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19/09/2025

होटल का कमरा नंबर 9 और AI कैमरा.. कैसे गोल्डी बराड़ गैंग के शूटर रविंद्र और अरुण तक पहुंची STF

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झुमका सिटी नाथनगर बरेली में अब अपराधियों के लिए अपने मंसूबों को अंजाम देना आसान नहीं होगा. प्रदेश सरकार की खास सौगात से बरेली अब हाई-फाई टेक्नोलॉजी से लैस हो चुका है. बरेली को मिली इस हाई-फाई टेक्नोलॉजी ने दिशा पाटनी के घर हुई फायरिंग केस में अपनी उपयोगिता साबित कर दी है. प्रदेश सरकार की मदद से स्मार्ट सिटी के तमाम प्रोजेक्ट के साथ आई ट्रिपल सी यानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की सौगात भी बरेली को मिली है. बरेली शहर में चारों ओर से घुसते ही तीसरी आंख निगरानी शुरू कर देती है. निगरानी ऐसी कि बचना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. इसी वजह से पुलिस ने बेहद कम समय में पहले होटल के कमरा नंबर 9 और फिर गोल्डी बराड़ गैंग के शूटर रविंदर और अरुण तक पहुंचकर उन्हें ढेर कर दिया.

बांस बरेली या फिर झुमका सिटी, चाहे फिर नाथ नगरी बरेली अब बेहद हाईटेक है. यहां पर तीसरी आंख का सख्त पहरा है. प्रदेश सरकार की ओर से बरेली को स्मार्ट सिटी के तहत आई ट्रिपल सी यानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की खास सौगात मिली है. यहां हाई टेक्नोलॉजी से पूरे बरेली शहर के अंदर और बाहर 176 पॉइंट पर करीब 1400 हाई-फाई कैमरे निगरानी कर रहे हैं. इन कैमरों के जरिए निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है, जहां हर वक्त पुलिस कर्मचारी और टेक्नोलॉजी के जानकार वॉच करते हैं.

आई ट्रिपल सी ने की मदद

स्मार्ट सिटी अधिकारी मयंक द्विवेदी के अनुसार, इस आई ट्रिपल सी की मदद से ही पुलिस और एसटीएफ के हाथ गोल्डी बराड़ गैंग के शूटर रविंदर और अरुण तक बेहद कम समय में पहुंच गए. रविंदर और अरुण घटना से 2 दिन पहले ही 10 सितंबर को बरेली पहुंचे थे और बरेली के एक होटल में अलग-अलग रुक गए थे. सभी शूटर ने दिशा पाटनी के घर की रेकी की और बेखौफ होकर वारदात को अंजाम दिया. शूटर रविंदर ने बरेली पहुंचकर पुराने रोडवेज बस स्टैंड के पास एक होटल में 10 सितंबर को किराए पर कमरा लिया. कमरे का 1000 रुपए किराया जमा किया. होटल मैनेजर ने उसे कमरा नंबर 9 बुक कर दिया. वह 11 सितंबर तक इसी होटल में रहा. इस दौरान होटल में आने-जाने की सारी गतिविधियां कैमरों में कैद हो गईं.

तीसरी आंख में कैद हुई वारदात
रविंदर अपने साथियों के साथ कैसे बरेली शहर में दाखिल हुआ, यह भी तीसरी आंख ने कैद कर लिया. जब रविंदर ने अरुण के साथ दिशा पाटनी के घर पर ऑटोमेटिक असलाह से फायरिंग की, तो वह तीसरी आंख की निगरानी से बच नहीं सका और कमरे में कैद हो गया. तीसरी आंख की वजह से पुलिस बेहद आसानी से शूटर रविंदर और अरुण तक पहुंच गई. इस दौरान पुलिस ने बरेली शहर के अंदर दाखिल होने के सभी रास्तों पर लगे करीब 1400 कैमरों को चेक किया
अब बरेली में अपराधियों का बचना मुश्किल
फिलहाल प्रदेश सरकार की ओर से बरेली को स्मार्ट सिटी के तहत मिली आई ट्रिपल सी यानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की सौगात ने दिशा पाटनी के घर हुई फायरिंग केस से यह साबित कर दिया है कि अगर बरेली में आकर अपराध करने की कोशिश की तो बचना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है

19/09/2025

क्या महागठबंधन में महाभारत? राहुल की यात्रा में सभी रहे साथ, पर तेजस्वी अपनों से क्यों कन्नी काट रहे, जानिए अंदर की बात

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बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता और लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ी अपनी स्थिति को भुनाना चाहती है. वहीं आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में अपनी हिस्सेदारी और जीत सुनिश्चित करना चाहता है. दोनों के बीच की खींचतान से यह गठबंधन टूट की ओर भी बढ़ सकता है. लेकिन, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि क्या दोनों दल आपसी सहमति से कोई समाधान निकाल पाएंगे या यह आंतरिक कलह महागठबंधन में टूट का सबब बनेगा.

बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी अधिकाधिक सीटें हासिल करने के लिए लंबे समय से बवेला मचाए हुए हैं. मांझी अब 20 सीटों के लिए अड़े हुए हैं. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर (LJP-R) को न सिर्फ सीटें चाहिए, बल्कि अब सीएम पद की रेस में भी उन्हें शामिल कर दिया है. चिराग के बहनोई सांसद अरुण पासवान की नजर में चिराग सीएम पद के लिए फिट कैंडिडेट हैं. मांझी ने अधिक सीटें मांगने के पीछे के कारण भी उजागर कर दिए हैं. उनका कहना है कि पार्टी को सदन में मान्यता के लिए कम से कम 8सीटों पर जीतना जरूरी है. और, यह तभी संभव होगा, जब उनकी पार्टी को 20 या इससे अदिक सीटें मिलें. एनडीए का तो रिकार्ड ही रहा है कि टिकट बंटवारे से पहले खूब चिल्ल-पों मचती है, लेकिन जिसे जितनी सीटें मिलती हैं, वे उससे ही संतुष्ट हो जाते हैं. सबसे मुश्किल हालात 8 विपक्षी दलों के महागठबंधन में पैदा हो गए हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे की शर्तों को लेकर घमासान मचा हुआ है.

कांग्रेस ने कसी RJD की नकेल
महागठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर तलवारें तन गई हैं. अव्वल तो कांग्रेस तेजस्वी को चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित करने को तैयार नहीं, जबकि तेजस्वी खुद को सीएम फेस बताते रहे हैं. बिहार अधिकार पर निकले तेजस्वी कांग्रेस की चुप्पी के बावजूद अपने को भावी सीएम के रूप में पेश कर रहे हैं. पहले भी वे कई बार यह बात कह चुके हैं. राहुल के साथ वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि राहुल को पीएम और उन्हें सीएम बनाने के लिए वोट कीजिए. जहां तक सीटों का सवाल है तो कांग्रेस 2020 की तरह मनपसंद 70 सीटें तो चाहती ही है, साथ ही अब उप मुख्यमंत्री का पद भी मांगने लगी है. दोनों दलों के बीच तनातनी का आलम यह है कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर 15 सितंबर को होने वाली महागठबंधन की बैठक टालनी पड़ गई. अब तेजस्वी यादव ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. खींचतान से महागठबंधन में दिख रही दरार अगर टूट की बुनियाद बन जाए तो आश्चर्य नहीं.

कांग्रेस की आक्रामक दावेदारी
सीटों की संख्या के लिए आरजेडी के सामने कांग्रेस ने 2020 को आधार बनाने की शर्त रखी है. तब कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का कहना है कि उसे जो सीटें दी गईं, उसमें आधी से अधिक कमजोर सीटें थीं. इसलिए उसने टिकट बंटवारे में अच्छी-बुरी सीटों में संतुलन बनाने की दूसरी शर्त रखी है. कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत पाई थी. उसके खराब स्ट्राइक रेट को महागठबंधन की हार का एक मुख्य कारण माना गया था. कांग्रेस का कहना है कि उसे आधी से अधिक वैसी कमजोर सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से उसका स्ट्राइक रेट खराब रहा. कांग्रेस ने अपने लिए उप मुख्यमंत्री पद की तीसरी शर्त रखी है. महागठबंधन में शामिल वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी डिप्टी सीएम पद के लिए पहले से ही हाय-तौबा मचाए हुए हैं. सहनी तो यहां तक कहते हैं कि अगर तेजस्वी सीएम बनेंगे तो उनका डिप्टी सीएम बनना पक्का है. कांग्रेस की शर्तों से यह साफ है कि काग्रेस अब बिहार में अपने को आरजेडी का पिछलग्गू बनाए रखने से बचना चाहती हैं. राहुल की वोटर अधिकार यात्रा की कथित सफलता से कांग्रेस का मनोबल मजबूत हुआ है. वह अब आरजेडी से पीछे नहीं रहना चाहती.

राहुल गांधी की यात्रा का प्रभाव
राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में उमड़ी भीड़ ने बिहार कांग्रेस में नया जोश भर दिया है. कांग्रेस को लगता है कि इस यात्रा ने गठबंधन की स्थिति को मजबूत किया है और इसी आत्मविश्वास के साथ वह आरजेडी पर ज्यादा दबाव डाल रही है. वोटर अधिकार यात्रा में महागठबंधन के सभी टाप लीडर शामिल हुए. तेजस्वी लगातार 16 दिन उनके साथ रहे. यात्रा का समापन पटना में सड़क मार्च के साथ हुआ, जिसमें महागठबंधन की सम्मिलित ताकत थी. तेजस्वी यादव, भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी के मुकेश सहनी भी साथ थे. नतीजतन यात्रा में उनके समर्थकों की खूब भीड़ उमड़ी. संभव है कि कांग्रेस को इससे राहुल का करिश्मा और अपनी बढ़ी ताकत का भ्रम हुआ है, जिसकी वजह से कांग्रेस नई और आक्रामक शर्तें थोपने लगी है.

