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गुलज़ार साहब को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। #श्वेतवर्णा  #गुलज़ार
18/08/2025

गुलज़ार साहब को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

#श्वेतवर्णा #गुलज़ार

16/08/2025
श्वेतवर्णा की ओर से आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ! #श्वेतवर्णा   #स्वतंत्रतादिवस
15/08/2025

श्वेतवर्णा की ओर से आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

#श्वेतवर्णा #स्वतंत्रतादिवस

मैं कुछ नहीं लिखतामेरे हृदय मेंएक विरहिणी स्त्री रहती हैवो रो देती है, और मैं उसका दुखकाग़ज़ पर उकेर देता हूं~ रवीन्द्रनाथ...
14/08/2025

मैं कुछ नहीं लिखता
मेरे हृदय में
एक विरहिणी स्त्री रहती है
वो रो देती है, और मैं उसका दुख
काग़ज़ पर उकेर देता हूं

~ रवीन्द्रनाथ टैगोर

#श्वेतवर्णा #रवीन्द्रनाथटैगोर

श्वेतवर्णा शिपिंग नीति अपडेटप्रिय पाठक,पिछले 5 वर्षों से, श्वेतवर्णा ₹199/- या उससे अधिक (एमआरपी पर) की खरीद पर निःशुल्क...
13/08/2025

श्वेतवर्णा शिपिंग नीति अपडेट

प्रिय पाठक,

पिछले 5 वर्षों से, श्वेतवर्णा ₹199/- या उससे अधिक (एमआरपी पर) की खरीद पर निःशुल्क शिपिंग प्रदान करता आ रहा है। उस समय बुक पोस्ट और रजिस्टर्ड पोस्ट जैसी डाक सेवाओं की उपलब्धता के कारण यह सुविधा सुचारू रूप से संभव थी।

हालाँकि, वर्तमान परिस्थितियों में, इन सेवाओं का बंद हो जाना और लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि हमें अपनी शिपिंग नीति में संशोधन करने की आवश्यकता की ओर ले गया है।

निःशुल्क शिपिंग अब केवल ₹299/- या उससे अधिक (एमआरपी पर) की खरीद पर उपलब्ध होगी।

यह निर्णय सावधानीपूर्वक विचार के बाद लिया गया है ताकि हम आपको समय पर, सुरक्षित और उच्च-गुणवत्ता वाली डिलीवरी सेवाएँ लगातार प्रदान कर सकें।

हम आपके निरंतर विश्वास और सहयोग के लिए आभारी हैं और आशा करते हैं कि आप इस बदलाव को समझेंगे और समर्थन देंगे।

~ टीम श्वेतवर्णा

#श्वेतवर्णा

बिहार की चर्चित ग़ज़लकार नीलम श्रीवास्तव ने अपनी ग़ज़लों में सार्थक पठनीयता को बरकरार रखा है। इस संग्रह की ग़ज़लें आश्वस्त क...
13/08/2025

बिहार की चर्चित ग़ज़लकार नीलम श्रीवास्तव ने अपनी ग़ज़लों में सार्थक पठनीयता को बरकरार रखा है। इस संग्रह की ग़ज़लें आश्वस्त करती हैं। इनमें समकालीन विसंगतियों, प्रतिरोधी सोच का एक नया आयाम उद्घाटित होता है। नीलम जी विसंगतियों को सीमित करके नहीं देखतीं बल्कि उन्हें व्यापक परिप्रेक्ष्य और समग्रता में समझने पर बल देती हैं।
नीलम श्रीवास्तव अति संवेदनशील हैं। इनकी संवेदना मात्र कुछ व्यक्ति विशेष या क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि इनकी संवेदना के दायरे में सम्पूर्ण समाज आता है। इनकी संवेदना न तो भटकती है और न ही स्थानच्यूत होकर, आम की बजाय ख़ास में केंद्रित हो जाती है। यही कारण है कि संग्रह की ग़ज़लें बेहतर से बेहतर बन पड़ी हैं। कालगत संघर्ष, आत्मसंघर्ष के प्रभाव भीतरी परतों तक ग़ज़लों में सहज ढंग से अभिव्यक्त हुए हैं। इनकी भाषा में जो व्यग्रता, दग्धता और विक्षोभ चित्र हैं वे समकालीन हिंदी ग़ज़लों के मानकों पर सही उतरते हैं। बहर का निर्वाह भी सही-सही हो पाया है। इनकी ग़ज़लें दो स्तरों पर चलती हैं। एक तरफ़ जीवन है तो दूसरा उसका यथार्थ भी पीछे-पीछे चलता है। यही इनका परिवेश और इनकी संचित स्मृतियों की सबसे बड़ी पूँजी है।
इस प्रकार हम पातें हैं कि नीलम श्रीवास्तव की ग़ज़लें ग़ज़ल के भाव तथा कलापक्ष दोनों के प्रति सजग और सचेष्ट हैं।

- अनिरुद्ध सिन्हा

#श्वेतवर्णा #शीघ्रप्रकाश्य

श्वेतवर्णा परिवार की ओर से हरेराम समीप  को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!
13/08/2025

श्वेतवर्णा परिवार की ओर से हरेराम समीप को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!

