Varta Patram

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वार्ता पत्रम, एक विश्व-अग्रणी सनातन धर्म समाचार चैनल, दुनिया भर में सनातन धर्म की संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सनातन धर्म, जिसे आमतौर पर हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है, एक समृद्ध इतिहास और विविध परंपरा

20/05/2025

Hanuman Chalisa Arth Sahit Part -1
By YouTube Channel:- Eeshvarth

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 8 सितम्बर 2024**⛅दिन - रविवार**⛅विक्रम संवत् - 2081(गुजरात अनुसार 2080)**⛅अयन - दक...
08/09/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 8 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081(गुजरात अनुसार 2080)*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी शाम 07:58 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - स्वाति दोपहर 03:31 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - इंद्र रात्रि 12:05 सितम्बर 09 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल - शाम 05:17 से शाम 06:50 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:27*
*⛅सूर्यास्त - 06:49*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से 01:02 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 सितम्बर 09 से रात्रि 01:00 सितम्बर 09 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - ऋषि पंचमी, संवत्सरी पर्व, रवि योग (दोपहर 03:31 से प्रातः 06:24 सितम्बर 09 तक)*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अपने हाथ में ही अपना आरोग्य🔹*

*🔸(१) नाक को रोगरहित रखने के लिए हमेशा नाक में सरसों आदि तेल की बूंदें डालने का अभ्यास रखना । कफ की वृद्धि हो या सुबह में पित्त की वृद्धि हो, या दोपहर को वायु की वृद्धि हो तब शाम को बूंदें डालनी । नाक में तेल की बूंदें डालनेवाले आदतियों का मुख सुगन्धित रहता है, शरीर पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती । आवाज स्निग्ध निकलती है। इन्द्रियाँ निर्मल रहती हैं । सफेद बाल जल्दी नहीं आते तथा फुन्सियाँ नहीं होती ।*

*🔸(२) दिन में सोना नहीं चाहिये कारण कि दिन में सोने से कफ होता है । ग्रीष्म ऋतु के अलावा बाकी के सभी दिनों में दिन में सोना वर्जित है ।*

*🔸(३) दस वर्ष के बाद बचपन समाप्त होता है, बीस वर्ष के बाद वृद्धि रुक जाती है, तीस वर्ष के बाद कान्ति कम होती है । चालीस वर्ष के बाद स्मरण शक्ति कम होती है । पचास वर्ष के बाद चमड़ी की स्निग्धता कम होती है, साठ वर्ष के बाद नेत्र की शक्ति कम होती है, सत्तर वर्ष के बाद वीर्य कम होता है, अस्सी वर्ष के बाद पराक्रम में कमी होती है । नव्वे वर्ष के बाद बुद्धि कम होती है, सौ वर्ष होने पर कर्मेन्द्रियों की शक्ति कम होती है । एक सौ दस वर्ष के बाद चेतना कम होती है और एक सौ बीस वर्ष के बाद जीवन कम होता है ।*

*🔸(४) अंगों को दबवाना यह माँस, खून और चमड़ी को खूब साफ करता है, प्रीतिकारक होने से निद्रा लाता है, वीर्य बढ़ाता है तथा कफ, वायु एवं परिश्रम का नाश करता है ।*

*🔸(५) भोजन के बाद बैठे रहनेवाले के शरीर में आलस भर जाती है । सौ कदम चलनेवाले की उम्र बढ़ती है तथा दौड़नेवाले की मृत्यु उसके पीछे ही दौड़ती है ।*

*🔸(६) जीवों की नाभि के ऊपर बाईं ओर अग्नि रहता है अतः खाया हुआ पचाने के लिए बाई करवट सोना चाहिये ।*

*🔸(७) स्वादिष्ट अन्न मन को प्रसन्न करता है, बल बढ़ाता है, पुष्ट करता है, उत्साह बढ़ाता है तथा आयुष्य की वृद्धि करता है जबकि स्वादहीन अन्न ऊपर के कथन से विपरीत असर करता है ।*

