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MP Politics: गुटबाजी की बात इसलिए भी उजागर हो रही है क्योंकि बीते दिनों केंद्र में शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर इंदौर में...
12/06/2024

MP Politics: गुटबाजी की बात इसलिए भी उजागर हो रही है क्योंकि बीते दिनों केंद्र में शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर इंदौर में आतिशबाजी की गई थी. मनोज पटेल शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थक है ।

Jyotiraditya Scindia- Shivraj Singh Chouhan Faction: मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है. पीएम मोदी की नई कैबिनेट में सभी मंत्रियों ने पदभार संभाल लिया है और काम में जुट गए हैं. पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश के लिहाज से दो बड़े चेहरे नजर आए. एक चेहरा बिल्कुल नया है जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. ये हैं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान.

शिवराज सिंह चौहान का नाम देश के ज्यादातर लोगों की जुबान पर चढ़ा है क्योंकि वह पिछले 18 साल से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद दूसरा नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया का. शिवराज और सिंधिया दोनों को पावरफुल मंत्रालय दे दिए गए हैं.

मध्य प्रदेश में गुटबाजी के आसार-
सांसद शिवराज सिंह चौहान के पास कृषि मंत्रालय है और उन्हें देश की कृषि और किसान की आय को आगे बढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है. केंद्र में इन नेताओं का कद बढ़ाने के बाद मध्य प्रदेश में गुटबाजी के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि इन दोनों के ऐसे तमाम समर्थक हैं जो सरकार और संगठन दोनों में शामिल हैं.

इधर मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके समर्थकों का गुट अलग बन चुका है. मध्य प्रदेश की राजनीति को जमीनी स्तर से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार हरीश वर्मा बताते हैं कि जब मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं लिया गया, तो ये चर्चा होने लगी कि उनके लिए केंद्र में भूमिका तय की गई है.

सीएम पद से हटने के बाद मायूस थे शिवराज सिंह चौहान?
इसके अलावा, ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना की सीट से चुनाव लड़वाने का अर्थ था कि उन्हें पीएम मोदी फिर से केंद्र में देखना चाहते हैं. इन दोनों बड़े नेताओं के दिल्ली जाने के बाद और एक बड़े मंत्रालय मिलने के बाद इनकी पॉलिटिकल पावर निश्चित ही बढ़ी है.

वहीं, प्रदेश में लगातार 18 साल सीएम की कुर्सी संभालने वाले शिवराज को कृषि और सिंधिया को दूर संचालन मंत्रालय दिया गया है. आपको बता दें कि जब शिवराज को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था तो वह मायूस हो गए थे लेकिन कुछ समय के बाद उनका चेहरा पहले की तरह खिल गया.

मध्य प्रदेश में क्यों हो रही गुटबाजी की चर्चा?
गुटबाजी की बात इसलिए भी उजागर हो रही है क्योंकि बीते दिनों केंद्र में शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर इंदौर में आतिशबाजी की गई थी. शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थक माने जाने वाले देपालपुर के विधायक मनोज पटेल ने ये आतिशबाजी की थी. मनोज पटेल शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थक हैं और उनके साए में ही राजनीति करते आए हैं.

मनोज पटेल का टिकट शिवराज सिंह चौहान ने ही फाइनल करवाया था. इसलिए मनोज को शिवराज गुट का माना जाता है. लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि मनोज पटेल ने उस दिन तकरीबन 1.5 लाख रुपये के पटाखे भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर जला दिए.

इंदौर में गोलू शुक्ला, मालिनी गोड़, महेंद्र हडिया, मधु वर्मा जैसे विधायक शिवराज खेमे से ही माने जाते हैं. इसके अलावा, सिंधिया समर्थकों की बात करें तो इंदौर में कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट सिंधिया समर्थक हैं और मध्य प्रदेश में ताकतवर नेता हैं. वही, इंदौर नगर निगम में कुछ पार्षद और बीजेपी में कुछ पदाधिकारी भी सिंधिया समर्थक नजर आते हैं.