आरजेडी ने सख्त रुख अपनाया
आरजेडी ने भी अब कड़ा रुख अपना लिया है. तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर की एक रैली में सभी 243 सीटों पर लड़ने का बयान देकर कांग्रेस की मांग पर पलटवार किया. हालांकि, यह बयान एक तरह की दबाव की रणनीति भी हो सकती है, लेकिन इसके जरिए तेजस्वी ने कांग्रेस को साफ संकेत दे दिया है कि आरजेडी गठबंधन में सबसे बड़े हिस्सेदार के रूप में अपनी स्थिति को कमजोर नहीं होने देगा. आरजेडी सूत्रों का कहना है कि 2020 में कांग्रेस के खराब स्ट्राइक रेट के कारण ही महागठबंधन सत्ता में आने से चूक गया था. आरजेडी के सख्त होने की एक वजह यह भी है कि कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खुल कर समर्थन नहीं दिया है. कांग्रेस की यह चुप्पी भी आरजेडी और तेजस्वी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रही है. तेजस्वी ने अपनी बिहार अधिकार यात्रा में महागठबंधन के सहयोगी दलों को शामिल नहीं किया है. हालांकि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में महागठबंधन के सभी दल साथ थे.

गठबंधन में टूट की संभावना?
महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के अलावा वाम दल और अन्य छोटे दल भी सीटों की मांग कर रहे हैं. ऐसे में आरजेडी के लिए सभी को संतुष्ट करना मुश्किल होगा. हालांकि यह भी सच है कि दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच अभी तक आमने-सामने बात नहीं हुई है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ही गठबंधन को लेकर अंतिम फैसला लेंगे. दोनों ही नेता जानते हैं कि एकजुट होकर लड़ना ही एनडीए को हराने का एकमात्र तरीका है. पर, कांग्रेस ने जिस तरह हरियाणा और दिल्ली में इंडिया ब्लाक के सहयोगी आम आदमी पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया, उससे महागठबंधन में टूट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. कांग्रेस अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता और लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ी अपनी स्थिति को भुनाना चाहती है. वहीं आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहता है. दोनों के बीच की खींचतान से यह गठबंधन टूट की ओर भी बढ़ सकता है. लेकिन, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि क्या दोनों दल आपसी सहमति से कोई समाधान निकाल पाएंगे या यह आंतरिक कलह महागठबंधन में टूट का सबब बनेगा.

19/09/2025

जेल में बंद नीरव मोदी ने चली ऐसी चाल, CBI-ED के लिए आई नई आफत, खटाई में न पड़ जाए भारत लाने का प्‍लान

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पंजाब नेशनल बैंक को ₹6,498 का चूना लगाने वाले नीरव मोदी को भारत लाने की कोशिशों के बीच नई कानूनी अड़चन आ गई है. भगोड़े नीरव मोदी फिलहाल ब्रिटेन की जेल में बंद है, पर तिकड़मी चाल चलने से बाज नहीं आ रहा है. एक बार फिर से उसने ऐसा कानून के चौसर पर ऐसा पासा फेंका है, जिससे CBI और ED की राह में रोड़े आ सकते हैं. दरअसल, नीरव मोदी ने ब्रिटेन की अदालत में एक फ्रेश अप्‍लीकेशन दाखिल किया है. हजारों करोड़ का गबन करने के आरोपी नीरव मोदी ने कहा कि प्रत्‍यर्पण की स्थिति में उसे भारत में पूछताछ और यातना का सामना करना पड़ सकता है. कोर्ट ने नीरव मोदी की इस अर्जी को स्‍वीकार कर लिया है.

UK की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उसने अपने प्रत्यर्पण मामले को फिर से ओपन करने की मांग की थी. इस कदम से भारत लाने की प्रक्रिया एक बार फिर से टल सकती है. नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 6,498 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी समेत कुल 13,578 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है. भारत सरकार और जांच एजेंसियां अब इस ताज़ा कानूनी विकास से निपटने के लिए कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से जवाब तैयार करने में जुट गई हैं. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अदालत के आदेश की सूचना मिलने के बाद सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मिलकर विस्तृत प्रतिवाद तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

नीरव मोदी ने क्‍या दी दलील
नीरव मोदी ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उन्हें कई एजेंसियों द्वारा पूछताछ और यातना का सामना करना पड़ सकता है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, उसने कुछ गवाहियों का हवाला देते हुए अदालत को यह आश्वस्त करने की कोशिश की है कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी. हालांकि, कोर्ट ने अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं की है. ‘हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स’ की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत की ओर से अदालत को स्पष्ट संदेश भेजा जाएगा कि नीरव मोदी के साथ किसी भी तरह का अमानवीय व्यवहार नहीं होगा. एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारा जवाब साफ होगा – उन्हें सिर्फ भारतीय कानून के दायरे में ही मुकदमे का सामना करना होगा और किसी एजेंसी द्वारा अवैध पूछताछ की आशंका नहीं है.’ भारत सरकार इस बात पर भी जोर देगी कि 2022 में यूके हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण आदेश को अंतिम रूप दे दिया था और नीरव मोदी के पास कोई अन्य कानूनी विकल्प शेष नहीं था. इसलिए उनकी नई अर्जी को अदालत तत्काल खारिज करे.

प्रत्यर्पण प्रक्रिया पर क्‍या पड़ेगा असर

नीरव मोदी का प्रत्यर्पण अब तक सुचारु रूप से आगे बढ़ रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया को भी गति मिलने की उम्मीद है. जुलाई में यूके के क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने दिल्ली की तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया था और वहां की स्थितियों को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह नया घटनाक्रम निश्चित रूप से प्रक्रिया को जटिल बनाता है. लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि यह लंबी कानूनी लड़ाई में न बदल जाए.

