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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिनांक 06 नवम्बर 2025 को जनपद वाराणसी में काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन करते हुए। सतुआ बाबा आ...
06/11/2025

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिनांक 06 नवम्बर 2025 को जनपद वाराणसी में काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन करते हुए। सतुआ बाबा आश्रम, मणिकर्णिका, वाराणसी

05/11/2025

देव दीपावली: विश्व के लिए आश्चर्य है 15 मिनट के अंदर 15 लाख दिए जल उठते हैं, नरेंद्रानंद सरस्वती, सुमेरु पीठाधीश्वर, शंकराचार्य

वाराणसी/नभ मंडल से असंख्य तारिकाएं काशी के घाट पर देवताओं के स्वागत के लिए उतरी*मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपक जलाकर...
05/11/2025

वाराणसी/नभ मंडल से असंख्य तारिकाएं काशी के घाट पर देवताओं के स्वागत के लिए उतरी*

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपक जलाकर देव दीपावली कार्यक्रम का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री के दीपक जलाते ही पूरा गंगा घाट असंख्य दीयों से हुआ जगमग

सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधिवत् गंगा पूजन किया

देव दीपावली पर्व पर काशी के गंगा घाट असंख्य दीपकों से हुए जगमग

आस्था और सौंदर्य के इस शाश्वत मिलन को देखने वाली हर आत्मा हुई मंत्रमुग्ध

आस्था, संस्कृति एवं परंपरा के महापर्व पर श्री काशी विश्वनाथ के पवित्र धाम में मां गंगा के पावन तट व सभी 88 गंगा घाटों पर मनाया गया देव दीपावली

