मायड़ भाषा राजस्थानी

मायड़ भाषा राजस्थानी थानें गाँव रो गवाड़, अर आपणीं भासा बोली चोखी लागे तो पेज नें फॉलो करो सा 🙏

जीवनी नाम - राजस्थानी w/o राजस्थान
गाँव - (म्हारो सगलो राजस्थान हाल घर संयु कढ्योडी हुं रोंवती फीरुं ठोकर खांवती )
म्हारो पिहर सासरो म्हारो बेरी है परिवार- म्हारा बहुआं बेटा सगला छौरा और छौरीयां
राजधानी -जयपुर
सब संयु बड़ो शहर:-जयपुर
जनसंख्या 6,85,48,437 - घनत्व 200.00 /किमी²
क्षेत्

रफल 3,42,239.00 किमी² - ज़िला 33
राजभाषा हिन्दी[1]
गठन 01 नवंबर 1956

बखान
नाम तो म्हारो राजस्थानी है, पण हेंग लुगाई मोटियार पिहर में मनै कदै तो राजस्थान में, हिन्दी, ब्रजभाषा, मेवाती, मारवाड़ी,शेखावाटी, हाड़ौती केवे,
कई भाषाओं रा मिश्रित झुंड नें राजस्थानी भाषा रो नाम दियो गयो है, ई संयु पहली मूङिया(बणिया या महाजनी) लिपि मे लिखता हा,।आज रे वर्तमान में देवनागरी में लिखयो जावे है,। म्हारे में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में है, लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी, आदि उपलब्ध है, म्हारा टाबर ही म्हारी बैज्जती करें।खुद भी मनै पराई करै हिन्दी अंग्रेजी पंजाबी नें घर बीठाई जद मनें सरकारी मान्यता कोनी, । इण वास्ते सकूलां में पढाई कोनी जांऊ, ई कारण ही शिक्षित वर्ग धीरे धीरे म्हारो उपयोग छोड़ रहयो है पर मनै खुशी है म्हारा कई टाबर चौखा निकल्या आज घणां प्रयास करें है म्हारे वास्ते..बो दिन दुर कोनी जद सरकार खुद मनें मान्यता देवसी पर हाल तो मैं रोंवती फीरुं...

21/11/2025

*ब्याव सगाई v/s मौल मोलाई*
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नुगरी व्हैगी नोकरी, पाका मिलगा पाट।
टाट धरे नहिं टोकरी, टाबर बाराबाट।।