घोटाला और फरारी
नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गिरफ्तार किया था. तब से वह लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है. 25 फरवरी 2021 को वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. 9 नवंबर 2022 को यूके हाई कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखते हुए उसकी अपील ठुकरा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ऑफ यूके में अपील का रास्ता भी उसके लिए बंद हो चुका था. जांच एजेंसियों का आरोप है कि नीरव मोदी और उनकी कंपनियों ने पीएनबी से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) जारी करवाकर 6,498 करोड़ रुपये का क्रेडिट लिया. इस धनराशि का इस्तेमाल विदेशी बैंकों से क्रेडिट उठाने और nostro खातों को भरने में किया गया, जिसे बाद में विभिन्न विदेशी संस्थाओं और संपत्तियों के माध्यम से बाहर निकाल लिया गया. प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी को 2018 में आर्थिक भगोड़ा घोषित किया. अब तक लगभग 2,598 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है और 981 करोड़ रुपये पीड़ित बैंकों को लौटा दिए गए हैं. वहीं, यूके में मौजूद करीब 130 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति को भारत लाने की कानूनी प्रक्रिया भी जारी है.

19/09/2025

भूकंप से फिर हिली रूस की धरती, 7.8 की तीव्रता के झटके से मची दहशत, सुनामी की चेतावनी

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रूस के सुदूर पूर्वी इलाके कमचटका प्रायद्वीप में शुक्रवार तड़के भूकंप के तेज झटकों से जमीन हिल गई. अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, पेट्रोपावलोव्स्क-कमचाट्स्की क्षेत्र में आए इस भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई और इसका केंद्र महज 10 किलोमीटर गहराई में था. तेज झटकों के बाद लगातार आफ्टरशॉक्स भी महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 5.8 तक रही.

कमचटका क्षेत्र के गवर्नर व्लादिमीर सोलोडोव ने टेलीग्राम पर लिखा कि भूकंप के बाद प्रायद्वीप के पूर्वी तट के लिए सुनामी चेतावनी जारी की गई है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को खतरे के बारे में सतर्क किया जा रहा है, लेकिन अभी तक किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है. उधर, अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली ने कहा कि फिलहाल किसी बड़े सुनामी खतरे का आकलन नहीं किया गया है.

क्यों कामचटका में आते हैं भूकंप?
पेट्रोपावलोव्स्क-कमचाट्स्की दुनिया के सबसे भूकंपीय सक्रिय क्षेत्रों में आता है. यहां प्रशांत प्लेट और उत्तरी अमेरिकी प्लेट आपस में टकराती हैं, जिसके चलते अक्सर भूकंप आते रहते हैं. एक सप्ताह पहले शनिवार को इसी इलाके में 7.4 तीव्रता का भूकंप आया था. हालांकि, तब प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र (PTWC) ने कहा था कि सुनामी का कोई खतरा नहीं है.

पहले भी आया भीषण भूकंप

29 जुलाई 2025 को कमचटका के तट पर 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया था. हालिया इतिहास में सबसे खतरनाक घटनाओं में से एक था. उस समय रूस, जापान, अलास्का, गुआम, हवाई और अन्य प्रशांत द्वीपों में व्यापक स्तर पर सुनामी चेतावनियां जारी की गई थीं. कई जगहों पर 3–4 मीटर ऊंची लहरों ने तबाही मचाई और तटीय बस्तियों से लोगों को तुरंत हटाना पड़ा. जापान ने भी अपने प्रशांत तट पर 3 मीटर ऊंची लहरों का अलर्ट जारी किया था. अमेरिका के वेस्ट कोस्ट पर भी एडवाइजरी दी गई थी.

लगातार खतरे में कामचटका
लगातार आने वाले तेज भूकंप यह दिखाते हैं कि रूस का यह इलाका हमेशा खतरे में रहता है. यहां रहने वाले लोग हर बार नई दहशत के बीच जीते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार नज़र बनाए हुए हैं. इससे पहले बुधवार को भी नेपाल में भूकंप आया था. तब 4 की तीव्रता वाले भूकंप से देश हिला था. भूकंप की गहराई 10 किमी थी.

18/09/2025

उत्तराखंड में फिर आई तबाही, अब चमोली में फटा बादल, 3 लोग लापता, मचा हड़कंप

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उत्तराखंड में बुधवार देर रात चमोली जिले के नंदानगर घाट क्षेत्र में बादल फट गया, जिसने पूरे इलाके में तबाही मचा दी है. आपदा के कारण कई घर, खेत और खलिहान पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं. स्थानीय प्रशासन के अनुसार, नगर पंचायत नंदानगर के कुंतरी लंगाफली वार्ड में भारी बारिश के साथ आए मलबे ने 6 घरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. इस दुखद घटना में 5 लोग लापता हैं, जबकि 2 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. प्रशासनिक अधिकारी और राहत-बचाव दल तत्काल मौके पर पहुंच गए हैं और लापता लोगों की तलाश जारी है.

चमोली में फटा बादल.