*🔸(८) भोजन के प्रारंभ में नमक तथा अदरक का भक्षण करना यह सर्वकाल में लाभकारी है, अग्नि को प्रज्ज्वलित करनेवाला है, रुचि उत्पन्न करनेवाला है । तथा जीभ और कंठ को साफ करनेवाला है ।*

*🔸(९) भोजन करते समय माता, पिता, मित्र, वैद्य, रसोइया, हंस, मोर, सारस या चकोर पक्षी की निगाह उत्तम गिनी जाती है; किन्तु गरीब, हल्के, भूखे, पापी, पाखंडी या रोगी मनुष्य एवं मुर्गे तथा कुत्ते की दृष्टि अच्छी नहीं गिनी जाती ।*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔸 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔸 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔸 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔸 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔸 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔸स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔸रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔸 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

22/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 22 मई 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्दशी शाम 06:47 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - स्वाति प्रातः 07:47 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग- वरीयान दोपहर 12:37 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:36 से दोपहर 02:17 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:56*
*⛅सूर्यास्त - 07:17*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 23 से रात्रि 12:58 मई 23 तक*
*⛅विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹वैशाख मास के अंतिम ३ दिन ( 20 मई से 22 मई 2024 ) महा पुण्यदायी🌹*

*🌹‘स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं । इनका नाम ‘ पुष्करिणी ’ हैं, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं ।*

*🌹जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करे तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है ।*

*🌹वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है ।*

*🌹जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है ।*

*🌹जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है । अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है ।*

*🌹जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता ।*

*🌹इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये । अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए ।*

*🔷वायु के सर्वरोग🔷*

*👉🏻 काली मिर्च का 1 से 2 ग्राम पाउडर एवं 5 से 10 ग्राम लहसुन को बारीक पीसकर भोजन के समय घी-भात के प्रथम ग्रास में हमेशा सेवन करने से वायु रोग नहीं होता।*

*👉🏻 5 ग्राम सोंठ एवं 15 ग्राम मेथी का चूर्ण 5 चम्मच गुडुच (गिलोय) के रस में मिश्रित करके सुबह एवं रात्रि को लेने से अधिकांश वायु रोग समाप्त हो जाते हैं।*

*👉🏻यदि वायु के कारण मरीज का मुँह टेढ़ा हो गया हो तो अच्छी किस्म के लहसुन की 2 से 10 कलियों को तेल में तलकर शुद्ध मक्खन के साथ मिलाकर, बाजरे की रोटी के साथ थोड़ा नमक डालकर खाने से मरीज का मुँह ठीक हो जाता है।*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

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21/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 21 मई 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी शाम 05:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - स्वाति पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग- व्यतिपात दोपहर 12:36 तत्पश्चात वरीयान*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:56 से शाम 05:36 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:56*
*⛅सूर्यास्त - 07:17*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:14 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 22 से रात्रि 12:58 मई 22 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - श्री नृसिंह जयंती, छिन्नमस्ता जयंती*
*⛅विशेष - त्रयोदशी के दिन बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹कब कहां और कैसे सोना चाहिए🌹*

*🌹हमारे शास्त्रों में मुनष्य की दिन चर्या के बारे में सुबह से लेकर रात में सोते तक के नियमों का वर्णन मिलता है। शास्त्रों के अनुसार रात में जब दिनभर की थकान को दूर करने के लिए हम शयन करने जा रहे होते हैं तो कब और कैसे शयन करना चाहिए, कहां शयन करना चाहिए और कहां नहीं। यशस्वी, निरोग और दीर्घायु जीवन के लिए सोते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।*

*🌹1- मनुस्मृति में कहा गया है कि सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। देव मन्दिर गर्भगृह और श्मशान भूमि में भी नहीं सोना चाहिए।*

*🌹2- विष्णुस्मृति के अनुसार, किसी सोए हुए मनुष्य को भूलकर भी अचानक नहीं जगाना चाहिए।*

*🌹3- चाणक्यनीति के अनुसार, विद्यार्थी, नौकर और द्वारपाल यदि ये अधिक समय से सोए हुए हों तो इन्हें समय पर तुरंत जगा देना चाहिए।*

*🌹4- देवीभागवत एवं पद्मपुराण में कहा गया है कि- स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। बिल्कुल अंधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए।*

