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Kya aap log bhi kabhi Lucknow Chidiya Ghar Gye hain ya fir nahi coment me hame jarur bataye 🤔
06/12/2025

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🙏भगवद्गीता – अध्याय 5, श्लोक 22👉 संस्कृत श्लोक:ये हि संस्पर्शजा भोगा दुःखयोनय एव ते।आद्यन्तवन्तः कौन्तेय न तेषु रमते बुध...
01/12/2025

🙏भगवद्गीता – अध्याय 5, श्लोक 22

👉 संस्कृत श्लोक:
ये हि संस्पर्शजा भोगा दुःखयोनय एव ते।
आद्यन्तवन्तः कौन्तेय न तेषु रमते बुधः ॥५.२२॥

👉हिन्दी अनुवाद:

हे कौन्तेय (अर्जुन)
जो सुख इन्द्रियों के विषयों के स्पर्श से उत्पन्न होते हैं,
वे वास्तव में दुःख के ही कारण हैं।
क्योंकि वे आरंभ और अंत वाले (क्षणिक) होते हैं।
इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति उनमें आसक्ति नहीं रखता।

👉सरल अर्थ:

जो भी सुख शरीर और इंद्रियों से मिलता है—
जैसे स्वाद, रूप, स्पर्श, गंध, धन, भोग—
वे शुरू में अच्छा लगते हैं,
लेकिन अंत में दुख ही पैदा करते हैं।
क्योंकि वे क्षणिक हैं, टिकते नहीं।

इसलिए ज्ञानी व्यक्ति उनका दास नहीं बनता।

“सपने बड़े रखो, मेहनत उससे भी बड़ी—क्योंकि हौसला हो तो किस्मत भी झुक जाती है।” 🤔⚔️
30/11/2025

“सपने बड़े रखो, मेहनत उससे भी बड़ी—क्योंकि हौसला हो तो किस्मत भी झुक जाती है।” 🤔⚔️

संस्कृत श्लोक:न प्रहृष्येत् प्रियं प्राप्य नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम्।स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः ॥...
29/11/2025

संस्कृत श्लोक:
न प्रहृष्येत् प्रियं प्राप्य नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम्।
स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः ॥५.२०॥

हिन्दी अनुवाद:

जो प्रिय वस्तु मिलने पर अति प्रसन्न नहीं होता
और अप्रिय मिलने पर उद्विग्न भी नहीं होता,
जिसकी बुद्धि स्थिर है, जो मोह से रहित है —
वह ब्रह्म को जानने वाला, ब्रह्म में ही स्थित होता है

सरल अर्थ:

सच्चा योगी या ज्ञानी न तो सुख में उड़ता है और न दुःख में टूटता है।
उसकी बुद्धि स्थिर रहती है,
क्योंकि वह जानता है कि
जो मिल रहा है, वह सब प्रकृति का खेल है — मैं आत्मा हूँ, अचल हूँ।

इस पूरी दुनिया में कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं हैऔर ना ही कोई व्यक्ति अच्छा हैसत्य तो यह है कि आप दूसरे के साथ जैसा व्यवहार...
13/11/2025

इस पूरी दुनिया में कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं हैऔर ना ही कोई व्यक्ति अच्छा हैसत्य तो यह है कि आप दूसरे के साथ जैसा व्यवहार करेंगेसामने वाला भी आपके साथ वैसा ही व्यवहार करेगा

👉जो व्यक्ति सबमें समानता का भाव रखता है — चाहे सुख-दुःख, मित्र-शत्रु, ऊँच-नीच या अमीर-गरीब —वह मुक्ति को प्राप्त करता है...
06/11/2025

👉जो व्यक्ति सबमें समानता का भाव रखता है — चाहे सुख-दुःख, मित्र-शत्रु, ऊँच-नीच या अमीर-गरीब —
वह मुक्ति को प्राप्त करता है।
क्योंकि जब मन में कोई भेदभाव नहीं रहता, तब मनुष्य स्वयं परमात्मा स्वरूप हो जाता है।

सच्चा ज्ञानी हर प्राणी में एक ही ईश्वर का अंश देखता है।वह ऊँच-नीच, जात-पात, रूप-रंग, अमीरी-गरीबी में भेद नहीं करता।उसकी ...
30/10/2025

सच्चा ज्ञानी हर प्राणी में एक ही ईश्वर का अंश देखता है।
वह ऊँच-नीच, जात-पात, रूप-रंग, अमीरी-गरीबी में भेद नहीं करता।
उसकी दृष्टि सबमें समान होती है, क्योंकि सबमें वही परमात्मा स्थित है।

जो अपने धर्म के लिए कट्टर हैं आज उनके पास 57 देश हैं और जो भाईचारा निभा रहे हैं वह अपने ही देश में अपना अस्तित्व बचाने म...
29/10/2025

जो अपने धर्म के लिए कट्टर हैं आज उनके पास 57 देश हैं और जो भाईचारा निभा रहे हैं वह अपने ही देश में अपना अस्तित्व बचाने में लगे हुए हैं

👉 जो व्यक्ति अपनी बुद्धि, मन, श्रद्धा और जीवन सब कुछ ईश्वर में अर्पित कर देता है, उसका मन संसार के बंधनों से मुक्त हो जा...
28/10/2025

👉 जो व्यक्ति अपनी बुद्धि, मन, श्रद्धा और जीवन सब कुछ ईश्वर में अर्पित कर देता है, उसका मन संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है। ऐसा ज्ञानी व्यक्ति कभी पुनर्जन्म नहीं लेता, वह परम शांति को प्राप्त करता है। 🙏🙏🙏🙏

हमारे पुरखों की वीरता की (गूंज) आज भी गूंजती है और हमें याद दिलाती है कि साहस की कोई सीमा नहीं होती ⚔️ जय मौर्य वंश ⚔️ 🙏...
27/10/2025

हमारे पुरखों की वीरता की (गूंज) आज भी गूंजती है और हमें याद दिलाती है कि साहस की कोई सीमा नहीं होती ⚔️ जय मौर्य वंश ⚔️ 🙏 जय श्री राम 🙏 💪🏽🔥💫

भगवद्गीता – अध्याय 5, श्लोक 16संस्कृत श्लोक:ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः।तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम...
27/10/2025

भगवद्गीता – अध्याय 5, श्लोक 16

संस्कृत श्लोक:
ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः।
तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम् ॥५.१६॥

हिन्दी अनुवाद:

परन्तु जिनका अज्ञान उनके आत्मज्ञान द्वारा नष्ट हो गया है,
उनके लिए वह ज्ञान सूर्य के समान उस परम सत्य को प्रकाशित करता है।

सरल अर्थ:

जब किसी व्यक्ति का अज्ञान सच्चे ज्ञान से मिट जाता है,
तो उसके भीतर प्रकाश (सत्य की समझ) फैल जाती है।
यह ज्ञान सूर्य की तरह अंधकार को मिटाकर
जीवन को स्पष्ट और उज्ज्वल बना देता है।

🕉️ मुख्य सन्देश:
➡️ ज्ञान ही वह प्रकाश है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाता है।
➡️ जो आत्मा को जान लेता है, वह संसार के मोह से मुक्त हो जाता है।
➡️ जैसे सूर्य उदय होते ही अंधकार मिट जाता है,
वैसे ही ज्ञान आते ही अज्ञान समाप्त हो जाता है।
🌞💡🔦💫

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