सीएम मोहन यादव समर्थकों का भी बन रहा गुट-
इन सब से अलग मध्य प्रदेश में एक नया गुट भी बनता नजर आ रहा है जो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का है. पत्रकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के समर्थकों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अब मध्य प्रदेश में शिवराज, सिंधिया और मोहन यादव के अलग-अलग गुट बनना शुरू हो चुका है. मध्य प्रदेश में अब मुख्यतः तीन प्रकार के नेताओं के गुट नजर आने वाले हैं जिनमें उपरोक्त नेताओं के नाम शामिल है ।

साभार- ABP NEWS

सोशल मीडिया से हटा सकते हैं 'मोदी का परिवार', PM ने समर्थकों से क्यों की ये अपील?Modi Ka Parivar Campaign: लोकसभा चुनाव ...
11/06/2024

सोशल मीडिया से हटा सकते हैं 'मोदी का परिवार', PM ने समर्थकों से क्यों की ये अपील?

Modi Ka Parivar Campaign: लोकसभा चुनाव के समय चलाए गए इस कैंपेन के तहत बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपने नाम के आगे 'मोदी का परिवार' जोड़ा था.
Modi Ka Parivar: लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं की ओर से चलाए गए 'मोदी का परिवार' अभियान को लेकर पीएम मोदी ने धन्यवाद दिया. उन्होंने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट में बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों का शुक्रिया अदा करते हुए खास अपील भी की.
पीएम मोदी ने लिखा, 'चुनाव प्रचार के दौरान, पूरे भारत में लोगों ने मेरे प्रति स्नेह के प्रतीक के रूप में अपने सोशल मीडिया पर 'मोदी का परिवार' जोड़ा. इससे मुझे बहुत ताकत मिली. भारत के लोगों ने एनडीए को लगातार तीसरी बार बहुमत दिया है, जो एक तरह का रिकॉर्ड है, और हमें अपने देश की बेहतरी के लिए काम करते रहने का जनादेश दिया है.'

पीएम मोदी ने समर्थकों से की ये अपील
उन्होंने आगे कहा, 'हम सभी एक परिवार हैं, यह संदेश प्रभावी ढंग से पहुंचाए जाने के बाद, मैं एक बार फिर भारत के लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा और अनुरोध करूंगा कि अब आप अपने सोशल मीडिया से 'मोदी का परिवार' हटा सकते हैं. डिस्प्ले नाम बदल सकता है, लेकिन भारत की प्रगति के लिए प्रयास करने वाले एक परिवार के रूप में हमारा बंधन मजबूत और अटूट है.'

लालू यादव के बयान के बाद शुरू हुआ था अभियान
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने पीएम मोदी को लेकर एक टिप्पणी की थी. जिसके बाद बीजेपी और पीएम मोदी के समर्थकों ने ये अभियान चलाया था.

बीजेपी नेताओं ने नाम के साथ जोड़ा 'मोदी का परिवार'
लालू प्रसाद ने तंज कसते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपना कोई परिवार नहीं है. इसका जवाब देते हुए बीजेपी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपने नाम के नाम 'मोदी का परिवार' लिखा था. पीएम मोदी ने रविवार को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. जिसके बाद आज उन्होंने अपने समर्थकों से 'मोदी का परिवार' हटाने की अपील की.

शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा सीट पर कौन होगा उम्मीदवार? मंत्री बनते ही इन नामों की चर्चा तेजShivraj Singh Chouhan News:...
11/06/2024

शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा सीट पर कौन होगा उम्मीदवार? मंत्री बनते ही इन नामों की चर्चा तेज

Shivraj Singh Chouhan News: बुधनी सीट से विधायक रहे शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री बन गए हैं. उनकी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. उम्मीदवार के तौर पर उनके बेटे कार्तिकेय का नाम भी सामने आ रहा है.

Budhni Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनकर अपनी विधानसभा सीट खाली कर दी है. इस विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उत्तराधिकारी कौन बनेगा? इसे लेकर कई नेताओं के नाम चर्चाओं में हैं. शिवराज सिंह चौहान के बेटे भी विधायक पद की दौड़ में शामिल माने जा रहे हैं.

