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स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज Swami Brahmdev Ji Maharaj का  सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह हमें प्राप्त हुआ, उनकी सीख...
19/04/2025

स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज Swami Brahmdev Ji Maharaj का सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह हमें प्राप्त हुआ, उनकी सीख जीवन का उद्देश्य बनी है। लोकहित के लिए अपने जीवन का बलिदान देना उन्हीं के आदर्श है, ऐसे गुरु के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम l Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Rajasthan समाचार पत्र *गंगानगर प्रताप* में स्वामी जी पर आधारित आलेख

अध्यात्म, राष्ट्र सेवा एवं दिव्यांग जनों के हित में जन जागरण को समर्पित अखबार Jagdamba Jyoti Monthly Newsletter 10 April...
13/04/2025

अध्यात्म, राष्ट्र सेवा एवं दिव्यांग जनों के हित में जन जागरण को समर्पित अखबार Jagdamba Jyoti Monthly Newsletter 10 April 2025 Sri Jagdmba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Rajasthan

Jagdamba Jyoti Newspaper Ganganagar “कर भला तो हो भला” को जीवन में उतार लीजिए*  स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज Swami Brahmde...
06/01/2025

Jagdamba Jyoti Newspaper Ganganagar “कर भला तो हो भला” को जीवन में उतार लीजिए* स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज Swami Brahmdev Ji Maharaj (Founder) Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar के प्रवचनों पर आधारित आलेख. :- जब हम किसी के लिए सहानुभूति और उदारता का भाव रखते हैं, तो समय अपनी झोली में उस सहानुभूति और उदारता का कुछ हिस्सा हमारे लिए सहेजता जाता है, बचपन में सिखाई गई यह कहानी हमें सीख देती है कि संसार में हम लोगों के साथ जैसा व्यवहार करते हैं, बिल्कुल वही व्यवहार हमारे पास लौट कर आता है। यह भी स्पष्ट है कि कोई कितना ही संपन्न या समृद्ध हो, मुसीबत सबके जीवन में आती हैं। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि हमारे संकट के समय में हमें उचित सहायता मिले, तो पहले हमें यह रवैया अपनाना होगा और किसी मुसीबत में फँसे लोगों और अन्य प्राणियों की निःस्वार्थ भाव से सहायता करना होगी। जीवन अनगिनत सफलताओं और अवसादों का सफर है, और इस सफर में हमें अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जब समय मुश्किल राह से गुजर रहा होता है और सफलता के रास्ते धुँधले नज़र आते हैं, तो “कर भला तो हो भला” कहावत ही हमारे सामने सच्ची मार्गदर्शक बनकर सामने आती है। यह कहावत अपने में जीवन का सबसे बड़ा सबक लिए है, जो हमें यह सिखाती है कि यदि हमारे भीतर दूसरों का भला करने की प्रवृत्ति है, तो यह किसी न किसी रूप में हमारे लिए भी भला ही लेकर आएगी। इस उक्ति का मतलब यह नहीं है कि हमें अपने स्वार्थ के लिए ही कार्य करते रहना चाहिए, बल्कि यह बताती है कि यदि हम दूसरों की मदद करते हैं, तो इससे सिर्फ दूसरों का ही नहीं, बल्कि हमारा भी भला होता है। एक सही कार्य करने से न सिर्फ हमारी आत्मा पवित्र होती है, बल्कि यह हमें समर्पण की भावना का उपहार भी देता है। किसी जरूरतमंद व्यक्ति या अन्य किसी प्राणी की एक छोटी-सी मदद एक व्यक्ति के जीवन में क्राँति लाने की शक्ति रखती है, और जब भी हम किसी की मदद करते हैं, तो इससे हमें भी आत्मतृप्ति और संतुष्टि का अहसास होता है। कहावत का महत्व इस बात में है कि जब हम किसी के लिए सहानुभूति और उदारता का भाव रखते हैं, तो समय अपनी झोली में उस सहानुभूति और उदारता का कुछ हिस्सा हमारे लिए सहेजता जाता है। सकारात्मक सोच को अपनाना और बड़ा दिल रखना। जब हम अपने आसपास के लोगों के लिए सकारात्मक सोचते हैं और हमेशा उनकी भलाई के बारे में विचार करते हैं, तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य हमें खुश रखने की पुरजोर कोशिश में लग जाता है। सिर्फ भलाई की उम्मीद के साथ ही लोगों का भला नहीं करते रहना चाहिए। यदि किसी ने हमारे साथ बुरा किया है, तो इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि हम भी उसके साथ बुरा ही करें। हमें भला करने पर ही ध्यान देना है। हम किसी से दुश्मनी या असहमति का सामना कर रहे हैं, तो भी उस व्यक्ति का भला करने का कोई भी मौका हमें नहीं छोड़ना है, क्योंकि यही वह समय होगा, जो उस शख्स को आपके करीब लाएगा, सिर्फ कहने के लिए ही नहीं, बल्कि अंतर-आत्मा से भी उसे आपके साथ जोड़ देगा। Edior - Gurlal Singh Athwal

