Our Story
अक्टूबर २००६ , को आवाज़ ने अपना पहला मासिक समाचार पत्र प्रस्तुत किया | आवाज़ पिछले 12 वर्षों से कैम्पस सम्बन्धी ताज़ा समाचार तथा सामयिक विषयों पे समीक्षा प्रस्तुत करती रही है | इन वर्षों में कैम्पस में काफी कुछ बदला है और राजभाषा हिंदी के माध्यम से 'आवाज़' आपसे अनवरत जुड़ी रही |
कैम्पस से जुड़ी घटनाओं पे निष्पक्ष राय सहित विधिवत विश्लेषण हमारी खूबी रही है | 'पंजी डूड ' आर. के. लक्ष्मण के 'कामन मैन' की तरह एक मुहावरा बन चुका है | 'भाट' ,'इनसे क्या कहें' तथा एक पहलु ऐसा भी' हमारे प्रचलित स्तम्भ हैं जिनका जनता को बेसब्री से इंतज़ार रहता है | आवाज़ के 'पहल' नाम के स्तम्भ से आई आई टी खड़गपुर में कई क्रन्तिकारी बदलाव आये जिनमे मुख्यतः छात्रावासों की नियमित साफ़ सफाई , कैम्पस के आस पास के इलाकों में छात्रों द्वारा शिक्षा सेवा आदि हैं | विश्वसनीयता ने लोकप्रियता का रास्ता अपने आप खोल दिया और 'आवाज़ ' कैम्पस में आपके लिए समाचार का शुलभ माध्यम बन गया।
ताज़ातरीन सामग्री तत्काल उपलब्ध कराने के लिए हमारी टीम साल के 365 दिन काम करती है| कैम्पस ही नहीं, इससे जुड़े विश्व के लगभग हर कोने से खबर ढूंढ कर हमारे पत्रकार आप तक समाचार पहुंचाने के लिए तैनात रहते हैं | २००६ में टीम का गठन होने के बाद आवाज़ ने कई उतार चढाव देखें हैं और अब आवाज़ सुगठित होकर कैम्पस में नियमित समाचार का जरिया है | आवाज़ अपनी विशिष्ट भाषा शैली और निष्पक्षता के लिए हमेशा से जानी जाती रही है | शिक्षा से लेकर प्रबंधन तक हर विषय पर हमारे विशिष्ट लेख पत्रकारिता को दिशा देते रहे हैं | धन्यवाद