नवनिर्वाचित सांसद और मंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधनी सीट अब खाली हो गई है. इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. ऐसे में कई नेताओं के नाम सुर्खियों में हैं. वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन के मुताबिक, विधायक उम्मीदवार के तौर पर राजेंद्र सिंह राजपूत का नाम भी सामने आ रहा है. बीजेपी के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत वही नेता हैं जिन्होंने शिवराज सिंह चौहान के लिए बुधनी विधानसभा सीट को उस समय छोड़ दिया था जब वह मुख्यमंत्री बने थे.

वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा के अनुसार राजेंद्र सिंह राजपूत के अलावा बीजेपी के कद्दावर नेता रघुनाथ सिंह भाटी का नाम भी सुर्खियों में है. इन दोनों नाम के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे का नाम भी सामने आ रहा है. उनके पुत्र कार्तिकेय भी बुधनी विधानसभा सीट पर लगातार सक्रिय रहे हैं. हालांकि यह भी मुमकिन है कि परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए शिवराज सिंह चौहान के परिवार के किसी सदस्य को टिकट न दिया जाए.

पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को मिलेगा मौका?
विदिशा लोकसभा सीट पर इस बार सांसद रह चुके रमाकांत भार्गव का टिकट काट दिया गया. उनके स्थान पर शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतर गया. भार्गव पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. यह भी चर्चा है कि पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को भी बुधनी से विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. हालांकि, उनकी उम्र टिकट के आड़े भी आ सकती है. रमाकांत भार्गव की उम्र लगभग 70 वर्ष है.

शिवराज को कृषि मंत्रालयपीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी दी...
10/06/2024

शिवराज को कृषि मंत्रालय
पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। शिवराज को भारत का नया कृषि मंत्री बनाया गया है। वहीं, इसके अलावा शिवराज को किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्रालय को संभालने की भी जिम्मेदारी दी गई है।

07/06/2024
*पूर्व सीनियर ब्यूरोक्रेटस ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में चुनाव से पहले समान अवसर की कमी पर चिंता जताई**नई दिल्ली.* ‘कॉन...
12/04/2024

*पूर्व सीनियर ब्यूरोक्रेटस ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में चुनाव से पहले समान अवसर की कमी पर चिंता जताई*

*नई दिल्ली.* ‘कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वावधान में 87 पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह ने गुरुवार (11 अप्रैल) को *भारत के निर्वाचन आयोग* को पत्र लिखकर 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘ *समान अवसर की कमी’* को लेकर चिंता जताई है.रिपोर्ट के मुताबिक, समूह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य *नेताओं की गिरफ्तारी, कांग्रेस के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई,* टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा जैसे अन्य विपक्षी नेताओं के घरों और कार्यालयों पर *छापे और तलाशी* आदि का भी हवाला दिया है.

समूह ने कहा है कि वह इस बात से *‘बेहद चिंतित’* है कि *चुनाव आयोग* इस समय भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा *विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल को लेकर कार्रवाई नहीं कर रही है.* पत्र में *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई में आयोग की चुप्पी* का भी उल्लेख किया गया है.

*उनका पत्र इस प्रकार है:*

प्रिय *श्री राजीव कुमार/श्री ज्ञानेश कुमार/डॉ. एसएस संधू,*

हम पूर्व सिविल सेवकों का एक समूह हैं, जिन्होंने विभिन्न पदों पर केंद्र और राज्य सरकारों में सेवाएं दी हैं. *हमारा किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है* , लेकिन हम भारत के संविधान में निहित आदर्शों के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं.

11 मार्च 2024 को चुनाव पर्यवेक्षकों के रूप में नामित अधिकारियों के साथ भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए *समान अवसर सुनिश्चित करने* और *चुनावों को डर और प्रलोभन से मुक्त रखने* के महत्व पर जोर दिया था. उनके इस कथन के ठीक दस दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के कठोर प्रावधानों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें जमानत हासिल करना बेहद मुश्किल है.

हम आला पदों पर भ्रष्टाचार की जांच करने और दोषियों को दंडित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकार पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. हम इस गिरफ्तारी के समय को लेकर चिंतित हैं. आबकारी नीति मामले की जांच तेरह महीने से अधिक समय से चल रही है और आम आदमी पार्टी के दो प्रमुख नेता महीनों से हिरासत में हैं. संजय सिंह को हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया है, जबकि पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अभी भी जेल में हिरासत में हैं.

