
30/08/2025
हठ कर बैठे श्याम, एक दिन मईया से बोले।
ला के दे-दे चंद्र खिलौना चाहे तो सब ले-ले।
हाथी ले-ले, घोड़ा ले-ले, तब मईया बोली।
कैसे ला दूं चंद्र खिलौना, वो तो है बहुत दूरी।
दूर गगन में ऐसे चमके, जैसे राधा का मुखड़ा।
देख के ऐसा रूप सलोना कान्हा का मन डोला।
राधा रानी को आज बुला दूं जो उनके संग खेले।
चंदा न दे पाऊं तुझको, मईया बोली सुन प्यारे।
देख इसे जी ललचाए, खा जाऊं जो मिल जाए।
देख मईया इसका रंग, लगे जैसे माखन के गोले।
दूध दही के भंडार भरे, आज माखन तुझे खिला दूं।
गाकर लोरी गोद में अपनी, आजा तुझे सुला दूं।
न गाय चराने जाऊं, न ग्वाल बाल संग खेलूंगा।
जो न दे तू चंद्र खिलौना, तुझसे मैं न बोलूंगा।
लोटन लगे भूमि पर तब, बोले कृष्ण कन्हैया।
ला के दे-दे चंद्र खिलौना, सुन ओ मोरी मईया।
पानी भर कर थाली में, तब मईया ने रख दी।
मुस्काने लगे कृष्ण कन्हैया देख कर उसकी छवि।
देख कर ये लीला अलबेली, चंद्र देव भी मुस्काए।
प्रभु के संग खेलन को, गगन से जमीं पर उतर आए।
सुशी सक्सेना