
08/08/2025
05/08/2025
उतराखंड मे जो ये तबाही हुई है कहीं ना कहीं इसके जिमेदार हम खुद भी हैं ।
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उतराखंड मे आज कि पीढ़ी को विकास भी चाहिए सड़कें घरों तक चाहिए मार्केट नजदीक चाहिए बड़ा सा प्लेग्राउंड चाहिए नदियों के पास मे रिज़ॉर्ट और होटल भी चाहिए लेकिन उतराखंड मे भूकंप नहीं चाहिए उतराखंड मे बादल फटने नहीं चाहिए और ना ही कोई नुकसान चाहिए अरे जब सुविधाओं के अभाव मे जो गलत परियोजनायें चल रही है कहीं ना कहीं उतराखंड कि धरती उसे नकार रही है क्योंकि पहाड़ो मे हमेसा शांति चाहिए होती है कारण पहले ही नदियों और नालो के बोझ को झेल रहा है पहले ही तेज हवाओं को झेल रहा है पहले अंधाधुंध बारिशों को झेल रहा है लेकिन आज जो हमारी फेक जीवनशेली चल रही है उसकी वजह से इन पहाड़ों को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है लेकिन जब तक हमें कोई नुकसान नहीं दिखता तब तक वहवाही होती है लेकिन जब बड़ा सा नुकसान होता है तो या तो कुदरत पे छोड़ देते हैं या फिर ईश्वर पर लेकिन खुद इसकी जिम्मेंवारी नहीं लेते काश उस दिन ये ना होता काश उस दिन ये ना करता प्रकृति का नियम है ना मुझे छेड़ो ना मे तुम्हें कोई नुकसान पहुँचाउंगा अगर हम प्रकृर्ति को छेड़ रहे हैं तो कहीं ना कहीं इसकी भरपाई करनी पड़ेगी 2013 कि तबाही देख चुके हैं 2025 कि भी देखली हैं (सवाल ) :लेकिन कल क्या कल को आज हम सुधार सकते हैं इसका जवाब है (उत्तर) हाँ क्योंकि जहाँ सवाल ऊठा है वहाँ जवाब जरूर मिलता है ।
उतराखंड मे जितने भी आज तक भूस्खलन हुआ बाड़ आयी या बादल फटने कि घटना हुई है एक डॉट जरूर दिखा है जिसे हम सबने इग्नोर किया वो है जगह कैसी मौसम कैसा ढलांन कैसा है आकार कैसा है खाई कैसी है घाटी कैसी है लेकिन बिना जाने समझे हम वहाँ पर अपनी फेक जीवन शेली को दिखाने का काम करते हैं जिस वजह से इतना बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है फेक जीवन के दिखावे के लिए हम वो सब कुछ खतम कर देते हैं शायद जिनके लिए हम कर रहे होते है शायद वो पीढ़ी ही ख़तम हो जाती है इस लिए हमें आज ही जागरूक होना पड़ेगा कहीं ये ना हो कि हमारी एक गलती की वजह से हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए खतरा पैदा ना हो।
उदाहरण : आज से 100 साल पहले उत्तराखण्ड के लोग धार के उपर बसते थे ( धार मतलब हल्की ढलान होती थी) कारण धूप अच्छी मिले घरों मे मजबूती रहती थी कितनी भी बारिश हो जाए घरों मे पानी नही जाता था पानी कि निकासी के लिए कची नाली बनाते थे हर, 2 खेत छोड़ के घर बनाते थे ताकि बरसात का पानी खेत सोख ले और कोई भूस्खलन नहीं होता घर के आस पास छोटे बड़े पेड़ होते ताकि तेज हवा के प्रभाव को कम किया जा सके घरों के छत को हमेसा तिरछा बनाते थे ताकि पानी धीरे धीरे आंगन मे टपके और कोई पानी का बड़ा परवाह ना बन सके गाड़ गधेरों मे कभी घर नही बनाते ना ही गाड़ गधेरों मे कोई अनियमित निर्माण करते जिस वजह से बाड़ का परवाह कम होता ये था हमारे पूर्वजो का रहन सहन लेकिन आज हम उसके उलट है।
धराली वाली घटना को जोड़ रहा हूँ ताकि समझ सके आखिर हुआ क्यों इतना बड़ा नुकसान जितने भी होटल और घर बने हैं सब गाड़ गधेरों के नजदीक थे सब पहाड़ी के नीचे थे और नदियों के नजदीक थे जब भी बारिश आती है या बादल फटते हैं या फिर भूस्खलन होता है तो उसका प्रर्लय हमेसा गाड़ गधेरों और नदियो के समीप होता है जिस वजह से भारी नुकसान झेलना पड़ता है आज हुआ भी वैसे ही बादल फटे और तेज बारिश हुई पानी एकत्रित हुआ कहाँ गधेरों मे नदियों मे एक साथ मलवा पथर पानी पेड़ सब बहा के ले आया सीमेंटे कि दीवार को चिरता हुआ सीधे होटल मकान दुकान सड़के सब बह के ले गया साथ मे कुछ भी नहीं बचा कारण हम उन जगह को अपना समझ बैठे जहॉ नदियों और नालो का डेरा था इस लिए हमे आगे के लिए सचेत रहना होगा कि आने वाले समय मे ऐस त्राश्दी देखनी ना पड़े हमें ऐसी जगह पे घर नही बनाने चाहिए जहाँ हमे नुकसान हो और हमारी पीढ़ी ही ना बचें हमे सीखना चाहिए (केदारनाथ, धराली ) जैसी त्रासदियों के नुकसान के बाद हमेसा घाटी वाली सभ्यता में नुकसान रहता है और ऐसी जगह पे घर दुकान होटल बनाने से बचना चाहिए।
आज का लालच कल का नुकसान :"""""
आज होटल बनाया गधेरे मे पानी नजदीक है इस लिए रोड भी नजदीक है इस लिए मौसम ठंडा है नदियों का नजारा अच्छा दिखता है छत से पहाड़ अच्छा दिखता है इस लिए ये लालच हमें ले डुबा उस बाड़ के सैलाब मे जहाँ कोई देख नही पाया ।
सीख क्या मिली ::::
सड़को से जितना घर दूर हो गधेरों से घर जितना दूर हो पहाड़ कि खाई से घर जितना दूर हो नदियों नालो से घर जितना दूर हो उतना अच्छा रहता है घर अपना ना बाढ़ का डर ना भूस्खलन का डर ना ना डूबने का डर भले थोड़ी परेशानी जरूर होती है इन सब से दूर रह कर लेकिन चिंता नही रहती है कल कि क्योंकि आज का लिया फैसला कल कि सावधानी ।( safe your village safe your life safe 🌿🍃nature safe our soul uttarakhnd ) किसी जनत से कम नहीं है मेरा उतराखंड
ये पोस्ट करने का मतलब सिर्फ जागरूक करने के लिए लिखा गया है इसमे कोई त्रुटि होगी तो फिर से सुधार कर दिया जायेगा।
Mukesh Singh
मेरी सवेंदना आप सभी के साथ है धराली बाढ़ मे जिन्होंने अपनो को खोया है। 🙏🙏🙏🙏🙏