भले ही यह जांच एजेंसी का मामला हो कि केजरीवाल उनके सामने पेश होने के समन से बच रहे थे, लेकिन जरूरत पड़ने पर उनके आवास पर उनसे पूछताछ करने से उन्हें कोई नहीं रोक सका. एक वरिष्ठ विपक्षी राजनीतिक नेता की ऐसे समय में गिरफ्तारी जब लोकसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी थी और आदर्श आचार संहिता लागू थी, इसमें हमें *‘जानबूझकर की गई कार्रवाई’ की बू आ रही है.*

जैसा कि आज कई कानूनी विशेषज्ञ यह कहते नहीं थकते कि कानून को अपना काम करना चाहिए. लेकिन अगर 4 जून 2024 को चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई होती, तो आसमान नहीं गिर जाता! कोई भी इस मामले में यह समझ सकता है किसी नागरिक के जीवन के अधिकार से संबंधित आपराधिक जांच में तत्काल गिरफ्तारी की गारंटी दी जा सकती है. लेकिन ये एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति के मामले में लागू नहीं होती, जिसके भागने का जोखिम शायद ही हो और जिसके मामले में इतने महीनों तक चली जांच के बाद, सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना काफी कम हो.

सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी कोई अलग उदाहरण नहीं है. ये *आम चुनाव के ठीक पहले विपक्षी दलों और नेताओं के उत्पीड़न का एक और परेशान करने वाला पैटर्न लगता है,* जो एजेंसियों की मंशा पर सवाल उठाता है.

यह हैरान करने वाली बात है कि आयकर विभाग को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी दलों के पुराने आकलन को फिर से क्यों खोलना पड़ा, वह भी आम चुनाव से ठीक पहले. इस वक्त लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार, तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा से संबंधित परिसरों की तलाशी लेना और अन्य विपक्षी उम्मीदवारों को नोटिस जारी करना फिर से स्पष्टीकरण की अवहेलना करता है.

जांच पूरी करने और आरोप पत्र दाखिल करने में केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सुस्त रिकॉर्ड को देखते हुए इन मामलों को चुनिंदा तरीके से आगे बढ़ाने में अनुचित उत्साह इस संदेह को बढ़ाता है कि इसकी प्रेरणा केवल न्याय लागू करने की इच्छा से परे है.

इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद राजनीतिक पदाधिकारियों की गिरफ्तारी और राजनीतिक दलों का उत्पीड़न न केवल व्यक्तियों को अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत उनके *मौलिक अधिकार* के प्रयोग से वंचित करता है, बल्कि राजनीतिक दलों का ध्यान भी भटकाता है, जो अपने चुनाव अभियान के संचालन के प्राथमिक कार्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

पिछले महीने की घटनाओं के पैटर्न में ईसीआई द्वारा जनता के बढ़ते संदेह को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है, लेकिन ईसीआई चुप है जबकि *विपक्षी दलों को चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने की स्वतंत्रता से वंचित करने के लिए प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है.*

यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह जारी न रहे, हमारा विचार है कि जिस तरह राज्यों में पूरी सरकारी मशीनरी ईसीआई के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के तहत काम करती है, उसी तरह केंद्र सरकार के स्तर पर मशीनरी की गतिविधियां, विशेष रूप से कानून प्रवर्तन एजेंसियां, भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग के माध्यम से ईसीआई द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए. अन्यथा, यदि राज्य सरकार की कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​केंद्रीय एजेंसियों के समान दृष्टिकोण अपनाती हैं, तो परिणामी अराजकता पूरी चुनावी प्रक्रिया को गड़बड़ा देगी.

हम इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने में ईसीआई की विफलता से बहुत परेशान हैं. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रमुख विपक्षी दलों के सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल 21 मार्च 2024 को सीईसी और चुनाव आयुक्तों से मिला था. हालांकि, इस तरह की मनमानी कार्रवाइयों से सख्ती से निपटना तो दूर चुनाव आयोग ने इस संबंध में सावधानी को लेकर एक नोट भी जारी नहीं किया है.