छाण्यां मिले न छोकरी, ऊडीकै उमराव ।
ठाला रो कीकर हुवै, बिना नोकरी ब्याव ।।

ऐमे बी ए मौकळा, खर ज्यूँ धक्का खाय।
प्राइवेट में बापड़ा, जूण बितावण जाय ।।

टीका ताणीं टसकता, ठाकर व्है गा ठूँठ।
अकल बिना बण आंधळा, फिरै ऊभाणाँ ऊँट।।

नैड़ा निज आवै नहीं, साख साखिणां सैण ।
फगत नौकरी कारणें, बाळक बणगा डैण ।।

पै'ली परणाया नहीं, लागो टीके लाय।
अब आटा साटा करे, दूजो नहीं उपाय।।

पक्का कोनी टापरा, छपर झूंपड़ा छान।
वर सरकारी वास्ते, कुबदी काढै कान ।।

जमीं बेचस्यां बाप की, करस्यां कर्जो खूब।
लख सरकारी ल्यावस्यां, बाई के महबूब।।

छोरा बैठ्या छांटवा, उड़ी कुँवारा नींद ।
बाबुल ल्यावै राज को बाई तांणी बींद।।

दारू पीवै दपटवां, औगण घणां अनेक।
देख्यो थाणादार है, वर सरकारी ऐक।।

नौ सौ लेवे नकल का, पटवारी में पास।
मूंजी देख्या मास्टर, खुद ही खोदे घास।।

टीको देस्यां ठाकरां, तुरत ताकड़ी तौल।
बेगो आप बताय द्यो,(इण)बाछड़िया रो मौल।।

चैन अँगूठी चाव सूँ, सोनो देसी सेर।
ब्याव कर्यां पछ बीनणीं, देसी थानैं ज्हैर।।

करां मुकदमो द्हेज रो, बेगी हुवै न बेल।
सगा सगी नैं साहिबा, जबर करावां जेल।।

बेटो खोसाँ बाप सूँ, माँ को खोसाँ मान।
मौल जँवाई ले लियो, करके कन्यादान ।।

प्यारा मानो पावणाँ, सासू आळौ साख।
राजी थानैं राखस्यूँ, नीतर तीन तलाक।।

बेटी रहसी फ्लेट में, करे न कोई काज।।
बेगा थारा बाप सूँ , न्यारा होवो राज।

सगपण करणो समझ कर, बराबरी में सार।
देखा-देखी जगत में, प्रीतम पड़े न पार ।।

साख सगाई व्है सजन , नेम धर्म को नीर।
सांचा सगपण मं हुवै , सौ पीढ़ी रो सीर।।

अरज आप सूं ईहगां, गरज करे घनश्याम।
सज्जन नें देवो सुता, ताकव आप तमाम ।।

विगत सुणाई वारता, लिख दूहा इक्कीस।
देखी जैड़ी मांड दी, रैणव करो न रीस।।

*घनश्याम सिंह किनियां कृत*
*चारणवास हुडील*

19/11/2025

🙏जो सुख चावें जीव ने 🙏
🤣👩‍🦰🐊😲‌🤣
जो सुख चावें जीव ने,
घरवाळी ने क ई मती केव,
मनकी जस्यों मुंडों कर न,
म्याऊँ- म्याऊँ करतो रेव।

थारे जसी कोई नी अठै,
रे-रेन वावाई करतो रेव,
गाला पे लटकती लट्ट ने,
आँगळ्या ऊं फेरतों रेव।

आई लव यू केई-केई न,
वंडे आगे- पाछे फरतों रेव,
वा क ई भी ओरडर छोड़े,
हां मा मुंड हलातों रेव।

कदी- कदी बाने विने,
खुली हवा मा घूमातों रेव,
सोपिंग मोल मा ले जाई न,
नवीं हाड़ी देवातों रेव।

बांडक-बूंड मती राख विने,
होना री रकमा करातों रेव,
वा जो भी फरमाईस करे,
आपाणे हाथाऊं खवातों रेव।

कदी वा मांदी वैई जा तो,
रे-रेन वंडी हाता पूछतों रेव,
दवाई-ववाई देई-दुवाई न,
थौड़ा वंडा पग दबातों रेव।

कंडी हीकाया मा नी आणो,
थूँ ऐ गुरू मंतर हीकी लेव,
समुन्दर मा रेई न राजन,
मगरमच्छणी ऊं वैर मती लेव।
मगरमच्छणी ऊं वैर मती लेव।।

राजेन्द्र सनाढ्य राजन
वाइस प्रिंसिपल
रा उ मा वि नमाना
नि-कोठारिया, जि-राजसमंद
( राजस्थान)

19/11/2025

🙏पढ़्या-लिख्या धूळों खाई रा🙏
😢😩🙄🥱😩😢
ओ क ई वैई रो राजन,
पढ़्या-लिख्या धूळों खाई रा,
आतंकवादी वण- वण न,
जगा-जगा बम फोड़ी रा।

स्कूल पाछे भण्या दिखता,
मादरे वतन ने धोखों देई रा,
म्हा हाऊ काम करी रा,
मुंडा ऊं फेर यूँ केईरा।

पैदा वैताई न मर्या वैता,
थाँ अटारों अन्न खाई रा,
अटारा पवित्तर पाणी ऊं,
थाँ रोज अठै वजु करी रा।

डागटर ने भगवान हमझे,
थाँ अठै हैवान वणी रा,
कस्याई धरम मा नी लिख्यों,
वस्यों थाँ काम करी रा।

अटारी कमाई ऊं भाईड़ा,
थाणा घर- बार चाली रा,
मादरे वतन पे खेल-खेल न,
थाणा टाबर मोटा वैई रा।

