Ramayan-True History of India

Ramayan-True History of India Welcome to Ramayana , Ancient Indian Epic Post. You will get updates of all Ancient Indian Epics and
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201 रैंक वाला फैल और 4500 रैंक वाला सिलेक्टेड...अब ये भारतीय विज्ञान संस्थान में जाकर शोध करेंगे.....नए नए आविष्कार करें...
11/06/2025

201 रैंक वाला फैल और 4500 रैंक वाला सिलेक्टेड...
अब ये भारतीय विज्ञान संस्थान में जाकर शोध करेंगे.....नए नए आविष्कार करेंगे.... जबकि 201 रैंक वाला साहेब के बताए पकौड़े तलने का ठेला लगाएगा.....या फिर अमेरिका या किसी अन्य देश में चला जायेगा..तभी तो बनेंगे हम विस्व गुल्लू..

साभार

अगर तुम्हारा पहले से ही बॉयफ्रेंड है, तो आख़िर तुम हत्या को कैसे चुन सकती हो, जबकि इससे बेहतर और सीधे विकल्प मौजूद हैं:a...
09/06/2025

अगर तुम्हारा पहले से ही बॉयफ्रेंड है, तो आख़िर तुम हत्या को कैसे चुन सकती हो, जबकि इससे बेहतर और सीधे विकल्प मौजूद हैं:

a. अपने माता-पिता से साफ़-साफ़ "ना" कह देना।
b. अपने मंगेतर को सब कुछ बता देना ताकि वो खुद रिश्ता ख़त्म कर दे।
c. किसी महिला संगठन से मदद लेकर ज़बरदस्ती की शादी से बाहर निकल जाना।
d. अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग जाना।
e. और अगर इन सब में से किसी भी विकल्प को अपनाने की हिम्मत नहीं है, तो कम से कम अपनी किस्मत को स्वीकार करो, अतीत को छोड़ो और अपने पति के प्रति वफ़ादार रहो।
f. और सबसे बदतर स्थिति में, अगर तुम अपने बॉयफ्रेंड के बिना नहीं रह सकती और फिर भी किसी समझदारी भरे विकल्प को नहीं चुन सकती, तो किसी बेगुनाह आदमी की हत्या करने के बजाय ख़ुद को खत्म कर लो।

तुम्हारा दिमाग़ हर समझदारी वाले विकल्प को छोड़कर सीधे उस पति को मारने के ख्याल पर कैसे पहुँच गया, जो न तुम्हें नुकसान पहुंचा रहा था, न ही उस हालत का जिम्मेदार था जिसमें तुम फँसी थीं?

ये कोई ग़लत फैसला नहीं है, ये एक समाज-विरोधी सोच का नतीजा है। तुम्हें काउंसलिंग नहीं, बल्कि एक पिंजरा चाहिए। जो कोई भी ईमानदारी के बजाय ठंडे दिमाग से हत्या को चुनता है, वो समाज के लिए ख़तरा है।

पोस्ट पसंद आए तो फॉलो जरूर कर लेना!Ishti Tripathi ।सिर्फ़ समर्थक फॉलो ‼️👆‼️करेंAbout    #कट्टरस्नातनी  1. Founding and H...
09/06/2025

पोस्ट पसंद आए तो फॉलो जरूर कर लेना!

Ishti Tripathi

।सिर्फ़ समर्थक फॉलो ‼️👆‼️करें
About

#कट्टरस्नातनी

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.

8. Global Manufacturing: BMW operates numerous production facilities worldwide, including in Germany, the United States, China, and other countries, ensuring a global reach and localized production.

9. Brand Portfolio: In addition to its renowned BMW brand, the company also owns MINI and Rolls-Royce, catering to a diverse range of automotive tastes and luxury segments.

10. Cultural Impact: BMW's vehicles often become cultural icons, featured in fi

इस मुस्लिम खातून को एक योगी स्टाइल ट्रीटमेंट देनी होगी‘गाय’ दिखाकर आरफा खानम ने बकरीद की मुबारकबाद दी, गिरफ्तारी की माँग...
08/06/2025

इस मुस्लिम खातून को एक योगी स्टाइल ट्रीटमेंट देनी होगी

‘गाय’ दिखाकर आरफा खानम ने बकरीद की मुबारकबाद दी, गिरफ्तारी की माँग उठते ही पोस्ट किया डिलीट:- Video जारी कर माफी के लिए गिड़गिड़ाई...