*🌹5- अत्रिस्मृति के अनुसार, भीगे (गीले) पैर कभी नहीं सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है।*

*🌹6- महाभारत के अनुसार, टूटी खाट पर तथा जूठे मुंह भूलकर भी नहीं सोना चाहिए।*

*🌹7- गौतम धर्म सूत्र के अनुसार, "नग्न होकर/निर्वस्त्र" नहीं सोना चाहिए।*

*🌹8- आचारमय़ूख में लिखा है कि- पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु तथा दक्षिण की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है।*

*🌹9- दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। परन्तु ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय 1 मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोया जा सकता है। (दिन में सोने से रोग घेरते हैं तथा आयु का क्षय होता है) ।*

*🌹10- ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार, दिन में तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है।*

*🌹11- सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घण्टे) के बाद ही शयन करना चाहिए।*

*🌹12- बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये लाभकारी है।*

*🌹13- दक्षिण दिशा में पांव करके कभी नहीं सोना चाहिए। यम और दुष्ट देवों का निवास रहता है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है, स्मृति- भ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियां होती है।*

*🌹14- हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचे और पांव पर पांव चढ़ाकर निद्रा न लें।*

*🌹15- शय्या (पलंग) पर बैठकर खाना-पीना बहुत अशुभ होता है एवं सोते सोते पढ़ने से नेत्र ज्योति घटती है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए।*

*🌹16- माथे पर तिलक लगाकर कभी नहीं सोना चाहिए।*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

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16/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 16 मई 2024*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी प्रातः 06:22 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - मघा शाम 06:14 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*⛅योग- ध्रुव प्रातः 08:23 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:16 से दोपहर 03:55 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:58*
*⛅सूर्यास्त - 07:14*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:15 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 17 से रात्रि 12:57 मई 17 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - सीता नवमी*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौ मांस के समान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🫐फालसा🫐

*🔹फालसा गर्मी से राहत दिलाता है और शरीर के लिए भी बहुत पौष्टिक है ।*

*🔹गर्मियों के सबसे लोकप्रिय फलों में फालसा प्रमुखत: से शामिल है । अपने लाजबाव स्वाद के कारण फालसा आहार सबके पसंद का फल है । पके हुये फालसे को नमक, कालीमिर्च और चाट मसाला मिलाकर खाया ही नहीं जाता बल्कि इसका शर्बत भी काफी लोकप्रिय है । छोटे से फल , फालसा को पोषक तत्वों की खान और एंटी ओक्सिडेंट कहना गलत न होगा । देखा जाय तो फालसा फल का ६९% भाग ही खाने लायक होता है । बाकी हिस्से में गुठली होती है । इसमें मौजूद मँग्नेसियम, पोटेसियम, सोडियम, फोस्फरस, कैल्शियम,प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, लोहा, विटामिन ए और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व इसे हमारे लिए सेहत का खजाना बना देते हैं ।*

*🔹फालसा में गर्मी के मौसम संबधित समस्याओं को दूर करने की अदभुत क्षमता होती है । फालसे के रस को शांत, ताजा और आसानी से पचने और गर्मी में प्यास से राहत पहुंचाने वाला आदर्श ठंडा टॉनिक भी कहा जाता है । इसका उपयोग शारीरिक विकारों और बीमारीयों के ईलाज के लिए किया जाता रहा है । ये पित्ताशय और जिगर की समस्याओं को दूर करता है । फालसे में थोडा कसैला पन भी है । जो शरीर से अतिरिक्त अम्लता को कम करके पाचन सबंधी समस्याओं दूर करता है । ये अपचन की समस्या से मुक्ति दिलाता है और भूख भी बढाता है । विटामिन सी और खनिज तत्वों से भरपूर फालसे के सेवन से रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है । इससे ह्रदय रोग का खतरा कम हो जाता है । अस्थमा और ब्रोमकैस्टेक के रोगियों को फालसा खाने से साँस की तकलीफ में राहत मिलती है । हाल में ही हुये वैज्ञानिक शोधों से ये बात सामने आयी है कि फालसा में रेडिओंधर्मी क्षमता भी होती है इस कारण ये कैंसर से लड़ने में भी शरीर को सहायता करता है । anemia से बचाता है ।*

