24/03/2025
"एक सिक्का, दो ज़िंदगियाँ"
किसी छोटे से गाँव में रोहन नाम का एक गरीब लड़का रहता था। उसके पास ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन एक चीज़ उसे सबसे अनमोल लगती थी – एक पुराना सिक्का, जो उसके दादाजी ने उसे दिया था। दादाजी ने कहा था, "बेटा, ये सिर्फ एक सिक्का नहीं, बल्कि तुम्हारी तक़दीर बदल सकता है। जब भी मुश्किल लगे, इसे देखना और खुद पर भरोसा रखना।"
रोहन उस सिक्के को अपने सबसे क़ीमती खजाने की तरह संभाल कर रखता था। जब भी वह हिम्मत हारने लगता, वह सिक्के को देखता और उसे याद आता कि मेहनत से सब कुछ संभव है। उसने अपने हालात से लड़ने की ठान ली। वह दिन-रात मेहनत करता, पढ़ाई करता और हर मौके का फायदा उठाता। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई, और कुछ ही सालों में वह एक सफल बिजनेसमैन बन गया।
एक दिन, उसने सोचा, "क्या सच में यह सिक्का मेरे लिए लकी था, या फिर यह मेरी सोच और मेहनत का नतीजा था?" यह जानने के लिए उसने वही सिक्का गाँव के एक और गरीब लड़के, रवि, को दे दिया और कहा, "यह बहुत खास सिक्का है, इसे संभाल कर रखना।"
रवि भी उतनी ही मुश्किल ज़िंदगी जी रहा था, जितनी कभी रोहन ने जी थी। लेकिन जब उसे वह सिक्का मिला, तो उसने सोचा, "यह तो बस एक आम सिक्का है, इससे मेरी तक़दीर थोड़ी बदलेगी?"
उसने ज्यादा सोचे बिना उस सिक्के को एक दुकान में दे दिया और बदले में रोटी खा ली। वह वैसे ही अपनी पुरानी ज़िंदगी जीता रहा, कभी मेहनत करने की कोशिश नहीं की, कभी खुद पर विश्वास नहीं किया।
कहानी की सीख:
एक ही सिक्का था, लेकिन दो अलग-अलग सोच ने दो अलग-अलग ज़िंदगियाँ बना दीं। तक़दीर किसी सिक्के में नहीं, बल्कि इंसान की सोच और मेहनत में होती है। अगर आप खुद पर भरोसा रखें और मेहनत करें, तो आपकी ज़िंदगी जरूर बदलेगी!
"सफलता का असली रहस्य किसी बाहरी चीज़ में नहीं, बल्कि आपके अंदर ही छिपा होता है!"