Anurag Kumar

Anurag Kumar Real Thinker & Fearless Speaker... Politics, Movies, Games, Foods, General issues, Etc....

हम बदलेंगे एलएनएमयू ✊📚8 साल पहले एमएसयू के नेतृत्व में हुए ऐतिहासिक छात्र आंदोलन ने एलएनएमयू का सत्र नियमित करवाकर इसे ब...
30/07/2025

हम बदलेंगे एलएनएमयू ✊📚

8 साल पहले एमएसयू के नेतृत्व में हुए ऐतिहासिक छात्र आंदोलन ने एलएनएमयू का सत्र नियमित करवाकर इसे बिहार की नंबर 1 यूनिवर्सिटी बना दिया था।
आज एक बार फिर — 30 जुलाई एलएनएमयू चलो आंदोलन ने हमें 2017 जैसा इतिहास दोहराने का अवसर दिया है!
✅ 5 साल बाद कॉलेज चुनाव इस वर्ष फिर से होगा
✅ सत्र नियमित किया जाएगा
✅ वर्षों से बंद हॉस्टल अब चालू होंगे
✅ विभिन्न कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई शुरू होगी
✅ कॉलेजों के नाम मिथिलाक्षर में अंकित होंगे
✅ इस वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित होगा
✅ लॉ कॉलेज में सीट बढ़ोतरी अगले सत्र से लागू होगी

इस ऐतिहासिक आंदोलन में सहयोग व भाग लेने वाले हर साथी, छात्र और युवा को दिल से बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद।
आप सभी ने फिर साबित कर दिया —
"जब छात्र एकजुट होते हैं, तब बदलाव निश्चित होता है!"
जय मिथिला! जय छात्रशक्ति!
ोआंदोलन #हमबदलेंगेLNMU #छात्र_एकता_जिंदाबाद

श्रोत 👉 Mithila Student Union

29/07/2025

मनेर विधायक भाई वीरेंद्र और सचिव के बात चित के रिकॉर्डिंग को खूब लोग घुमा रहे है लेकिन वो बात उस लेवल पे क्यों पहुंची उसके बाड़े मे किसी को कोई जानकरी नहीं है!! उस पीड़ित महिला को मृत पति का मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये महीनों से परेशान कर रहा है सचिव अब पीड़ित महिला खुद सामने आके बोल रही है वीडियो ये रहा!!

वीडियो सोर्स - सोशल मीडिया

मैथिलि को तोड़ मरोड़ के पेश किया की ये तो कुछ जिलों की बोली है भाषा भी नहीं बोला. लेकिन आज इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट म...
07/07/2025

मैथिलि को तोड़ मरोड़ के पेश किया की ये तो कुछ जिलों की बोली है भाषा भी नहीं बोला. लेकिन आज इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट मे सब कुछ साफ दिख गया की सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं!
इसको देखे, समझें और आगे बढ़ाये, क्योंकि मैथिलो के पास नाम मात्र ही संसाधन है!!

27/06/2025

#लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर दिखा रफ्तार का कहर, स्लीपर बस हुई सड़क हाद*से का शिकार दो की मौ*त 50 घायल। (आधिकारिक पुस्टि बाकि)

दरभंगा, मिथिला से दिल्ली जा रही थी यात्रियों से भरी स्लीपर बस।

लगभग 60 से 65 यात्री मौजूद थे।

Jemimah Rodrigues took the mandatory winning selfie. 🤳[Tags: Women's Cricket, Jemimah Rodrigues, Bleed Blue, Harmanpreet...
12/05/2025

Jemimah Rodrigues took the mandatory winning selfie. 🤳

[Tags: Women's Cricket, Jemimah Rodrigues, Bleed Blue, Harmanpreet Kaur, BCCI, BCCI Women, Blue Army, Cricket, Indian Cricket, Sneh Rana, Deepti Sharma, Richa Ghosh, Yastika Batia]

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onb...
24/07/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Uday Kumar Karn, Devendra Prasad Gupta, Shibanand Mishra

16/07/2024

लोगो के घर क्यों तोड़े जा रहे है लखनऊ मे? काफ़ी परेशान है वहा के लोग!



