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अदलपुरा धाम मिर्जापुर   ゚
10/08/2025

अदलपुरा धाम मिर्जापुर

तथागत घाट 🙏
30/07/2025

तथागत घाट 🙏

30/07/2025

वाराणसी में फिर से बढ़ने लगा गंगा का जलस्तर

वैभव सूर्यवंशी, एक 14 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने हाल ही में आईपीएल 2025 में राजस्थान रॉयल्स के लिए पदार्पण कि...
29/07/2025

वैभव सूर्यवंशी, एक 14 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने हाल ही में आईपीएल 2025 में राजस्थान रॉयल्स के लिए पदार्पण किया है। वह आईपीएल में डेब्यू करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी हैं। अपने पहले मैच में, उन्होंने पहली गेंद पर छक्का लगाया और 20 गेंदों में 34 रन बनाए। वैभव ने 35 गेंदों में शतक बनाकर एक और रिकॉर्ड बनाया। वह 14 साल और 100 दिन की उम्र में युवा वनडे में शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी बने।
वैभव सूर्यवंशी का जन्म 27 मार्च, 2011 को बिहार के ताजपुर गांव में हुआ था। उन्होंने 4 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उनके पिता, संजीव सूर्यवंशी, एक किसान हैं, जिन्होंने वैभव के क्रिकेट के प्रति जुनून को पहचाना और उनका समर्थन किया। उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जमीन भी बेच दी।
वैभव ने 12 साल की उम्र में बिहार के लिए वीनू मांकड़ ट्रॉफी खेली और पांच मैचों में लगभग 400 रन बनाए। उन्होंने 10 साल की उम्र में रोजाना 600 गेंदों का सामना करना शुरू कर दिया था। आईपीएल 2025 में, उन्होंने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 35 गेंदों में शतक बनाया, जिसमें 7 चौके और 11 छक्के शामिल थे। इस पारी के साथ, वह आईपीएल में सबसे तेज शतक बनाने वाले बल्लेबाज और टी20 क्रिकेट में सबसे कम उम्र के शतकवीर बने।
वैभव की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है, जो दिखाती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
इस वीडियो में, वैभव सूर्यवंशी के क्रिकेट करियर की शुरुआत और उनके पिता के संघर्षों के बारे में बताया गया है:

सोनम साहिबा D/O इब्राहिम चंदौली वार्ड 8 केदवई नगर  11/01/2025 सुबह 10 बजे से लापता हैl ड्रेस लाइट पिंकस्कार्फ ब्लैक एंड ...
13/01/2025

सोनम साहिबा D/O इब्राहिम चंदौली वार्ड 8 केदवई नगर 11/01/2025 सुबह 10 बजे से लापता हैl
ड्रेस लाइट पिंक
स्कार्फ ब्लैक एंड व्हाइटl
कल 11/1/2025 की सुबह कॉलेज को निकली अब तक घर नहीं आईl
आप लोगों से रिक्वेस्ट है प्लीज ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिएl
8303948908
8090577550
👉 जिस किसी को पता चले इस नंबर पर कांटेक्ट करें

ओलंपियन  "ललित उपाध्याय" (भारतीय हॉकी टीम) ने बाबा विश्वनाथ धाम में टेका मत्था।
12/08/2024

ओलंपियन "ललित उपाध्याय" (भारतीय हॉकी टीम) ने बाबा विश्वनाथ धाम में टेका मत्था।

20/07/2023

सीमा हैदर जब से रिलीज हुई है ज्योति मौर्या फ्लॉप हो गई है😂

 #इतिहास_काशी_का -: देवाधिदेव महादेव शिव की नगरी हैं काशी हजारों साल पुरानी इस नगरी में आज भी प्राचीन परंपराएं अपने जीवं...
10/07/2023

#इतिहास_काशी_का -: देवाधिदेव महादेव शिव की नगरी हैं काशी हजारों साल पुरानी इस नगरी में आज भी प्राचीन परंपराएं अपने जीवंत स्‍वरूप में मौजूद हैं ऐसी ही एक परंपरा जो यहां सदियों से चली आ रही हैं वह हैं, श्रावण मास के सोमवार के दिन विश्‍वेश्‍वर भगवान शिव के सामूहिक जलाभिषेक की। परंपरानुसार काशी के यादव बंधु अपने पारंपरिक वेष-भूषा में हर साल सबसे पहले भगवान विश्‍वेश्‍वर का पवित्र गंगाजल से सामूहिक अभिषेक करते हैं।