*🔹इससे मस्तिष्क की गर्मी और खुश्की भी दूर होती है । खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण इसे खाने से शरीर में Hemoglobin भी बढ़ता है और anemia से बचाव होता है ।*

*🔹इसके सेवन से मूत्रसबंधी समस्याओं से राहत मिलती है । लू से भी रक्षा करता है फालसे का रस गर्मीयों में चलने वाली लू और उससे होने वाले बुखार से बचाने में ख़ास भूमिका निभाता है । अगर आपका स्वभाव चिडचिडा है तो फालसे को किसी भी रूप में खायें लाभ होगा । उल्टी और घबराहट दूर करता है । धूप में रहने के कारण शरीर के खुले अंगों पर होने वाली लालिमा, जलन, सूझन और कालेपन को दूर करने में भी ये मदद करता है । विटामिन सी से भरपूर फालसे का खट्टा-मीठा रस खाँसी-जुकाम को रोकने और गले में होने वाली समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी प्रभावशाली होता है ।*

*🌹गुरुभक्ति बढ़ाने के प्रयोग🌹*

*🔹गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🔹फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति , गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें। थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें।*

*🌞 🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

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15/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 15 मई 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - अश्लेषा दोपहर 03:25 तक तत्पश्चात मघा*
*⛅योग- वृद्धि सुबह 07:42 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:35 से दोपहर 02:13 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:06*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:36 से 05:20 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त -कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 16 से रात्रि 12:57 मई 16 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण- बुधवारी अष्टमी, बगलामुखी जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹बुधवारी अष्टमी को किये गए जप, तप, मौन, दान व ध्यान 10 लाख गुना फलदायी होता है ।*


*🔹मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं । इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है ।*

*(शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)*

*🍊 स्वास्थ्यवर्धक मोसंबी का रस🍊*

*🔹यह बल व रक्त वर्धक, शक्तिदायक एवं रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला है । बीमार लोगों के लिए मोसंबी अमृत के समान है ।*
*🔹शरीर थकने व मन के ऊब जाने पर मोसंबी अथवा इसके रस का सेवन करें तो थकान,बेचैनी दूर होकर स्फूर्ति व प्रसन्नता बढ़ती है । मोसंबी का रस यकृत, आँतों तथा पाचनतंत्र को शुद्ध करके उन्हें सतेज बनाता है ।*
*मोसंबी चूसने से दाँतों की सफाई होती है व भोजन सरलता से पचता है । सर्दी - जुकामवालों को मोसंबी का रस हलका गर्म करके उसमें २ - ४ बूँद अदरक के रस की डालकर पीना चाहिए ।*

*🧏‍♀️मुलतानी मिट्टी🧏‍♀️*

*🔹मुलतानी मिट्टी से स्नान करने पर रोमकूप खुल जाते हैं । इससे रगड़कर स्नान करने पर जो लाभ होते हैं, साबुन से उसके एक प्रतिशत भी लाभ नहीं होते । स्फूर्ति और निरोगता चाहनेवालों को साबुन से बचकर मुलतानी मिट्टी से नहाना चाहिए ।*

*🔹जिसको भी गर्मी हो, पित्त हो, आँखों में जलन होती हो वह मुलतानी मिट्टी का घोल बना के लगाये , थोड़ी देर बैठ जाय, फिर नहाये तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी, फायदा होगा ।*

*🔹मुलतानी मिट्टी और आलू का रस मिलाकर चेहरे को लगाओ, चेहरे पर सौंदर्य और निखार आयेगा ।*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

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14/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 मई 2024*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 मई 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि प्रातः 04:19 मई 15 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य दोपहर 01:05 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग- गण्ड सुबह 07:26 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:50 से शाम 05:28 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:06*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:37 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 15 से रात्रि 12:57 मई 15 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण- गंगा सप्तमी, विष्णुपदी संक्रांति*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌊श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) : 14 मई 🌊*

