
16/07/2025
बेशक!
सुकून की तलाश हर इंसान की फितरत में है। हम सब ज़िन्दगी के शोर, परेशानियों, उलझनों, और दुनियावी मशग़लों में सुकून ढूंढते फिरते हैं — कभी रिश्तों में, कभी माल-ओ-दौलत में, कभी कामयाबी में, लेकिन असली सुकून कहीं और ही छुपा है।
❖ सुकून कहाँ है?
क़ुरआन-ए-मजीद की एक आयत में अल्लाह तआला साफ़ फ़रमाता है:
“أَلَا بِذِكْرِ اللَّهِ تَطْمَئِنُّ الْقُلُوبُ”
“ख़बरदार! अल्लाह के ज़िक्र से ही दिल इत्मिनान पाते हैं।”
(सूरह रअद, आयत 28)
ये आयत हमारी ज़िन्दगी का नक्शा बदल सकती है। अल्लाह तआला हमें बता रहा है कि दिलों का सुकून न किसी इंसान के पास है, न दौलत में, न शोहरत में, बल्के सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह के ज़िक्र में है।
❖ अल्लाह का ज़िक्र क्या है?
अल्लाह का ज़िक्र सिर्फ़ ज़बान से “सुब्हानअल्लाह”, “अल्हम्दुलिल्लाह”, “अल्लाहु अकबर” कहना नहीं — बल्कि ये दिल की हालत है, जहाँ इंसान हर वक़्त अल्लाह को याद रखता है:
• नमाज़ के ज़रिये
• तस्बीह के ज़रिये
• कुरआन की तिलावत से
• और सबसे बढ़कर… जब इंसान दुनिया के कामों में भी अल्लाह को शामिल रखता है।
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❖ सुकून का दूसरा रास्ता — दरूद शरीफ़
रसूलुल्लाह ﷺ पर दरूद भेजना एक ऐसी इबादत है जो इंसान की रूह को नूरानी कर देती है।
हदीस शरीफ़ में आता है:
“जो शख़्स मुझ पर एक बार दरूद भेजता है, अल्लाह उस पर दस रहमतें नाज़िल करता है।”
(सहीह मुस्लिम)
हर दरूद:
• हमारी मुसीबतें दूर करता है
• हमारे गुनाहों का कफ्फ़ारा बनता है
• और सबसे अहम — दिल को सुकून देता है
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❖ क्यों सुकून वहीं है?
क्योंकि:
• जब आप अल्लाह को याद करते हैं, तो आपको यक़ीन आता है कि आप अकेले नहीं हैं।
• जब आप दरूद पढ़ते हैं, तो नबी ﷺ की मोहब्बत से दिल भर जाता है — और मोहब्बत में दर्द भी सुकून बन जाता है।
• जब आप अल्लाह के सामने सजदा करते हैं, तो दुनिया की बड़ी से बड़ी परेशानी भी छोटी लगती है।