Ramayan-True History of India

Ramayan-True History of India Welcome to Ramayana , Ancient Indian Epic Post. You will get updates of all Ancient Indian Epics and
(1)

भोपाल गैस त्रासदी केस को रिओपन न हो -इसकी आदेश इन जज साहब ने दिया था और उस कर्ज की अदायगी की गई है। प्रथम परिवार के घनिष...
20/08/2025

भोपाल गैस त्रासदी केस को रिओपन न हो -
इसकी आदेश इन जज साहब ने दिया था
और उस कर्ज की अदायगी की गई है।
प्रथम परिवार के घनिष्ठ मित्र को बचाने का
यह इनाम क्यो न माना जाए?

इसके अलावा भोपाल गैस कांड में
रिव्यू पिटीशन खारिज करने वाले
नक़्सलवाद को समाप्त करने वाली मूवमेंट सलवा जुड़ुम को ख़त्म करने वाले यही है।

इसराइल से भारत हथियार ना ले भारत -
ये पिटीशन साइन करने वाले व्यक्ति यही हैं !

ऐसे बी सुदर्शन रेड्डी इंडी के उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार है।
इंडिपेंडेंट जूडिशीएरी का रोना रोने वाली काँग्रेस की
दोगली राजनीति देखिए कि
पूर्व जज को ही उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया...

आज के ही दिन अर्थात 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा   लागू किया गया था जो पूरे भारत मे हिंदुओं के नरसंहार का प्लान स...
16/08/2025

आज के ही दिन अर्थात 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा लागू किया गया था जो पूरे भारत मे हिंदुओं के नरसंहार का प्लान साबित हुआ!

आइये जानते हैं क्या था डायरेक्ट एक्शन प्लान ?

मुस्लिम लीग अपनी स्थापना के समय से ही मुस्लिमों को लेकर अलग देश चाहती थी । जैसे-जैसे भारत की आजादी का समय करीब आ रहा था, वैसे-वैसे मुस्लिम लीग को लग रहा था, कि आजादी के बाद हिंदू बहुसंख्यक देश में मुस्लिम सुरक्षित नहीं रहेंगे। उनका धीरे-धीरे ये विरोध मोहम्मद अली जिन्ना की अगुआई में हिंसक होता चला गया । और आखिर वो काला दिन भी आ ही गया, जिसमें इतिहास में हुए सांप्रदायिक दंगों में बहुसंख्यकों को भारी जान की कीमत चुकानी पड़ी ।

20 जुलाई 1946 को मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट एक्शन प्लान घोषित कर दिया । जिसका मतलब था अब विरोध बात से नहीं हिंसा से होगा, क्योंकि मुस्लिम लीग अब किसी भी कीमत पर अपना अलग देश चाहती थी । और उन दिनों बंगाल में मुस्लिम लीग की सरकार थी, जिसके मुख्यमंत्री थे सुहरावर्दी । और 16 अगस्त की आधी रात से अगले तीन-दिनों तक बंगाल में सिर्फ खून की नदियां बहती रही, एक आंकड़े के मुताबिक सिर्फ कलकत्ता में ही पांच हजार लोग मारे गए, और कई हजारों की संख्या में लोग घायल हुए । लेकिन असल में लाशों की संख्या की गिनती इस संख्या से कहीं ज्यादा थी ।

नोआखाली में हुआ इतिहास में हिन्दुओं का सबसे बड़ा कत्तलेआम

डायरेक्ट एक्शन और अलग पाकिस्तान की मांग को लेकर मुस्लिम खून-खराबे पर उतर आए। और सबसे बड़ी शर्मनाक बात तो यह रही कि दिवाली के दिन भी मुस्लिम लीग ने दंगे करवाए, और कलकत्ता की तरह एक बार फिर भीषण रक्तपात हुआ । हजारों की संख्या में हिंदुओं का कत्तलेआम हुआ। सांप्रदायिक दंगों की आग बिहार और गुजरात भी पहुंच गयी । इसी दौरान फिर एक बार नोआखाली, पंजाब से दंगों की खबरें आने लगी, दिल्ली, लाहौर और रावलपिंडी में डायेरक्ट एक्शन डे के तहत मौत का नंगा नाच शुरू हो गया था. जगह-जगह हिंदुओं पर हमले किए जा रहे थे और आगजनी और लूटपाट हद से ज्यादा हो रही थी ।

1 मई 1947 को दिल्ली में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में नेहरु ने घोषणा की, और कहा- देश में शांति की स्थापना के लिए देश का बंटवारा ही एकमात्र विकल्प है