Dehradun Cloudburst: देहरादून में मिले 8 शव
देहरादून के सहस्रधारा में बीते 16 सितम्बर(मंगलवार) को बादल फटने से तबाही मच गई थी. जिसके बाद देहरादून में अलग-अलग स्थानों से आठ शव बरामद हुए है. मृतकों की संख्या कुल 21 हो गई है. वहीं 17 लोग अभी भी लापता है.

चमोली में बादल फटने के बद से मलबा हटाने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम लगातार जारी है. मेडिकल की टीम को भी मौके पर भेज दिया गया. नंदा नगर घाट क्षेत्र के ही धुर्मा गावं में बादल फटने के बाद 4 से 5 भवन क्षतिग्रस्त हो गए हैं

18/09/2025

चार्ली किर्क की हत्या के बाद डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा कदम, एंटीफा को आतंकी संगठन घोषित किया, जिमी किमेल का शो बंद

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अमेरिकी राजनीति में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की कि वे एंटीफा (Antifa) आंदोलन को आतंकवादी संगठन घोषित कर रहे हैं. यह कदम उस घटना के बाद आया है जिसमें दक्षिणपंथी कार्यकर्ता चार्ली किर्क (Charlie Kirk) की हत्या कर दी गई थी. ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए एंटीफा को ‘बीमार, खतरनाक और उग्र वामपंथी तबाही’ बताया. उन्होंने कहा कि जो लोग इस आंदोलन को फंड कर रहे हैं, उनकी गहन जांच की जाएगी और कानून के तहत कड़ी कार्रवाई होगी.

क्या है Antifa?
Antifa यानी Anti-Fascists कोई एक संगठन नहीं है, बल्कि यह वामपंथी झुकाव वाले समूहों का एक नेटवर्क है, जो खासकर प्रदर्शन के दौरान फासीवाद और नाजी विचारधारा का विरोध करते हैं. 2020 में FBI के पूर्व निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा था कि एंटीफा दरअसल एक विचारधारा है, न कि कोई संगठित संस्था. इसकी कोई औपचारिक संरचना नहीं है, जिस वजह से इसे कानूनी तौर पर आतंकी संगठन घोषित करना कठिन माना जाता रहा है.

चार्ली किर्क की हत्या के बाद सख्त रुख
व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को कहा था कि वे ‘एक बड़े घरेलू आतंकी नेटवर्क’ को खत्म करेंगे, जिसे वे चार्ली किर्क की हत्या के पीछे जिम्मेदार मानते हैं. ट्रंप प्रशासन के उप चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफव मिलर ने कहा कि सरकार इस हत्या के खिलाफ लोगों के गुस्से को इस्तेमाल कर ऐसे नेटवर्क को उखाड़ फेंकेगी. हालांकि, इस फैसले को लेकर कई डेमोक्रेटिक नेताओं ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन इस कदम को बहाना बनाकर असहमति और विरोधी आवाजों पर सख्ती कर सकता है.
जिमी किमेल का शो बंद, ट्रंप खुश

इस बीच खबर है कि ABC नेटवर्क ने लेट-नाइट शो ‘Jimmy Kimmel Live’ को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया है. यह फैसला उस विवादित टिप्पणी के बाद आया है, जो होस्ट जिमी किमेल ने चार्ली किर्क की हत्या पर की थी. सोमवार के अपने मोनोलॉग में किमेल ने कहा था कि ‘MAGA गैंग बेताबी से कोशिश कर रही है कि जिस लड़के ने चार्ली किर्क की हत्या की, उसे अपना न बताया जाए और राजनीतिक फायदा उठाया जाए.’ इस बयान को संवेदनहीन और आपत्तिजनक करार दिया गया. बढ़ते विरोध और नियामक कार्रवाई की धमकी के बाद ABC ने शो को रोकने का ऐलान कर दिया. फैसले के बाद ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुशी जताते हुए लिखा- ‘अमेरिका के लिए बड़ी खबर: रेटिंग्स में पिछड़ रहा जिमी किमेल शो अब कैंसिल!’

18/09/2025

मुनीर ने चली इंदिरा वाली चाल...जब भारत ने की थी रूस से डील, वही पाकिस्तान ने सऊदी अरब संग किया

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ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह मात खाने के बाद पाकिस्तान अपने करीबी देशों से शरण की भीख मांगता फिर रहा है. वह कभी अमेरिका तो कभी चीन तो कभी तुर्की से अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहा है. इस बीच खबर है कि उसने इस्लामिक मुल्क सऊदी अरब के साथ एक डिफेंस डील की है. इस डील के मुताबिक दोनों देश किसी पर भी बाहरी आक्रमण को एक दूसरे पर हमला मानेंगे. पाकिस्तान और सऊदी अरब की यह डील 1970 के दशक में भारत और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच हुई डील की याद दिलाती है. यह वह डील थी जिसने 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत के लिए एक रक्षा कवच बनकर सामने आई.

उस वक्त देश की बागडोर इंदिरा गांधी के हाथों में थी. उस जंग में प्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका भारत के खिलाफ था. वह भारत पर दबाव बनाने के लिए हिंद महासागर में अपना सातवां बेड़ा भेज दिया. अमेरिका के युद्ध में प्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान के साथ खड़ा होने की स्थिति में युद्ध का रुख बदल सकता था. भारत के सामने बड़ी चुनौती पेश आ सकती थी. लेकिन, तभी सोवियत संघ (मौजूदा रूस) सामने आया और वह हिंद महासागर में छाती तानकर खड़ा हो गया. इससे अमेरिकी बेड़े को वापस लौटना पड़ा. सोवियत संघ की इस सहायता का भारत आज तक ऋणी है. इस दूरदर्शी डील को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आज भी याद किया जाता है.

