09/10/2025
~ लेकिन बहुजन समाज बनाने की शुरुआत कैसे हो? समाज जागरूक कैसे हो? न धन है और न ही लोग. उन्होंने कहा- मैं पढ़े-लिखे लोगों को तैयार करूंगा और उनके पैसे से हम गरीब बहुजनों तक पहुंचेंगे. 1973 में यूं अनऔपचारिक रूप से बामसेफ का गठन हुआ. पांच वर्ष में वह हर जगह गए. लोगों को मिशन से जोड़ा. जब आन्दोलन चलाने लायक लोग और धन इकठ्ठा हो गया तो 1978 में बामसेफ की औपचारिक घोषणा की. लेकिन तब तक कांग्रेस उनके पीछे लग चुकी थी. उनके गुंडे बामसेफ के कार्यकर्ताओं को काम नहीं करने देते थे. इसका जवाब उन्हें उसी भाषा में देने के लिए एक रेडिकल ग्रुप की ज़रुरत पड़ी. साथियों के साथ सलाह-मशवरा हुआ तो 6 दिसम्बर 1981 को डी.एस.4 का गठन हुआ. इस ग्रुप में कोई भी सरकारी कर्मचारी शामिल नहीं था बल्कि अधिकतर उनके रिश्तेदार थे.
कांशी राम जी एक स्वस्थ दिमाग वाले बहुजन के प्रतीक हैं. महाराष्ट्र से मायूस होने के बाद जब उन्होंने उत्तर प्रदेश को अपनी कर्मभूमि बनाया तब वह अपने समाज को जागृत करने के लिए तीन तस्वीरें लेकर जाते थे- एक बाबा साहेब की, दूसरी जोतिबा फुले की और तीसरी शाहू जी महाराज की. लोगों में चर्चा होती थी कि- कोई बाबू आया है महाराष्ट्र से, तीन बाबाओं को लेकर, और वह पेन के उदहारण से समाज का हाल बताता है. ~
0 0 Read Time:23 Minute, 23 Second गुरिंदर आज़ाद (Gurinder Azad) एक बार कांशी राम साहेब कार में अपने सहयोगियों के साथ कहीं जा रहे थे. उनकी तबियत जरा ...