बंटवारे की खबर सुनकर गांधी जी ने बादशाह खान से कहा था कि- शायद मेरा जीवन कार्य समाप्त हो चुका है । देश के बंटवारे से अशांति फैलेगी और लाखों जिंदगियां बंटवारे की भेट चढ़ जाएंगी । इस प्रकार मिली स्वतंत्रता से देश का भविष्य अधंकारमय होगा । इन सब विपत्तियों को देखने के लिए शायद मैं जिंदा नहीं रहूंगा, अगर यह बंटवारा हुआ तो मेरी लाश पर होगा, मैं नहीं चाहता कि बंटवारे को दोष कोई मुझे दे ।

लेकिन 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी की तिथि की घोषणा हुई, तो एक तरफ देशआजादी की खुशी मना रहा था तो दूसरी तरफ देश का बड़ा हिस्सा सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आ गया था

बंटवारें में भी भीषण नरसंहार हुआ परंतु न तो गांधी मरे और न नेहरू के जश्न में कोई कमी आई.....

देश की आजादी का श्रेय लूटने को तो लोग आज भी आतुर है पर देश के बंटवारे और लाखों हिंदुओं के नरसंहार की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नही।

यह शिलालेख कश्मीर (pok) में पाया गया है।वहां के लोग इसका अर्थ गलत लगा रहे है और भारत के वामपंथी इसे बौद्ध सिद्ध करने में...
15/08/2025

यह शिलालेख कश्मीर (pok) में पाया गया है।वहां के लोग इसका अर्थ गलत लगा रहे है और भारत के वामपंथी इसे बौद्ध सिद्ध करने में लगे है। लेकिन यह शारदा लिपि है। पढ़िए इस विषय में।

॥ श्रीमत्क्षेमराजस्य शासनम् ॥
साम्बपुरे स्थिते श्रीशारदामन्दिरे
महादेवस्य प्रतिमा स्थापिता।
एष शिलालेखः राज्ञा क्षेमराजेन
विक्रमसंवत् १०८४ मध्ये
दानार्थं स्थापिता।
सर्वजनहिताय मन्दिरस्य
रक्षणं कार्यं इति आदेशः।
अत्र स्थापिता प्रतिमा
सर्वदुःखहरिणी भवतु।
श्रीमत्स्थाने अक्षयपुण्यलाभः।

हिंदी अनुवाद

"यह श्रीमान क्षेमराज का शासकीय आदेश है। साम्बपुर में स्थित श्री शारदा मंदिर में महादेव की प्रतिमा स्थापित की गई है। यह शिलालेख राजा क्षेमराज द्वारा विक्रम संवत 1084 में दान के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। यह आदेश दिया गया है कि मंदिर की रक्षा और सेवा जनकल्याण हेतु की जाए। यहाँ स्थापित प्रतिमा समस्त दुःखों की हरणकर्ता हो। इस पुण्य स्थल पर आने वालों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति हो।"

कश्मीर भारत की प्राचीनतम सांस्कृतिक और दार्शनिक परंपराओं का केंद्र रहा है। यहाँ की धरती न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध रही, बल्कि यह वैदिक, बौद्ध और शैव परंपराओं का भी अद्वितीय संगम रही है। इसी भूमि से हमें प्राप्त होता है एक महत्वपूर्ण शिलालेख — शारदा लिपि में अंकित, जो राजा क्षेमराज के समय का है और जिसमें एक मंदिर निर्माण, प्रतिमा स्थापना तथा धार्मिक आदेश का वर्णन किया गया है।

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📜 शिलालेख का संक्षिप्त परिचय

इस शिलालेख में निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं:

स्थान: साम्बपुर (संभावित प्राचीन गाँव, वर्तमान कश्मीर क्षेत्र में)

शासक: राजा क्षेमराज

काल: विक्रम संवत 1084 (1027 ईस्वी)

कार्य: महादेव (शिव) की प्रतिमा की स्थापना, शारदा मंदिर में।

उद्देश्य: दान, मंदिर की रक्षा, और सार्वजनिक कल्याण

लिपि: शारदा, भाषा: संस्कृत

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🏛 शारदा लिपि और उसकी सांस्कृतिक भूमिका

शारदा लिपि ब्राह्मी लिपि की एक शाखा है, जिसका विकास मुख्यतः कश्मीर घाटी में हुआ। यह लिपि लगभग 8वीं से 13वीं शताब्दी तक संस्कृत और कश्मीरी ग्रंथों को लिखने हेतु प्रयुक्त होती थी। शारदा लिपि का नाम भी माँ शारदा (सरस्वती) से जुड़ा है — ज्ञान और विद्या की देवी, जिनका शारदा पीठ (Sharda Peeth) में अत्यंत प्राचीन मंदिर था।