शारीरिक रूप से अशक्त लोगों में दिव्य रूप से क्षमता होती है :- स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज Swami Brahmdev Ji Maharaj Jagda...
06/01/2025

शारीरिक रूप से अशक्त लोगों में दिव्य रूप से क्षमता होती है :- स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज Swami Brahmdev Ji Maharaj Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Jagdamba Jyoti Newsletter

विकलांग दिवस विशेषांक  December 2024 : Jagadamba Jyoti Newsletter Monthly Newspaper दिव्यांग लोगों को जागरूक करने के उद्...
12/12/2024

विकलांग दिवस विशेषांक December 2024 : Jagadamba Jyoti Newsletter Monthly Newspaper दिव्यांग लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अध्यात्म, राष्ट्र एवं मानव सेवा को समर्पित समाचार पत्र,

Swami Brahmdev Ji Maharaj Founder Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Rajasthan Parvachan    महर्षि व...
15/10/2024

Swami Brahmdev Ji Maharaj Founder Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Rajasthan Parvachan महर्षि वेदव्यास ने अठारह पुराण लिखने के बाद दो श्लोक -अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।
परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥ अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप । मनुष्यों को ऐसा पवित्र और शुद्ध जीवन जीना चाहिए जिससे संसार में भ्रातृ भावना और मानव समाज के प्रति उपकार की भावना, दानशीलता और सृजनता की भावना पैदा हो। वेद दर्शन का सार है कि हम उत्तम बन कर, उत्तम कर्म करें। असल में, पापों से मुक्त होने और मोक्ष पाने का यही एकमात्र तरीका है। एक व्यक्ति वैसे तो नियम से वेद मंत्रों का उच्चारण करता है, यज्ञ तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करता है, लेकिन वह परोपकार का कोई काम नहीं करता है। तो ऐसे व्यक्ति के धार्मिक अनुष्ठानों का कोई औचित्य नहीं। अच्छे बनो और अच्छे कर्म करो- यह सिद्धांत सत्य के सिद्धांत पर आधारित है। हमारी समस्या है अच्छे और बुरे में भेद कैसे करें? सत्य और असत्य में, ठीक और गलत में कैसे फर्क करें? किसी वस्तु के गुणदोषों को जानने का सब से अच्छा तरीका यह है कि सत्य-असत्य के सिद्धांत को अपने ऊपर लागू करें। हम यह सोचें कि जब हम अच्छा करेंगे, तो अच्छा अनुभव होगा। जब हम गलत काम या कोई दुष्टता करेंगे तो बुरा ही अनुभव होगा। सौ बात की एक बात कि दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा कि आप अपने साथ चाहते हैं। सेवा या परोपकार की भावना चाहे देश के प्रति हो या किसी व्यक्ति के प्रति, वह मानवता है। परोपकार से ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग खुलता है। व्यक्ति जितना परोपकारी बनता है, उतना ही ईश्वर की समीपता प्राप्त करता है। परोपकार से मनुष्य जीवन की शोभा प्राप्त करता है। परोपकार से मनुष्य जीवन की शोभा और महिमा बढ़ती है। सच्चा परोपकारी सदा प्रसन्न रहता है। वह दूसरे का कार्य करके हर्ष की अनुभूति करता है।” परोपकार की प्रवृत्ति को अपना कर हम एक प्रकार से ईश्वर की रची सृष्टि की सेवा करते है। ऐसा करने से हमें जो आत्मसंतोष और तृप्ति मिलती है, उससे हमारी सारी संपत्तियों की सार्थकता साबित होती है। परोपकार की एक आध्यात्मिक उपयोगिता भी है। वह यह है कि हम दूसरों की आत्मा को सुख पहुंचा कर अपनी ही आत्मा को सुखी बनाते हैं। जब हम परोपकार को अपना स्वभाव बना लेते है तो उसका दोहरा लाभ होता है। परोपकार की नीति के तहत किसी की सहायता करके और दूसरों के प्रति सहानुभूति दर्शा कर जिन दीनहीनों का कष्ट दूर किया जाएगा, उनमें सद्भावपूर्ण मानवीय चेतना जाग्रत होगी। ऐसा होने से वे भी दूसरों की सेवा और सहयोग करने का महत्व समझने लगते हैं।मानव जीवन में परोपकार का बहुत महत्व होता है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। परोपकार के लिए ही वृक्ष फल देते हैं, नदीयाँ परोपकार के लिए ही बहती हैं और गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं अर्थात् यह शरीर भी परोपकार के लिए ही है” ।इसी तरह से प्रकृति अपना सर्वस्व हमको दे देती है। वह हमें इतना कुछ देती है लेकिन बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेती है। किसी भी व्यक्ति की पहचान परोपकार से की जाती है। जो व्यक्ति परोपकार के लिए अपना सब कुछ त्याग देता है वह अच्छा व्यक्ति होता है। जिस समाज में दूसरों की सहायता करने की भावना जितनी अधिक होगी वह समाज उतना ही सुखी और समृद्ध होगा। परोपकार की भावना मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण होता है।परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – पर+उपकार। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों की सहयता करना। जब मनुष्य खुद की या ‘स्व’ की संकुचित सीमा से निकलकर दूसरों की या ‘पर’ के लिए अपने सर्वस्व का बलिदान दे देता है उसे ही परोपकार कहा जाता है। परोपकार की भावना ही मनुष्यों को पशुओं से अलग करती है नहीं तो भोजन और नींद तो पशुओं में भी मनुष्य की तरह पाए जाते हैं। परोपकार का संबंध सीधा दया, करुणा और संवेदना से होता है। हर परोपकारी व्यक्ति करुणा से पिघलने की वजह से हर दुखी व्यक्ति की मदद करता है। परोपकार के जैसा न ही तो कोई धर्म है और न ही कोई पुण्य। जो व्यक्ति दूसरों को सुख देकर खुद दुखों को सहता है वास्तव में वही मनुष्य होता है। परोपकार को समाज में अधिक महत्व इसलिए दिया जाता है क्योंकि इससे मनुष्य की पहचान होती है।परोपकार और दूसरों के लिए सहानुभूति से ही समाज की स्थापना हुई है। परोपकार और दूसरों के लिए सहानुभूति से समाज के नैतिक आदर्शों की प्रतिष्ठा होती है। जहाँ पर दूसरों के लिए किये गये काम से अपना स्वार्थ पूर्ण होता है वहीं पर समाज में भी प्रधानता मिलती है। आज के समय में मानव अपने भौतिक सुखों की ओर अग्रसर होता जा रहा है। इन भौतिक सुखों के आकर्षण ने मनुष्य को बुराई-भलाई की समझ से बहुत दूर कर दिया है। अब मनुष्य अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए काम करता है। आज के समय का मनुष्य कम खर्च करने और अधिक मिलने की इच्छा रखता है।आज के समय में मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र को व्यवसाय की नजर से देखता है। जिससे खुद का भला हो वो काम किया जाता है उससे चाहे दूसरों को कितना भी नुकसान क्यों न हो। पहले लोग धोखे और बेईमानी से पैसा कमाते हैं और यश कमाने के लिए उसमें से थोडा सा धन तीरथ स्थलों पर जाकर दान दे देते हैं। यह परोपकार नहीं होता है। जो व्यक्ति परोपकारी होता है उसका जीवन आदर्श माना जाता है। उसे कभी भी आत्मग्लानी नहीं होती है उसका मन हमेशा शांत रहता है। उसे समाज में हमेशा यश और सम्मान मिलता है। हमारे बहुत से ऐसे महान पुरुष थे जिन्हें परोपकार की वजह से समज से यश और सम्मान प्राप्त हुआ था। ये सब लोक-कल्याण की वजह से पूजा करने योग्य बन गये हैं। दूसरों का हित चाहने के लिए गाँधी जी ने गोली खायी थी, सुकृत ने जहर पिया था और ईसा मसीह सूली पर चढ़े थे। किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति के लिए परोपकार सबसे बड़ा साधन माना जाता है। जो दूसरों के लिए आत्म बलिदान देता है तो वह समाज में अमर हो जाता है।