वीडियो श्रोत - आज तक (X)

25/04/2024

एक शानदार और दमदार मैथिलि रैप श्री श्लोका जी के द्वारा गाया गया है और जब्बरदस्त मैथिलि फिल्म जैक्सन हॉल्ट में यह रैप फिल्माया गया है. एक अद्भुत फिल्म का निर्माण किया गया है आप इस फिल्म को मामूली शुल्क पे देख सकते है लिंक यहाँ है -- https://bejod.in/content?title=jackson-halt-with-english-subt&id=v-6454796895dd25f36e42a521-643e85d46f7665841a5b3387



Note:- यह वीडियो केवल जानकारी के लिया साझा किया जा रहा है इससे कोई निजी स्वार्थ या पैसे का लेन - देन नहीं शामिल है!

Source:- https://www.youtube.com/

चंद्रयान- 3 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मिथिला के लाल युवा वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई ।समस्तीपुर (पूसा) के...
24/08/2023

चंद्रयान- 3 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मिथिला के लाल युवा वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई ।

समस्तीपुर (पूसा) के अमिताभ कुमार ने चंद्रयान 3 मिशन के लिए ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका निभाई है।

सीतामढ़ी (पुपरी) के रवि कुमार लाल ने नेटवर्क सिक्योरिटी के जिम्मेदारी का निर्वहन किया है।

दरभंगा के प्रियांशु ने कैमरा तकनीक पर काम किया है।

मधुबनी ( कोतवाली चौक) के मोइनुद्दीन हसन ने प्रक्षेपण यान और उपग्रह के लिए लिक्विड कंट्रोल वाल्व में भूमिका निभाई।

सहरसा के कहरा गांव से आयुष झा और सत्तर कटैया प्रखंड के नीतीश यादव, पूर्णिया जिले के सुधांशु कुमार समेत मिथिला क्षेत्र के दर्जनों वैज्ञानिकों ने इसरो के इस मिशन में अपनी जिम्मेदारी निभाकर मिथिला सहित सम्पूर्ण देश को गौरवान्वित किया है।

‘वतन बेच कर पंडित नेहरू फूले नहीं समाते हैं,फिर भी गांधी की समाधि पर झुक झुक फूल चढ़ाते हैं’कवि - यात्री जी ❤️❤️🙏🙏
20/08/2023

‘वतन बेच कर पंडित नेहरू फूले नहीं समाते हैं,
फिर भी गांधी की समाधि पर झुक झुक फूल चढ़ाते हैं’
कवि - यात्री जी ❤️❤️🙏🙏

13/08/2023

भारत हॉकी टीम ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी 2023 का फाइनल खिताब जीत लिया है. चेन्नई में खेले गए इस मुकाबले में भारत ने मलेशिया को 4-3 से हरा दिया है.

Kameshwar singh: ऐसा था दरभंगा के महाराजाधिराज का जलवा, किले में चलती थी ट्रेन, अंग्रेज भी थे उनके कायलDarbhanga Maharaj...
13/08/2023

Kameshwar singh: ऐसा था दरभंगा के महाराजाधिराज का जलवा, किले में चलती थी ट्रेन, अंग्रेज भी थे उनके कायल

Darbhanga Maharaj Kameshwar Singh Birth Anniversary: दरभंगा महाराज (Darbhanga Maharaj) की शान को देखते हुए अंग्रेज भी उनसे बेहद प्रभावित थे। यही वजह है कि उन्होंने कामेश्वर सिंह (Kameshwar Singh) को महाराजाधिराज की उपाधि दी थी। अंग्रेजों के साथ-साथ कामेश्वर सिंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के भी बेहद करीबी माने जाते थे।

दरभंगा के महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की 113वीं जयंती (Darbhanga Maharaj Kameshwar Singh Birth Anniversary) मनाई जा रही है। ऐसे में जिले में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। खास तौर से गरीबों और वंचितों को लेकर उन्होंने जिस तरह के कदम उठाए इसकी मिसाल आज भी दी जाती है। यही वजह है कि उनकी 113वीं जयंती पर महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह चैरिटेबुल ट्रस्ट के तत्वावधान में विशाल दिव्यांग कैंप का आयोजन किया गया है। जिसमें ऐसे लोगों की मदद की जा सके जो किसी भी तरह से प्रभावित हैं। यही नहीं दरभंगा रियासत का इतिहास बेहद ऐतिहासिक है। इसके आखिरी महाराज कामेश्वर सिंह अपनी शान-ओ-शौकत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे। उनके समय में कई ऐसे काम हुए जिसे सुनकर कोई भी हैरान हो जाए।