हमारा समूह 2017 से चुनाव आयोग के साथ बातचीत कर रहा है और आपके पूर्ववर्तियों को कई पत्र भेजे हैं. पिछले पांच वर्षों में आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हमने देखा है कि चुनाव आयोग चुनावी बॉन्ड विरोध में अपने पहले के रुख से पीछे हट गया है. आयोग ने ईवीएम की अखंडता और वोटों की रिकॉर्डिंग में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए वीवीपैट का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की आवश्यकता के बारे में विचारशील जनता और राजनीतिक दलों के मन में संदेह को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है, यह मामला अब विचाराधीन है. *न ही आयोग विशेष रूप से सत्ता में पार्टी द्वारा इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए आदर्श आचार संहिता को लागू करने में प्रभावी रहा है.*

हमारे समूह ने 2019 के लोकसभा चुनावों में ऐसे कई उदाहरण बताए थे, लेकिन हल्की-फुल्की कार्रवाई के अलावा ईसीआई बार-बार उल्लंघन करने वालों पर अपना आदेश लागू करने में विफल रहा. *मौजूदा चुनावों में भी प्रधानमंत्री जैसे व्यक्ति द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर ईसीआई द्वारा कार्रवाई नहीं की गई है,* भले ही इसे उसके संज्ञान में लाया गया हो.

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत प्रदत्त विशाल शक्तियों के बावजूद चुनाव आयोग ने हाल के वर्षों में, विशेष रूप से *स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन* को प्रभावित करने वाले कार्यों से निपटने में एक अजीब शर्म दिखा रहा है. हम आयोग से आग्रह करते हैं कि वह पिछले सात दशकों में ईसीआई का नेतृत्व करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा दी गई शानदार विरासत’ को बनाए रखे.

आपसे उम्मीद की जाती है कि आप दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया की प्रतिष्ठा और पवित्रता बनाए रखने के लिए दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करेंगे.

*सत्यमेव जयते:*
गौरतलब है कि इन हस्ताक्षरकर्ताओं में पूर्व आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईएफओएस अधिकारी शामिल हैं. इसमें प्रमुख नाम पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, यूके में पूर्व उच्चायुक्त शिव शंकर मुखर्जी, पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो, पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विजयलता रेड्डी, पूर्व स्वास्थ्य सचिव के. सुजाता राव, कश्मीर पर पूर्व ओएसडी, पीएमओ, एएस दुलत, दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह आदी के हैं.

चुनाव लड़ने की  की अपनी शैली है। उनके लिए बच्चे अपनी गुल्लक देते हैं तो एक फूल बेचने वाली महिला ने अपनी अंगूठी उतार कर द...
21/03/2024

चुनाव लड़ने की

की अपनी शैली है। उनके लिए बच्चे अपनी गुल्लक देते हैं तो एक फूल बेचने वाली महिला ने अपनी अंगूठी उतार कर दे दी थी। मामा आज डेली अप-डाउनर्स से मिलने ट्रेन में सवार हो गए। स्टेशनों पर स्वागत और लाड़ली को दुलार भी होता रहा। शिवराज की जनसंपर्क शैली उस दौर में और प्रासंगिक है, जब चुनावी चंदे का शोर मचा है।

सवारी पर टिप्पणी करने वाले मामले में उज्जैन पुलिस कार्यवाहीप्रकरण दर्ज कर युवक को किया गिरफ्तारगैर जमानती धारा 505 (2) आ...
30/07/2023

सवारी पर टिप्पणी करने वाले मामले में उज्जैन पुलिस कार्यवाही
प्रकरण दर्ज कर युवक को किया गिरफ्तार
गैर जमानती धारा 505 (2) आईपीसी का अपराध पंजीबद्ध