यह लिपि केवल एक लेखन प्रणाली नहीं, बल्कि कश्मीर की शैव और विद्या परंपरा का प्रतीक भी रही है।

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👑 क्षेमराज: एक दार्शनिक राजा

क्षेमराज (Kṣhemarāja) का नाम न केवल कश्मीर के राजवंशों में आता है, बल्कि वह भारत के सबसे प्रसिद्ध शैव दार्शनिकों में भी गिने जाते हैं। वह अबिनवगुप्त के शिष्य थे और उन्होंने त्रिक शैवदर्शन पर कई ग्रंथों की रचना की, जैसे:

प्रत्यभिज्ञाहृदयम्

शिवसूत्रविमर्शिनी

Spanda Kārikā

हालांकि इस शिलालेख में जिस क्षेमराज का उल्लेख है वह संभवतः उसी नाम वाले समकालीन राजा क्षेमराज हो सकते हैं, जिन्होंने धार्मिक निर्माणों में दान दिया।

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🔱 धार्मिक और सामाजिक संदेश

इस शिलालेख में एक प्रमुख प्रतिमा स्थापना का उल्लेख है — महादेव (शिव) की। इससे यह स्पष्ट है कि उस काल में कश्मीर में शैव परंपरा बहुत शक्तिशाली थी। साथ ही मंदिर के संरक्षण और जनकल्याण हेतु इसके उपयोग का स्पष्ट आदेश भी मिलता है।

यह आदेश न केवल धार्मिक चेतना का प्रमाण है, बल्कि यह दर्शाता है कि मंदिर उस समय सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक केंद्र भी होते थे।

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🧭 स्थान विशेष: साम्बपुर

"साम्बपुरे स्थिते श्रीशारदामन्दिरे" — इस वाक्यांश से यह प्रतीत होता है कि यह शिलालेख शारदा देवी के मंदिर से संबंधित है। यह मंदिर संभवतः शारदा पीठ का ही कोई उपकेंद्र या संबंधस्थल रहा हो, जहाँ शिव की भी पूजा की जाती थी।

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📆 विक्रम संवत 1084 का कालखंड

विक्रम संवत 1084 = 1027 ईस्वी। यह काल कश्मीर के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण युग था:

शैव परंपरा अपने उत्कर्ष पर थी।

कश्मीर भारत की दार्शनिक राजधानी मानी जाती थी।

मंदिर निर्माण और विद्या के संरक्षण को राजाश्रय प्राप्त था

यह शारदा लिपि में अंकित शिलालेख न केवल एक धार्मिक दस्तावेज है, बल्कि यह कश्मीर की धार्मिक चेतना, दार्शनिक उन्नति, और सांस्कृतिक धरोहर का मूर्त प्रमाण भी है। यह दिखाता है कि मध्यकालीन भारत में राजा, मंदिर और जनता तीनों का संबंध किस प्रकार धर्म और कल्याण की भावना से जुड़ा होता था।

📚 संदर्भ सुझाव:

1. "The Word Speaks to the Faustian Man" – by Jaideva Singh (for Shaivism)

2. "Epigraphia Indica" – ASI volumes (शिलालेखों के अध्ययन हेतु)

3. "A History of Kashmir" – by Kalhana's Rajatarangini

4. "Sharada Lipi Reader" – IGNCA / Sanskrit Universities

धराली गांव उत्तराखंड 10 अगस्त 2025कंधों पर राशन की बोरी ढोकर भोजन स्थल पहुंचा रहे स्वयंसेवक ।धराली में हुई तबाही के बाद ...
12/08/2025

धराली गांव उत्तराखंड 10 अगस्त 2025

कंधों पर राशन की बोरी ढोकर भोजन स्थल पहुंचा रहे स्वयंसेवक ।

धराली में हुई तबाही के बाद अभी पुनर्वास में लंबा समय लगेगा। इस आपदा में जो लोग बच गए हैं, उन सबका सामूहिक भोजन धराली के मंदिर में बन रहा है। मंदिर तक भोजन सामग्री पहुंचाने के लिए कीचड़, पानी एवं कठिन रास्ता है ।

पत्थरों पर चलकर अपने कंधों पर राशन की बोरी ढोकर पहुंचा रहे हैं स्वयंसेवक।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक आपदा के तुरंत बाद सक्रिय हो गए थे, किंतु धराली जाने की अनुमति उन्हें 10 अगस्त को मिली। धराली में आपदा के लिए एक सहायता केंद्र शुरू कर दिया गया है।
#संघ #स्वयंसेवक

अलका लांबा के लिए
04/08/2025

अलका लांबा के लिए

 #अखंड_भारत_का_इतिहास.......आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस...
20/07/2025

#अखंड_भारत_का_इतिहास.......

आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं।

#एवरेस्ट का नाम था #सागरमाथा, #गौरीशंकर #चोटी

पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम #जम्बूद्वीप जिसे आज #एशिया द्वीप कहते हैं तथा #इन्दू #सरोवरम् जिसे आज #हिन्दू #महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदल दिया।

ये थीं #अखंड #भारत की #4सीमाएं

अखंड भारत इतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है, परंतु पूर्व व पश्चिम का वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों और एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। कैलाश मानसरोवर‘ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इंडोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश या आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर पर हैं।

एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व आर्यान (ईरान) तक ही है। इन मिलन बिंदुओं के बाद ही दोनों ओर महासागर का नाम बदलता है। इस प्रकार से हिमालय, हिंद महासागर, आर्यान (ईरान) व इंडोनेशिया के बीच का पूरे भू-भाग को #आर्यावर्त अथवा #भारतवर्ष या हिंदुस्तान कहा जाता है।

अब तक 24 #विभाजन

सन 1947 में भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में 24वां विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर धीरे-धीरे शासक बनना और उसके बाद 1857 से 1947 तक उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किमी था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग किमी है। पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग किमी बनता है।

क्या थी #अखंड #भारत की #स्थिति

सन 1800 से पहले विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय ये देश थे ही नहीं। यहां राजाओं का शासन था। इन सभी राज्यों की भाषा अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परंपराएं बाकी भारत जैसी ही हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ के तरीके सब एकसे थे। जैसे-जैसे इनमें से कुछ राज्यों में भारत के इतर यानि विदेशी मजहब आए तब यहां की संस्कृति बदलने लगी।

2500 सालों के इतिहास में सिर्फ हिंदुस्तान पर हुए हमले

इतिहास की पुस्तकों में पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रमण हुए (यूनानी, यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच, डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज) इन सभी ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया ऐसा इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में कहा है। किसी ने भी अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण का उल्लेख नहीं किया है।

#रूस और #ब्रिटिश शासकों ने बनाया #अफगानिस्तान

1834 में प्रकिया शुरु हुई और 26 मई 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात् राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया। इससे अफगानिस्तान अर्थात पठान भारतीय स्वतंत्रतता संग्राम से अलग हो गए। दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि अफगानिस्तान पर नियंत्रण किसका हो? अफगानिस्तान शैव व प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहां, शेरशाह सूरी व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार (गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।

1904 में दिया आजाद रेजीडेंट का दर्जा

मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य बना चुके थे। स्वतंत्रतता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-महाराजाओं में यहां तनाव था। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।

#भूटान के लिए ये #चाल चली गई

1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण से रेजीडेंट के माध्यम से रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना शुरु किया। यहां के लोग ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक थे। यहां खनिज व वनस्पति प्रचुर मात्रा में थी। यहां के जातीय जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय धारा से अलग कर मतांतरित किया गया। 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक विस्तार कर नए आयामों की रचना कर डाली। फिर एक नए टेश का निर्माण हो गया।

#चीन ने किया #कब्जा

1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीन भारत की ब्रिटिश सरकार के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण करने का निर्णय हुआ। हिमालय को बांटना और तिब्बत व भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला।

अंग्रेजों ने अपने लिए बनाया रास्ता

1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी भारत व एशिया से जाना पड़ सकता है। समुद्र में अपना नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा स्वतंत्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने हेतु सन 1935 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग राजनीतिक देश की मान्यता दी। म्यांमार व श्रीलंका का अलग अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।

दो देश से हुए तीन

1947 में भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। इसकी पटकथा अंग्रेजों ने पहले ही लिख दी थी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति भौगोलिक रूप से पाकिस्तान की थी। ये देश दो भागों में बंटा हुआ था और दोनों के बीच की दूरी थी 2500 किलो मीटर। 16 दिसंबर 1971 को भारत के सहयोग से एक अलग देश बांग्लादेश अस्तित्व में आया।