*🌹 जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी ) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी ) के नाम से जाना जाता है । इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है ।*

*🌹गंगा स्नान का मंत्र🌹*

*🌹 गंगा स्नान के लिए रोज हरद्वार तो जा नही सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुण्य मिलाने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है:-*
*ॐ ह्रीं गंगायै । ॐ ह्रीं स्वाहा ।।*
*ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करे तो गंगा स्नान का लाभ होगा ।*

*🌹 गंगाजी का मूल मंत्र 🌹*

*🌹 वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है । और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे ।*

*🌹गंगाजी का मंत्र - ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम: ।*

*🌹 जीभ तालू में लगाओ और मन में खाली एक बार बोलो । एक बार जपने से आप का मन पवित्र हो जायेगा । गंगा मैया !! आप विश्वरूपिणी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई तुमको नमस्कारl*

*☀️विष्णुपदी संक्रान्ति 14 मई 2024☀️*

*🌹भगवान वशिष्ठ जी कहते है कि विष्णुपदी संक्रांति के इस पुण्यकाल में किया हुआ जप 100000 गुना फलदायी होता है ।*

*100 गुना , 1000 गुना , 10000 गुना तो सुना है , लेकिन विष्णुपदी संक्रांति के दिन का जप लाख गुना माना गया है । जो जहाँ है , संकल्प करके अपने अपने मंत्र में लग जायेंगे ।*

*विष्णुपदी संक्रांति … ये ग्रहों का जो योग है , उसका बड़ा भारी प्रभाव है ।*

*अपने अपने इलाकों में, अपने अपने आश्रमों में मौन होकर तिन घुट आचमन लेकर जप, ध्यान में बैठ जाओ । भगवान भास्कर ऋषभ राशी में प्रवेश करेंगे । ये बहुत क्रीम टाइम है । इससे तो बुद्धि में बहुत परिवर्तन होना चाहिए ।*

*'मेटत कठिन कुअंक भाल के' । इष्ट मजबूत होता है, तो अनिष्ट दूर हो जाता है ।*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩*🌞


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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 13 मई 2024**⛅दिन - सोमवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - उत्तरायण**⛅ऋतु - ग्रीष्म**...
13/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 13 मई 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 02:50 मई 14 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 11:23 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग- शूल सुबह 07:42 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - सुबह 07:42 से सुबह 09:20 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:06*
*⛅सूर्यास्त - 07:04*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:37 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 14 से रात्रि 12:57 मई 14 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण- स्कंद षष्ठी*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल, दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔸वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*
*🏡 एक घर में होना चाहिए एक मंदिर। एक घर में अलग-अलग पूजाघर बनवाने की बजाए मिल-जुलकर एक मंदिर बनवाए। एक घर में कई मंदिर होने पर वहां के सदस्यों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।*

*🔸घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'*

*🔸प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*

*🔸 मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*

*🔸मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*

*🔸भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*

*🔸गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*

*🔸कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*

*🔸बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*

*🔸घर की रसोई हमेशा अग्नि कोण में हो, गैस चूल्हा भी अग्नि कोण (साऊथ ईस्ट) में, खाना पूर्व की ओर मुंह करके बनाएं, शैंक (बर्तन धोने वाला) हमेशा नार्थ ईस्ट (ईशान कोण) में रखें । शयन कक्ष या रसोई में रात को झूठे बर्तन मत छोड़ें । हमेशा धो-मांज कर रखें ।*

*🔹घर में बरकत नहीं हो तो🔹*
*💵 घर में बरकत नहीं होती तो खडी हल्दी की सात गाँठे और खड़ा नमक कपडे में बांध लें और कटोरी में रख दें घर के किसी भी कोने में, बरकत होगी |*

*🔹कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु🔹*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

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09/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 09 मई 2024*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा प्रातः 06:21 तक तत्पश्चात द्वितीया प्रातः 04:17 मई 10 तक*
*⛅नक्षत्र - कृतिका प्रातः 11:55 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग- शोभना दोपहर 14:42 मई 09 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:12 से दोपहर 03:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:06*
*⛅सूर्यास्त - 07:04*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:22 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 10 से रात्रि 12:57 मई 10 तक*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहति (छोटा बैंगन, कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🥭गर्मियों में बलप्रद व स्वास्थ्यवर्धक आम🥭*