थाणा हाथ हैपूँची नी कांप्या,
जदी थाँ अठै बम फौड़ी रा,
उगट्यां वण अठै उबरी रा,
खुद री माँ रो गळों मल्डी रा।

नाक डूबाई न मरो आगा,
जो थाँ माँ ने दुख देई रा,
हाऊ खाता-पीता ई अठै,
नवराई अतरा क्यूँ वेली रा।
नवराई अतरा क्यूँ वेली रा।।

राजेन्द्र सनाढ्य राजन
वाइस प्रिंसिपल
रा उ मा वि नमाना
नि-कोठारिया,जि-राजसमंद
( राजस्थान)

17/11/2025

*इण मतळबी दुनिया मांय एक पानवाळो ही ईमानदार है।*
*जको पूछ'र चूनो लगावै कै भाईजी चूनो कितो लगाऊं।*

16/11/2025

🙏मती कर अतरो चाळों 🙏
😊😳🕸️🙄😊
हर वातं मा अतरो,
थूँ क ई करे हैं लालो,
लोग हमझी जाई थने,
धा- वेन्डों है साळों।

अणी लांबी जबान पे,
लगा बंगाळी ताळों,
रे-रेन जनक्यां जूँ,
क ई बदले हैं पाळों।

आधी मले,आधी खा,
मती कर गड़बड़ घोटालों,
वनाई वातं मार्यो जाई,
थूँ मनख भोळों- भाळों ।

ओ घणों खतरनाक हैं,
जिंदगी रो मकड़ जाळों,
मीने ई-मीने भमतों रेई,
कोई नी आवें वचावा वाळों।

क ई न क ई काम कर,
मती घूम अठै ठालों,
छोटा मान देवें ला,
मोटा करे ला वालों।

राजन हमझाई थाकों,
मती कर अतरो चाळों,
परभु पे भरोसों राख,
वोई हैं सब रो रखवाळों।
वोई हैं सब रो रखवाळों।।

राजेन्द्र सनाढ्य राजन
वाइस प्रिंसिपल
रा उ मा वि नमाना
नि-कोठारिया, जि-राजसमंद
( राजस्थान)

14/11/2025

*बडेरा कैवै*
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*हरेक सुळझ्योड़ो मिनख, कठै न कठै उळझ्योड़ो है।*

13/11/2025

*बडेरा कैवै*
●●
*दुनियां में सगळा मिनखां नै जिकी कोई भरपूर चीज मिली है तो बा है "अकल"..*
*क्यूंकै आज तांई कोई भी मिनख आ शिकायत कोनी करी कै म्हा में कम है।*

12/11/2025

🙏बम तो होई फोड़्यां 🙏
🙄🥱🇮🇳🫡💪
आतंकवाद्या रे नी जाणें,
अस्यों क ई बड़कों उठी रो,
ऐ राज नी जाण पाई रा,
आपाणी जनम घुट्टी रो।

आपाणें मार न क ई ऐ,
धरती पे होरा रेवें ला,
जदी आपा औती ग्या,
ऐ कस्या दर मा घूसे ला।

करियाई जाई रा नेजोगा,
आपाणा पे वार ऊपरे वार,
बस अबे घणों वैई ग्यों,
अबे रण वैईजा आर-पार।

आपा ई मरा ला,मारा ला,
स्वाभिमान कदी नी वेचा ला,
आपाणी भारत माता रे,
आँच तक नी आवा देवा ला।

ऐ बम तो होई फोड़्यां,
अबरके असी लड़ाई वेवें ला,
पूरी दुनियाँ मा आतंकवादी,
होदवां ऊँ नी मले ला।

ओ नवों भारत हैं राजन,
कंडी हामे नी झुके ला,
अणा री रूं काँपी जाई,
अबरके अस्या ठौके ला।
अबरके अस्या ठौके ला।।

राजेन्द्र सनाढ्य राजन
वाइस प्रिंसिपल
रा उ मा वि नमाना
नि-कोठारिया, जि-राजसमंद
( राजस्थान)

10/11/2025

*बुढीया बडेरो रो केथाणो है कि सवा पोर सुरज उगे जद ताई राजा करण री वेला रेवे । उण समै ईश्वर सूं कोई अरदास करां तो वा पूरी होवे । उण ही अरदास रै बाबत किं पंक्तियां आपरे सामीं निजर करु :-*