यह बढ़िया है - पहले जानबूझकर हिंदु भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए ऐसी पोस्ट कर दो या बयान दे दो...बाद में माफी मांग लो...

बकरीद के मौके पर हिंदुओं की भावनाओं को भड़काना इस्लामी कट्टरपंथियों की आदत हो गई है। इन इस्लामी कट्टरपंथियों में एक कॉन्ग्रेस की आरफा खानम भी हैं। आरफा खानम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें ईद की मुबारकबाद देते हुए एक कुर्बानी वाले जानवर की जगह ‘गाय’ का चित्र था।

इस चित्र में एक मुस्लिम लड़का कुर्बानी के लिए गाय ले जाता दिख रहा है। पोस्ट को आरफा खानम ने सोशल मीडिया से डिलीट कर दिया है, लेकिन इसके स्क्रीनशॉट वायरल है। लोग अब आरफा की गिरफ्तारी की माँग कर रहे हैं।

आरफा का बकरीद पर किया गया पोस्ट
सोशल मीडिया पर इसे शर्मिष्ठा मामले से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी तो करवा दी। अब की इसे भी गिरफ्तार करो।

इस पोस्ट के वायरल होने के बाद आरफा खानम ने सोशल मीडिया पर माफी माँगी है। उसने वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि ये पोस्ट किसी की भावना आहत करने के लिए नहीं लिखा था।

आगे उसने कहा, “मैं सभी धर्मों और मान्यताओं का पूरा सम्मान करती हूँ। जैसे ही मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ, मैंने उसे तुरंत हटा लिया। मेरा उद्देश्य केवल त्योहार की शुभकामनाएँ साझा करना था, ना की किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना। आइए हम सभी मिलकर सौहार्द, शांति और आपसी सम्मान को बढ़ावा दें।”इस

जय श्री राम
07/06/2025

जय श्री राम

Jai Shree Ram
07/06/2025

Jai Shree Ram

बकरीद के हल्ले बल्ले आज कहा मर गए है
07/06/2025

बकरीद के हल्ले बल्ले आज कहा मर गए है

72 घंटे का उपवास: मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक इलाजक्या आप जानते हैं कि 72 घंटे का उपवास आपके मस्तिष्क के लिए एक प्राकृतिक ...
01/06/2025

72 घंटे का उपवास: मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक इलाज
क्या आप जानते हैं कि 72 घंटे का उपवास आपके मस्तिष्क के लिए एक प्राकृतिक इलाज है?
यह नशे की लत, डिप्रेशन और चिंता को बिना किसी दवा के दूर कर सकता है।
यह थेरेपी है—बिना थेरेपिस्ट के।

लेकिन उपवास को सही तरीके से करना ज़रूरी है। आइए समझते हैं कि यह कैसे काम करता है।

उपवास सिर्फ वज़न घटाने के लिए नहीं है
अधिकांश लोग सोचते हैं कि उपवास का उद्देश्य सिर्फ वजन घटाना या पाचन तंत्र को आराम देना है।
लेकिन असली “जादू” हमारे शरीर के सेलुलर स्तर पर होता है, जिसे ऑटोफैजी (Autophagy) कहा जाता है।

ऑटोफैजी: मस्तिष्क की सफाई प्रक्रिया
ऑटोफैजी आपके मस्तिष्क की अंदरूनी डिटॉक्स मोड है।
यह खराब सेल्स, टूटी हुई माइटोकॉन्ड्रिया, और उन प्रोटीन को साफ करती है जो अल्ज़ाइमर, थकान और डिप्रेशन से जुड़े होते हैं।

आप सिर्फ खाना नहीं छोड़ रहे—आप मानसिक कचरे को हटा रहे हैं।

72 घंटे का उपवास क्या करता है?
तीन दिन का उपवास मस्तिष्क के लिए एक गहन मरम्मत प्रक्रिया की तरह है।
इस दौरान सक्रिय होता है BDNF (Brain-Derived Neurotrophic Factor)—एक हार्मोन जो नई न्यूरॉन्स बनाने में मदद करता है:

याददाश्त तेज करता है

मूड बेहतर करता है

न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचाव करता है

उपवास कैसे करें: चरण-दर-चरण
🔹 शुरू करने से पहले (2–3 दिन की तैयारी)
16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाएं

कार्ब्स कम करें, हेल्दी फैट्स बढ़ाएं

नींद और पानी पर ध्यान दें

यह सब शरीर को धीरे-धीरे कीटोसिस में प्रवेश करने में मदद करेगा और पहले दिन की तकलीफ़ को कम करेगा।