दीपकों के जगमगाहट में गंगा घाट का विहंगम दृश्य देखने उमड़ा आस्थावान जन सैलाब

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आस्था, संस्कृति एवं परंपरा के महापर्व देव दीपावली के पावन पर्व पर नमो घाट पर पहला दीपक जलाकर विधिवत् देव दीपावली का शुभारंभ किया। तत्पश्चात् उन्होंने गंगा पूजन किया। मुख्यमंत्री के दीपक जलाते ही आस्था, संस्कृति एवं परंपरा के महापर्व पर श्री काशी विश्वनाथ के पवित्र धाम में मां गंगा के पावन तट व सभी 88 गंगा घाटों पर मनाए जा रहे देव दीपावली पर्व पर काशी के गंगा घाट असंख्य दीपकों से जगमग हुए। दीपकों के जगमगाहट में गंगा घाट का विहंगम दृश्य देखते ही बन रहा था। ऐसा लग रहा था कि नभ मंडल से असंख्य तारिकाएं काशी के घाट पर देवताओं के स्वागत के लिए उत्तर आई हो। देव दिवाली भगवान शिव की राक्षस त्रिपुरासुर पर विजय की याद में मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मांड की रक्षा की थी और उसी खुशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवता काशी में प्रकट हुए थे और खुशी में गंगा घाट पर दीपावली मनाए थे।
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नमो घाट से क्रूज से काशी के गंगा घाटों पर देव दीपावली के विहंगम दृश्य तथा शिवाला घाट पर गंगा के जल लहरियों पर लेज़र शो का अवलोकन किया। इस दौरान गंगा घाटों ग्रीन आतिशबाजी भी हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल, महापौर अशोक तिवारी, पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, मुख्य सचिव एस पी गोयल, कमिश्नर एस. राजलिंगम, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार सहित अन्य प्रशासनिक एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी आदि लोग प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
बताते चलें कि दीपों का यह त्योहार वाराणसी के घाटों को एक दिव्य दृश्य में बदल देता है। दिवाली के पंद्रह दिन बाद, कार्तिक पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्योहार में, पूरा नदी तट लाखों मिट्टी के दीपों से जगमगा उठता है, जो एक ऐसा नज़ारा प्रस्तुत करता है जो कालातीत लगता है। हालाँकि इसका वर्तमान स्वरूप 1985 का ही है, यह त्योहार अपने आप में पौराणिक कथाओं और सदियों पुरानी परंपराओं में गहराई से निहित है। एक पौराणिक कथा भगवान शिव और राक्षस तारकासुर के तीन पुत्रों-विद्युन्माली, तारकाक्ष और कमलाक्ष-की कहानी कहती है। घोर तपस्या के माध्यम से, इन भाइयों ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल लोक में स्थित, सोने, चाँदी और लोहे से बने तीन अजेय किले। त्रिपुरा नामक ये किले, हज़ार साल में केवल एक बार ही बनते थे, और इन्हें एक असंभव से दिखने वाले रथ से छोड़े गए एक ही बाण से, और वह भी केवल क्रोध से रहित रथ से ही, नष्ट किया जा सकता था। इस वरदान के प्रभाव में, राक्षस फलते-फूलते रहे, जिससे देवता भयभीत हो गए। पहले तो न तो ब्रह्मा और न ही शिव ने हस्तक्षेप किया, क्योंकि दोनों भाई धर्म से रहते थे। लेकिन विष्णु की सलाह पर, एक दिव्य प्राणी द्वारा प्रचारित एक नए सिद्धांत के माध्यम से राक्षसों को आसानी से गुमराह किया गया, यहां तक ​​कि नारद ऋषि को भी उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया। एक बार जब वे धर्म से भटक गए, तो शिव ने देवताओं की संयुक्त शक्तियों को अवशोषित कर लिया और एक असाधारण रथ बनाया। पृथ्वी उसका शरीर, मेरु पर्वत उसका धनुष, वासुकि नाग उसकी डोर और पाशुपत अस्त्र उसका एकमात्र बाण। रथ खींचने के लिए विष्णु ने एक शक्तिशाली बैल का रूप धारण किया। जब तीनों किले एक सीध में आ गए, तो शिव ने बाण छोड़ा और त्रिपुरा को नष्ट कर दिया। मारे गए प्राणियों के प्रति उनके करुणा के आंसुओं से रुद्राक्ष का वृक्ष उग आया। बुराई पर अच्छाई की यह जीत देव दीपावली की पौराणिक जड़ों में से एक है।
एक और कथा राजा दिवोदास (रिपुंजय) से संबंधित है। दैवीय शक्तियों से संपन्न, उन्होंने एक संधि के तहत काशी पर शासन किया, जिसके तहत शिव और देवताओं को भी नगर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। जब शिव ने पार्वती से विवाह किया, तो वे काशी में निवास करना चाहते थे, लेकिन इस संधि के कारण उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया। देवताओं ने दिवोदास में दोष ढूँढ़ने का प्रयास किया, योगिनियों, आदित्यों, भैरवों और यहाँ तक कि ब्राह्मण वेशधारी गणेश को भी भेजा। किसी को कोई दोष नहीं मिला, क्योंकि राजा न्यायप्रिय और धर्मात्मा थे। समय के साथ, गणेश ने, मुख्य सलाहकार के रूप में, दिवोदास को मन की शांति के लिए शिव को वापस बुलाने के लिए धीरे से राजी किया। राजा ने आज के मीर घाट के पास एक शिवलिंग की स्थापना की और शिव से वहाँ स्थायी रूप से निवास करने का अनुरोध किया। अति प्रसन्न होकर, देवता काशी लौट आए और घाटों को दीपों की पंक्तियों से जगमगा दिया, जिससे दिव्य घर वापसी के पर्व के रूप में देव दीपावली का जन्म हुआ।
आज, यह उत्सव किसी अद्भुत अनुभव से कम नहीं है। असंख्य दीप घाटों, मंदिरों, छतों पर और यहाँ तक कि गंगा नदी पर भी तैरते हैं, जिससे इसकी अर्धचंद्राकार परिक्रमा प्रकाश की एक झिलमिलाती आकाशगंगा में बदल जाती है। परंपरा के अनुसार, इंदौर की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 18वीं शताब्दी में इस प्रथा को पुनर्जीवित किया था और पंचगंगा घाट पर एक हज़ार दीपों वाला एक विशाल स्तंभ बनवाया था, जो आज भी हर साल सबसे पहले जलाया जाने वाला स्थान है।
देव दीपावली उत्सव आतिशबाजी, सजी हुई नावों, अग्नि-भक्षक और तैरते मंचों पर शास्त्रीय संगीत और नृत्य के सांस्कृतिक प्रदर्शनों से समृद्ध होता है। नमो घाट, दशाश्वमेध और शीतला घाटों पर, विशाल दीपों, कपूर की लौ और पुष्पांजलि के साथ भव्य गंगा आरती और दुग्धाभिषेक किया जाता है। शिवाला घाट पर गंगा की उठती जल तरंगों पर लेज़र शो ने प्राचीन वैभव में एक आधुनिक स्पर्श जोड़ा है। फिर भी, यह त्यौहार केवल आनंद का ही प्रतीक नहीं है। यह भारत के शहीदों के प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि भी है। थलसेना, वायुसेना, नौसेना, सीआरपीएफ और एनसीसी इकाइयों के सैनिक एक औपचारिक सलामी, अंतिम पोस्ट में भाग लेते हैं, जबकि शहीदों के सम्मान में आकाशदीप जलाए जाते हैं। इस प्रकार देव दीपावली उत्सव और स्मरण दोनों का प्रतीक है, जो पौराणिक कथाओं, भक्ति और देशभक्ति को एक साथ पिरोती है। इस रात, वाराणसी सचमुच काशी बन जाती है-"प्रकाश नगरी"-जहाँ लाखों टिमटिमाती लपटें देवताओं के स्वागत का एक प्रकाशमय संदेश भेजती हैं, और आस्था और सौंदर्य के इस शाश्वत मिलन को देखने वाली हर आत्मा को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