तथाकथित इतिहासकार भी दोषी

यह कैसी विडंबना है कि जिस लंका पर पुरुषोत्तम श्री राम ने विजय प्राप्त की ,उसी लंका को विदेशी बना दिया। रचते हैं हर वर्ष रामलीला। वास्तव में दोषी है हमारा इतिहासकार समाज ,जिसने वोट-बैंक के भूखे नेताओं से मालपुए खाने के लालच में भारत के वास्तविक इतिहास को इतना धूमिल कर दिया है, उसकी धूल साफ करने में इन इतिहासकारों और इनके आकाओं को साम्प्रदायिकता दिखने लगती है। यदि इन तथाकथित इतिहासकारों ने अपने आकाओं ने वोट-बैंक राजनीति खेलने वालों का साथ नही छोड़ा, देश को पुनः विभाजन की ओर धकेल दिया जायेगा। इन तथाकथित इतिहासकारो ने कभी वास्तविक भूगोल एवं इतिहास से देशवासिओं को अवगत करवाने का साहस नही किया।

बांग्लादेश बनवाने के लिए हमारे 20 हजार सैनिकों ने बलिदान दिया था और आज वहाँ हिंदुओं का सामूहिक नरसंहार हो रहा हैजिहादी व...
18/07/2025

बांग्लादेश बनवाने के लिए हमारे 20 हजार सैनिकों ने बलिदान दिया था और आज वहाँ हिंदुओं का सामूहिक नरसंहार हो रहा है

जिहादी विचारधारा केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है

याद रखिए, कुछ वर्ष पूर्व बांग्लादेश भी हिंदुस्तान था

🚨 Big expose!Mu-slim IPS officer linked to Changur gang — running mass conversion racket & love G-had traps for Hindu gi...
15/07/2025

🚨 Big expose!
Mu-slim IPS officer linked to Changur gang — running mass conversion racket & love G-had traps for Hindu girls!

भाषा विरोधियों के मुंह पर काला थप्पड़ खास कर  कुल्ले को
13/07/2025

भाषा विरोधियों के मुंह पर काला थप्पड़

खास कर कुल्ले को

🚨 🚨 उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और धर्मांतरण का बड़ा रैकेट बेनकाब!यूपी ATS ने जमालुद्दीन और नसीरीन को एक सनसनीखेज ऑपरेशन म...
07/07/2025

🚨 🚨 उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और धर्मांतरण का बड़ा रैकेट बेनकाब!

यूपी ATS ने जमालुद्दीन और नसीरीन को एक सनसनीखेज ऑपरेशन में गिरफ्तार किया। सामने आए चौंकाने वाले खुलासे:

🔸 ₹100 करोड़ की विदेशी फंडिंग का सुराग
🔸 मुस्लिम लड़कों को ट्रेनिंग देकर फर्जी हिंदू नाम दिए गए
🔸 हिंदू लड़कियों को टारगेट कर फंसाया गया और जबरन धर्मांतरण कराया गया
🔸 धर्मांतरण के रेट:
— ₹16 लाख: ब्राह्मण, राजपूत, सिख
— ₹12 लाख: ओबीसी
— ₹10 लाख: अन्य

एक खतरनाक साजिश का पर्दाफाश — अब देश को जागने का वक्त है।

MASSIVE Love G-had & Conversion Racket BUSTED in Uttar Pradesh!

UP ATS arrests Jamaluddin & Nasreen in a chilling operation. Here's what surfaced:

🔸 ₹100 Cr foreign funding trail
🔸 Mu-slim boys trained & given FAKE Hindu names
🔸 Hindu girls targeted, lured & forcibly converted
🔸 Offered rates:
— ₹16L for Brahmin, Rajput, Sikh
— ₹12L for OBC
— ₹10L for others

A sinister network exposed — time for the nation to wake up.

वैसे जापान में पढ़ाई हिन्दी में होगी कि मराठी में?कोई तो फतवा जारी करे ताकि कहीं कोई कन्फ्यूजन ना रह जाए!वैसे ठाकरे परिव...
06/07/2025

वैसे जापान में पढ़ाई हिन्दी में होगी कि मराठी में?

कोई तो फतवा जारी करे ताकि कहीं कोई कन्फ्यूजन ना रह जाए!

वैसे ठाकरे परिवार को पहल करना चाहिए!!!
#हिन्दी
#मराठी
#मराठीभाषा

06/07/2025

अमित, आदित्य और तेजस जी महाराष्ट्र बोर्ड के मराठी मीडियम स्कूल से पढ़े हैं या CBSE/ICSE बोर्ड के इंग्लिश मीडियम स्कूल से?

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DEVINE PERSON SHRI RAM - MARYADAPURSHOTAM

In Indian history, Maryadapurshotam Ram is considered as a living god with supreme power. He lived his entire life like normal person and set benchmark, person with his great deeds , can attain supremacy.

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