🥇 दिन 1: मानसिक क्रैश
आपका मस्तिष्क घबरा जाता है।
खाने का मतलब होता है डोपामिन—अब वो नहीं मिल रहा।

आप चिड़चिड़े, थके हुए और बेचैन महसूस करेंगे।
यह असफलता नहीं है—यह विथड्रॉअल है।

👉 यह वही समय है जब मस्तिष्क की लत टूटती है।
हाइड्रेट रहें, टहलें, स्क्रीन से दूर रहें।

🥈 दिन 2: स्विच ऑन
अब आपका शरीर फैट को जलाने लगता है।
कीटोसिस शुरू होती है।

आपका मस्तिष्क अब शुगर की जगह कीटोन्स से ऊर्जा लेने लगता है:

मानसिक स्पष्टता

भूख कम

चिंता में राहत

👉 अब आप टूट नहीं रहे—आप रीसेट हो रहे हैं।

🥉 दिन 3: ब्रेन रिबूट
यह वह स्तर है जहां अधिकांश लोग पहुंच ही नहीं पाते।

आप शांत, केंद्रित, सतर्क और यहां तक कि हल्की-सी यूफोरिया (आनंदानुभूति) महसूस करते हैं।

कोई दवा नहीं

कोई ऐप नहीं

सिर्फ बायोलॉजी

👉 अब आपका मस्तिष्क खुद को साफ कर रहा है।
BDNF तेजी से बढ़ रहा है—यही आपकी याददाश्त, मूड और लर्निंग को सुधारता है।

72 घंटे बाद आपको क्या महसूस होगा:
आंतरिक शांति

तेज़ सोच

बाहरी व्याकुलताओं से दूरी

संतुलित डोपामिन स्तर

अब आप प्रतिक्रिया देना बंद करते हैं—और चुनाव करना शुरू करते हैं।

उपवास का असली लाभ क्या है?
लोग सोचते हैं उपवास भोजन का त्याग है,
लेकिन असली परिवर्तन मस्तिष्क में होता है।

यह आपके तनाव प्रतिक्रिया तंत्र को रीसेट करता है।

सोचिए:
अगर आप ओवरस्टिम्युलेशन से मुक्त हो जाएं तो आप क्या बन सकते हैं?

क्या खा सकते हैं 72 घंटे के उपवास में?
शुद्ध पानी (सादा या स्पार्कलिंग)

ब्लैक कॉफ़ी (बिना चीनी या क्रीम)

सादा हर्बल या ग्रीन टी

इलेक्ट्रोलाइट्स (बिना मिठास)

👉 शुद्ध उपवास करने वाले सिर्फ पानी लेते हैं।

उपवास तोड़ना कैसे है?
सूप से शुरुआत करें

1 घंटे बाद—1-2 फल , सलाद या एवोकाडो लें

फिर 1 घंटे बाद—एक छोटा प्रोटीन और फैट वाला भोजन

कम से कम 24 घंटे तक कार्ब्स, चीनी और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें

अनुभव से सीखा गया:
"पहली बार 72 घंटे का उपवास करना कठिन होता है।
दूसरी बार चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन संभाल सकते हैं।
तीसरी बार, आपको खुद हैरानी होगी कि यह कितना आसान लगता है।"

👉 शरीर सीखता है, और हर बार यह आसान होता जाता है।

और सबसे अच्छी बात?
लाभ धीरे-धीरे बढ़ते हैं।

निष्कर्ष:
72 घंटे का उपवास सिर्फ उपवास नहीं है—यह मस्तिष्क की मरम्मत है।
यह एक नशे से बाहर निकलने, मानसिक स्पष्टता पाने और जीवन में फिर से नियंत्रण पाने का तरीका है।

अगर आपने ये आजमाया हो तो दूसरों के साथ भी सांझा करें

कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ रहे एक बच्चे ने , सरस्वती विद्यालय में पढ़ रहे बच्चे से पूछा  "आप गाय को गौमाता क्यों कहते हैं..?? ...
31/05/2025

कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ रहे एक बच्चे ने , सरस्वती विद्यालय में पढ़ रहे बच्चे से पूछा "आप गाय को गौमाता क्यों कहते हैं..?? क्या गाय ने आपको जन्म दिया है..??"

