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Muneer Rahmati कभी खामोश होकर देखो तो सही, कौन है जो तुम्हें गौर से सुनता है।

  Qazi Seraj UL Haque Warsi सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त ह...
08/05/2024

Qazi Seraj UL Haque Warsi

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

सुना है रब्त है उसको ख़राब-हालों से
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं

सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उसकी
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं

सुना है उसको भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़
सो हम भी मो'जिज़े अपने हुनर के देखते हैं

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं

सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है
सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं

सुना है हश्र हैं उसकी ग़ज़ाल सी आँखें
सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं

सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उसकी
सुना है शाम को साए गुज़र के देखते हैं

सुना है उसकी सियह-चश्मगी क़यामत है
सो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं

सुना है उसके लबों से गुलाब जलते हैं
सो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं

सुना है आइना तिमसाल है जबीं उसकी
जो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं

सुना है जब से हमाइल हैं उसकी गर्दन में
मिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं

सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में
पलंग ज़ाविए उसकी कमर के देखते हैं

सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है
कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं

वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं
कि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं

बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का
सो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं

सुना है उसके शबिस्ताँ से मुत्तसिल है बहिश्त
मकीं उधर के भी जल्वे इधर के देखते हैं

रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं
चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं

किसे नसीब कि बे-पैरहन उसे देखे
कभी-कभी दर ओ दीवार घर के देखते हैं

कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं

अब उसके शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ
'मुनीर' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं

15/04/2024

#जीना भूल गए हैं हम..✍️

कई हिस्सों में बंट गए हैं
खुद को क्या क्या सिखा रहे हैं।
ये रिश्तों की ज़िम्मेदारी साहब
हम किस्तों में निभा रहे हैं।।

आठों पहर है दौड़ भाग
झूले सा झूल गए हैं हम।
न जाने क्या पाने में
जीना भूल गए हैं हम।।

इक गुब्बारे के लिए हम
जब दिन भर रोते थे।
ये बात है उस दौर की
जब हम बच्चे थे छोटे थे।।
अब सब कहते हैं हम बड़े हो गए।
अपने पैरों पर खड़े हो गए।।

लेकर बस्ता खुद से बड़ा
जब से स्कूल गए हैं हम।
न जाने क्या पाने में
जीना भूल गए हैं हम।।

इस भागते हुए जीवन में
रफ्तार की राहें ठानी है।
मंज़िल का कुछ भी पता नही
बस सफर से खींचातानी है।।
ये सेल्फी वाली मुस्कान भला
कब तक ठहरेगी चेहरों पर।
तूफ़ान उठा है मन के भीतर
हम तैर रहे हैं लहरों पर।।

खाली अंतर्मन की शाम लिए
थक कर फूल गए हैं हम।
न जाने क्या पाने में
जीना भूल गए हैं हम।।

वक्त की रफ्तार से हम मनुष्य कदम मिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। ऐसे में जीवन तो चल रहा है किंतु जीवन को जीने की जो अनुभूति है वह कोने में खड़ी बेबस झांक रही है।

#जीवन

Copy and Repost अंकिता तिवारी की ✍️..
#कवयित्री #अयोध्या राष्ट्रीय कवि संगम

#रामराम मित्रों 🙏🏻

Dr. Kumar Vishwas Kavi Sumit Orchha

सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती मगर हर किसी की ऐसी किस्मत नहीं होती हर किसी से...
22/03/2024

सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती
सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती
मगर हर किसी की ऐसी किस्मत नहीं होती
हर किसी से ये होती नहीं
और जो हो भी जाए गर किसी से
तो वो मोहब्बत नहीं होती
सब कुछ कुर्बान हो जाता है
इस मोहब्बत के आगे
ये इतनी आसानी से नसीब नहीं होती
कोई एक होता है जो समा जाता है दिल में
यूँ हर किसी से भी ये चाहत नहीं होती
ये एक अनमोल एहसास है
जिसकी कोई कीमत नहीं होती
कोई क्या कीमत लगाएगा मोहब्बत की
कोई क्या कीमत लगाएगा मोहब्बत की
जो बाजार में यूं आसानी से बिक जाए
वो मोहब्बत नहीं होती