देव दीपावली: गंगोत्री सेवा समिति के द्वारा घाटों को सजाया जा रहा है बड़ी संख्या में श्रद्धालु अभी से आकर मौजूद हैं, मां ...
05/11/2025

देव दीपावली: गंगोत्री सेवा समिति के द्वारा घाटों को सजाया जा रहा है बड़ी संख्या में श्रद्धालु अभी से आकर मौजूद हैं, मां गंगा की आरती देखने के लिए दो ही विश्व प्रसिद्ध घाट है, जिस तरह से मोक्ष के लिए मणिकांका घाट और हरीश चंद्र घाट है वैसे ही आरती देखने के लिए दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट है ऐसा माना जाता है कि परिवार में सुख-शांति और वैभव प्राप्त होता है

04/11/2025

अपना दल (कमेरावादी) का 31वां स्थापना दिवस समारोह, कोरौता बाजार, विधायक डॉ. पल्लवी पटेल (सिराथू, कौशाम्बी)
https://youtu.be/Uuns-CMSDe4
वाराणसी/डॉ. सोनेलाल पटेल 31स्थापना दिवस पर आज कोरौता बाजार में अपना दल (कमेरावादी)विधायक डॉ. पल्लवी पटेल (सिराथू, कौशाम्बी) सभा को संबोधित करते हुए कहा कि
- धोबी का कुत्ता ना घर का अपना घाट का यही हाल हमारे समाज की हो गई है
- जिसके साथ का कमेरा वादी खड़ा हो जाता है उसकी सरकार बना देते हैं
- चक्की चौराहा पर इस बार अपने लिए अपनी पार्टी और अपने झंडे के लिए अपनी सरकार बनाएंगे

31/10/2025

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन काशी नट्टुकोट्टई भवन का उद्घाटन किया।
https://youtu.be/WJczVbT4oFs
वाराणसी। उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को वाराणसी के सिगरा क्षेत्र में बने श्री काशी नट्टुकोट्टई नगर सत्रम प्रबंधन सोसाइटी के नए सतराम भवन का उद्घाटन किया। साथ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने काशी (वाराणसी) और तमिलनाडु के बीच पुराने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन पर ज़ोर दिया। उन्होंने पवित्र शहर की अपनी पिछली यात्राओं को याद किया, पिछले 25 सालों में हुए इसके शानदार बदलाव को नोट किया, और इस प्रगति का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया। सी. पी. राधाकृष्णन ने कुछ व्यक्तिगत बातें भी शेयर कीं, जिसमें साल 2000 में गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के बाद उनका शाकाहारी बनना भी शामिल है।

उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने नागरथार समुदाय की समर्पित समाज सेवा और वे जहाँ भी जाते हैं, वहाँ तमिल संस्कृति को बढ़ावा देने के उनके लगातार प्रयासों की तारीफ़ की। उन्होंने समुदाय द्वारा ₹60 करोड़ की लागत से सतरम बनाने के लिए उनकी सराहना की, जिसका पूरा खर्च समुदाय के दान से हुआ है, और नई इमारत को विश्वास, लचीलेपन और क्षेत्रों के बीच सहयोग का प्रतीक बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आखिरकार धर्म की ही जीत होती है, यह देखते हुए कि जिस ज़मीन पर अब सतरम खड़ा है, उस पर कभी अतिक्रमण किया गया था, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से उसे सफलतापूर्वक वापस ले लिया गया। उन्होंने कहा कि सतरम अब भक्तों के लिए एक नेक सुविधा के रूप में खड़ा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि काशी को दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है और उन्होंने कहा कि नया बना सतरम आने वाले भक्तों को बहुत फायदा पहुंचाएगा और साथ ही आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने में भी मदद करेगा।सी. पी. राधाकृष्णन ने देवी अन्नपूर्णी अम्मन देवी की मूर्ति को काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में वापस लाने की भी सराहना की। यह मूर्ति, जो एक सदी पहले वाराणसी के मंदिर से चोरी हो गई थी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार के लगातार प्रयासों से 2021 में कनाडा से भारत वापस लाई गई थी। नया बना सतरम 10 मंज़िला इमारत है जिसमें 140 कमरे हैं, जिसे श्री काशी नट्टुकोट्टई नागरा सतरम मैनेजिंग सोसाइटी ने ₹60 करोड़ की लागत से बनाया है। यह वाराणसी में सोसाइटी का दूसरा सतरम है, जो आने वाले भक्तों को रहने की जगह देने और युवा पीढ़ी को पवित्र शहर से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। यह पहल काशी-तमिलनाडु के गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव को मज़बूत करके एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाती है। इस कार्यक्रम में काशी और दक्षिण भारत के बीच तीर्थयात्रा की पुरानी परंपरा पर भी ज़ोर दिया गया, जो 1863 में नट्टुकोट्टई ट्रस्ट द्वारा पहले सत्रम की स्थापना से चली आ रही है।

इससे पूर्व इस अवसर पर उपराष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप राष्ट्रपति बनने के बाद सर्वप्रथम काशी आगमन पर उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने "वाणक्कम काशी" को उद्घोषित करते हुए उपराष्ट्रपति बनने के बाद बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर प्रथम आगमन पर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वाराणसी की गंगा नदी से तमिलनाडु की कावेरी नदी तक जुड़ी हुई सांची सभ्यता हमें यह याद दिलाती है कि हमारी भाषा भले अलग हो लेकिन हम सब एक हैं। मुख्यमंत्री योगी ने जोर देते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति उत्तर प्रदेश के प्रथम दौरे पर बाबा विश्वनाथ की धरा पर पधारे हैं जो भारत के प्रधानमंत्री की लोकसभा भी है। उन्होंने कहा भगवान राम द्वारा रामेश्वरम में स्थापित शिवलिंग तथा काशी में स्थित बाबा विश्वनाथ दोनों भगवान शंकर के पूज्य स्थल हैं। भगवान श्रीराम तथा भगवान शिव के प्रयास से निर्मित रामसेतु की परंपरा को आदि शंकराचार्य ने आगे बढ़ाते हुए भारत के चारों कोने में मंदिर स्थापित कर ज्ञान परंपरा तथा सनातन धर्म को आगे बढ़ाया। यह हमारा सौभाग्य है कि आदिकाल से चली आ रही सनातन परम्परा को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। पांड्या साम्राज्य द्वारा तमिलनाडु की काशी में यहां से एक शिवलिंग ले जाकर स्थापित किया गया, जिसको दक्षिण की काशी कहते हैं। भारत में संस्कृत भाषा तथा तमिल साहित्य सबसे प्राचीन साहित्य है, जो समाज में समरसता बनाए हुए है। अयोध्या धाम में संत रामानुजाचार्य की भी प्रतिमा स्थापित की गयी है। अयोध्या के पावन रामजन्म तीर्थस्थल के चारों रास्तों के नामकरण जगतगुरू शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य, भद्राचार्य के नामपर रखा गया है। काशी की आत्मा सनातन तथा आत्मीयता वैश्विक है। आज काशी नए कीर्तिमान को स्थापित कर रही है जिसमें काशी अपने नूतन रूप में वैश्विक स्तर पर छाई है। काशी में अब भक्ति के साथ विकास भी है। काशी में तुलसीदास ने रामायण लिखा, सारनाथ में भगवान बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया तथा गुरुनानक, कबीरदास तथा संत रविदास भी काशी से सम्बन्धित रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम में न केवल मंदिर का कायाकल्प हुआ बल्कि इसने भक्ति को नए वैश्विक स्तर पर जोड़ा गया है। काशी में 51000 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है जिसमें लगभग 34000 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण भी हो चुका है। काशी में रेल, एयर तथा जल कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। बहुत जल्द काशी को रोपवे की भी सुविधा मिलने वाली है जो अर्बन पर्यटन को एक नई दिशा देगा। आज का यह समारोह पवित्र कार्तिक मास में आयोजित होने वाला महत्वपूर्ण समारोह हो गया है। इस स्थान पर 200 वर्ष पूर्व नाटकोटाई समाज द्वारा बाबा विश्वनाथ के पूजनार्थ दी गयी थी लेकिन मुझे इसकी जानकारी होने पर मैने तुरंत लोकल प्रशासन को लगाकर इसको अतिक्रमण मुक्त कराया तथा इस धर्मशाला की नींव माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि आज भारत में निवेश का सबसे बेहतर स्थल उत्तर प्रदेश हो चुका है। ये समारोह ऐसे समय पर हो रहा है जब बनारस में कल से गंगा महोत्सव शुरू हो रहा है तथा 5 नवम्बर को देव दीपावली का आयोजन होगा आप सब इसमें उपस्थित हों ताकि आप नयी काशी को अच्छे से महसूस कर सकें। उन्होंने सोसाइटी से जुड़े लोगों के प्रति भी धन्यवाद दिया कि किस प्रकार निर्धारित समय में उन्होंने कार्यों को पूरा किया है, उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी अच्छे कार्य में उनके साथ खड़ी है। इससे पूर्व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

