
29/11/2023
19 नवंबर को जब ऑस्ट्रेलिया ने भारत को क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में हरा दिया, तब भारत में कम ही लोग थे, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया का नाम सुनकर रंज न हो रहा हो. लेकिन अब जब उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूर बचा लिए गए हैं, तो दुनियाभर में एक ऑस्ट्रेलियाई नाम गूंज रहा है- प्रोफेसर अर्नॉल्ड डिक्स.
प्रोफेसर डिक्स जमीन के नीचे होने वाले कंस्ट्रक्शन के विशेषज्ञ हैं. वह भारत सरकार के आग्रह पर 20 नवंबर से इस बचाव अभियान में शामिल हुए. उन्होंने ध्वस्त हो चुकी सुरंग का निरीक्षण किया, एजेंसियों के साथ कॉर्डिनेट किया और मलबे से निजात पाने के तकनीकी समाधान सुझाए. उनकी प्लानिंग और काम के तौर-तरीकों ने मजदूरों को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई.
शुरुआत में तो भारी मशीनों से खुदाई करके मजदूरों को निकालने की योजना थी. लेकिन खुदाई के दौरान मलबा गिरना रुक ही नहीं रहा था. मशीनें भी नाकाम साबित हो रही थीं.
प्रोफेसर डिक्स बताते हैं, "मेरा आकलन था कि 'रैट होल माइनिंग' से हमें सफलता मिल सकती है. मैंने अन्य सुझावों के साथ यह सुझाव इसलिए दिया, क्योंकि हर बड़ी मशीन से खुदाई करने के साथ ही पहाड़ की प्रतिक्रिया और गंभीर होती जा रही थी."
रैट होल माइनिंग यानी इंसानों के सुरंग में घुसकर हाथों से खुदाई करना. इसमें खुदाई कर रहे लोगों के सुरंग में दबकर मरने का बहुत खतरा होता है, इसीलिए साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने खुदाई के इस तरीके पर बैन लगा दिया था. सिलक्यारा में जब मशीन विफल रहीं, तो 200 बचावकर्मियों ने हाथ से खुदाई करके मलबा बाहर निकाला.
प्रोफेसर सिर्फ बचाव कार्य की निगरानी ही नहीं कर रहे थे, बल्कि उन्होंने मजदूरों के लिए प्रार्थना भी की. सोशल मीडिया वेबसाइट लिंक्डइन पर अपनी एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "उत्तरकाशी गांव के लोग मानते हैं कि यह सुरंग स्थानीय बौखनाथ देवता का मंदिर गिराए जाने के कारण ढही है. बहुत सारे लोग जानकर हैरान हो सकते हैं कि सुरंग बनाने वालों और खनिकों के लिए दुनियाभर में मंदिर बनाए जाते हैं. खनिक सुरक्षित लौटने के लिए इनकी पूजा करते हैं."
इस पोस्ट के साथ प्रोफेसर ने अपनी तस्वीरें भी शेयर कीं, जिनमें वह सुरंग के बाहर बने छोटे से मंदिर में पूजा कर रहे हैं. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे थे, बल्कि वह सिर्फ सुरंग में फंसे मजदूरों की सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहे थे.
वह कहते हैं, "हां मैं जानता हूं कि हमारे धीमी गति से आगे बढ़ने के लिए हमारी आलोचना हो रही है, लेकिन हमारा लक्ष्य जिंदगियां बचाना था. हम बचने के कई रास्ते बना रहे थे, लेकिन साथ में सतर्क भी थे कि कोई रास्ता दूसरे रास्ते को प्रभावित न करे."
प्रोफेसर डिक्स भू-विज्ञानी और इंजीनियर भी हैं. वह जिनेवा स्थित इंटरनेशनल टनलिंग ऐंड अंडरग्राउंड स्पेस असोसिएशन (ITA) के अध्यक्ष हैं. यह संस्था अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन के एथिकल, लीगल, एन्वायरमेंटल और पॉलिटिकल रिस्क के बारे में आगाह करती है. अपने तीन दशक लंबे करियर में प्रोफेसर डिक्स 'ऑस्ट्रेलियन टनलिंग सोसायटी', 'इंटरनेशनल असोसिएशन फॉर फायर सेफ्टी साइंस' और अमेरिका की 'नेशनल फायर प्रोटेक्शन असोसिएशन' द्वारा सम्मानित भी किए जा चुके हैं.
17 दिनों तक मजदूर जब सुरंग में फंसे रहे, तब प्रशासन और डॉक्टर पानी के छोटे से पाइप के जरिए उन तक ऑक्सीजन, खाना, पानी और दवाइयां पहुंचा रहे थे. मजदूरों के बाहर आने पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने प्रोफेसर डिक्स की तारीफ की. इसके जवाब में प्रोफेसर ने कहा, "शुक्रिया प्रधानमंत्री. मेरे लिए यह बताना सौभाग्य और खुशी की बात है कि हम ऑस्ट्रेलियाई सिर्फ क्रिकेट में ही शानदार नहीं हैं, बल्कि और काम भी अच्छी तरह करते हैं. 41 लोग बाहर आ गए हैं, सुरक्षित हैं, सब बढ़िया है."