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सब कुछ ठीक चल रहा था.. एक पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पंख दिए।उसके हर कदम पर साथ दिया, दुनिया की परवाह किए बिना।बेटी आ...
12/07/2025

सब कुछ ठीक चल रहा था.. एक पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पंख दिए।
उसके हर कदम पर साथ दिया, दुनिया की परवाह किए बिना।

बेटी आगे बढ़ी, उड़ने लगी - खुद पर, अपने पिता पर गर्व करते हुए। सब बढ़िया चल रहा था।

फिर अचानक...
किसी ने कान में फुसफुसाया- "लोग क्या कहेंगे?"

अब सब बर्बाद है।

बेटी खत्म, एकेडमी खत्म, पिता जेल में और माता जी तकलीफ में।

अब वही लोग मजे में है और मजे में रहेंगे। समाज अब उसे अगली राधिका ढूंढ कर देगा और ये काम पर फिर लग जाएगा।

"लोग क्या कहेंगे" ने न जाने कितनी ज़िंदगियाँ निगल ली हैं।

प्रेम कोई भावुकता या त्याग मात्र नहीं है। यह एक अस्तित्वगत संकट (existential crisis) है। जब हम किसी को प्रेम करते हैं तो...
10/07/2025

प्रेम कोई भावुकता या त्याग मात्र नहीं है। यह एक अस्तित्वगत संकट (existential crisis) है। जब हम किसी को प्रेम करते हैं तो हम अक्सर यह चाहते हैं कि वह व्यक्ति हमें अपनी इच्छा से चाहे और सदा वैसा ही बना रहे जैसा हम चाहते हैं। लेकिन यही इच्छा, वही लालसा, दूसरे की स्वतंत्रता को नकारने लगती है।

हम जिसे प्रेम कहते हैं, उसमें अक्सर यह छुपी हुई ख्वाहिश होती है- "तुम मुझे चाहो, लेकिन अपनी इच्छा से।"

यही असंभव मांग प्रेम को संघर्ष बना देती है।

क्योंकि प्रेम में हम जो चाहते हैं वह यह कि सामने वाला हमें हमारे लिए चुने, बार-बार चुने और हमेशा चुने। लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी मुक्त इच्छा से अगर हमें चुनता है, तो वह कल किसी और को भी चुन सकता है। यही प्रेम की अनिश्चितता है और यही हमें असहज करता है।

इसलिए, प्रेम में हम चाहने लगते हैं कि सामने वाला बदल न जाए, स्थिर रहे, हमारे अनुरूप रहे और इसी क्षण हम दूसरे की स्वतंत्रता का हनन करने लगते हैं।

प्रेम एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ स्वतंत्रता और नियंत्रण की टकराहट होती है। यदि हम प्रेम में दूसरे को पूरी तरह स्वतंत्र रहने दें तो उसमें स्थायित्व नहीं बचता। लेकिन यदि हम उसे बाँधने की कोशिश करें तो वह प्रेम नहीं रह जाता, वह स्वामित्व बन जाता है।

इसलिए कहते हैं- "To love is, in essence, to want to be loved by a freedom." यानि प्रेम करना असल में यह चाहना है कि कोई स्वतंत्र व्यक्ति हमें अपनी इच्छा से चुने पर यह चाहना ही एक विडंबना है।

प्रेम अक्सर व्यग्रता, अस्थिरता और अधूरेपन से जुड़ा हुआ है। क्योंकि जब दो स्वतंत्र प्राणी प्रेम करते हैं, तो वे कभी एक-दूसरे को पूरी तरह पा नहीं सकते वे केवल प्रयास कर सकते हैं और यह प्रयास ही प्रेम की सुंदर त्रासदी है।

"प्रेम, स्वतंत्रता की सबसे सुंदर जेल है, जहाँ हम बंधना भी चाहते हैं और खुले रहना भी।" - Prashant Kumar

Nothing and No One is Permanent. RIP
28/06/2025

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जो मुश्किल वक्त में हाथ थामे, उससे बड़ा कोई रिश्ता नहीं।
27/06/2025

जो मुश्किल वक्त में हाथ थामे, उससे बड़ा कोई रिश्ता नहीं।

यह मिथिलेश कुमार मांझी है, जो बिहार में सितंबर 2024 में नकली आईपीएस अधिकारी बनने के लिए गिरफ्तार हुआ था। अब वह सामान्य ज...
26/06/2025

यह मिथिलेश कुमार मांझी है, जो बिहार में सितंबर 2024 में नकली आईपीएस अधिकारी बनने के लिए गिरफ्तार हुआ था। अब वह सामान्य जीवन जी रहा है। आलू छीलते हुए तस्वीर में दिख रहा है।

मानवता शर्मसार | गंजम, ओडिशाओडिशा के गंजम जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहाँ दो व्यक्तियों पर गोतस्करी...
25/06/2025

मानवता शर्मसार | गंजम, ओडिशा

ओडिशा के गंजम जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहाँ दो व्यक्तियों पर गोतस्करी का आरोप लगाकर भीड़ ने उनके सिर जबरन मुंडवा दिए और उन्हें सड़क पर घसीटने पर मजबूर किया। यह अमानवीय व्यवहार न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि हमारी सामाजिक चेतना पर भी एक गहरा प्रश्नचिन्ह है।

पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए अब तक 9 लोगों को हिरासत में लिया है।

❗ क्या हमारा समाज अब भीड़तंत्र के हवाले हो चुका है?
❗ क्या हम न्याय व्यवस्था की जगह खुद सज़ा देने लगे हैं?

हम सभी को यह सोचने की ज़रूरत है कि ऐसे कृत्य देश में नफरत और हिंसा को बढ़ावा ही देते हैं।

आरोप हो या अपराध हर किसी को न्याय प्रणाली के ज़रिए ही जवाबदेह ठहराना चाहिए, न कि सड़क पर भीड़ के ज़रिए।

🕊️ कानून और मानवता दोनों का सम्मान करें।

24/06/2025

इस वीडियो में एक छोटा बच्चा अपनी बहन के साथ खेल रहा होता है, तभी अचानक आग लग जाती है। घबराने के बजाय वह तुरंत फायर एक्सटिंग्विशर उठाकर आग बुझा देता है। उसकी सूझबूझ से बड़ा हादसा टल जाता है। त्वरित सोच ही जीवन बचाती है!

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