*🔸पका आम बहुत ही पौष्टिक होता है । इसमें प्रोटीन,विटामिन व खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट तथा शर्करा विपुल मात्रा में होते हैं ।*

*🔸आम मीठा, चिकना, शौच साफ़ लानेवाला, तृप्तिदायक, ह्रदय को बलप्रद, वीर्य की शुद्धि तथा वृद्धि करनेवाला है । यह वायु व पित्त नाशक परंतु कफकारक है तथा कांतिवर्धक, रक्त की शुद्धि करनेवाला एवं भूख बढ़ानेवाला है । इसके नियमित सेवन से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है ।*

*🔸शुक्रप्रमेह आदि विकारों के कारण जिनको संतानोत्पत्ति न होती हो, उनके लिए पका आम लाभकारक है । कलमी आम की अपेक्षा देशी आम जल्दी पचनेवाला, त्रिदोषशामक व विशेष गुणयुक्त है । रेशासहित, मीठा, पतली या छोटी गुठलीवाला आम उत्तम माना जाता है । यह आमाशय, यकृत, फेफड़ों के रोग तथा अल्सर, रक्ताल्पता आदि में लाभ पहुँचाता है । इसके सेवन से रक्त,मांस आदि सप्तधातुओं तथा वासा की वृद्धि और हड्डियों का पोषण होता है । यूनानी डॉक्टरों के मतानुसार पका आम आलस्य दूर करता है, मूत्र साफ़ लाता है, क्षयरोग (टी.बी.)मिटाता है तथा गुर्दें व मूत्राशय के लिए शक्तिदायक है ।*

*🔸औषधि-प्रयोग🔸*

*🔸भूखवृद्धि : आम के रस में घी और सौंठ डालकर सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होता है । वायु रोग या पाचनतंत्र की दुर्बलता : आम के रस में अदरक मिलाकर लेना हितकारी है ।*

*🔸शहद के साथ पके आम के सेवन से प्लीहा, वायु और कफ के दोष तथा क्षयरोग दूर होता है ।*

*🔸 आम का पना : केरी (कच्चा आम ) को पानी में उबालें अथवा गोबर के कंडे की आग में दबा दें । भुन जाने पर छिलका उतार दें और गूदा मथकर उसमें गुड, जीरा, धनिया, काली मिर्च तथा नमक मिलाकर दोबारा मथें । आवश्यकता अनुसार पानी मिलायें और पियें ।*

*🔸लू लगने पर : उपरोक्त आम का पना एक-एक कप दिन में २ - ३ बार पियें ।*

*🔸भुने हुए कच्चे आम के गूदेको पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है ।*

*🔸वजन बढ़ाने के लिए : पके और मीठे आम नियमित रूप से खाने से दुबले - पतले व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है ।*

*🔸दस्त में रक्त आने पर : छाछ में आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है ।*

*🔸पेट के कीड़े : सुबह चौथाई चम्मच आम की गुठलियों का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते है ।*

*🔸प्रदर रोग : आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से रक्त-प्रदर में लाभ होता है ।*

*🔸दाँतों के रोग : आम के पत्तों को खूब चबा-चबाकर थूकते रहने से कुछ ही दोनों में दाँतों का हिलना और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है । आम की गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया ठीक होता है ।*

*🔸घमौरियाँ : आम की गुठली के चूर्ण से स्नान करने से घमौरियाँ दूर होती है ।*

*🔸पुष्ट और सुडौल शरीर : यदि एक वक्त के आहार में सुबह या शाम केवल आम चूसकर जरा-सा अदरक लें तथा डेढ -दो घंटे के बाद दूध पियें तो ४० दिन में शरीर पुष्ट व सुडौल हो जाता । आम और दूध एक साथ खाना आयुर्वेद की दृष्टि से विरुद्ध आहार है । इससे आगे चलकर चमड़ी के रोग होते हैं ।*

