11/12/2025
🌳 1. वनाधिकार क्या है? (Forest Rights Act – FRA 2006)
भारत सरकार ने 2006 में Forest Rights Act बनाया, जिसे वनाधिकार कानून भी कहा जाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य था:
✔️ जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों को कानूनी मान्यता देना
✔️ “जंगल–जमीन से बेदखली” रोकना
✔️ आदिवासियों को जंगल का मालिकाना हक, खेती का हक, और ग्रामसभा की शक्ति देना
FRA कहता है कि:
जंगलों में 75 साल से रहने वाले समुदायों का भूमि पर अधिकार होगा
वे कुदरती संसाधनों (Minor Forest Produce) पर अधिकार रखते हैं
ग्रामसभा ही अंतिम निर्णय लेने वाली संस्था है — चाहे वन विभाग हो, खनन कंपनी हो या कोई सरकारी प्रोजेक्ट
🪓 2. लकड़ी कटान (Deforestation) पर आदिवासी विरोध क्यों?
कई राज्यों में वन विभाग या निजी कंपनियाँ बड़े पैमाने पर:
पेड़ों की कटाई
जंगल साफ करना
सड़क, प्रोजेक्ट, प्लांटेशन बनाना
शुरू कर देती हैं।
इससे आदिवासियों को 3 सबसे बड़े खतरे होते हैं:
1. उनका घर और जीवन का आधार खत्म होता है
2. जंगल के पौधे-पशु मरते हैं, पर्यावरण बिगड़ता है
3. उन्हें गाँव छोड़कर शहर/मज़दूरी में जाना पड़ता है
इसलिए आदिवासी समुदाय कहते हैं:
“जंगल सिर्फ पेड़ नहीं, यह हमारी संस्कृति, पहचान और जीवन है।”
⚒️ 3. खनन (Mining) के खिलाफ आदिवासी आंदोलन
भारत में कुछ बड़े खनन प्रोजेक्ट —
जैसे कोयला खनन, बॉक्साइट (अल्युमिनियम), लोहे की खदानें —
सीधे आदिवासी क्षेत्रों में सामने आते हैं।
आदिवासी विरोध के कारण:
1️⃣ जमीन छीन जाने का डर
2️⃣ विस्थापन (घर उजड़ना)
3️⃣ प्रदूषण — पानी दूषित, खेती नष्ट
4️⃣ पहाड़ और जंगल की पवित्र जगहें खत्म हो जाना
सबसे बड़ा कारण:
ग्रामसभा की मंजूरी के बिना खनन शुरू करना—जो कानूनन गलत है
FRA और PESA कानून के तहत बिना ग्रामसभा की सहमति के कोई भी खनन प्रोजेक्ट मान्य नहीं है।
🪧 4. आदिवासी समुदाय कैसे विरोध कर रहे हैं?
भारत में कई जगहों पर आदिवासी भाई–बहन शांतिपूर्वक लेकिन मज़बूती से विरोध कर रहे हैं:
✔️ धरना, प्रदर्शन
✔️ जंगल सत्याग्रह
✔️ “देवस्थान/सरना” स्थलों की रक्षा
✔️ ग्रामसभा प्रस्ताव
✔️ कोर्ट में याचिका
कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए:nioamgiri आंदोलन (ओडिशा) – बक्साइट खनन रोका गया
Hasdeo Arand (छत्तीसगढ़) – कोयला खदानों के खिलाफ जंगल बचाओ आंदोलन
Jharkhand – Pathalgadi Movement – ग्रामसभा की शक्ति को स्थापित करने का प्रयास
Maharashtra – Gadchiroli – Mining विरोध
इन आंदोलनों में आदिवासी महिलाओं की भूमिका भी बहुत मजबूत रही है।
✊ 5. आदिवासी मांग क्या है?
✔️ जंगल, जमीन, जल पर कानूनी अधिकार
✔️ ग्रामसभा को अंतिम निर्णय की शक्ति
✔️ खनन–प्रोजेक्ट से पहले जन-सहमति
✔️ जबरन विस्थापन रोकना
✔️ पर्यावरण और परंपरा की रक्षा
उनका मूल वाक्य:
“जंगल बचाओ, जीवन बचाओ”
क्योंकि आदिवासी समाज मानता है:
“जंगल खत्म हुआ तो आदिवासी नहीं रहेगा।
और आदिवासी नहीं रहा तो जंगल भी नहीं बचेगा।”
🌱 6. आदिवासी समाज की इस लड़ाई का महत्व
यह सिर्फ जमीन की लड़ाई नहीं है —
यह संस्कृति, पहचान, अस्तित्व और भविष्य की लड़ाई है।
🌿 जंगल = जीवन
🌊 नदियाँ = रक्त
🏞️ पहाड़ = देवस्थान
🌱 भूमि = माँ
अगर जंगल और जमीन सुरक्षित रहेगी,
तो आदिवासी संस्कृति, कला, बोली, ज्ञान सब सुरक्षित रहेंगे।