किले के भीतर तक थीं रेल लाइन, कई बड़े जहाज भी थे

दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह का जलवा ही था कि उनके किले के भीतर तक रेल लाइनें बिछी हुई थीं और ट्रेनों का आवागमन होता था। उनके लिए बेहद अलग सैलून बने हुए थे। ऐसा बताया जाता है कि सैलून में खास फर्नीचर लगे हुए थे। यही नहीं सोने-चांदी भी इसमें लगाए गए थे। बाद में इन सैलून को बरौनी के रेल यार्ड में रख दिया गया। दरभंगा महाराज के पास कई बड़े जहाज भी थे। वह 1935 में दरभंगा में स्थापित अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संरक्षक थे। उन्होंने कोलकाता में दरभंगा कप टूर्नामेंट शुरू किया था।

कामेश्वर सिंह ने जानी-मानी कलाकार क्लेयर शेरीडेन से बनवाई थी महात्मा गांधी की प्रतिमा

दरभंगा महाराज की शान को देखते हुए अंग्रेज भी उनसे बेहद प्रभावित थे। यही वजह है कि उन्होंने कामेश्वर सिंह को महाराजाधिराज की उपाधि दी थी। अंग्रेजों के साथ-साथ कामेश्वर सिंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भी बेहद करीबी माने जाते थे। गांधी जी उन्हें अपने बेटे के समान मानते थे। आजादी से पहले उन्होंने महात्मा गांधी की एक प्रतिमा बनवाई थी, जिसे विंस्टन चर्चिल की भतीजी प्रख्यात कलाकार क्लेयर शेरीडेन ने बनाया था। इस प्रतिमा का प्रदर्शन तात्कालिक गवर्नमेंट हाउस (वर्तमान में राष्ट्रपति भवन) में किया गया था। इस बात का खुलासा 1940 में महात्मा गांधी की ओर से लॉर्ड लिनलिथगो की चिट्ठी से हुआ। गांधी जी जब 1947 में बिहार भ्रमण करने गए थे तब एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि दरभंगा महाराज बहुत ही अच्छे इंसान हैं। वे मेरे लिए बेटे के समान हैं। महाराज कामेश्वर सिंह का जन्म 1907 में हुआ था, उनका निधन 1962 में हुआ।

दरभंगा महाराजाधिराज ने द्वितीय विश्व युद्ध में एयरफोर्स को दिए 3 फाइटर प्लेन

दिलचस्प बात यह है कि दरभंगा के महाराजाधिराज ने द्वितीय विश्व युद्ध में एयरफोर्स को तीन फाइटर प्लेन भी दान किए थे। एक और खास मौके पर उन्होंने त्योहार मनाने के लिए सेना में सिख और हिंदू जवानों के लिए 5,000 रुपये का दान दिया था। उन्होंने आर्मी मेडिकल कॉर्प को 50 एम्बुलेंस भी दान किए थे। दरभंगा के महाराजाधिराज के बारे में ये जानकारियां 'Courage and Benevolence: Maharajadhiraj Kameshwar Singh' नाम की 450 पेज की पुस्तक में मिलते हैं।

रेलवे का जाल बिछाने में माना जाता है अहम योगदान

किताब में बताया गया है कि उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय और बिहार विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों को बड़ी मात्रा में धनराशि दान की। दरभंगा महाराजाधिराज के पास दो बड़े जहाज भी थे। रेलवे का जाल बिछाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है। उन्होंने अंग्रेजी शासन के दौरान ही नए और बदले दौर पर खास फोकस शुरू कर दिया था। यही वजह है कि उन्होंने अपने शासन के दौरान कई कंपनियां शुरू की थी। इसमें चीनी, पेपर आदि की मिल शामिल थीं।

Source -- Kameshwar singh: ऐसा था दरभंगा के महाराजाधिराज का जलवा, किले में चलती थी ट्रेन, अंग्रेज भी थे उनके कायल

Darbhanga Maharaj Kameshwar Singh Birth Anniversary: दरभंगा महाराज (Darbhanga Maharaj) की शान को देखते हुए अंग्रेज भी उनसे बेहद प्रभावित थे। यही वजह है कि उन्होंने कामेश्वर सिंह (Kameshwar Singh) को महाराजाधिराज की उपाधि दी थी। अंग्रेजों के साथ-साथ कामेश्वर सिंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के भी बेहद करीबी माने जाते थे।