*🔸सावधानी : खाने के पहले आम को पानी में रखना चाहिए । इससे उसकी गर्मी निकल जाती है । भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए । अधिक आम खाने से गैस बनती है और पेट के विकार पैदा होते हैं । कच्चा, खट्टा तथा अति पका हुआ आम खाने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है । कच्चे आम के सीधे सेवन से कब्ज व मंदाग्नि हो सकती है ।*

*🔸बाजार में बिकनेवाला डिब्बाबंद आम का रस स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं होता है । लम्बे समय तक रखा हुआ बासी रस वायुकारक, पचने में भारी एवं ह्रदय के लिए अहितकर है ।*


*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

05/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 05 मई 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी शाम 05:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपदा रात्रि 07:57 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग- वैधृति प्रातः 07:37 तक तत्पश्चात विष्कंभा*
*⛅राहु काल - शाम 05:26 से शाम 07:02 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:08*
*⛅सूर्यास्त - 07:02*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:24 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 06 से रात्रि 12:57 मई 06 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण- प्रदोष व्रत, विश्व हास्य दिवस*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹प्रदोष व्रत : 05 मई🌹*

*🔹सूतजी कहते हैं - त्रयोदशी तिथि में सायंकाल प्रदोष कहा गया है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुषों को प्रदोष में नियम पूर्वक भगवान् शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिये ।*
*🔹दरिद्रता के तिमिर से अन्धे और भवसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिये यह प्रदोषव्रत पार लगानेवाली नौका है ।*
*🔹भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मृत्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर कर के सम्पत्तियों से पूजित होता है।*
*(स्कन्द पुराण : ब्रह्मोत्तर खंड)*

*🌹दीर्घ एवं निरोगी जीवन के नियम🌹*

*👉 (१) प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में उठें । सुबह-शाम खुली हवा में टहलें, दौड़ें ।*

*👉 (२) प्राणायाम, ध्यान, जप, योगासन, संयम-सदाचार आदि का नियम लें ।*

*👉 (३) दिन में २-३ बार 'देव- मानव हास्य प्रयोग' करें ।*

*👉 (४) कसे हुए, चटकीले-भड़कीले, गहरे रंग के, तंग व कृत्रिम (synthetic) कपड़े न पहनें । ढीले-ढाले सूती वस्त्र या ऋतु- अनुसार ऊनी वस्त्र पहनें ।*

*👉 (५) संयम से रहें । ऋतुचर्या के अनुसार आहार-विहार करें ।*

*👉 (६) पेशाब करने के तुरंत बाद पानी न पियें, न ही पानी पीने के तुरंत बाद पेशाब हेतु जायें । इससे हानि होती है । मल-मूत्र का वेग नहीं रोकें ।*

*👉 (७) सप्ताह में कम-से-कम एक दिन रोज के संसारी कार्यों से मुक्त हो जायें ।*

*👉 सप्ताह में कम-से-कम एक दिन थोड़ा हलका आहार लेकर घर के पूजा-कक्ष में मौन रह के अधिकांश समय सत्संग-श्रवण, श्री योगवासिष्ठ महारामायण ग्रंथ व आश्रम से प्रकाशित अन्य सत्साहित्य का स्वाध्याय, ध्यान, जप, अजपाजप, साक्षीभाव का अभ्यास आदि साधनों का विशेषरूप से लाभ लें ।*

*👉 (८) स्वास्थ्य-मंत्र 'ॐ हंसं हंसः' का नित्य १०८ बार (एक माला) जप करें ।*

*👉 (९) ब्रहावेत्ता संत-सद्गुरु के सत्संग का नियमितरूप से लाभ लें व दूसरों को भी दिलायें ।*

*👉 (१०) चाय-कॉफी, शराब-कबाब, धूम्रपान पान-मसाला सेवन, फिल्मी गाने सुनना, अश्लील दृश्य व चलचित्र तथा गंदी वेबसाइट्स देखना आदि किसी भी हानिकारक चीज की लत लगी हो तो उसे छोड़ने का व्रत लें व उस व्रत पर दृढ रहें ।*