बताते चलें कि श्री काशी नट्टुकोट्टई नगर सत्रम प्रबंधन सोसाइटी ने 60 करोड़ रुपये की लागत से 140 कमरों वाला 10 मंजिला सत्रम भवन बनवाया है। वाराणसी में सोसाइटी द्वारा निर्मित यह दूसरा सत्रम है और इसका उद्देश्य आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करना तथा युवा पीढ़ी को इस पवित्र नगरी की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह पहल "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की भावना में गहरे काशी-तमिल संबंध का प्रतीक है, जो काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाती है।
कार्यक्रम में प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल, तमिलनाडु सरकार के मंत्री एस. रघुपति, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, एमएलसी राय धर्मेन्द्र सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, मंडलायुक्त एस. राजलिंगम, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त हिमांशु नागपाल, मुख्य विकास अधिकारी प्रखर कुमार सिंह, श्रीकाशी नाटकोट्टई के अध्यक्ष एल नारायणन, अभिरामी रामानाथन, एमई एमआर मुथाई, एस कदिरेसन, डॉ सोलार नचित्तन समेत संबंधित अधिकारी सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

29/10/2025

दालमंडी: अजान के बीच में चला प्रशासन का हथौड़ा, 200 पुलिसवालों को लेकर को तोड़ने
https://youtu.be/Box6aU0sTaE
वाराणसी में दालमंडी की गलियों को चौड़ा किया जा रहा
है। बुधवार दोपहर करीब 2 बजे नगर निगम की टीम 200 पुलिसवालों को लेकर एक मकान को तोड़ने पहुंची। रात 8 बजे कार्रवाई रोक दी गई। करीब 6 घंटे में मकान के 70 फीसदी हिस्से को ढहा दिया गया। अब गुरुवार सुबह 10 बजे से फिर हथौड़ा चलेगा।
पुलिस रात भर तैनात रहेगी। जबकि रास्ता 50 मीटर तक बंद रहेगा। चौक से कोई भी व्यक्ति दालमंडी में प्रवेश नहीं कर सकेगा। तो वहीं दूसरी तरफ शाम में इस कार्रवाई के समय एक तरफ अजान हो रहा था, तुम्हें दूसरी तरफ हथौड़े की आवाज भी सुनाई दे रही थी

27/10/2025

घाट पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब: जय छठ मइया ! डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
https://youtu.be/xR_rm2NI3XY
वाराणसी/छठ पूजा सिर्फ सूर्य देव की उपासना नहीं है, बल्कि यह लोक आस्था, पौराणिक मान्यताओं और विश्वास का संगम है।
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में छठ पूजा आत्म-शुद्धि, अनुशासन और प्रकृति के साथ मानव के गहरे संबंध का प्रतीक है. यह एकमात्र ऐसा हिंदू पर्व है,
जहां उगते हुए सूर्य के साथ-साथ डूबते हुए सूर्य को भी समान श्रद्धा से अर्घ्य दिया जाता है. इस 4 दिवसीय अनुष्ठान में व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं.
छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार है जिसमें भगवान सूर्य की पूजा की जाती है; लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने से आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

