18/09/2025
संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ पर ऐतिहासिक मतदान हुआ, जिसमें भारत ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने की मांग का पुरजोर समर्थन किया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 142 देशों ने वोट डाला, 10 देशों ने विरोध किया, जबकि 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई। भारत का यह रुख नया नहीं है—वह लंबे समय से दो-राष्ट्र समाधान का समर्थक रहा है और हमेशा से फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दिलाने के प्रयासों के साथ खड़ा रहा है। इस बार भी भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि पश्चिम एशिया में स्थायी शांति तभी संभव है, जब फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिले।
न्यूयॉर्क घोषणा में क्या कहा गया है?
‘न्यूयॉर्क घोषणा ऑन द पीसफुल सेटलमेंट ऑफ द क्वेश्चन ऑफ फिलिस्तीन एंड द इंप्लीमेंटेशन ऑफ द टू-स्टेट सॉल्यूशन’ नामक इस प्रस्ताव को फ्रांस और सऊदी अरब ने पेश किया। इसमें कहा गया है कि गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं और एक न्यायपूर्ण, स्थायी समाधान केवल दो-राष्ट्र फार्मूले से ही संभव है।
घोषणा में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा किए गए ह'मलों की स्पष्ट निंदा की है। इसमें हमास से सभी बंध'कों को रिहा करने, गाजा से सत्ता छोड़ने और अपने हथि'यार फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंपने की मांग की गई है।
भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन कर दोबारा साफ कर दिया कि वह आतं'कवाद के खिलाफ है और फिलिस्तीन के लिए न्यायपूर्ण समाधान चाहता है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत का मानना है कि हिं'सा और चर'मपंथ को किनारे रखकर ही क्षेत्र में शांति बहाल की जा सकती है।
अरब लीग पहले ही इस घोषणा का समर्थन कर चुकी है। फ्रांस ने ऐलान किया है कि वह 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देगा। कई अन्य यूरोपीय नेता भी इसी तरह के कदम का संकेत दे चुके हैं। इसे इजरायल पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाने की रणनीति माना जा रहा है।
इज'रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को दो-टूक कहा कि फिलिस्तीन को कभी स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा नहीं मिलेगा। वहीं, अमेरिकी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को संभवतः न्यूयॉर्क सम्मेलन के लिए वीजा नहीं दिया जाएगा।