पाकिस्तान-सऊदी अरब डील
आज सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान ने जो डील की है उसे भी कुछ ऐसा ही डील बताया जा रहा है. सऊदी के साथ हुए इस समझौते को सामरिक पारस्परिक रक्षा समझौता (Strategic Mutual Defence Agreement) नाम दिया गया है. यह जानकारी पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन ने प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के हवाले से दी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सऊदी अरब की राजकीय यात्रा के दौरान यह समझौता हुआ. रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने अल-यमामाह पैलेस में शरीफ का स्वागत किया. इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच लगभग आठ दशकों से चली आ रही साझेदारी को और मजबूत करता है, जो भाईचारे, इस्लामी एकजुटता और साझा सामरिक हितों पर आधारित है.

संयुक्त बयान के अनुसार यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करने संयुक्त रक्षा रणनीति को मजबूत करने और क्षेत्रीय व वैश्विक शांति में योगदान देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी एक देश पर कोई आक्रमण होता है, तो उसे दोनों देशों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा. यह प्रावधान दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को एक नई ऊंचाई प्रदान करता है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शरीफ के साथ इस यात्रा में विदेश मंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब, सूचना मंत्री अताउल्लाह तारार, पर्यावरण मंत्री मुसादिक मलिक और विशेष सहायक तारिक फातिमी भी शामिल थे.

सऊदी-पाकिस्तान संबंध
रियाद पहुंचने पर उनका स्वागत रियाद के उप-गवर्नर मुहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन अब्दुलअजीज ने किया. पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक संबंध साझा विश्वास, मूल्यों और पारस्परिक विश्वास पर आधारित हैं. इस यात्रा से दोनों देशों के नेताओं को इस विशेष साझेदारी को और सुदृढ़ करने और दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए सहयोग के नए रास्ते तलाशने का महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त हुआ. विदेश कार्यालय ने यात्रा से पहले कहा था कि यह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. यह शहबाज शरीफ की एक सप्ताह के भीतर खाड़ी क्षेत्र की तीसरी यात्रा थी. इससे पहले उन्होंने 11 और 15 सितंबर को कतर का दौरा किया था, जहां उन्होंने इजरायल के हमास नेतृत्व पर हमले के बाद दोहा के प्रति एकजुटता व्यक्त की और अरब-इस्लामी देशों की आपातकालीन बैठक में भाग लिया. यह रक्षा समझौता न केवल पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है.

18/09/2025

सिंधिया को CM बनाओ नहीं तो… क्या ये कांग्रेस की चाल है या सच में उठ रहा है तूफान?

KASHI MAIL

मध्य प्रदेश की राजनीति इन दिनों फिर से गरम हो गई है. वजह है मुरैना में लगा एक विवादित और धमाकेदार बैनर जिसमें साफ लिखा है कि श्रीमंत महाराज साहब ज्योतिरादित्य सिंधिया जी को मुख्यमंत्री बनाओ, नहीं तो अपनी खैर बचाओ…”
सिंधिया को CM बनाओ नहीं तो… क्या ये कांग्रेस की चाल है या सच में उठ रहा तूफान?

मुरैना में सिंधिया का बोलबाला
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या ये वाकई सिंधिया समर्थकों का गुस्सा और जनता की आवाज है, या फिर कहीं कांग्रेस की कोई अंदरूनी चाल तो नहीं?

बैनर का टाइमिंग और सिंधिया की सौगात

ये पूरा मामला 13 सितंबर के बाद का है, जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मुरैना आए थे. उन्होंने यहां दो बड़ी सौगातें दीं

मुरैना में नई एयरपोर्ट सुविधाओं का ऐलान

किसानों के लिए 500 करोड़ की सब्सिडी योजना का विस्तार
इन घोषणाओं के बाद बैनर का लगना और भी ज्यादा चर्चा में आ गया.

धमकी या जनभावना?
बैनर में ‘अपनी खैर बचाओ’ जैसी लाइन ने प्रशासन और राजनीति दोनों में हलचल मचा दी. कांग्रेस का कहना है कि ये सिंधिया खेमे की ओवरएक्टिंग है और जनता को भड़काने का नया तरीका है. वहीं बीजेपी समर्थक और खासकर संत समाज सेवा समिति का दावा है कि ये तो बस जनभावना का इज़हार है, कोई धमकी नहीं.

समिति के अध्यक्ष भगवान दास त्यागी ने यहां तक कह दिया कि सिंधिया जी ने हमेशा समाज के लिए काम किया है, अब समय आ गया है कि प्रदेश की कमान उन्हें मिले.
कांग्रेस की चाल या असली माहौल?

अब यहां दो एंगल बनते हैं

कांग्रेस की साजिश:
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि ये बैनर कांग्रेस ने ही लगवाए होंगे ताकि बीजेपी सरकार को मुश्किल में डाला जा सके. मतलब कि माहौल को बिगाड़ो और बीजेपी के अंदरूनी खेमों में दरार डालो.