दिन 1: नहाए खाए: नहाए खाए छठ पूजा का पहला दिन है। इसका अर्थ है "स्नान करना और भोजन करना"। इस दिन व्रत रखने वाले भक्त किसी तालाब, नदी या अन्य जल स्रोत में पवित्र स्नान करते हैं।

दूसरा दिन: खरना: दूसरे दिन, भक्त निर्जला (बिना अन्न-जल के) व्रत रखते हैं। छठी माता को प्रसाद चढ़ाया जाता है और रिश्तेदारों व मित्रों में बाँटा जाता है।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन, शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जिसमें मिठाइयाँ और फल जैसी कई चीज़ें शामिल होती हैं। लोग रात में छठ व्रत कथा सुनते हैं
और भक्ति गीत गाते हैं।

चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण: छठ पूजा के अंतिम दिन, सुबह सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लोग नदी तट या आस-पास के किसी जलस्रोत पर जाकर अर्घ्य देते हैं। वे छठी माता और सूर्य से अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। व्रती अदरक और गुड़ खाकर अपना व्रत तोड़ते हैं।

छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...
27/10/2025

छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...

पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी श्री मोहित अग्रवाल द्वारा छठ पर्व के दृष्टिगत गंगा घाटों का भ्रमण कर किया गया निरीक्षण, द...
26/10/2025

पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी श्री मोहित अग्रवाल द्वारा छठ पर्व के दृष्टिगत गंगा घाटों का भ्रमण कर किया गया निरीक्षण, दिये गये आवश्यक दिशा-निर्देश ।

 “छठ पर्व पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा एवं सुगम यातायात हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। गंगा घाटों पर एनडीआरएफ, जल पुलिस, पीएसी व गोताखोर तैनात हैं । सभी व्यवस्थाएँ पूरी तत्परता से की गई हैं ताकि पर्व शांतिपूर्ण व सुरक्षित सम्पन्न हो ” - पुलिस आयुक्त ।
 पुलिस आयुक्त महोदय द्वारा जिलाधिकारी वाराणसी संग छठ पर्व के दृष्टिगत गंगा घाटों का व्यापक भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन एवं श्रद्धालुओं की सुविधा से संबंधित तैयारियों का किया गया विस्तृत निरीक्षण तथा सम्बन्धित अधिकारीगण को दिए गए आवश्यक निर्देश ।
 इस दौरान उन्होंने नमो घाट, अस्सी घाट से लेकर रविदास घाट तक पैदल भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया, संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की तथा उपस्थित श्रद्धालुओं से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं की जानकारी ली।
 महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा के लिए घाटों पर सादे वस्त्रों में मौजूद रहेंगे महिला व पुरूष पुलिसकर्मी, एण्टीरोमियो टीमें भी रहेंगी सक्रिय ।
 गहरे पानी में जाने से रोकने हेतु की गई है वाटर बैरिकेडिंग की व्यवस्था, एनडीआरएफ व जल पुलिस के साथ तैनात रहेंगे गोताखोर ।
 घाटों व पूजा स्थलों पर भीड़ प्रबन्धन हेतु की गई है पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था, ड्रोन एवं सीसीटीवी कैमरों से की जा रही निगरानी ।
 सुगम यातायात व्यवस्था के दृष्टिगत घाटों व छठ पूजा स्थलों के आवागमन के मार्गों पर लागू होगा ट्रैफिक डायवर्जन प्लान व नो-एण्ट्री, की जायेगी अस्थायी पार्किंग की व्यवस्था।
 ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी/कर्मचारियों को श्रद्धालुओं के प्रति सहयोगात्मक एवं संवेदनशील व्यवहार अपनाते हुए सेवा भाव से ड्यूटी करने तथा उनकी सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए ।

