तू ही

तू ही जब तू है तो मैं नहीं जब मै हूँ तू नाहि।
तू ही निरंकार-धननिरन्कारजी।

28 और 29 मार्च 2025 को आध्यात्मिक स्थल समालखा में सतगुरु माता जी एवम् आदरणीय राजपिता जी के सानिध्य में मिलवर्तन गोष्ठी म...
20/08/2025

28 और 29 मार्च 2025 को आध्यात्मिक स्थल समालखा में सतगुरु माता जी एवम् आदरणीय राजपिता जी के सानिध्य में मिलवर्तन गोष्ठी में जिक्र किए गए मुख्य बिंदु।

सत्संग से संबंधित

1) सत्संग का समापन समय पर ही हो इस पर ध्यान दे ।

2) 1 घंटे की सत्संग में स्टेज विचार 15 मिनट 1:30 घंटे की सत्संग में 20 से 25 मिनट की 2 घंटे की सत्संग में 30 मिनट का समय स्टेज विचार के लिए हमने स्टेज पर विराजमान महात्मा को देना है ।

3) रविवार को होने वाली साध संगत में भी बहनों की सेवा स्टेज विचार के लिए लगाई लगानी है ।

4) साध संगत में महापुरुषों व बहनों पर कोई टीका टिप्पणी नहीं करनी है ।

5) सभी संत महात्मा साध संगत में मर्यादित वस्त्र ही पहनकर सत्संग वाले स्थान पर आए ।

6) साध संगत में हर वक्ता महात्मा सतगुरु का जयकारा ना लगाकर सीधा अपने विचार या रचना रखकर सतगुरु का आशीर्वाद प्राप्त करे ।

7) साध संगत में अगर कोई भी संत महात्मा आशीर्वाद मांगते है तो दातार कृपा करें ये ही बोलकर प्रार्थना करनी है जी ।

8) जन्मदिन और शादी की सालगिरह के दिन सत्संग की गरिमा बनाए रखे केक की रस्म धुनी के बाद ही होगी और इसमें हम गीत भी बोल सकते है I

9) शादी या प्रेरणा दिवस के सत्संग कार्यक्रम को सप्ताहिक सत्संग के कार्यक्रम में शामिल ना करे उसके लिए अलग से समय और दिन निर्धारित करे ।

10) शादी की सालगिरह में लांवा और सेहरा नहीं पढ़ना है केवल खुशी के गीत हम गा सकते हैं।

11) साध संगत में प्रबंधक महात्मा अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे मर्यादित एवम् गुरमत वाली भाषा का ही प्रयोग हमने करना है ।

12) रसीद बुक की सेवा निभाने वाले महात्मा रसीद बुक के साथ एक डायरी में रसीद एंट्री जरूर करे ताकि रसीद बुक खोने कि स्थति में रिकॉर्ड मैंटेन रहे ।

13) साध संगत के जो महात्मा जो केवल सेवा के समय में ही सत्संग में आते है उनको नियमित सत्संग में आने की प्रेरणा भी जरूर दे ।

14) प्रबंधक महात्मा आपसी तालमेल बनाए रखे मुखी महात्मा की अनुपस्थिति में संचालक महात्मा और संचालक की अनुपस्थिति में मुखी एवम् शिक्षक महात्मा सेवा निभाए।

15) साध संगत में विचारो का आधार सम्पूर्ण अवतार वाणी संपूर्ण हरदेव वाणी और सतगुरु निरंकार और सेवा पर आधारित हो ।

16) साध संगत में हर दिन एक तरह के विचार ना हो रूह को खुराक देने वाले विचार ही साध संगत में हो।

17) साध संगत में सतगुरु के प्रति पैगम्बर शब्द का उच्चारण नहीं करना है ।

18)साध संगत में जो भी गीत बोले जाए वो मिशन की किताबों में से ही बोले जाए
सतगुरु में तेरी पतंग , रूह गद गद हो गई है , अज खुशियां ते खेडे तेरे करके ऐसे गीतों को साध संगत में ना बोला जाए ।

19) नमस्कार की माया सत्संग हॉल में ही गीनी जाए इसमें सेवादल के महात्माओं का भी सहयोग आप ले सकते है ।

