28/09/2024
परेशानी ये नहीं है कि कोसी में 6 लाख क्यूसेक से अधिक जल प्रवाह की आशंका है, दिक्कत ये है कि गंगा भी उफान पर है। कोसी नदी कुरसेला के पास गंगा में मिलती है। गंगा नदी जब लबालब होती है तो मुहाने के पास अन्य नदियों के पानी का बहाव गंगा में बहुत मुश्किल से होता है। जब कोसी में भी जल का भारी मात्रा में बहाव होगा तो ये पानी गंगा में बहुत मुश्किल से बहेगा।
नतीजा यह होगा कि रिवर्स वाटर कुरसेला से ले कर नवगछिया, चौसा, आलमनगर, बिहपुर यानी कटिहार, पूर्णिया,किशनगंज,मधेपुरा, भागलपुर और खगड़िया जिले में कोसी के पानी का फैलाव होगा। नतीजतन नए क्षेत्र में भी जलभराव की आशंका है।
रही बात कोसी के तटबंध पर दवाब पड़ने की, तो मेरे विचार से 2008 के बाद तटबंध की मजबूती पर बहुत काम हुआ है। इसलिए 6 लाख क्यूसेक से अधिक के बहाव से फिलहाल तटबंधों को शायद ही नुकसान होगा। वहीं इंजीनियरों की टीम भी तटबंध पर मुस्तैद है। अतः कंट्री साइड में घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
आपको याद होगा कि एक बार नेपाल में कोसी नदी की स्रोत धाराओं में से एक नदी पर भू स्खलन के कारण कृत्रिम झील बन गई थी। उस वक्त भी नदी के रास्ते को खोलते समय इसी तरह भारी मात्रा में जल प्रवाह के खतरे की आशंका जताते हुए एलर्ट जारी किया गया था। लेकिन हुआ कुछ नहीं। 6 लाख से अधिक जल प्रवाह कब प्रवाहित हो गया, पता भी नहीं चल।
अतः घबराएं नहीं। हां, सावधान जरूर रहना चाहिए। बाँकि जाने कोसी मैया और महादेव 🙏🙏