आज दिनांक 26.10.2025 को पुलिस आयुक्त, कमिश्नरेट वाराणसी श्री मोहित अग्रवाल द्वारा छठ पर्व के दृष्टिगत गंगा घाटों का व्यापक निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन एवं श्रद्धालुओं की सुविधा से संबंधित तैयारियों का जायजा लिया गया। उन्होंने नमो घाट, अस्सी घाट से रविदास घाट तक पैदल भ्रमण कर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया, संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की तथा श्रद्धालुओं से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं की जानकारी ली। पुलिस आयुक्त ने बताया कि “श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा एवं सुगम यातायात हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है”, जिसके तहत गंगा घाटों पर एनडीआरएफ, जल पुलिस, पीएसी व गोताखोरों की तैनाती की गई है। महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा हेतु सादे वस्त्रों में महिला व पुरुष पुलिसकर्मी तथा एण्टीरोमियो टीमें भी सक्रिय रहेंगी। गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए वाटर बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है, घाटों पर ड्रोन एवं सीसीटीवी कैमरों से सतत निगरानी रखी जा रही है। सुगम यातायात के लिए ट्रैफिक डायवर्जन प्लान, नो-एण्ट्री व अस्थायी पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। पुलिस आयुक्त ने ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को संवेदनशीलता, सहयोग और सेवा भाव के साथ कार्य करने के निर्देश दिए। इस दौरान जिलाधिकारी वाराणसी श्री सत्येन्द्र कुमार, पुलिस उपायुक्त काशी जोन श्री गौरव बंशवाल, अपर पुलिस उपायुक्त काशी जोन श्री सरवणन टी., एडीएम सिटी, अपर पुलिस उपायुक्त यातायात श्री अंशुमान मिश्रा सहित सम्बन्धित सहायक पुलिस आयुक्त, थाना प्रभारी व अन्य पुलिस बल उपस्थित रहे ।

25/10/2025

काशी की सुप्रसिद्ध नागनथैया लीला, महंत, विश्वम्भर नाथ मिश्र
https://youtu.be/Pm7lOkJ4i48
वाराणसी/तुलसी घाट पर नाग नथैया लीला का अद्भुत आयोजन हुआ। इस लीला में कृष्ण रूपी कलाकार ने पहले क्रीड़ा किया उसके बाद यमुना रूपी गंगा में छलांग लगा दी बाहर आकर सबको दर्शन दिए और सभी ने हर हर महादेव का उद्घोष किया और लीला का समापन हुआ। आपको बता दें कि इस लीला को गोस्वामी तुलसीदास ने शुरू कराया था। कहा जाता है कि वृंदावन के कालीदह घाट पर कान्हा ने लीला की और यमुना से कालिया को उद्भाषित कर दिया।

25/10/2025

पोस्ट दिखाकर पीएम मोदी पर साधा निशाना, कांग्रेस, प्रदेश अध्यक्ष, अजय राय
https://youtu.be/IWHMi_BWnXY
वाराणसी स्थित अपने आवासीय कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “मोदी–योगी सरकार के नौ-दस साल के शासनकाल में पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की घटनाओं में भयावह वृद्धि हुई है। यह तथाकथित ‘अमृत काल’ नहीं, बल्कि ‘अत्याचारकाल’ बन गया है।” केंद्र कि मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश कि योगी सरकार का एक मात्र लक्ष्य है मंहगाई, भ्रष्टाचार और जनविरोधी नीतियों को आगे बढ़ाना । आज हालात यह हो गए हैं कि आमजन सोने को बेचकर पर्व मनाने को मजबूर हैं । अभी दीपावली का पर्व बीता है और लोक आस्था का पर्व छठ आज से शुरू होने जा रहा है । हमारी माताएं ,बहनें निर्जला होकर छत्तीस घंटे का व्रत रखती हैं । सरकार ने घाटों कि साफ सफाई और गंगा जी में पानी के निर्बाध प्रवाह कि कोई सुचारु व्यस्था नहीं कि । हर तरफ गंदगी पसरी हुई है । इससे साबित होता है कि इस सरकार का सारा ध्यान सिर्फ जनता को लूटने पर है । आज वाराणसी कि जनता सरकार प्रायोजित दुर्व्यवस्थाओं, सरकारी लूट खसोट, सरकारी मशीनरियों के जनविरोधी और असंवेदनशील रवैए से त्रस्त हो चुकी है ।

Address

Nasirpur, Susuwahi/Lanka
Varanasi
221011

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