31/05/2025
डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पाते जिन रोगों को, उनके लिए संजीवनी बूटी है मकोय का फल......।
लते समय के साथ बीमारियां भी बदलने लग गई हैं, आज के टेक्नोलोजी वाले समय में ऐसी कई बीमारियां हैं जिनका इलाज डॉक्टर के पास भी नहीं होता है. लेकिन जिन बीमारियों का इलाज हमारे डॉक्टर नहीं कर सकते उनका इलाज हमारी औषधियों द्वारा संभव हो जाता है l
आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे मे बताएँगे जिसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है. यह फल काफी दुर्गम परिस्थितियों में पाया जाता है, जिस कारण इसे प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है.
शुगर :- जिन व्यक्तियों को शुगर की समस्या हैं, वह मकोई के सूखे फलों का एक चम्मच चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ पिये.
किडनी :- मकोय का पाउडर ओर सब्जी किडनी के लिए फायदेमंद होती है, जिन व्यक्तियों को किडनी की समस्या होती है उन्हे हफ्ते में कम से एक बार इस सब्जी को जरूर खानी चाहिए.
लिवर :- लीवर की समस्या से परेशान व्यक्तियों को मकोई के हरे फलों को निचोड़ कर उसके एक चम्मच रस को सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पीए,,,।।
आज बहुत मात्रा में मकोय काकमाची देखी और सेवन भी किया गुर्दो के लिए सरीर पर सूजन के लिए खूनी बाबासीर के लिए खुजली के लिए बहुत ही रामबाण औषधि है ये पहले गुर्दो की बीमारी कहा देखने को मिलती थी आज कल 25 से 30 साल के युवा की गुर्दो की समस्या से परेशान है इसके 1 महीना सेवन से गुर्दे एक दम नए हो जाते है आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।
- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।
- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों को दूर करता है।
- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।
- यह सूजन और दर्द को दूर करता है।
- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .
- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।
- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।
- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।
- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।
अथ काकमाची द्रव्यगुणं प्रतिपद्ये
काकमाची (मकोय) : यकृत ( liver ) रोगों की निःशुल्क दिव्य औषधि
मकोय का शाक एक दिव्यौषधी है जो प्रायः खेतों और सडकों के किनारे स्वयमेव उत्पन्न होता है . इसके श्वेत पुष्प और पत्र मिर्च के तादृश, पौधे की ऊँचाई लगभग तीन फीट होती है .कच्चे फल हरे और पकने पर नारंगी या गहरे नीले गुच्छों में लगते हैं . ग्रामीण लोग प्रायः इसका अकेले या दूसरे पालक , सरसों आदि के साथ शाक बनाकर खाते हैं . फल मीठे होते हैं अतः बच्चे बड़े प्रायः खाते हैं . कच्चे फल कडुवे और उपविष हैं .
काकमाची ( मकोय) के आयुर्वेदिक गुण : काकमाची कटु, तिक्त, अनुष्ण, स्निग्ध, त्रिदोष नाशक है . यह श्वांस रोग, अर्श , कुष्ठ , प्रमेह , ज्वर , वमन , हिचकी, शूल, शोथ,शोफ ( सूजन , पानीदार छाले) और यकृत रोगों का नाशक है . स्वर शोधक , हृद्य , चाक्षुष्य , वीर्य जनक , रसायन है .
मात्रा : स्वरस 10-20 मिली . फल चूर्ण - 1-3 ग्राम , क्वाथ - 20-50 मिली
मकोय के औषधीय गुण :
1 * यकृत ( लीवर ) रोग : यकृत की क्रिया बिगड़ने से अनेक उपद्रव यथा: सूजन,पतले दस्त,व पीलिया बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं. इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है. यह रोग क्रमशः समाप्त हो जाते हैं. मकोय के पत्तों के 10-20 मिली . रस के सेवन से विषाक्त द्रव्य, मूत्रादि द्वारा बाहर निकल जाते हैं.
2 * शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है.
3 * खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है.