वास्तविक माहौल:
लेकिन सिंधिया समर्थकों की दलील अलग है. उनका कहना है कि 2020 का राजनीतिक संकट हो या फिर केंद्र में मंत्री पद, सिंधिया ने हर बार खुद को साबित किया है. लोग चाहते हैं कि अब वो मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालें.

मोहन सरकार को अलर्ट रहना होगा?
चाहे ये कांग्रेस की चाल हो या सिंधिया समर्थकों की असली ताकत, एक बात तो साफ है मोहन सरकार को इस मूवमेंट को हल्के में नहीं लेना चाहिए.

क्योंकि अगर जनता और समर्थक वाकई इसी मूड में हैं, तो आने वाले विधानसभा चुनावों में ये मुद्दा बड़ा रोल प्ले कर सकता है.

दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को वकीलों ने दौड़ा- दौड़ाकर पीटा, छावनी में तब्दील हुई कचहरीKASHI MAIL वाराणसी में दरोगा सम...
16/09/2025

दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को वकीलों ने दौड़ा- दौड़ाकर पीटा, छावनी में तब्दील हुई कचहरी

KASHI MAIL

वाराणसी में दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों की पिटाई की गई। जिससे कचहरी में हड़कंप मच गया। लोगों की भारी भीड़ जुट गई। मौके पर अधिकारी पहुंचे और छानबीन शुरू की।

वाराणसी जिले में अधिवक्ताओं द्वारा पुलिस की पिटाई का मामला सामने आया है। यहां मंगलवार को कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं ने बड़ागांव थाने पर तैनात दरोगा मिथिलेश समेत चार पुलिसकर्मियों को दौड़ा- दौड़ाकर बेरहमी से पीटा। मामले को लेकर मौके पर हड़कंप मच गया। गंभीर हालत में दरोगा को बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया है। चिकित्सकों ने हालत नाजुक बताई है।

जानकारी के मुताबिक, शनिवार को बड़ागांव थाने में जमीन के प्रकरण में विवाद हुआ था। इसी बात को लेकर मंगलवार को भी दरोगा और अधिवक्ताओं के बीच विवाद हुआ। इस दौरान अधिवक्ताओं ने दरोगा समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर भी हमला कर दिया।

घटनास्थल पर डीएम सत्येंद्र कुमार और अपर पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था शिवहरि मीणा बार के पदाधिकारियों के साथ वार्ता कर रहे हैं। पूरी कचहरी को छावनी में तब्दील किया गया है। कमिश्नरेट की पांच थानों की फोर्स मौके पर तैनात है।

देहरादून के सहस्रधारा में बादल फटा, भारी तबाही, कई दुकानें ध्वस्त, लोग लापताKASHI MAIL देहरादून के सहस्रधारा इलाके में भ...
16/09/2025

देहरादून के सहस्रधारा में बादल फटा, भारी तबाही, कई दुकानें ध्वस्त, लोग लापता

KASHI MAIL

देहरादून के सहस्रधारा इलाके में भीषण बादल फटने की घटना सामने आई है. जिससे सहस्रधारा में भारी भूस्खलन के साथ बडे नुकसान की सूचना है. अब तक 2 लोग लापता बताए जा रहे हैं. राहत और बचाव कार्य के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर भेजी गई हैं.

अब नेपाल की लग गई लंका! Gen-Z क्रांति ने छीनी लोगों की रोजी-रोटी, टूरिज्म सेक्टर को बड़ा झटकाKASHI MAIL  नेपाल में Gen-Z...
16/09/2025

अब नेपाल की लग गई लंका! Gen-Z क्रांति ने छीनी लोगों की रोजी-रोटी, टूरिज्म सेक्टर को बड़ा झटका

KASHI MAIL

नेपाल में Gen-Z की क्रांति ने तख्तापलट करवा दिया. केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई. अब नेपाल में अंतरिम सरकार है. अंतरिम सरकार की मुखिया सुशीला कार्की हैं. नेपाल में अगले 6 महीने में संसदीय चुनाव होंगे. इसकी तारीख तय हो चुकी है. इस बीच जो डेटा आया है, उससे नेपाली जरा भी खुश नहीं होंगे. Gen-Z क्रांति की वजह नेपाल को बड़ा झटका लगा है. यूं कहिए कि नेपाल के पेट पर लात पड़ गया है. जी हां, नेपाल में जेन-जी क्रांति की वजह से टूरिज्म यानू पर्यटन को बड़ा झटका लगा है.

नेपाल में जेन-जी क्रांति की वजह से बड़ा नुकसान हुआ है.
दरअसल, नेपाल में विरोध प्रदर्शन ठीक उसी समय शुरू हुए, जब देश में टूरिज्म अपने पीक पर जाने वाला था. इससे उन व्यवसायों को झटका लगा है, जो दुनिया भर से ट्रेकर्स का स्वागत करने की तैयारी कर रहे थे. नेपाल में सरकार विरोधी आंदोलन की वजह से पर्यटकों की संख्या में 30% की गिरावट आई है.

