30/08/2024
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारें सिर्फ सत्ता में आने और बने रहने के लिए हैं, या फिर जनता की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए भी उनकी कुछ जिम्मेदारियां हैं? भाजपा, जो ममता बनर्जी और उनकी सरकार को हर मोर्चे पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती, अपने राज्य में इस तरह की घटनाओं पर क्या रुख अपनाएगी? यह सवाल उठाना जरूरी है कि क्या विपक्ष में रहकर ही सत्ता में बैठी सरकार से सवाल करना भाजपा की जिम्मेदारी है, या फिर जब वो खुद सत्ता में हो, तब भी ऐसी घटनाओं पर उतना ही सख्त और संवेदनशील रुख अपनाएगी?
हाल ही में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर भाजपा ने ममता बनर्जी को घेरते हुए सवाल उठाए थे। लेकिन आज, जब कोंडागांव की यह शर्मनाक घटना सामने आई है, तब क्या भाजपा अपनी सरकार से भी ऐसे ही सवाल पूछेगी? जब भाजपा एक झटके में नोटबंदी कर सकती है, जीएसटी लागू कर सकती है, अनुच्छेद 370 को हटा सकती है, और राम मंदिर का फैसला ला सकती है, तो फिर महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों पर कड़ा और क्रूर कानून क्यों नहीं ला सकती?
मैं भाजपा का समर्थक हूं, लेकिन महिलाओं के प्रति हो रही इस तरह की घटनाओं पर सवाल उठाना और सरकार से जवाब मांगना मेरा हक है। भाजपा ने जिन फैसलों को लागू किया है, उनसे देश को बेहतर बनाने में मदद मिली है। लेकिन क्या यह पार्टी महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा और अत्याचारों पर भी उसी गंभीरता से कदम उठाएगी?
यह सवाल सिर्फ भाजपा से ही नहीं, बल्कि देश की हर राजनीतिक पार्टी से है, जो सत्ता के लोभ में जनता को उनकी समस्याओं और सुरक्षा से अनदेखा करती है।
कोंडागांव की इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कब तक हमारे समाज की महिलाएं इस तरह के अत्याचारों का शिकार होती रहेंगी? और कब तक राजनीतिक पार्टियां केवल सत्ता के खेल में लगी रहेंगी, जबकि जनता की सुरक्षा और सम्मान उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।