4 * हृदय रोग, जलोदर में इसके पके फल या पत्तों का क्वाथ देने से रोग मिट जाता है
★ बहुत प्यारी चमत्कारी औष्धि “मकोय” “काकमाची”★
यकृत आपके अनीयमित खानपान,शराब आदि का ज्यादा सेवन,शहरी जीवन शैली,तनाव व काम की अधिकता,निराशा आदि के कारण रोग ग्रसित होता है वैसे इसकी कार्य क्षमता इतनी है कि इसका 10प्रतिशत भाग भी सही रहै तो यह काम करता रहेगा।
ध्यान दें कि आपके शरीर के दो ही अंग हैं जिन पर खानपान व जीवन शैली का गंभीर प्रभाव पड़ता है।
जिनमें पहला है यकृत और दूसरा हृदय जिसे दिल भी कहते हैं।
इन दोनों अंगों में रोग हो जाने पर विशेष बात यह है कि हजार रुपये से कम में तो बात बनती नही और लाखों लग जाए इसकी संभावना भी कम नही। सो भइया आयुर्वेद का कहना मानो उसका नीति श्लोक है कि 'चिकित्सा से परहैज बेहतर' अर्थात जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ रोग का इलाज है। उन कारणों का विनाश करो जिनसे रोग की उत्पत्ति हुयी है । सो अपनी जीवनचर्या एेसी बनाओ कि रोग पास ही न फटकें ।लेकिन जब रोग हो ही गया है तो चिकित्सा तो करनी ही पड़ेगी।प्रकृति ने हमें अनेकों औषधियाँ प्रदान की हैं जो प्रयोग करने पर हमारे रोगों को दूर कर सकती हैं इनमें कुछ तो एेसी है कि जिन्हे हम अनजाने में घास कूड़ा समझते है और आजकल के वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान के छात्रों को भी खरपतबार नाम बताकर भारतीय चिकित्सा विज्ञान में प्रमाणित औषधियों का विनाश करा दिया है।अब समय आ गया है जबकि हमें इनकी उपयोगिता को समझना होगा जिससे दिव्य औषधियां समाप्त न हो जाऐं ।
यह मिर्च के पौधे जैसा पोधा होता है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 3 फिट के लगभग हो सकती है।इस पर फूल भी लगभग मिर्च जैसा ही आता है और मिर्च जैसी डालियाँ भी होती हैं इसके फल छोटे - छोटे तथा समूह में होते है ये गोल- गोल होते हैं पकने पर लाल हो जाते हैं तथा बाद में काले हो जाते हैं।इसके पुष्प मिर्च जैसे तथा छोटे छोटे सफेद रंग के होते हैं।
मकोय के गुण व प्रभाव-
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मकोय या काकमाची त्रिदोषनाशक अर्थात वात,पित्त व कफ तीनो दोषों का शमन करने वाला है।यह तिक्त अर्थात कड़ुवा स्वाद रखने वाली तथा इसकी प्रकृति गर्म,स्निग्ध,स्वर शोधक,रसायन,वीर्य जनक,कोढ़,बवासीर,ज्वर,प्रमेह,हिचकी,वमन को दूर करने वाला तथा नेत्रों को हितकर औषधि है।यह यकृत व हृदय के रोगो को हरने वाली औषधि है।यकृत की क्रिया विधि जब विगड़ जाती है तो शरीर में अनेक उपद्रव यथा सूजन,पतले दस्त,व पीलिया जैसे रोगो के अलाबा कई बार बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं।इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है।यह औषधि यकृत की क्रियाविधि को धीरे धीरे सुद्रढ़ करके रोग का विनाश कर देती है।इस औषधि के प्रयोग से यकृत संवंधी रोग धीमें धीमें समाप्त हो जाते हैं।इस औषधि के पत्तों का रस आँतों में पहुँचकर वहाँ इकठ्ठे विषों का विनाश कर देता है तथा पेशाब द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है।
शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है।
खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है।
हृदय रोग में इसके फल देने से रोग मिट जाता है।
जलोदर रोग में मकोय के फल देने से रोग मिटने लगता है।
नेत्रों के रोगों में भी इस औषधि मकोय का प्रयोग बहुत ही हितकारी है।