20) लंगर का मेनयु मुखी महात्मा बनाएंगे सेवादल बनाने में वितरण करने में और वाइंडअप सेवा में सहयोग करेगा ।

सतगुरु माता जी द्वारा दिशा निर्देश

1) हम सब सेवादार है गुरसिख है ।

2) संत निरंकारी मिशन = केवल ब्रह्मज्ञान है ।

3) हम सब ने अपनी अवस्था को ठीक करना है व्यवस्था अपने आप ठीक हो जाएगी ।

3)अपनी साध संगत की व्यवस्था को सही बनाए रखने के लिए दूसरी और तीसरी लाइन भी तैयार रखें।

4) मुखी संयोजक संचालक शिक्षक सेवादल और साध संगत के साथ तालमेल बेहतर बनाकर रखे।

5) सोशल मीडिया पर सभी पोस्ट अवॉइड करे ना ही सतगुरु की फोटो को एडिट करकर लगाना है ।

6)कोई सेल्फ प्रोमोशन नहीं करना है ।

7) साध संगत में कोई भी मीडिया प्रभारी नहीं होगा ये संत निरंकारी मंडल दिल्ली से तय होगा ।

8) साध संगत में कोई वी एआई पी कल्चर नहीं होगा सभी संत पहले आकर पहले स्थान पाकर अपना स्थान लेंगे ।

9)साध संगत में ताली बजाना मना नहीं है पर ताली का गीत के साथ तालमेल हो ।

10)संगतो में भक्ति संगीत voice devine soul vibes एवं News Devine जैसे मिशन के हर महीने प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से अवगत करावें ।

🙏धन निरंकार जी🙏

31/07/2025

तू ही निरंकार
मनुष्यों के लिए- दो ही काम खास करने लायक है!
एक संसार की सेवा करना और दूसरा भगवान् को याद करना। लेकिन हम अपने जीवन का उद्देश्य- भोग और संग्रह करने का बना रखा है। अब समय आ गया है कि हम भगवान् की तरफ चलें। क्योंकि दिन-रात मेहनत करके जो रूपए -पैसे आदि संग्रह कर रहे हैं, वो असली धन नहीं है। रूपये तो यहीं छूट जायेंगे, हमारा असली धन भगवान भजन है। यह जितना अर्जित कर लिया, उतना पूरा का पूरा साथ जाने वाला है।
धन निरंकार जी!🙏

तू ही निरंकार निरंकारी मिशन के विचार आध्यात्मिक ज्ञान, मानवता, प्रेम और सेवा पर आधारित हैं। संत निरंकारी मिशन का मूल उद्...
23/07/2025

तू ही निरंकार

निरंकारी मिशन के विचार आध्यात्मिक ज्ञान, मानवता, प्रेम और सेवा पर आधारित हैं। संत निरंकारी मिशन का मूल उद्देश्य है – ईश्वर की सच्ची पहचान कराकर मानव को मानव से जोड़ना। इसके प्रमुख विचार नीचे दिए गए हैं:-

निरंकारी मिशन के मुख्य विचार:

1. ईश्वर एक है और निराकार है

उसे किसी मूर्ति, तस्वीर या स्थान में सीमित नहीं किया जा सकता।

उसे केवल सतगुरु की कृपा से ज्ञान के द्वारा जाना जा सकता है।

2. ज्ञान प्राप्ति ही सच्ची भक्ति है

बिना ज्ञान के की गई पूजा केवल रस्म बन जाती है।

"ज्ञान बिना भक्ति नहीं होती" – यह मिशन का मूल आधार है।

3. सभी धर्मों का सम्मान

निरंकारी मिशन हर धर्म, जाति, पंथ और भाषा का आदर करता है।

"एक ही परमात्मा के अनेक रास्ते हैं।"

4. मानव सेवा ही सच्चा धर्म है

भूखे को भोजन, जरूरतमंद को मदद और दुखी को सहारा देना – यही सच्चा धर्म है।

मिशन कई सामाजिक सेवा कार्यक्रमों में भाग लेता है।

5. एकत्व और समभाव की भावना

सबमें वही परमात्मा है, इसलिए सब एक समान हैं।

"मनुष्यता ही सबसे बड़ा धर्म है।"