क्यों मैं जैसा हूं मुझे वैसा रहने देते नहीं  लोग क्यों मेरी बातों को सहज लेते नहीं क्यों हर बार मैं ही वजह बनूँ,किसी की ...
21/03/2024

क्यों मैं जैसा हूं मुझे वैसा रहने देते नहीं
लोग क्यों मेरी बातों को सहज लेते नहीं
क्यों हर बार मैं ही वजह बनूँ,किसी की मुस्कुराहट की
क्यों वह कभी मेरे बारे में सोचता नहीं
क्यों जरूरी होता है दिखावट का मुखौटा हर बार पहनना
लोग आप जैसे हैं वैसे आपको, क्यों समझते नहीं
हर किसी को मैं खुश रख सकता नहीं
हर वक्त चेहरे पर दिखावे की हंसी मैं पहनता नहीं
मैं जैसा हूं वैसा गर अपनाये कोई
तो क्यों मुझे किसी से रखनी पड़े दूरी
यूँ बात बात पर किसी को गिराया नहीं करते
बेवजह किसी को यूं सताया नहीं करते
हो सकता है शायद मैं तुम जैसा नहीं
लेकिन मुझ में ऐसी कोई कमी भी नहीं
क्यों मैं खुद को देखूं दुनिया की नजरों से
हो सकता है जैसा मैं हूं वैसा कोई दूजा नहीं
इसलिए खुद में ही खुश मैं रहता हुँ
अब नहीं किसी की परवाह मैं करता हूं।


जो दिल कहे बस अब वही मैं सुनता हूं
शायद इसलिए हर किसी को मैं चुभता हूं🙏

कुछ अलफ़ाज़ परखते हैं तो कुछ मेरी बेजुबानी समझते हैं  #मुर्शद मुख़्तलिफ़ लोग हैं यहां मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से मेरी कहानी स...
21/03/2024

कुछ अलफ़ाज़ परखते हैं तो कुछ मेरी बेजुबानी समझते हैं
#मुर्शद
मुख़्तलिफ़ लोग हैं यहां मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से मेरी कहानी समझते हैं।

  हम दीवाने बने भी तो सिर्फ तेरे लिए इन आंखों ने नहीं देखा कभी किसी और को एक सिवाए तेरे ये नजरे अब उठेगी भी तो सिर्फ तेर...
15/03/2024



हम दीवाने बने भी तो सिर्फ तेरे लिए
इन आंखों ने नहीं देखा कभी किसी और को एक सिवाए तेरे
ये नजरे अब उठेगी भी तो सिर्फ तेरे लिए
हर सांस पर नाम है तेरा, हर सांस में बसा है तू
अब गर ये सांस निकलेगी भी, तो सिर्फ तेरे लिए
ये दिल मेरा धड़कता है बस तेरे नाम से
मेरी हर धड़कन में तू शामिल है
गर कभी ये रुकेगी भी, तो सिर्फ तेरे लिए
प्यार क्या होता है नहीं जानते थे
तुमसे जब मिले तो प्यार जाना
और यह प्यार मैंने सीखा भी, तो सिर्फ तेरे लिए
औरों को सजते सवंरते देखा तो बहुत था
मगर खुद ने कभी नहीं चाहा सजना किसी के लिए
अब मेरा ये श्रृंगार भी हैं, तो सिर्फ तेरे लिए
बस अब कुछ नहीं है बाकी कहने को
ये जान ले, मेरा सब कुछ है तू
और मेरा सब है भी, तो सिर्फ तेरे लिए..🤲🙏

15/03/2024

तरावी पढ़ने का जिक्र क़ुरान में भी नहीं है फिर भी मुसलमान तरावीह पढ़े जा रहा है।

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