Jagdamba Jyoti Monthly Newspaper Sri Ganganagar Jagdamba Jyoti Newsletter Ganganagar
15/10/2024

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Jagdamba Jyoti Newsletter Ganganagar Jagadamba Jyoti Newspaper Newspaper based on Service and welfare of disabled people...
10/08/2024

Jagdamba Jyoti Newsletter Ganganagar Jagadamba Jyoti Newspaper Newspaper based on Service and welfare of disabled people in Shri Jagdamba Andhvidhyalya Sri Ganganagar, and innovation for the August 2024

Jagdamba Jyoti Newsletter 2024 Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Rajasthan Founded Swami Brahmdev J...
11/06/2024

Jagdamba Jyoti Newsletter 2024 Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar Rajasthan Founded Swami Brahmdev Ji Maharaj

Jagdamba Jyoti Newsletter Sri Ganganagar May 2024 Edition
18/05/2024

Jagdamba Jyoti Newsletter Sri Ganganagar May 2024 Edition

Jagdamba Jyoti Newspaper April 2024 Shri Jagadamba Andha Vidyalaya Sri Ganganagar's efforts dedicated to awareness and p...
12/04/2024

Jagdamba Jyoti Newspaper April 2024 Shri Jagadamba Andha Vidyalaya Sri Ganganagar's efforts dedicated to awareness and patriotism of disabled people

Jagdamba Jyoti Newspaper , 10 Feb 2024 Edition, Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar
14/02/2024

Jagdamba Jyoti Newspaper , 10 Feb 2024 Edition, Shri Jagdamba Andhvidhyalya Institution Sri Ganganagar

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