उज्जैन । सवारी निकाल कर दिखाएं ऐसे कथन कहकर शहर का माहौल खराब करने का प्रयास करने वाले आरोपी के विरुद्ध तुरंत प्रकरण दर्ज कर आरोपी की पतारसी कर गिरफ्तारी करने एवम सख्त कार्रवाई करने हेतु श्री सचिन शर्मा पुलिस अधीक्षक उज्जैन द्वारा निर्देशित किया था।
अज्ञात युवक द्वारा सवारी निकाल कर दिखाने की बात कही जाने का वीडियो प्राप्त होने पर थाना माधवनगर पर आवेदक महेश तिवारी की रिपोर्ट पर गैर जमानती धारा 505 (2) आईपीसी का अपराध पंजीबद्ध किया गया था।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री आकाश भूरिया एवं सीएसपी श्री सचिन परते के मार्गदर्शन में आरोपी की पतारसी एवं गिरफ्तारी हेतु टीमें गठित की गई और वीडियो के आधार पर आरोपी की पहचान की गई और गिरफ्तारी हेतु आरोपी के रिश्तेदारों एवं संभावित स्थानों पर दबिश दी गई सूचना के आधार पर नागझिरी से आरोपी को गिरफ्तार किया गया और इस तरह का कथन किए जाने के संबंध में विस्तृत पूछताछ किए जाने के बाद आरोपी को न्यायालय पेश किया जाएगा।
इस कार्य में थाना प्रभारी माधव नगर TI मनीष लोधा, थाना प्रभारी महाकाल TI मुनेंद्र गौतम, SI रविंद्र कटारे, उप निरीक्षक प्रतीक यादव प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सूर्यवंशी की सराहनीय भूमिका रही

05/06/2023

ब्रेकिंग: प्रशासन ध्यान दे-* क्षिप्रा नदी पर लाउड स्पीकर से जो यात्रियों को निर्देश दिए जा रहे है उसमे कहा जा रहा है कि *"अपने बच्चों और बुढ्ढों को हाथ पकड़कर स्नान कराएं* " जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही है । कृपया इसे "अपने बच्चों और बुजुर्गों को..." करवाए ।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने उज्जैन के नागदा में मारा छापा। चार युवकों को हिरासत में लेकर एनआईए कर रही है पूछताछ। नागद...
21/02/2023

राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने उज्जैन के नागदा में मारा छापा। चार युवकों को हिरासत में लेकर एनआईए कर रही है पूछताछ। नागदा में एनआईए की कार्रवाई की उज्जैन एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने की पुष्टि।

उज्जैन जिले के
नागदा में एनआइए ने छापा मारा है । चार लोंगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। नागदा एनआईए की टीम कार्यवाही कर रही उजैन एसपी ने की पुष्टि ।
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एनआइए ने अपराधिक सिंडिकेट के खिलाफ मध्य प्रदेश समेत 8 राज्यों में 70 स्थानों पर कार्रवाई की है।
उज्जैन ।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआइए) ने अपराधिक सिंडिकेट के खिलाफ मध्य प्रदेश समेत 8 राज्यों में 70 स्थानों पर कार्रवाई की है। प्रदेश में उज्जैन जिले के नागदा के दुर्गापुरा इलाके से चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। एनआईए की टीम गिरफ्तार युवकों से पूछताछ कर रही है इनमें से एक का नाम दीपक भाटी बताया गया है, इससे दिल्ली के गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई से जुड़े मामले में पूछताछ की जा रही है। बताया जा रहा है कि पंजाब पुलिस मुख्यालय में राकेट दागने वाले लारेंस बिश्नोई गैंग के 11 आरोपियों में दो फरारी के दौरान उज्जैन और नागदा में रुके थे इसी आधार पर जांच के लिए टीम उज्जैन जिले के नागदा पहुंची और चार युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है । इस मामले में उज्जैन एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने बताया कि एनआईए की टीम उज्जैन जिले के नागदा में पहुंची है और कार्यवाही कर रही है हमसे स्थानीय पुलिस की मदद मांगी थी नागदा बिरलाग्राम थाना एनआईए टीम के साथ में मौजूद है ।

16/02/2023

महाकाल मंदिर में लाखों का घोटाला-फर्जीवाड़ा-भ्रष्टाचार की ख़बर
रैकेट/सिंडिकेट/गिरोह का खुलासा किया मंदिर प्रशासक ने एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल पर....कलेक्टर ने सिरे से नकारा घोटाले को

