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सावन कुमार सुपौल के नए जिलाधिकारी बनने पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐सुपौल की धरती पर आपका  स्वागत है.       #सुपौल...
31/05/2025

सावन कुमार सुपौल के नए जिलाधिकारी बनने पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
सुपौल की धरती पर आपका स्वागत है.

#सुपौल #सुपौलवाले

आज सुपौल से पिपरा तक नई रेल लाइन का आज high speed trial होने जा रहा है जिसके कारण पिपरा के आसपास के सभी गांव के लोगों मे...
29/03/2025

आज सुपौल से पिपरा तक नई रेल लाइन का आज high speed trial होने जा रहा है जिसके कारण पिपरा के आसपास के सभी गांव के लोगों में उत्साह और खुशियां देखने को मिल रहा है।

Supaulwale Supaul railway station

हमारे बिहार के शारदा सिन्हा जी अब हमारे बीच नहीं रहा भगवान से दुआ करो आत्मा को शांति दे 😭😭😭😭
06/11/2024

हमारे बिहार के शारदा सिन्हा जी अब हमारे बीच नहीं रहा भगवान से दुआ करो आत्मा को शांति दे 😭😭😭😭

05/08/2024

सुपौल। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व तथा राघोपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी दक्षिण की ओर गणपतगंज के धरहरा में अवस्थित है भीमशंकर महादेव नामक देव स्थल। सुपौल। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व तथा राघोपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी दक्षिण की ओर गणपतगंज के धरहरा में अवस्थित है भीमशंकर महादेव नामक देव स्थल।

#सुपौलवाले

यादें।।रेल सह सड़क पुल। कमला नदी, झंझारपुर ।। ♥️🚂
10/09/2023

यादें।।
रेल सह सड़क पुल। कमला नदी, झंझारपुर ।।
♥️🚂

23/08/2023

सिंहेश्वर स्थान मधेपुरा जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यहां का दिव्य शिवलिंग लोगों की अपार आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि यह स्थान कभी महान श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि हुआ करता था। यहां उन्होंने यज्ञ के लिए 7 हवन कुंड बनाए थे, जो आज भी खंडार के रूप में नजर आते हैं। श्रृंगी ऋषि के निवास के कारण यह स्थान सिंहेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

सिंघेश्वर स्थान की रौनक महाशिवरात्रि के दिन देखने लायक रहती है। यहाँ का पशु मेला काफी प्रसिद्ध है। आम दिनों में भी यहाँ भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। यह मंदिर असीम भक्ति और भावना का प्रतिक है और यहाँ हर किसी को एक बार ज़रूर जाना चाहिए।

14/08/2023

बारह ज्योतिर्लिंग में से एक प्रखंड क्षेत्र के भीमशंकर महादेव स्थान धरहरा मंदिर शिवभक्तों के लिए अलग महत्व रखता है। यही कारण है कि आस-पास के जिले समेत नेपाल के शिवभक्तों के लिए यह महादेव का मंदिर दशकों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। वैसे तो साल के प्रत्येक दिन पूजा के लिए यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन मास में पूजा के लिए यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सबसे ज्यादा भीड़ रविवार और साेमवार को भक्तों की रहती है। कथाओं में धरहरा मंदिर के नामकरण को लेकर कई पौराणिक कथा है।

कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव पुत्र अज्ञातवास के दौरान इस रास्ते से नेपाल जाने के क्रम में इस मंदिर परिसर मेें ही रात बिताई थी, जहां बल और वैभव की प्राप्ति के लिए शिवलिंग की स्थापना कर पहली बार पूजा की थी।

मान्यता यह भी है कि भीमासुर का भगवान शंकर किया था वध, इसलिए नाम पड़ा भीमशंकर

#सुपौलवाले

Kosi Barrage birpur ( supaul ) #सुपौलवाले
08/08/2023

Kosi Barrage birpur ( supaul )

#सुपौलवाले

नाम नही प्यार है हमारा ♥️♥️ #सुपौलवाले
07/08/2023

नाम नही प्यार है हमारा ♥️♥️

#सुपौलवाले

07/08/2023

Baba tileshwar mahadev temple vlog

#सुपौलवाले

🚩सुपौल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर मोहनियां गांव में अवस्थित है:- “बाबा हजारी नाथ महादेव” का प्रसिद्ध मंदिर।...
05/08/2023