6. सत्संग, सेवा, सुमिरन

ये तीन स्तंभ जीवन को सफल बनाते हैं।

सत्संग से विवेक, सेवा से विनम्रता और सुमिरन से आत्मबल मिलता है।

7. वाणी और व्यवहार में एकरूपता

जैसा बोले वैसा ही आचरण करें।

"वचन और कर्म में अंतर नहीं होना चाहिए।"

निरंकारी मिशन का संदेश:

"दुनिया में नफरत नहीं, केवल प्रेम फैलाओ।
हर दिल को जोड़ो, तोड़ो नहीं।
सच्चे ज्ञान से जीवन को रोशन करो।"
धननिरंकारजी महापुरुषों जी।🙏

तू ही निरंकार मानवता के लिए समर्पित हो जीवन सम्पूर्ण हमारा ।जन-जन का हित करें हमेशा दया क्षमा करुणा के द्वारा।। दीन दुखी...
21/07/2025

तू ही निरंकार
मानवता के लिए समर्पित हो जीवन सम्पूर्ण हमारा ।
जन-जन का हित करें हमेशा दया क्षमा करुणा के द्वारा।।

दीन दुखी पीड़ित की सेवा करके अपना कर्तव्य निभायें।
जग के सारे भेद भुलाकर सबको अपने गले लगायें।।

नहीं कभी किसी को कष्ट ना दें भुले-भटके या अनजाने में।
नैनों में किसी के अब आंसू ना हों सबके चेहरों पर मुस्कान रहे।।

बैर नफरत क्रोध त्याग कर शांति प्रेम और सद्भाव बनाएं।
लोभ मोह और परनिंदा त्यागें और सब के चेहरे पर मुस्कान लायें।।

दुर्गुण व्याधि हटाकर हिंसा से अपना नाता तोड़ें।
पर उपकार करें पग पग पर जीवन रथ सचपथ पर मोड़ें।।

वाणी में मधुरता लायें अपरिमित व्यवहारों में हो सच्चाई।
हमसभी इस पर चले निरंतर जो सतगुरु ने हमें रहा दिखाई।।
आप सभी संतों का जीवन स्वस्थ रहे तंदुरुस्त रहे और आप हमेशा खुशहाल रहो सुखी रहो।
सन्त जनों के प्रवचन में तथ्य आता है कि विशाल नदियों- सागर में तो सैकड़ों गन्दे नालों का जल चला जाता है फिर भी अपनी विशालता के कारण उस गन्दगी का उन पर कोई असर नहीं होता है, या यूं कहें की वो गन्दा जल भी पावन हो जाता है। यह चमत्कार भी निरंकार प्रभु की असीम शान है।
उपरोक्त उदहारण से देखें तो क्या मानवीय मन भी ऐसी कोई विशालता पाकर जाति-पांति, उच्च-नीच, निंदा-नफरत जैसी संकीर्णताओं की गन्दगी को समाकर पवित्र कर सकता है, हाँ जी खुद को समर्पित करें, प्रभु परमात्मा इसे स्वीकार करते हुए उसे तार देते है।
दास ने ऐसा भी सुना है जैसे महात्मा गौतम बुद्ध जी, जो भगवान विष्णु के नवे अवतार थे, उनके जैसे अनेक सन्तों के उद्धरणों को भी सुनते हैं कि कोई इंसान उन्हें घण्टों गालियां देता रहा, फिर भी सन्त सहज शांत अवस्था मे बैठे रहते, घोर विरोध करने वालो को भी स्वच्छ पानी पिलाते रहते, फिर भी, कभी अनुचित उत्तर नहीं दिये, यहां तक नफरत करने वालों को भी बदले में प्रेम के अतुल्य शब्दों को बरसाते रहे। यही सन्त स्वभाव होता है। कभी भी स्वयं कोई अनुचित कार्य नहीं करते, सब की भला ही सोचते हैं और भलाई का ही काम करते रहते हैं।
इन घटनाओं से अनुमान लगा सकते हैं कि सन्तों का नाता अवश्य ऐसी किसी असीम विशाल सत्ता से जुड़ा होता है जिसके कारण वे विशालता, एकत्व, अपनत्व इत्यादि जैसी ये सद्भावनाएं विलुप्त होती जा रही हैं। अतः सविनय प्रार्थना है कि हम सभी सत्संग से जुड़े और अपनी खोई हुई सन्त भावना को जागृत करें।
ऐसे में उनके विस्तार की परम आवश्यकता है। तो ध्यान रहे, जीवन भर सतगुरु के बताए हुए मार्ग को जैसे सेवा, सुमिरण और सत्संग निःस्वार्थ भाव से करते रहना है। तभी ब्रह्मज्ञान मन में बसा रहेगा और मन शांत और खुश रहेगा जी। मनमत में रहने पर सतगुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान भी वापस हो जाएगा।
धन निरंकारजी।🙏

