15/10/2025
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टूटा बदन अपना,
कि जब तक साँस चलती है, कोई कंधा नहीं देता।
जहाँ उम्मीद की डोर थी, वहाँ अब मौन पसरा है,
जहाँ दिल को सुकून मिला, वही अब दर्द ठहरा है।
ज़रा-सी बात पर लोग अपने रंग बदल लेते,
जो साथ थे हवाओं में, वो आँधी में निकल लेते।
हँसी में साथ हज़ारों थे, पर आँसू में न कोई,
संग चलता है बस साया, वो भी धूप में खोई।
चलो गिरो तो मत रोना, यही जीवन का फलसफ़ा,
हर जख्म ही सिखाता है, क्या है असली तजुर्बा।
खुद से ही बात करना अब, खुद से ही लड़ना सीखो,
जहाँ न कोई साथ दे, वहाँ खुद को थामना सीखो।
समय साक्षी रहेगा बस, तुम्हारे हर संघर्ष का,
कि जिसने खुद को संभाला, वही असली देवदूत सा।
और अंत में फिर सच यही — जो हर दिल में गूँजता,
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टूटा बदन अपना।
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Puja Gupta ❤️
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