10/08/2025
भाद्रपद मास में हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन तृतीया तिथि दो दिन होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं हरितालिका तीज की सही तारीख।
Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। साल में कुल 3 तीज पड़ती है, जिसे हरियाली, कजरी और हरतालिका तीज कहा जाता है। हरियाली तीज श्रावण मास में पड़ती है, तो कजरी और हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास को रखा जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती है। इसके साथ ही अविवाहित महिलाएं अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखने की विधान है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। आइए जानते हैं हरतालिका तीज की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और धार्मिक महत्व…
कब है हरतालिका तीज 2025? (Hartalika Teej 2025 Date)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर में 12 बजकर 35 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 26 अगस्त को को दोपहर में 01 बजकर 55 मिनट पर होगा। उदया तिथि के हिसाब से हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
हरतालिका तीज 2025 शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej 2025 Muhurat)
26 अगस्त को सुबह 5 बजकर 56 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है। पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 35 मिनट रहेगी।
हरतालिका तीज पर बन रहे शुभ योग (Hartalika Teej 2025 Shubh Yog)
इस साल हरतालिका तीज पर काफी शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन चंद्रमा मंगल के साथ कन्या राशि में होंगे, जिससे महालक्ष्मी राजयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन हस्त नक्षत्र के साथ साध्य, शुभ योग बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन सूर्य अपनी स्वराशि सिंह राशि में विराजमान रहेंगे।
हरतालिका तीज 2025 पर करें इन मंत्रों का जाप (Hartalika Teej 2025 Mantra)
देवी पार्वती का मंत्र
ऊं उमयेए पर्वतयेए जग्दयेए जगत्प्रथिस्थयेए स्हन्तिरुपयेए स्हिवयेए ब्रह्म रुप्नियेए”
शिव मंत्र
ऊं ह्रयेए महेस्ह्अरयेए स्हम्भवे स्हुल् पद्येए पिनक्ध्रस्हे स्हिवये पस्हुपतये महदेवयअ नमह्”
क्षमा मंत्र
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया। तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति॥