🚩सुपौल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर मोहनियां गांव में अवस्थित है:- “बाबा हजारी नाथ महादेव” का प्रसिद्ध मंदिर।
यह मंदिर “चौघटिया” के नाम से भी विख्यात है, इस नाम के पीछे यहां की भौगोलिक संरचना है। यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर निर्मित है। यह टीला चारों ओर से पानी की विशाल तालाब से घिरा हुआ है। यह विशाल तालाब 53 बीघा भूमि में फ़ैला हुआ है। मंदिर तक जाने के लिए ईट की सड़क बनी हुई है। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि इस तालाब के चारों कोणों पर मंदिर हुआ करता था, जो 1934 में आए भूकंप में यह तबाह हो गया। सिर्फ यह मंदिर ही बचा रह गया।

👉इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग अपने आप में अद्वितीय है, क्योंकि यह भारत का एकमात्र शिवलिंग है; जो 1001 शिवलिंग से बना है और शिवलिंग में मां पार्वती का भी प्रतिमा उकेरा हुआ है। यह मंदिर सड़क से अत्यंत ही आकर्षक दिखाई देता है। टीले पर वृक्षों के बीच बना हुआ मंदिर सकून का एहसास दिलाता है। मैं जब भी अपने गांव जाता हूं तो अपने दोस्तों को मिलने के लिए यहीं बुलाता हूं, यहां के वातावरण मुझे बहुत भाता है।

#इतिहास
इस मंदिर का निर्माण 1894 ईस्वी के आसपास गनवारि राजवंश के बरुआरी के राजा टेकनारायण सिंह के शासनकाल में किया गया था। यहां स्थापित शिवलिंग एवं अन्य प्रतिमाएं कर्नाट कालीन है जो 11वीं 12वीं शताब्दी की है। यह प्रतिमाएं अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है। बरूआरी के राजा शैव एवं शक्ति के उपासक थे। गनवारियों के शासनकाल में सभी गांव में शिवालय का निर्माण किया गया था। बरूआरी के राजा गनवारियों के ही वंशज थे। इन प्रतिमाओं में लक्ष्मी नारायण, ब्रह्मा, दसविद्या की प्रस्तर प्रतिमाएं हैं। बरुआरी के राजा ने सिंघेश्वर धाम आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए अलग-अलग गांव में मंदिर, कुओं एवं विश्राम स्थलों का निर्माण करवाया था। मध्यकालीन लेखों में दर्ज पूर्व में दरभंगा से पांडिचेरी जाने वाला राजमार्ग इसी मंदिर के सामने से गुजरता था। जिसका साक्ष्यअब भी मिलता है। कहा जाता है कि शिवरात्रि के मौके पर दरभंगा महाराज जब सिंहेश्वर की यात्रा पर निकलते तो यहां उनका विश्राम हुआ करता था। सिंहेश्वर से लौटते वक्त शिवरात्रि के उपरान्त चौठारी की पूजा वे यहीं किया करते थे।

◾अभी इस स्थल की स्थिति संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इसके अधिकांश जमीन पर अतिक्रमण किया जा चुका है। टीले पर लगे पुराने वृक्ष को काटा जा रहा है। तालाब की स्थिति बद से बदतर हो गई है। सिर्फ बरसात के मौसम में ही तालाब पानी से भरा रहता है। यदि इस तालाब का सौंदर्यीकरण किया जाए तो यह एक बेहतरीन पर्यटक स्थल का रूप ले सकता है। मत्स्य पालन भी किया जा सकता है, बोटिंग भी कराया जा सकता है। बस इसे उद्धारक की तलाश है।

🚕🚉 कैसे पहुंचें:-
♦️ आप सहरसा जंक्शन या सुपौल स्टेशन से गढ़ बरुआरी के लिए लोकल ट्रेन ले सकते हैं। फिर गढ़ बरुआरी स्टेशन से ऑटो रिक्शा लेकर आप यहां आ सकते हैं।
♦️ यह स्थल सुपौल, सहरसा, मधेपुरा से अच्छी तरह से सड़क से जुड़ा हुआ है।

✍️📸 राहुल ©️

#शिव
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