*।। दोहा ।।*

दर पर थारे देवता,
पुनि पुनि करु प्रणाम ।
इतो ही देजे इसरा,
पाप न होवे पाण ।।1।।

रिस्ता गाढा राखजे,
हरियो रखजै हेत ।
प्रेम भाव अनुराग रो,
खरो राखजे खेत ।।2।।

न लड़े जग में मानवी,
रखे प्रेम वैवार ।
भ्रात सरीसी भावना,
समझे सब नर नार।।3।।

दिल री दुविधा मेटकर,
रखजे खुसी अपार ।
सुमती देइजे सांवरा,
सुख पासी संसार ।।4।।

आयो आदर पायके,
जावे अपणे द्वार ।
इतरो दिजे ईसरा,
कर मोपे उपकार ।।5।।

दाता इतरो दीजिए,
धन अन लिछमी धान ।
आदर आया रो रहे,
मीनखां रेवे मान ।।6।।

करम नेक करतो रहूं,
पावन निजरों पार ।
सद्बुद्धि दे सांवरा,
हाथां पर उपकार ।।7।।

चैन राक सब चमन में,
अमन राक इण देश ।
हरियाली धरती रहे,
नित नित नवला वेश ।।8।।

सांसा दिजे सांवरा,
रटूं तुहारो नाम ।
नेकी रख मन मायने,
रहजे माथे राम ।।9।।

सगलो जग होवे सुखी,
आ ही था सूं आस ।
वैर भाव सब मेटजे,
(आ) "दलपत" री अरदास ।।10।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*।। निवेदक ।।*
*दिलीप राव श्रीमाली (दलपत)*
*(पालासनी)*
*प्रतापनगर जोधपुर*

08/11/2025

🙏🙏गेलसप्पों 🙏🙏
🤣🤓😎🥱🤣
केणों क ई न केवें क ई,
ऊबों रेवें, मुंडों वणाई,
विने गेलसप्पों केवें।

लाणों क ई न लावें क ई,
हाका करे, घरे लगाई,
विने गेलसप्पों केवें।

देखणों क ई न देखें क ई,
लगायां औते,करे कुटाई,
विने गेलसप्पों केवें।

खाणों क ई न खावें क ई,
पेट फूलें, देवें धाँई,
विने गेलसप्पों केवें।

देणों क ई न देवें क ई,
लोग देवें, वठु भगाई,
विने गेलसप्पों केवें।

भणणों क ई न भणे क ई,
रोता फरे, कठै कमाई,
विने गेलसप्पों केवें।

करणों क ई न करे क ई,
राजन वेवें, जग हँसाई,
विने गेलसप्पों केवें।
विने गेलसप्पों केवें।।

राजेन्द्र सनाढ्य राजन
वाइस प्रिंसिपल
रा उ मा वि नमाना
नि-कोठारिया, जि-राजसमंद
( राजस्थान)