अब इतना बता देने पर इसके रस की महिमा आपको पता चल गयी होगी।मकोय का रस तिल्ली की सूजन,यकृत की सूजन,यकृत के पुराने से पुराने रोग को मिटाने की ताकत रखता है।
मकोय का रस तैयार करने की विधि नीचे दे रहा हूँ।
मकोय का रस तैयार करना:-
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मकोय का रस निकाल कर उसे मिट्टी के बर्तन में भरकर धीमी अग्नि पर गर्म करें,धीरे धीरे उसका हरा रंग बादामी रंग में बदल जाता है,तब इसे उतार कर छान लें।
इस प्रकार तैयार रस को 100-150 ग्राम की मात्रा में लेने पर यकृत के रोग, बड़ी हुयी तिल्ली, हृदय संबंधी रोग दूर होने लगते हैं।यदि शरीर में खुजली की शिकायत हो तथा वह मिट नही रही हो।तो मकोय के रस की 25 से 50 ग्राम की मात्रा लेते रहने से यह मिट जाऐगी।इससे शरीर का रक्त शुद्ध हो जाता है।और रक्त से जुड़े सभी रोग मिट जाते हैं।किसी चिकित्सक के सानिध्य में मकोय का रस लेते रहने पर गठिया,संधिवात,प्रमेह,कफ,जलोदर,सूजन,बवासीर,यकृत और तिल्ली के रोगों को मिटाया जा सकता है।हृदय रोग में इसके काले फल देने से मूत्र ज्यादा मात्रा में लाकर तथा पसीना लाकर यह रोगी को आराम प्रदान कर देता है। इसका प्रयोग एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग से उत्पन्न रिऐक्सन में भी फायदा करता है।
मकोय की गोली या कैपसूल “ मकोय घनसत ”
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मकोय के साफ स्वच्छ पत्तो को अच्छे से धोकर कूटकर जूसर से रस निकाल लें । मिट्टी के बर्तन में डालकर लकड़ी की अग्नि पर रख दें । आग धीमी -धीमी ही रखे। रस दूध की तरह फटेगा । बीच - बीच लकड़ी के डंडे से हिलाते रहे ।धीरे -धीरे पानी सूखने लगेगा । चटनी जैसा बनने लगेगा। ध्यान रखें । नीचे न लगने दें । लकड़ी की कलछी की सहायता से पलटते रहे । जब सूख जाएं गोली बांधने लायक हो जाए। तो नीचे उतारकर ठंडा होने पर हाथों पर कोई भी तेल हल्का सा चुपड़कर ½-½ ग्राम की गोली बांध लें । अगर कैपसूल बनाना चाहे तो धूप में सुखाकर पाउडर करके 500 मिलीग्राम के कैपसूल में भर सकते है ।
सुबह दोपहर शाम पानी से 1 से 4 गोली या कैपसूल ।
रोग के अनुसार लेवें । उपरोक्त रोगों में सफल लाभकारी । कई वर्षों से अपनी चिकित्सा में प्रयोग कर सैकड़ों रोगियों को लाभ पहुँचाया है । यह मेरा अनुभूत प्रयोग है ।
मकोय के काले फल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते है । गांव के लोग बड़े चाव से खाते है , ज्यादातर वही जो खेती से जुड़े किसान या उनके बच्चे है , लेकिन आजकल गांवो या शहरी बच्चे जो अंग्रेजी स्कूल में पढ़े लिखे है वो बरगर, पीजा , पास्ता वगैरा ही पसंद करते है । ऐसी चीजों पर ध्यान कम ही देते है । मैं भी गांवो में रहकर पढ़ लिख कर जवान हुआ हुं । खेती से संबंध रखता हुं । मैंने यह फल खूब खाएं है , गांव का हर रंग यादों में बसा है। मेरा काम तो वैद्य का है , जितनी जानकारी है लोगों को देने की कोशिश करता हुं ।
इसके पत्ते वैसे भी चबा कर खा सकते है । चटनी के रूप में या आलू के साथ भुर्जी बनाकर सब्जी के रूप भी खाया जा सकता है ।
इसका बना बनाया “मकोय अर्क” आयुर्वेद स्टोर पर आसानी से मिल जाता है । यानि कि कोई भी यह अफसोस जाहिर ही नही कर सकता कि मैं इसका सेवन नही कर पाया । अत: आप किसी भी रूप में इस्तेमाल कर सकते है । बच्चे बूढ़े जवान इसका अर्क बेखोफ होकर इस्तेमाल करें ।