तू ही निरंकार साध संगत जी    🙏धन निरंकार जी🙏       सन्त अपने विचार अक्सर कहते हैं कि गुरु वह होता है जो सद्गुरु की संगत ...
16/07/2025

तू ही निरंकार
साध संगत जी
🙏धन निरंकार जी🙏

सन्त अपने विचार अक्सर कहते हैं कि गुरु वह होता है जो सद्गुरु की संगत से इस शरीर और मन में स्थित निराकार प्रभु को जान लेता है। प्राप्ति के लिए और किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ता है।

साध संगत जी, यही वह वजह है जो हम डरते हैं कि से हमें देख रहा और निरंकार प्रभु से कोई कभी छुप नहीं सकता ना ही बच सकता है, अतः हमेशा डर बना रहता है।

साध संगत जी, ब्रह्माज्ञान के पूर्व, हम वचन दे चुके होते हैं कि हम आप के आज्ञा का पालन करूंगा, दिये गए इन वचनों में यह है कि तीन काम (सेवा सुमिरण और सत्संग) से जुड़ा रहूंगा,साथ-साथ सद्गुरु के वचनों को अपने जीवन में सत्य मानकर चलता रहूंगा।

साध संगत जी, सदा नियमित पूर्वक सत्संग में अपना स्थान धारण करना और अहंकार को त्याग करना है, साथ-साथ अपने आप को संतों और महापुरुषों के चरणों की धूल बन जीवन जीना है,

साध संगत जी, कभी किसी से विश्वासघात नहीं करना, किसी को धोखा या परेशान नहीं करना, किसी महापुरुष का अनादर नहीं करना, बैठे-बैठे निरंकार को याद करते रहना है और अपनी गलतियों के लिए निरंकार प्रभु व साध संगत से क्षमा मांगता रहूंगा फिर कोई गलती ना हो इसके लिये वचन-बद्ध हूं। वास्तव में ऐसा व्यक्ति ही गुरुमुख कहलाता है।

🙏धन निरंकार जी🙏

तू ही निरंकार वाह वाह की भूखएक बार संगत में एक भाई आने लगा वो गीत बहुत सुंदर गाता था, सारी संगत प्रसन्न हो जाती थी।एक बा...
15/07/2025

तू ही निरंकार
वाह वाह की भूख

एक बार संगत में एक भाई आने लगा वो गीत बहुत सुंदर गाता था, सारी संगत प्रसन्न हो जाती थी।
एक बार संयोजन महात्मा का आगमन हुआ ,मुखी महात्मा ने कहा कि ये गीतकार महात्मा बहुत अच्छे मिले हमे नित्य संगत में आते हैं और बहुत सुंदर गीत सुनाते हैं।
संयोजक महात्मा ने कहा कि गुरु के प्रति कितने समर्पित है? मुखी बोले
नित्य संगत आ रहे है ,संगत भी प्रसन्न हे इनसे ।

संयोजक महात्मा ने कहा कि एक काम करो
एक महीने तक इनका नाम गीत के लिए नहीं बोलना फिर पता चल जाएगा कि कितने पक्के महात्मा हे।