08/11/2025

(लोक री आर्ट ऑफ लिविंग)
रूंख भायला चौक. चौक माथै पाटो. पाटै पर हथाई. चाणचकै ई छड़छड़ीली सी चैटिंग आ ढुकी. इण बतरस रो आनंद पाठकां सारू-
चैटिंग: ‘कियां हो ?’
हथाई: ‘कियां होवणो हो’
चैटिंग: ‘म्हूं तो बूझ्यो ई है।’
हथाई: ‘तो म्हूं ई उथळो दियो है‘
चैटिंगः ‘कदे तो सावळ बोल्या करो !’
हथाई: ‘थूं ई कदे सावळ बूझ्या कर’
चैटिंग: ‘हालचाल बूझणो कांई कावळ है के ?’
हथाई: ‘सो क्यूं जाणता थकां बूझणै में कांई स्याणप’
चैटिंग: ‘चलो छोड़ो, लीव इट, कांई चल्लै ?’
हथाई: ‘गोडा नै छोड सो कीं चल्लैै’
चैटिंग: ‘ऊं हूं……..म्हारो मतलब है, अबार आप कांई कर रैया हो ?’
हथाई: ‘ग्यास बाढां’
चैटिंग: ‘म्है ग्वार तो सुण्यो है, आ ‘ग्यास’ कांई होवै?’
हथाई: ‘इत्ती ताळ सूं थूं जिकी म्हां साथै बाढै’
चैटिंग: ‘पण बाढण सारू तो चक्कू का तलवार चाइजै, बै कठै ?’
हथाई: ‘मूंडै में लपलपावै’
चैटिंग: ‘नां ओ, लाई जीभ रो कांई दोस ?’
हथाई: ‘जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विस होय,
कागा किण रो धन हरै, कोयल किण नै देय’
चैटिंग: ‘आ जबरी ठरकाई है थे !’
हथाई: ‘ठरकाइजै तो मांचौ री ईस का पछै पागो, बात तो सरकाइजै है’
चैटिंग: ‘कीं दो-चार और सरकाओ नीं’
हथाई: ‘रैवण दे, सरकायां थारै चौसरा चाल जासी’
चैटिंग: ‘ओ हो, म्हूं बियां सरकावण री बात नीं करी।’
हथाई: ‘पण म्हूं तो बियां ई करी’
चैटिंग: ‘थे रिसाणा बेगा हो जावो’
हथाई: ‘थूं घोचो करै ई क्यूं’
चैटिंग: ‘म्हूं तो बात कर रैयी हूं’
हथाई: ‘बात स्यार थूं जाणै ई कोनी’
चैटिंग: ‘बात पछै और किसी’क होवै ?’
हथाई: ‘बात में तत होवणो चाइजै, सार होवणो चाइजै’
चैटिंग: ‘बो कियां आवै ?’
हथाई: ‘पटीड़ खायां’
चैटिंग: ‘थे सदांई कूटीजणै कुटाणै री बात क्यूं करो ?’
हथाई: ‘मिनख अर अदरक में कुटीज्यां ई तंत बापरै’
चैटिंग: ‘तो पछै कूट खाणी सरू करां’
हथाई: ‘करो, कुण पालै है !’
चैटिंग: ‘म्हारी बातां में तत तो आ जिसी के ?’
हथाई: ‘थारो तो आयोड़ो ई पड़्यो है’
चैटिंग: ‘बो कियां ?’
हथाई: ‘थूं फगत कूड़ अर धूड़ रो ब्योपार करै’
चैटिंग: ‘कांई मतलब ? म्हूं कूड़ बोलूं ?’
हथाई: ‘थारै हियै नै बूझ….थूं बोलै कठैई लाधै कठैई, कैवै कीं, करै कीं’
चैटिंग: ‘इयां थोड़ो घणो तो करणो ई पड़ै’
हथाई: ‘कोई अड़ी है के’
चौटिंग: ‘समचो सांच बोल्यां लोग रिसाणा हो जावै’
हथाई: ‘पछै थारो नांव ‘लपोसियो’ राख लै’
चैटिंग: ‘हं…हं…आ म्हानै गाळ है’
हथाई: ‘अं….है….थारी दाळ में बाळ है’
चैटिंग: ‘थे सावळ बताओ, बात में वजन कियां ल्यावां’
हथाई: ‘बात गोडां को घड़ीजै नीं, मोढां ढोवणी पड़ै’
चैटिंग: ‘ढो लेस्यां, कदास पार पड़ै ई तो….!’
हथाई: ‘पैली कूड़ छोड़नो पड़सी’
चैटिंग: ‘बो कोनी छूटै’
हथाई: ‘पछै अड़ी कांई है, बगाओ जित्ती बगाइजै’
चैटिंग: ‘लोगां लपेटणी बंद करदी’
हथाई: ‘लटाई भरीजगी व्हैला, दूजा सोधो, कमी कठै’
चैटिंग: ‘सोधण ई तो आयी….’
हथाई: ‘झोटै आळै घरै लस्सी कोनी लाधै लाडी’
चैटिंग: ‘हीं…हीं…माड़ी होयी आ तो….’
हथाई: ‘हथाई सामीं तो पोत उघड़्यां ई सरै’।
-रूंख भायला

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