दरभंगा के महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की 113वीं जयंती (Darbhanga Maharaj Kameshwar Singh Birth Anniversary) मनाई जा रही है। ऐसे में जिले में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। खास तौर से गरीबों और वंचितों को लेकर उन्होंने जिस तरह के कदम उठाए इसकी मिसाल आज भी दी जाती है। यही वजह है कि उनकी 113वीं जयंती पर महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह चैरिटेबुल ट्रस्ट के तत्वावधान में विशाल दिव्यांग कैंप का आयोजन किया गया है। जिसमें ऐसे लोगों की मदद की जा सके जो किसी भी तरह से प्रभावित हैं। यही नहीं दरभंगा रियासत का इतिहास बेहद ऐतिहासिक है। इसके आखिरी महाराज कामेश्वर सिंह अपनी शान-ओ-शौकत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे। उनके समय में कई ऐसे काम हुए जिसे सुनकर कोई भी हैरान हो जाए।

किले के भीतर तक थीं रेल लाइन, कई बड़े जहाज भी थे

दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह का जलवा ही था कि उनके किले के भीतर तक रेल लाइनें बिछी हुई थीं और ट्रेनों का आवागमन होता था। उनके लिए बेहद अलग सैलून बने हुए थे। ऐसा बताया जाता है कि सैलून में खास फर्नीचर लगे हुए थे। यही नहीं सोने-चांदी भी इसमें लगाए गए थे। बाद में इन सैलून को बरौनी के रेल यार्ड में रख दिया गया। दरभंगा महाराज के पास कई बड़े जहाज भी थे। वह 1935 में दरभंगा में स्थापित अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संरक्षक थे। उन्होंने कोलकाता में दरभंगा कप टूर्नामेंट शुरू किया था।

कामेश्वर सिंह ने जानी-मानी कलाकार क्लेयर शेरीडेन से बनवाई थी महात्मा गांधी की प्रतिमा

दरभंगा महाराज की शान को देखते हुए अंग्रेज भी उनसे बेहद प्रभावित थे। यही वजह है कि उन्होंने कामेश्वर सिंह को महाराजाधिराज की उपाधि दी थी। अंग्रेजों के साथ-साथ कामेश्वर सिंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भी बेहद करीबी माने जाते थे। गांधी जी उन्हें अपने बेटे के समान मानते थे। आजादी से पहले उन्होंने महात्मा गांधी की एक प्रतिमा बनवाई थी, जिसे विंस्टन चर्चिल की भतीजी प्रख्यात कलाकार क्लेयर शेरीडेन ने बनाया था। इस प्रतिमा का प्रदर्शन तात्कालिक गवर्नमेंट हाउस (वर्तमान में राष्ट्रपति भवन) में किया गया था। इस बात का खुलासा 1940 में महात्मा गांधी की ओर से लॉर्ड लिनलिथगो की चिट्ठी से हुआ। गांधी जी जब 1947 में बिहार भ्रमण करने गए थे तब एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि दरभंगा महाराज बहुत ही अच्छे इंसान हैं। वे मेरे लिए बेटे के समान हैं। महाराज कामेश्वर सिंह का जन्म 1907 में हुआ था, उनका निधन 1962 में हुआ।

दरभंगा महाराजाधिराज ने द्वितीय विश्व युद्ध में एयरफोर्स को दिए 3 फाइटर प्लेन

दिलचस्प बात यह है कि दरभंगा के महाराजाधिराज ने द्वितीय विश्व युद्ध में एयरफोर्स को तीन फाइटर प्लेन भी दान किए थे। एक और खास मौके पर उन्होंने त्योहार मनाने के लिए सेना में सिख और हिंदू जवानों के लिए 5,000 रुपये का दान दिया था। उन्होंने आर्मी मेडिकल कॉर्प को 50 एम्बुलेंस भी दान किए थे। दरभंगा के महाराजाधिराज के बारे में ये जानकारियां 'Courage and Benevolence: Maharajadhiraj Kameshwar Singh' नाम की 450 पेज की पुस्तक में मिलते हैं।

रेलवे का जाल बिछाने में माना जाता है अहम योगदान

किताब में बताया गया है कि उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय और बिहार विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों को बड़ी मात्रा में धनराशि दान की। दरभंगा महाराजाधिराज के पास दो बड़े जहाज भी थे। रेलवे का जाल बिछाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है। उन्होंने अंग्रेजी शासन के दौरान ही नए और बदले दौर पर खास फोकस शुरू कर दिया था। यही वजह है कि उन्होंने अपने शासन के दौरान कई कंपनियां शुरू की थी। इसमें चीनी, पेपर आदि की मिल शामिल थीं।

Source -- navbharattimes.indiatimes.com/state/bihar/da…

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