16/10/2025
मृदा शिल्पकारों के लिए खुशखबरी, SDM की पहल पर पहली बार लगने जा रही है मृदा शिल्प मेला, प्लास्टिक की आधुनिकता के चकाचौंध के बीच मिट्टी की वस्तुओं को इतना महत्व देना न सिर्फ कुंभकारो का सम्मान है बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का एक अनूठा प्रयास भी है।,
देखिए ये खास रिपोर्ट 👇
धनतेरस से दिवाली तक मृदा शिल्प मेला आयोजित किए जाने की योजना
स्थानीय कुम्हारों को दीए, मूर्तियां और खिलौने बेचने को दिया जा रहा लघु-मंच
गढ़वा: दीपावली पर्व के अवसर पर गढ़वा टाउनहॉल मैदान में ‘मृदा शिल्प मेला’ आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है। यह मेला धनतेरस से दीपावली तक तीन दिवसीय अवधि तक चलेगा।
असल में पिछले दिनों आयोजित ‘कॉफी विद एसडीएम’ कार्यक्रम में स्थानीय कुम्हारों एवं मिट्टी की शिल्पकला से जुड़े कलाकारों ने दीपावली के आसपास अपने उत्पाद — जैसे मिट्टी के दीये, बर्तन, मूर्तियाँ और खिलौने आदि बेचने के लिए दो तीन दिन के लिए सुरक्षित स्थल उपलब्ध कराने की मांग रखी थी। कलाकारों ने बताया कि अब तक उन्हें चौक–चौराहों या सड़क के किनारे असुरक्षित माहौल में अपने उत्पाद बेचने पड़ते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और यातायात दोनों प्रभावित होते हैं।
इस विषय पर संज्ञान लेते हुए सदर एसडीएम संजय कुमार की पहल पर यह मेला आयोजित करने की तैयारी की जा रही है। मेले का उद्देश्य स्थानीय कुम्हारों, शिल्पकारों एवं लघु व्यवसायियों को एक सुरक्षित और संगठित मंच प्रदान करना है, ताकि वे अपने उत्पाद सहजता से विक्रय कर सकें और पारंपरिक मृदा कला को प्रोत्साहन मिल सके।
आयोजन का प्रस्ताव झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की ओर से किया गया है। इस मेला आयोजन में स्थानीय जेएमडी हीरो एजेंसी और कुछ स्थानीय स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं ने भी प्रायोजक (स्पोंसर) के रूप में सहभागी बनने की पेशकश की है।
इस अवसर पर एसडीएम संजय कुमार ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि दीपावली पर स्थानीय कुम्हारों के हाथों से बने दीये अवश्य खरीदें। उन्होंने कहा कि “ग्रामीण आजीविका को आगे बढ़ाने के लिए हम सभी को अपने-अपने स्तर से सहयोग करना चाहिए। स्थानीय उत्पादों की खरीद से न केवल पारंपरिक कला जीवित रहती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
इस अनूठे पहल के लिए जोहार🙏
Sanjay Pandey
SDO-cum-SDM, Garhwa