HAQIQAT

HAQIQAT आर0आर0शर्मा - प्रधान सम्पादक सम-सामयिक लेख ,समाचार , कवितायें एवं आध्यात्मिक समालोचना ||

10/09/2025
14/08/2025
11/08/2025

उत्तर प्रदेश में फतेहपुर जिले में धार्मिक स्थल पर विवाद शुरू हो गया है. मकबरा विवाद अब भयंकर रूप ले लिया है. हिंदूवादी संगठन के लोग बैरियर तोड़कर आगे बढ़ गए हैं. हालत को कंट्रोल करने में पुलिस प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. मकबरा को ठाकुर जी मंदिर बता रहा हिंदू संगठन. हिंदू संगठन के लोग पूजा-पाठ के लिए आगे बढ़े. प्रशासन के हाथ-पांव फूले, हालात तनावपूर्ण.



https://youtu.be/6YXuaiKM6VA?si=gQJmhvAZoLWF3IFd

05/08/2025

जब अपने घर आई आँखें
जाने क्यों भर आई आँखें

जिनसे आँखें चार हुई थीं
उनसे आज चुराई आँखें

अब कोई उम्मीद नहीं है
आस कहीं धर आई आँखें

अपना सा एहसास कहाँ अब
जाने किस घर आई आँखें

चुप होने की बात न मानी
लगती आज पराई आँखें

कैसे उनसे दूर रहेंगी
जिनकी हैं परछाई आँखें

उनको कुछ भी याद नहीं अब
जिनसे खूब लड़ाई आँखें ................समीक्षा सिंह
आधार भूलिए मत

02/08/2025
15/06/2025

" पत्रकारों पर हो रहे,ताबड़तोड़ प्रहार .." एक बार मेरे एक घनिष्ठ मित्र से भेंट हुई, वे एक जाने-माने प्रतिष्ठित अखबार के सम्पादक हैं । जब मैंने उनसे कहा कि पत्रकारिता अब जोखिम भरा कार्य होता जा रहा है। वे बोले, पंडितजी ! पत्रकारों की ओर कोई उंगली भी उठाने का साहस नहीं कर पाता; हाँ, दलाल अवश्य कुटते-पिटते रहते हैं। उस समय मुझे उनका कथन शत प्रतिशत सही लगा। अब तो जब भी देखो, जहाँ तहाँ से खबरें आ रही हैं कि पत्रकार को जान से मारने की धमकी मिली या फिर न्यूज कवरेज करते हुये पत्रकार की पिटाई। आखिर ! शासन/प्रशासन अथवा समाज में ऐसा कौन सा परिवर्तन हुआ है, जो पत्रकारों की इस तरह से छीछालेदर हो रही है। कहीं शासन/प्रशासन की इसमें आन्तरिक संलिप्तता तो नहीं ? अगर है, तो भी पीत-पत्रकारिता ही कारण होगी।अब भी मैं जब इस पर गहनता से विचार कर रहा हूँ , तो मेरे मित्र के कथन में सत्यता प्रतीत होती है। पहले पत्रकारिता एक मिशन था, समाज सेवा का। अब आधुनिक पत्रकारिता ही स्वार्थ को सम्मुख रखकर की जा रही है। पहले पत्रकारिता में सम्पन्न परिवार के लोग आते थे, पर अब भूखे ,नंगे लोगों ने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा है। स्पष्ट है, ऐसे लोग समाज की दशा और दिशा को कैसे परिवर्तित कर सकेंगे ; वे तो स्वयमेव पथ-भ्रष्ट और दिशाहीन हैं।. समाज को तो वही दिशा दे सकते हैं, जो ख़ुद सुधरे हुये हों । जिन्हें खुद सुधार की आवश्यकता हो, वे किसी को क्या सुधारेंगे। हाँ ! कभी-कभी वैश्याओं की गली से गुजरने वाली सुसज्जित सुन्दर नारी को वैश्या समझने की भूल हो सकती है, लेकिन कुछ पलों के बाद तो यथार्थ स्पष्ट हो ही जाता है। पर शासन, प्रशासन और सरकार पत्रकारों को पीत-पत्रकारों की श्रेणी में रखने की भूल न करे। पत्रकारों को उनका विशिष्ट स्थान और सम्मान देते रहना हितकर व न्यायोचित होगा।

Address

Pilibhit

Telephone

+919720741677

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when HAQIQAT posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to HAQIQAT:

Share