताओं से भी ! लोगों में इनके प्रति बहुत आस्था और प्यार है देवता जी सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं और इनकी बहुत मान्यता है मंदिर में सायर मेला और कार्तिक महीने की अष्टमी को मंदिर में धूमधाम से उत्सव का आयोजन करते हैं और उस दिन जात्रा भी लिखी जाती है
���जय हो सत् श्री बाडु-बाड़ा देव ���
������कांगरीधार ����