1. पचास हजार यदुवंशी करते हैं जलाभिषेक

काशी में सावन के पवित्र महीने के प्रथम सोमवार को हजारों साल पुरानी परंपरा निभाई जाती है।श्रावण मास का प्रथम सोमवार अपने आप में ही महाफलदायी माना गया है। महादेव की आराधना वाले इस शुभ दिवस पर वारणसी में यदुवंशी समाज के लोग श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर सहित शहर के लगभग हर शिवालयों में जाकर पतित पावनी माता गंगा के जल से शिवलिंगों का जलाभिषेक करते हैं।

2. पहले किया जाता था दुग्‍धाभिषेक

शिवभक्‍त दिलीप यादव बताते हैं, ''एक बार द्वापरयुग में धरती पर प्रलय की स्‍थिति उत्‍पन्‍न हुई। ऐसी स्‍थिति में मनुष्‍य ही नहीं पशु-पक्षी और आर्य संस्‍कृति की आधार मानी गई गऊ माताएं भी अकाल मौत को प्राप्‍त होने लगीं। ऐसी स्‍थिति देख खुद भगवान श्रीकृष्‍ण ने स्वयं अपने हाथों से प्रलयनाथ और विश्‍वनाथ महादेव शिव का दुग्‍धाभिषेक किया। भगवान विष्‍णु के पूर्णावतार श्रीकृष्‍ण द्वारा दुग्‍धाभिषेक किये जाने से शिव अत्‍यंत प्रसन्‍न हुए और प्रलय लीला की समाप्‍ति हुई। इसके बाद हर वर्ष श्रावण मास में यदुवंशियों द्वारा शिव का दुग्‍धाभिषेक किया जाने लगा।

3. और फिर शुरू हुआ जलाभिषेक

कहते हैं बीच में कुछ काल के लिए भगवान शिव का सामूहिक दुग्‍धाभिषेक बंद हो गया और तकरीबन पांच हजार वर्ष पूर्व धरती पर एकबार फिर प्रलयलीला शुरू हुई। इस बार ब्राह्मणों और ऋषियों ने भगवान श्रीकृष्ण का समरण कराते हुए एक बार फिर यादव बंधुओं का आह्वान किया। लेकिन, बड़े पैमाने पर गोवंश की हानि होने के कारण दूध का आभाव हो गया तब यदुवंशियों ने समझदारी दिखाते हुए भोले भंडारी का गंगाजल से अभिषेक करना शुरू किया। ये परंपरा आज भी कायम हैं !

काशी में यदुवंश के इतिहास की अच्‍छी जानकारी रखने वाले सतीश फौजी बताते हैं कि बीच में यह परंपरा कुछ समय के लिए रुक गयी थी। अंग्रेजों के शासनकाल में इस परंपरा में रुकावट आई थी लेकिन काशी की जनता और यदुवंशियों की भारी मांग को देखते हुए ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा और इस परंपरा को फिर से पुनर्जीवित किया गया। इसके बाद सन 1932 से यह परंपरा अनवरत हैं फौजी के अनुसार समाज कल्याण के उद्देश्य से आज भी यादव बंधुओं द्वारा इस परंपरा का निर्वाहन किया जा रहा हैं, जिसमें शामिल होने के लिए यादव परिवार का बच्‍चा-बच्‍चा काफी उत्‍साह से भाग लेता हैं...!!
वर्तमान में पुनः इस परंपरा को रोकने के कुछ एक प्रयास किये जा रहे है ,शासन प्रसाशन और मन्दिर प्रबंधन बनारस की परंपराओं में कोई दखलंदाजी न करें यही सही रहेगा !

फिल्में बनती है 6 सौ करोड़ कमाने के लिए ..मगर कुछ बनी है छ पीढ़ियां दिखाने के लिए...! 💐
20/06/2023

फिल्में बनती है 6 सौ करोड़ कमाने के लिए ..
मगर कुछ बनी है छ पीढ़ियां दिखाने के लिए...! 💐

घर से निकलो तो जेब में पता ऱख के निकलो,,,हादसे   चेहरे   की   पहचान   मिटा   देते    हैं....
03/06/2023

घर से निकलो तो जेब में पता ऱख के निकलो,,,

हादसे चेहरे की पहचान मिटा देते हैं....

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