हिंदी साहित्य का सत्तर प्रतिशत काव्य शृंगार पर आधारित है। दोहों में भी शृंगार की प्रचूरता प्रारम्भिक काल से ही देखने को ...
12/08/2025

हिंदी साहित्य का सत्तर प्रतिशत काव्य शृंगार पर आधारित है। दोहों में भी शृंगार की प्रचूरता प्रारम्भिक काल से ही देखने को मिलती है। इस परम्परा को महत्वपूर्ण आयाम तक पहुँचाने का कार्य ‘बिहारी’ ने किया। बाद के रचनाकारों ने भी विभिन्न भावों के शृंगारिक दोहे कहे हैं। एक तरफ जहाँ शृंगार के सफल वर्णन के नाम पर काम भाव के विकृत रूप को प्रस्तुत किया जा रहा है वहीं राजेश जैन ‘राही’ जैसे रचनाकार आज भी रसज्ञ और मर्मस्पर्शी दिखायी देते हैं।
अपने दोहों से चित्र वीथिकाएँ निर्मित करने वाले राजेश जी विभाव, अनुभाव, संचारी भावों की स्थूल और सूक्ष्म दशाओं के सजीव एवं स्वाभाविक चित्र प्रस्तुत करते हैं। नयी कहन, भंगिमा के साथ नवीन उपमानों का सार्थक प्रयोग, इनके दोहों को नवीनता प्रदान करता है। छवि चित्रण, भाव चित्रण के साथ-साथ संवाद शैली में भी उन्हें महारथ हासिल है। कहीं-कहीं विप्रलम्भ का भाव दोहों को और सुदृढ़ता प्रदान करता है।
जब कोई हृदय, प्रेम में होता है, उसे हर जगह, हर दिशा में, कण-कण में, प्रियतम दिखायी देता है। यही कारण है कि राजेश जी को आम ज़िंदगी की हर वस्तु में, ऋतुओं में, बाग़ में, बहार में, चाँद-तारों में, यहाँ तक कि बजट, नोट, अर्थशास्त्र में भी प्रियतम की छवि नज़र आती है।

-गरिमा सक्सेना

(खरीद लिंक कमेंट में)

#श्वेतवर्णा #नयीआमद

ओमप्रकाश यती का नाम हिंदी ग़ज़ल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रचनाकार के रूप में लिया जाता है। वास्तविकता और यथार्थ के धरात...
12/08/2025

ओमप्रकाश यती का नाम हिंदी ग़ज़ल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रचनाकार के रूप में लिया जाता है। वास्तविकता और यथार्थ के धरातल से उपजी उनकी ग़ज़लों ने हिन्दी ग़ज़ल को निरंतर समृद्ध किया है। उनकी ग़ज़लों की विस्तृत विवेचना प्रस्तुत करती हुई 378 पृष्ठों की एक पुस्तक 'ग़ज़लकार ओमप्रकाश यती, एक मूल्यांकन' भी आई है जिसमें उनकी ग़ज़लों पर सुपरिचित समालोचकों द्वारा लिखे गए 29 आलेख, उनके ग़ज़ल-संग्रहों की 12 समीक्षाएँ और उनके जीवन तथा ग़ज़ल-कर्म पर आधारित एक साक्षात्कार सम्मिलित है। इतना ही नहीं, 'गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति' को सही सिद्ध करते हुए वे पिछले कुछ वर्षों से हिन्दी ग़ज़ल की आलोचना के लिए भी कार्य कर रहे हैं।
हिन्दी ग़ज़ल की आलोचना को नवनिकष पर प्रस्तुत करते हुए वे व्यवस्थित और संकल्पित नज़र आते हैं। संग्रहों की समीक्षाओं, आलेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से उन्होंने हिन्दी ग़ज़ल के मानकों और कसौटियों की प्रतिपुष्टि की है। वे समसामयिक सृजन को आधार प्रदान करने और सृजन की उपादेयता की दिशा में भी प्रवृत्त दिखाई देते हैं।
अपने विस्तृत अनुभव के साथ ग़ज़ल विधा में सृजनरत यती जी जब आलोचक की भूमिका निभाते हैं तो रचना प्रकिया, उसके अंतर्भाव और नवाचार के साथ उसकी कमियों को भी इंगित करना नहीं भूलते हैं। अपने नीर-क्षीर विवेक के साथ कम शब्दों में गूढ़ता तक पहुँचना उन्हें आता है। निश्चित ही यह पुस्तक पाठकों, शोधार्थियों और ग़ज़लकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। शुभकामनाएँ...

शारदा सुमन
संयुक्त निदेशक - कविता कोश

(घर-आँगन की लघुकथाएँ)लघुकथा में कथानक हो या घटना-दुर्घटना, विस्तार नहीं दिया जा सकता। बावजूद इसके एक पूरी कहानी का कहा ज...
11/08/2025

(घर-आँगन की लघुकथाएँ)

लघुकथा में कथानक हो या घटना-दुर्घटना, विस्तार नहीं दिया जा सकता। बावजूद इसके एक पूरी कहानी का कहा जाना ज़रूरी होता है। एक सधे से बिन्दु पर पाठक को उसके विचार प्रवाह के साथ छोड़ देना होता है। कभी कोई प्रश्न उठाते तो कभी कोई सलाह देते हुए लघुकथा मन पर अपना प्रभाव छोड़ जाये, यही साहित्य की इस शैली का सबसे सुंदर पक्ष है। मेरा यह लघुकथा संग्रह ‘ड्योढ़ी से व्योम तक’ इंसानी मन-जीवन से जुड़े ऐसे ही कुछ दृश्यों को शब्दों में उतारने का प्रयास है। इन कहानियों में घर-परिवार से गगन तक उड़ान भरती मानवीय सम्वेदनाओं को समेटने की कोशिश की है।

– डॉ. मोनिका शर्मा

#श्वेतवर्णा #नयीआमद

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