काठमांडू के चहल-पहल वाले पर्यटन केंद्र थमेल जैसी जगहों की सुव्यवस्थित गलियों में स्थित दुकानें, पब और रेस्टोरेंट, हिंसक भ्रष्टाचार विरोधी विरोध प्रदर्शन के बाद फिर से खुलने के बाद भी लगभग वीरान रहे. ओली सरकार के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन में 72 लोग मारे गए थे. 2,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. हालांकि, जेन-जी क्रांति की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था.

नहीं आ रहे टूरिस्ट
दरअसल, नेपाल के पर्यटन प्राधिकरण, होटल मालिकों और ट्रेक आयोजकों ने कहा कि पिछले साल की तुलना में पर्यटकों की संख्या में 30% की गिरावट आई है. नेपाल में उथल-पुथल के के कारण बुकिंग रद्द हो रही हैं. 49 साल के रामचंद्र गिरि ने कहा, ‘मैं बाहर बेकार बैठा हूं, क्योंकि कोई पर्यटक नहीं है… कई समूहों ने सितंबर में अपनी बुकिंग रद्द कर दी है.’ राम चंद्र गिरि ट्रैकिंग अभियानों का आयोजन करते हैं और एक जापानी रेस्टोरेंट के मालिक हैं.

35 फीसदी टूरिस्टम की बुकिंग कैंसिल
उन्होंने कहा कि उनके 35% मेहमानों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है. एक अन्य होटल मालकिन रेणु बनिया ने कहा कि अगले महीने के लिए सभी बुकिंग पूरी तरह से रद्द कर दी गई हैं. बता दें कि नेपाल के संकट को देखते हुए भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों से गैर जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी है. इसके कारण नेपाल आने वाले विदेशी टूरिस्टों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है.

नेपाल में कितने टूरिस्ट आते हैं
विदेशी पर्यटक आमतौर पर राजधानी से अपनी यात्राएं शुरू करते हैं मगर बीते दिनों जलती हुई संसद और हिल्टन होटल की नाटकीय तस्वीरों के बाद कई देशों ने नेपाल की गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह जारी की है. नेपाल में सालाना 12 लाख पर्यटक आते हैं और यह टूरिज्म सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8% का योगदान देता है. सितंबर से दिसंबर तक का समय टूरिज्म का पीक यानी पर्यटन का चरम मौसम माना जाता है.

निगेटिव संदेश
नेपाल के ट्रैकिंग ट्रेल्स में दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट का बेस कैंप भी शामिल है, जो साहसी लोगों को हिमालय की गोद में खींच लाता है. नेपाल पर्यटन बोर्ड के सीईओ दीपक राज जोशी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि सरकारी इमारतों और कुछ होटलों को हुए नुकसान से न केवल पर्यटकों, बल्कि निवेशकों को भी निगेटिव संदेश यानी नकारात्मक संदेश जा सकता है. उन्होंने कहा कि पर्यटकों की आमद सामान्य से 30% कम है.

पर्यटकों की वापसी की उम्मीद
बहरहाल, सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत नेपाल में शांति लौट आई है, लेकिन काठमांडू के कुछ हिस्सों में अभी भी धुएं की गंध बनी हुई है. और अधिकारी जली हुई इमारतों और जले हुए वाहनों से मलबा हटाने का काम जारी रखे हुए हैं. नेपाली अधिकारी और व्यवसाय मालिक पर्यटकों के लौटने को लेकर आशान्वित हैं, जबकि 5 मार्च 2026 को होने वाले चुनावों के साथ सरकार की स्थिरता पर सवालिया निशान लगा हुआ है.

16/09/2025

ब्लैकमेलिंग का हथियार... POSH पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सारे राजनीतिक दल हो जाएंगे खुश

KASHI MAIL

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में राजनीतिक दलों को यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (POSH), 2013 के दायरे में लाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस कानून के दायरे में लाना ‘पैंडोरा बॉक्स यानी भानुमती का पिटारा खोलने जैसा होगा और ब्लैकमेल करने का हथियार बन सकता है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, यह याचिका योगमाया जी की ओर से दायर की गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ के सामने दलील दी कि कई महिलाएं सक्रिय रूप से राजनीतिक दलों से जुड़ी हैं, लेकिन केवल सीपीएम ने बाहरी सदस्यों के साथ आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन किया है. उनके मुताबिक बाकी दलों की महिलाएं यौन उत्पीड़न के मामलों में उपचारविहीन रह जाती हैं.
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि AAP अपनी समिति को लेकर पारदर्शिता नहीं बरतता, जबकि भाजपा और कांग्रेस ने खुद स्वीकार किया है कि उनके यहां ICC संरचना अधूरी है.

‘राजनीतिक दल कोई वर्क प्लेस नहीं’

हालांकि बेंच ने सवाल किया कि ‘राजनीतिक दलों को कार्यस्थल कैसे माना जा सकता है? कोई व्यक्ति दल से जुड़ता है तो वह रोजगार नहीं है. यह नौकरी नहीं है, क्योंकि लोग अपनी इच्छा से और बिना पारिश्रमिक के राजनीतिक दलों का हिस्सा बनते हैं. ऐसे में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने वाला कानून राजनीतिक दलों पर कैसे लागू किया जा सकता है?’

सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान 2022 के केरल हाईकोर्ट के फैसले को भी बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारी–नियोक्ता संबंध न होने पर राजनीतिक दलों पर ICC बनाने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है.

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