बच्चे ने प्रतिप्रश्न किया :- तुम रोज़ स्कूल जाते हो और पादरी को फादर कहते हो , क्या वह तुम्हारी माँ का पति है..?? 😂🔥

एक और भारतरत्न बच गया
31/05/2025

एक और भारतरत्न बच गया

डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पाते जिन रोगों को, उनके लिए संजीवनी बूटी है मकोय का फल......।लते समय के साथ बीमारियां भी बदलने लग ...
31/05/2025

डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पाते जिन रोगों को, उनके लिए संजीवनी बूटी है मकोय का फल......।

लते समय के साथ बीमारियां भी बदलने लग गई हैं, आज के टेक्नोलोजी वाले समय में ऐसी कई बीमारियां हैं जिनका इलाज डॉक्टर के पास भी नहीं होता है. लेकिन जिन बीमारियों का इलाज हमारे डॉक्टर नहीं कर सकते उनका इलाज हमारी औषधियों द्वारा संभव हो जाता है l

आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे मे बताएँगे जिसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है. यह फल काफी दुर्गम परिस्थितियों में पाया जाता है, जिस कारण इसे प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है.

शुगर :- जिन व्यक्तियों को शुगर की समस्या हैं, वह मकोई के सूखे फलों का एक चम्मच चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ पिये.

किडनी :- मकोय का पाउडर ओर सब्जी किडनी के लिए फायदेमंद होती है, जिन व्यक्तियों को किडनी की समस्या होती है उन्हे हफ्ते में कम से एक बार इस सब्जी को जरूर खानी चाहिए.

लिवर :- लीवर की समस्या से परेशान व्यक्तियों को मकोई के हरे फलों को निचोड़ कर उसके एक चम्मच रस को सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पीए,,,।।

आज बहुत मात्रा में मकोय काकमाची देखी और सेवन भी किया गुर्दो के लिए सरीर पर सूजन के लिए खूनी बाबासीर के लिए खुजली के लिए बहुत ही रामबाण औषधि है ये पहले गुर्दो की बीमारी कहा देखने को मिलती थी आज कल 25 से 30 साल के युवा की गुर्दो की समस्या से परेशान है इसके 1 महीना सेवन से गुर्दे एक दम नए हो जाते है आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।
- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।
- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों को दूर करता है।
- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।
- यह सूजन और दर्द को दूर करता है।
- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .
- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।
- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।
- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।
- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।

अथ काकमाची द्रव्यगुणं प्रतिपद्ये
काकमाची (मकोय) : यकृत ( liver ) रोगों की निःशुल्क दिव्य औषधि
मकोय का शाक एक दिव्यौषधी है जो प्रायः खेतों और सडकों के किनारे स्वयमेव उत्पन्न होता है . इसके श्वेत पुष्प और पत्र मिर्च के तादृश, पौधे की ऊँचाई लगभग तीन फीट होती है .कच्चे फल हरे और पकने पर नारंगी या गहरे नीले गुच्छों में लगते हैं . ग्रामीण लोग प्रायः इसका अकेले या दूसरे पालक , सरसों आदि के साथ शाक बनाकर खाते हैं . फल मीठे होते हैं अतः बच्चे बड़े प्रायः खाते हैं . कच्चे फल कडुवे और उपविष हैं .
काकमाची ( मकोय) के आयुर्वेदिक गुण : काकमाची कटु, तिक्त, अनुष्ण, स्निग्ध, त्रिदोष नाशक है . यह श्वांस रोग, अर्श , कुष्ठ , प्रमेह , ज्वर , वमन , हिचकी, शूल, शोथ,शोफ ( सूजन , पानीदार छाले) और यकृत रोगों का नाशक है . स्वर शोधक , हृद्य , चाक्षुष्य , वीर्य जनक , रसायन है .
मात्रा : स्वरस 10-20 मिली . फल चूर्ण - 1-3 ग्राम , क्वाथ - 20-50 मिली

मकोय के औषधीय गुण :
1 * यकृत ( लीवर ) रोग : यकृत की क्रिया बिगड़ने से अनेक उपद्रव यथा: सूजन,पतले दस्त,व पीलिया बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं. इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है. यह रोग क्रमशः समाप्त हो जाते हैं. मकोय के पत्तों के 10-20 मिली . रस के सेवन से विषाक्त द्रव्य, मूत्रादि द्वारा बाहर निकल जाते हैं.
2 * शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है.
3 * खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है.
4 * हृदय रोग, जलोदर में इसके पके फल या पत्तों का क्वाथ देने से रोग मिट जाता है

