26/03/2025
जीवन से शास्त्र निकलते हैं,, शास्त्रों से जीवन नहीं,, हम शास्त्र पढ़कर जीवन को ठीक-ठीक देख सकते हैं,,समझ सकते हैं,, शास्त्रों का उपयोग अनुसरण करते हुए,, जीवन को सही दिशा में ले जाकर जीवन के रहस्य को समझ कर जान सकते हैं,, यही शास्त्रों की उपयोगिता है, शास्त्रों का महत्व है,, यदि तुमने शास्त्रों को जीवन के अंतरंग नहीं किया तो, वह शास्त्र तुम्हारे किसी काम आने वाले नहीं है,, तुम शास्त्रों का बोझ ढोते रहोगे और तुम्हारा जीवन खिलेगा नहीं,, जीवन को जानकर जीवन को जीना ही महत्वपूर्ण है।
यदि तुमने सब कुछ किया तुमने स्वयं को ही नहीं जाना जीवन को जिया ही नहीं तुम्हारे जीवन से सुगंध उठी ही नहीं तुम्हारा जीवन से दुख पीड़ा समाप्त नहीं हुई मृत्यु आएगी सब छीन लेगी,??? तो क्या करोगे।
संतों के पास जाकर क्या करोगे शास्त्रों को पढ़कर आखिर तुम्हें यहां जीवन जीने की कला आनी चाहिए, जो जीवन में मृत्यु का भय है, वह तुम्हारे जीवन से समाप्त हो जाना चाहिए।
मुझे लगता है जिसने अपने जीवन को ठीक ठीक पढ़ लिया ठीक-ठीक देख लिया उसमें संपूर्ण साहित्य संपूर्ण ग्रंथ संपूर्ण संतों की वाणी संपूर्ण सृष्टि का रहस्य उजागर है,,तभी तो संतो ने कहा है,, पिंडे सो ब्रह्ममाणडे, तुम शरीर में आकर जीवन के चक्रव्यूह में आए हो, अब इस चक्रव्यूह को तोड़ना मनुष्य धर्म है,, यह तुम्हारी निजता है।
तुम्हें अपना सर्जन करना होगा, एक बीज से तुम्हें वृक्ष बनना होगा, और वृक्ष से फिर वापस बीज में लौटना होगा,,जहां न जन्म है, ना मृत्यु है, जीवन अनंत विस्तार है, फैलना,, यही जीवन का रहस्य है।
🌹🙏🪷🩷