अगली संगत में स्टेज सेकेट्री ने नाम नहीं बोला ।
वो महात्मा असहज हो गया कि मुझे केसे भूल गए।
फिर अगली संगत में नाम नहीं आया तो सेकेट्री से बोले कि भाईसाहब आप बार बार मेरा नाम भूल रहे हो अब गलती मत करना।ये बात कुछ नाराज होकर कही ।
तीसरी बार सेकेट्री ने फिर नाम नहीं लिया ।अब तो महात्मा का धेर्य जवाब दे गया और सेकेट्री को दो चार स्लोक़ सुनाकर चला गया।फिर संगत नहीं आया।

अगली बार संयोजक महात्मा फिर आए तो उन्होंने पूंछा कि आपका वो प्यारा गीतकार महात्मा कहां गया।
मुखी बोले हुजूर वो तो चला गया नाराज होकर ।
संयोजक महात्मा ने कहा कि उसे बिगाड़ने में तुम लोगो का ही हाथ था।
मुखी बोले हुजूर हमने तो उसे कुछ भी नहीं कहा।
संयोजक महात्मा ने कहा कि
जब वो पेहली बार संगत में आया तो उसे आपको सेवा से जोड़ना चाहिए था लेकिन आपने तो उसे वाह वाह से जोड़ दिया।
जब उसे वाह वाह नहीं मिली तो आप को छोड़कर चला गया।
असल में वो अपनी वाह वाह की भूख मिटाने आया था ,आत्मा की भूख मिटाने नहीं आया था।
उसे ज्ञान से कोई सरोकार नहीं था उसे बस तारीफ सुनने की भूख थी ।

इसलिए संतो ये वाह वाह की भूख बहुत खराब होती हैं ।इससे बचना चाहिए।🙏
धन निरंकार जी।🙏

तू ही निरंकार भरी तिजोरी नफ़रत से जिसकी, वो प्यार कहाँ से बांटेगा| बोया बीज बबूल का जब, फिर आम कहाँ से खायेगा| बोते जाये...
14/07/2025

तू ही निरंकार
भरी तिजोरी नफ़रत से जिसकी, वो प्यार कहाँ से बांटेगा|
बोया बीज बबूल का जब, फिर आम कहाँ से खायेगा|
बोते जायें बीज खुशी के, घर खुशियों से भर जायेगा|
गुरु की आंख से देखोगे, कोई गैर नज़र न आयेगा|
अमन चैन हो इस धरती पर, हम सतगुरु से अरदास करें।
प्रेम भाईचारा कायम हो जग में,हम सतगुरु से अरदास करें।
सुखों से झोली भर जाये सब की, दुःख नजर ना आये कहीं।
हे सतगुरु ऐसी कृपा करना,तेरे दर से दूर ना जायें कभी।
आप जी के पावन पवित्र चरणों में दास का प्यार भरा धन निरंकार स्वीकार हो जी

बहुत बहुत शुकराना हुज़ूर आप के पावन चरणों में कोटि कोटि धन निरंकार जी👏👏

14/07/2025

तू ही निरंकार
जोन लेवल लखनऊ के बाल समागम में सद्गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए अलीगंज ब्रांच सुलतानपुर के बाल संगत के बाल( बच्चे )महात्मा
धन निरंकार जी।🙏

तू ही निरंकार अरदास करना कभी मत भूले, अरदास में अपार शक्ति होती है,रोज़ अरदास किया करोऐ मेरे सतगुरु जी ! तेरेहर पल का "श...
14/07/2025

तू ही निरंकार
अरदास करना कभी मत भूले, अरदास में अपार शक्ति होती है,
रोज़ अरदास किया करो
ऐ मेरे सतगुरु जी ! तेरे
हर पल का "शुकराना"
हर स्वांस का "शुकराना"
हाथ थामने का शुकराना"
सिर पर हाथ रखने का
शुकराना"
हर दुख से बचाने का
शुकराना"
अंग संग रहने का शुकराना
अपना बनाने का शुकराना
जब समस्या भारी हो और आपकी ताकत उसके लिए काफी न होतो परेशान मत होना
क्योंकि जहाँ हमारी ताकत खत्म होती है, वहां से गुरु की रहमत शुरू होती है,
जीवन का सारा खेल तो समय रचता है,
मनुष्य तो केवल अपना किरदार निभाता है।
सादर चरणस्पर्श
धन निरंकार जी संतो
🙏🏻

Address

Sultanpur

Telephone

09839464476

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when तू ही posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share