सिटीटीवी डेस्क न्यूज़
पत्रकार-अर्पण कुमार
उज्जैन । महाकाल मंदिर परिसर में महाकाल लोक बनने के बाद से ही श्रद्धालुओं की संख्या में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है, भाजपा की केंद्र और प्रदेश की सरकार ने महाकाल मंदिर व उज्जैन शहर की इंटरनेशनल ब्रांडिग पर भी पिछले कुछ वर्षों में अच्छा काम किया है, जिससे उज्जैन में पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है साथ ही शहर की अर्थव्यवस्था भी सुधरी है ।

विस्तार से -
महाकाल मंदिर में व्यवस्थाओं, प्रचलित निर्माण कार्य, महाकाल लोक, प्रशासनिक निर्णयों को लेकर भी अधिकारियों में श्रेय लेने की होड़ मची है । अधिकारी विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में पदस्थ होकर अपने आप को भी प्रसिद्ध करने का मौका नहीं चूक रहे,अधिकारी-कर्मचारियों को अवश्य स्मरण रहना चाहिए कि महाकाल मंदिर में महाकाल ने आपको अपनी सेवा का अवसर दिया है, पर कल जिस तरह प्रसिद्धि पाने की होड़ में मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने देश के जाने माने न्यूज़ चैनल पर जो खुलासा किया है जिसमे बताया गया कि महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल को लेकर प्रतिदिन 20 से 80 लाख रुपये का भष्टाचार हो रहा था, इस ख़बर में कितनी सत्यता है हम तो सिद्ध नहीं कर सकते पर इस राष्ट्रीय चैनल पर जो बयान और व्यक्तव्य मंदिर प्रशासक सोनी द्वारा दिए गए इससे कई प्रश्न खड़े होते है ?

गोदी मीडिया में प्रकाशित समाचार के अनुसार-

1. इतना बड़ा घोटाला- भष्टाचार मंदिर में हो रहा था तो अधिकारियों ने इस पर क्या कार्यवाही की ?
2. ख़बर प्रसारित करने वाले न्यूज़ चैनल की मानें तो एक गिरोह-सिंडिकेट इसके पीछे काम कर रहा था । जब प्रशासक सोनी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने कोई लिखित शिकायत कलेक्टर व पुलिस प्रशासन को क्यों नही की ?
3. रैकेट में तथाकथित कर्मचारियों-राजनैतिक दल के सदस्यों व कथित मीडियाकर्मियों का भी उल्लेख है, जो प्रोटोकॉल की आड़ में घोटाले को अंजाम दे रहे थे, इनके नामो का खुलासा प्रशासक सोनी ने क्यो नही किया ?
4. सोनी की मानें तो उक्त लोग जो इस प्रकार के सिंडिकेट में शामिल थे उनका पर्दाफाश होना आसान नहीं था। जब लोगो के नाम ही उजागर नहीं किये गए तो कौनसा पर्दाफाश ?

ऐसे कई प्रश्न है जो संदीप सोनी के बयान से खड़े होते है, विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के आय- व्यय में इस प्रकार का घोटाला हुआ है तो कलेक्टर क्यों नकार रहे घोटाले को ?

एक समाचार पत्र के पोर्टल की माने तो कलेक्टर ने घोटाले की बात को सिरे से नकार दिया है कहा है कि मंदिर में आय की वृद्धि हुई है कोई घोटाला नहीं हुआ पर यहां यह बात गौर करने लायक है कि कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम और प्रशासन संदीप सोनी दोनो के बयान विरोधाभासी है ।
कौन सही कौन गलत कह रहा है यह तो स्वयं महाकाल ही जाने पर अधिकारियों के इस प्रकार के बयान से मंदिर की व्यवस्थाओं छवि तो धूमिल हो रही है वहीं 2 दिन बाद शिवरात्रि का महापर्व है, शिवरात्रि पर देश- विदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में राजाधिराज महाकाल के दर्शन के लिए आते है उन पर अधिकारियों के इस प्रकार के अनर्गल बयानों से क्या प्रभाव पड़ेगा ?

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