★ बहुत प्यारी चमत्कारी औष्धि “मकोय” “काकमाची”★
यकृत आपके अनीयमित खानपान,शराब आदि का ज्यादा सेवन,शहरी जीवन शैली,तनाव व काम की अधिकता,निराशा आदि के कारण रोग ग्रसित होता है वैसे इसकी कार्य क्षमता इतनी है कि इसका 10प्रतिशत भाग भी सही रहै तो यह काम करता रहेगा।

ध्यान दें कि आपके शरीर के दो ही अंग हैं जिन पर खानपान व जीवन शैली का गंभीर प्रभाव पड़ता है।
जिनमें पहला है यकृत और दूसरा हृदय जिसे दिल भी कहते हैं।

इन दोनों अंगों में रोग हो जाने पर विशेष बात यह है कि हजार रुपये से कम में तो बात बनती नही और लाखों लग जाए इसकी संभावना भी कम नही। सो भइया आयुर्वेद का कहना मानो उसका नीति श्लोक है कि 'चिकित्सा से परहैज बेहतर' अर्थात जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ रोग का इलाज है। उन कारणों का विनाश करो जिनसे रोग की उत्पत्ति हुयी है । सो अपनी जीवनचर्या एेसी बनाओ कि रोग पास ही न फटकें ।लेकिन जब रोग हो ही गया है तो चिकित्सा तो करनी ही पड़ेगी।प्रकृति ने हमें अनेकों औषधियाँ प्रदान की हैं जो प्रयोग करने पर हमारे रोगों को दूर कर सकती हैं इनमें कुछ तो एेसी है कि जिन्हे हम अनजाने में घास कूड़ा समझते है और आजकल के वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान के छात्रों को भी खरपतबार नाम बताकर भारतीय चिकित्सा विज्ञान में प्रमाणित औषधियों का विनाश करा दिया है।अब समय आ गया है जबकि हमें इनकी उपयोगिता को समझना होगा जिससे दिव्य औषधियां समाप्त न हो जाऐं ।

यह मिर्च के पौधे जैसा पोधा होता है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 3 फिट के लगभग हो सकती है।इस पर फूल भी लगभग मिर्च जैसा ही आता है और मिर्च जैसी डालियाँ भी होती हैं इसके फल छोटे - छोटे तथा समूह में होते है ये गोल- गोल होते हैं पकने पर लाल हो जाते हैं तथा बाद में काले हो जाते हैं।इसके पुष्प मिर्च जैसे तथा छोटे छोटे सफेद रंग के होते हैं।

मकोय के गुण व प्रभाव-
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मकोय या काकमाची त्रिदोषनाशक अर्थात वात,पित्त व कफ तीनो दोषों का शमन करने वाला है।यह तिक्त अर्थात कड़ुवा स्वाद रखने वाली तथा इसकी प्रकृति गर्म,स्निग्ध,स्वर शोधक,रसायन,वीर्य जनक,कोढ़,बवासीर,ज्वर,प्रमेह,हिचकी,वमन को दूर करने वाला तथा नेत्रों को हितकर औषधि है।यह यकृत व हृदय के रोगो को हरने वाली औषधि है।यकृत की क्रिया विधि जब विगड़ जाती है तो शरीर में अनेक उपद्रव यथा सूजन,पतले दस्त,व पीलिया जैसे रोगो के अलाबा कई बार बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं।इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है।यह औषधि यकृत की क्रियाविधि को धीरे धीरे सुद्रढ़ करके रोग का विनाश कर देती है।इस औषधि के प्रयोग से यकृत संवंधी रोग धीमें धीमें समाप्त हो जाते हैं।इस औषधि के पत्तों का रस आँतों में पहुँचकर वहाँ इकठ्ठे विषों का विनाश कर देता है तथा पेशाब द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है।
शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है।

खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है।

हृदय रोग में इसके फल देने से रोग मिट जाता है।

जलोदर रोग में मकोय के फल देने से रोग मिटने लगता है।

नेत्रों के रोगों में भी इस औषधि मकोय का प्रयोग बहुत ही हितकारी है।

अब इतना बता देने पर इसके रस की महिमा आपको पता चल गयी होगी।मकोय का रस तिल्ली की सूजन,यकृत की सूजन,यकृत के पुराने से पुराने रोग को मिटाने की ताकत रखता है।

मकोय का रस तैयार करने की विधि नीचे दे रहा हूँ।

मकोय का रस तैयार करना:-
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मकोय का रस निकाल कर उसे मिट्टी के बर्तन में भरकर धीमी अग्नि पर गर्म करें,धीरे धीरे उसका हरा रंग बादामी रंग में बदल जाता है,तब इसे उतार कर छान लें।

