Sonpur Live

Sonpur Live SONPUR NEWS

क्या वो सच में असामान्य थी, या फिर हम उसके स्तर तक पहुँच ही नहीं पाए?(एक अनुभव — सोनपुर, काली घाट के किनारे)हरिहरनाथ मंद...
24/04/2025

क्या वो सच में असामान्य थी, या फिर हम उसके स्तर तक पहुँच ही नहीं पाए?
(एक अनुभव — सोनपुर, काली घाट के किनारे)

हरिहरनाथ मंदिर के पास, उस दिन काली घाट की सीढ़ियों पर मैं बस यूँ ही बैठा हुआ था। ठंडी हवा बह रही थी, और चारों ओर पूजा-पाठ, दीप और घंटियों की आवाज़ों में एक अलग ही शांति थी। तभी मेरी नजर एक महिला पर पड़ी।

उनकी हालत — फटे पुराने कपड़े, धूल से सना शरीर, उलझे बाल — देखने में बिलकुल भी "सामान्य" नहीं लग रही थीं। लेकिन उनके चेहरे पर एक मुस्कान थी… वो मुस्कान किसी तसल्ली की नहीं, बल्कि जैसे किसी गहरे रहस्य को समझ लेने के बाद की शांति की प्रतीक हो।

मैं कुछ पलों तक ठिठक गया। मन ने कहा — ये कोई आम भिक्षुक नहीं हो सकती। ये मुस्कान किसी गहरी यात्रा की गवाही दे रही थी।

मैंने आसपास के पुजारियों और स्थानीय लोगों से पूछा — तो उन्होंने बताया कि यह महिला हर 3-4 साल में एक बार यहाँ आती हैं, किसी से बात नहीं करतीं, पूजा करती हैं, और फिर कहीं चली जाती हैं। कोई नहीं जानता कहाँ से आती हैं और कहाँ चली जाती हैं।

मुझे जानने की उत्सुक्तता हुई — मैं उनके पास गया और पूछा, “कुछ खाना चाहेंगी?”
उन्होंने कुछ नहीं कहा। बस मुझे देखा — उसी सुकूनभरी मुस्कान के साथ।

मैंने खाने और पीने का थोड़ा सामान लाकर दिया। उन्होंने शांति से खाना शुरू किया। उस बीच मैंने फिर कोशिश की, “आपका नाम क्या है?” कोई जवाब नहीं।

तीसरी बार पूछा, “आप कहाँ से आई हैं?”
उन्होंने मेरी तरफ देखा… और बस एक शब्द बोला: “पुसा”।

इतना सुनकर मैं चौंक गया — ये तो समस्तीपुर का इलाका है। इसका मतलब ये महिला सब कुछ समझ रही है। सिर्फ खामोश है। फिर जब मैंने पूछा, “यहाँ कैसे आईं?” तो कुछ देर बाद धीरे से कहा — “खा कर बताती हूँ।”

बस इतना ही… पर उस वाक्य के बाद उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।
मैं सोचता रहा — क्या ये आँसू खाने की मिर्च के थे? या वो भूख की तृप्ति के? या कोई बीते समय की टीस?

मैं वहीं बैठा रहा, चुपचाप।
वो खाती रहीं, और मैं उन्हें निहारता रहा।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं एक पहेली को सुलझाने की कोशिश कर रहा हूँ — लेकिन उस पहेली की भाषा प्रकृति की थी, और मैं अभी भी शब्दों में उलझा हुआ था।

खाना खत्म हुआ। उन्होंने कुछ नहीं कहा।
मैंने वो स्थान साफ किया और चुपचाप लौटने लगा।
उस मुलाक़ात ने मुझे भीतर तक सोचने पर मजबूर कर दिया।
वो कोई पागल, विक्षिप्त या भटकी हुई नहीं थीं।

वो शायद हम सबसे अधिक जुड़ी थीं — प्रकृति से, आत्मा से, और उस शांति से, जिसे हम आधुनिक दुनिया में ढूंढ़ते फिरते हैं।

हम जिन्हें “असामान्य” कहते हैं — शायद वो हमें ही “अधूरे” समझते होंगे।

क्योंकि जो लोग प्रकृति के गहरे रहस्यों को समझने लगते हैं, उनके मन के भावों को समझ पाना इतना आसान नहीं होता।
उनकी खामोशी में जो शोर है, उसे केवल वही सुन सकते हैं जो खुद को भीतर से सुनना सीख चुके हों।

मुझे नहीं पता वो कौन थीं, कहाँ से आई थीं, या फिर अगली बार कब दिखेंगी… लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ —
उस दिन मैं किसी इंसान से नहीं, एक एहसास से मिला — एक ऐसा एहसास जो बोलता नहीं था, लेकिन उसकी खामोशी में सैकड़ों कहानियाँ थीं। वो चेहरा, वो मुस्कान, वो मौन... सब कुछ जैसे किसी और ही दुनिया से जुड़ा था — एक ऐसी दुनिया जहाँ शांति है, स्वीकृति है, और प्रकृति से गहरा रिश्ता है।

हम जिन्हें मानसिक रूप से कमजोर मानते हैं, क्या पता वो हमसे कहीं अधिक समझदार हों — क्योंकि उन्होंने उस दुनिया से नाता तोड़ लिया है जो सिर्फ दिखावे और शोर में जीती है...

23/04/2025

Indian Air Force’s Surya Kiran aerobatic team performs air show in Patna

09/05/2022

Address


Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Sonpur Live posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

  • Want your business to be the top-listed Media Company?

Share