*👉 (११) रात को सोते समय यह प्रयोग करें : भगवन्नाम का उच्चारण करो और भगवान से कह दो कि 'हम जैसे-तैसे हैं, तेरे हैं । ॐ शांति... ॐ 'शांति... ॐ आनंद...' ऐसा करके लेट गये और श्वास अंदर जाय तो 'ॐ', बाहर आये तो '१'... श्वास अंदर जाय तो 'शांति', बाहर आये तो '२'... श्वास अंदर जाय तो 'आरोग्य', बाहर आये तो '३'... इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सोयें । इससे स्वास्थ्य-लाभ तो मिलेगा ही, साथ-ही-साथ रात्रि की निद्रा कुछ सप्ताह में योगनिद्रा बनने लगेगी और आप परमात्मा में पहुँच जाओगे ।*

*🌞 🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*

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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 03 मई 2024**⛅दिन - शुक्रवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - उत्तरायण**⛅ऋतु - ग्रीष्म...
03/05/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 03 मई 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 11:24 मई 03 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 12:06 मई 04 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग- ब्रह्मा दोपहर 02:19 तक तत्पश्चात इंद्र*
*⛅राहु काल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:35 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09*
*⛅सूर्यास्त - 07:02*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:35 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 04 से रात्रि 12:57 मई 04 तक*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 निर्देशित - जैविक घड़ी के अनुसार दिनचर्या 🌹*

*🔸ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यो ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः सुबह एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें जिससे नीचे बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*

*👉 प्रातः ३ से ५ -(इस समय जीवनीशक्ति फेफड़ों में सक्रिय होती है ।)*
*इस समयावधि में थोड़ा गुनगुना पानी पीकर 'खुली हवा' में घूमना एवं प्राणायाम करना चाहिए ।*

*👉 सुबह : ५ से ७ (बड़ी आँत में) - प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल त्याग व स्नान कर लें । ५ से ७ (सुबह ७ बजे के बाद जो मल त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती हैं ।)*

*👉 सुबह ७ से ९ : (आमाशय या जठर में)- दूध या फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं । (भोजन के २ घंटे पूर्व)*

*👉 सुबह ९ से ११ : (अग्न्याशय व प्लीहा में) - यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है ।*

*👉 दोपहर ११ से १ : (हृदय में)- दोपहर १२ बजे के आसपास (मध्यह्न- संध्या) ध्यान, जप करें । भोजन वर्जित है ।*

*👉 दोपहर १ से ३ : (छोटी आँत में)- भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए ।*

*👉 दोपहर ३ से ५ : (मूत्राशय में)- २-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*

*👉 शाम ५ से ७ : गुर्दों में (Kidneys)- इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें अपितु संध्या करें ।*

*👉 रात्रि ७ से ९ : (मस्तिष्क में)- इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है । अतः पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*

*👉 रात्रि ९ से ११ : (मेरूरज्जु में)- इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांतिप्रदान करती है ।*

*👉 रात्रि ११ से १ : (पित्ताशय में)- इस काल में जागरण पित्त बढ़ाता है ।*

*👉 रात्रि १ से ३ : (यकृत में)- इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता है ।*


*🥥🫒नारियल पानी के लाभकारी प्रयोग🫒🥥*

*🔹 मूत्र त्यागते समय जलन होने पर नारियल के पानी में गुड़ और हरा धनिया मिलाकर रोगी को पिलाने से राहत मिलती है ।*

*🔹 नारियल पानी यकृत की अनेक बीमारियों में लाभदायक है । उल्टी, हैजा, पेचिश, एसिडिटी, अल्सर, आदि में यह हितकर है I थकान तथा नाड़ी की तमाम गड़बड़ियाँ नारियल पानी से दूर हो जाती हैं ।*

*🔹 जिनकी दिल की धड़कन बढ़ जाती हो उन्हें हरे नारियल का पानी पीना चाहिए । शिशु के शरीर में जलीय अंश की कमी हो जाने पर उसे दूर करने के लिए यह एक आदर्श पेय है । महिलाओं के रक्तप्रदर में भी यह लाभदायक है ।*

*🔹 कच्चे नारियल का पानी चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे व मुंहासों के निशान मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है I*

*🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩🌞*


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