इस प्रकार तैयार रस को 100-150 ग्राम की मात्रा में लेने पर यकृत के रोग, बड़ी हुयी तिल्ली, हृदय संबंधी रोग दूर होने लगते हैं।यदि शरीर में खुजली की शिकायत हो तथा वह मिट नही रही हो।तो मकोय के रस की 25 से 50 ग्राम की मात्रा लेते रहने से यह मिट जाऐगी।इससे शरीर का रक्त शुद्ध हो जाता है।और रक्त से जुड़े सभी रोग मिट जाते हैं।किसी चिकित्सक के सानिध्य में मकोय का रस लेते रहने पर गठिया,संधिवात,प्रमेह,कफ,जलोदर,सूजन,बवासीर,यकृत और तिल्ली के रोगों को मिटाया जा सकता है।हृदय रोग में इसके काले फल देने से मूत्र ज्यादा मात्रा में लाकर तथा पसीना लाकर यह रोगी को आराम प्रदान कर देता है। इसका प्रयोग एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग से उत्पन्न रिऐक्सन में भी फायदा करता है।

मकोय की गोली या कैपसूल “ मकोय घनसत ”
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मकोय के साफ स्वच्छ पत्तो को अच्छे से धोकर कूटकर जूसर से रस निकाल लें । मिट्टी के बर्तन में डालकर लकड़ी की अग्नि पर रख दें । आग धीमी -धीमी ही रखे। रस दूध की तरह फटेगा । बीच - बीच लकड़ी के डंडे से हिलाते रहे ।धीरे -धीरे पानी सूखने लगेगा । चटनी जैसा बनने लगेगा। ध्यान रखें । नीचे न लगने दें । लकड़ी की कलछी की सहायता से पलटते रहे । जब सूख जाएं गोली बांधने लायक हो जाए। तो नीचे उतारकर ठंडा होने पर हाथों पर कोई भी तेल हल्का सा चुपड़कर ½-½ ग्राम की गोली बांध लें । अगर कैपसूल बनाना चाहे तो धूप में सुखाकर पाउडर करके 500 मिलीग्राम के कैपसूल में भर सकते है ।
सुबह दोपहर शाम पानी से 1 से 4 गोली या कैपसूल ।
रोग के अनुसार लेवें । उपरोक्त रोगों में सफल लाभकारी । कई वर्षों से अपनी चिकित्सा में प्रयोग कर सैकड़ों रोगियों को लाभ पहुँचाया है । यह मेरा अनुभूत प्रयोग है ।

मकोय के काले फल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते है । गांव के लोग बड़े चाव से खाते है , ज्यादातर वही जो खेती से जुड़े किसान या उनके बच्चे है , लेकिन आजकल गांवो या शहरी बच्चे जो अंग्रेजी स्कूल में पढ़े लिखे है वो बरगर, पीजा , पास्ता वगैरा ही पसंद करते है । ऐसी चीजों पर ध्यान कम ही देते है । मैं भी गांवो में रहकर पढ़ लिख कर जवान हुआ हुं । खेती से संबंध रखता हुं । मैंने यह फल खूब खाएं है , गांव का हर रंग यादों में बसा है। मेरा काम तो वैद्य का है , जितनी जानकारी है लोगों को देने की कोशिश करता हुं ।

इसके पत्ते वैसे भी चबा कर खा सकते है । चटनी के रूप में या आलू के साथ भुर्जी बनाकर सब्जी के रूप भी खाया जा सकता है ।

इसका बना बनाया “मकोय अर्क” आयुर्वेद स्टोर पर आसानी से मिल जाता है । यानि कि कोई भी यह अफसोस जाहिर ही नही कर सकता कि मैं इसका सेवन नही कर पाया । अत: आप किसी भी रूप में इस्तेमाल कर सकते है । बच्चे बूढ़े जवान इसका अर्क बेखोफ होकर इस्तेमाल करें ।

इसलिए कहते है गीता पढ़ो और शास्त्र एवं शस्त्र की धार बनाए रखे। हर बार भगवान धरती पर नहीं आएंगे
30/05/2025

इसलिए कहते है गीता पढ़ो और शास्त्र एवं शस्त्र की धार बनाए रखे।

हर बार भगवान धरती पर नहीं आएंगे

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DEVINE PERSON SHRI RAM - MARYADAPURSHOTAM

In Indian history, Maryadapurshotam Ram is considered as a living god with supreme power. He lived his entire life like normal person and set benchmark, person with his great deeds , can attain supremacy.

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