Spiritualdiscussionwithprashant

Spiritualdiscussionwithprashant यह पेज आप सभीको अध्यात्म के हर एक प्राचीन पहलुओं से जोड़ता है चाहे वे वैदिक हो या पौराणिक।आप सब जुड़े।

आप सभी को सप्तऋषि पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं।यह दिन बहुत विशेष है गुरु मंडल की कृपा प्राप्ति हेतु।जो भी शिष्य जन ऋषि श...
28/08/2025

आप सभी को सप्तऋषि पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं।
यह दिन बहुत विशेष है गुरु मंडल की कृपा प्राप्ति हेतु।
जो भी शिष्य जन ऋषि श्रृंखला की साधना कर रहे है उन्हें आज की क्रिया हेतु सूचित करूंगा।
एवं जो लोग ऋषि श्रृंखला की साधना शुरू करने वाले है उन्हें उचित मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

अपामार्ग जिसे आंधी झाड़ा भी कहा जाता है आज ऋषि पंचमी में इसका विशेष प्रयोग स्नान एवं दांत साफ करने हेतु एक अनुष्ठान की तरह किया जाता है।यह पूरी तरह से वैज्ञानिक है क्योंकि आप जब अपामार्ग के गुणों को देखने जाएंगे तो पायेंगे इससे कई प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता है जैसे स्किन,दांत दर्द,किडनी स्टोन और बहुत कुछ।अभी संक्षिप्त में लिख रहा हु समय के अभाव में लेकिन आप सब आज के दिन के विशेष महत्व को जाने क्योंकि आज भी बहुत लोगों को ऋषि पंचमी के विषय में बहुत कम ही जानकारी है।

जय मां

ब्रह्मोपासना की उपयोगिताशिव - पार्वती संवादयथा तवार्चनाद्ध्यानात्पूजनाज्जपनात्प्रिये भवन्ति तुष्टाः सुन्दर्यस्तथा जानीहि...
12/08/2025

ब्रह्मोपासना की उपयोगिता

शिव - पार्वती संवाद

यथा तवार्चनाद्ध्यानात्पूजनाज्जपनात्प्रिये भवन्ति तुष्टाः सुन्दर्यस्तथा जानीहि सुव्रते ।।

यथा गच्छन्ति सरितोऽवशेनापि सरित्पतिम् । तथार्चादीनि कर्माणि तदुद्देश्यानि पार्वति ।।


यो यो यान्यान्यजेदेवाञ्छ्रद्धया यद्यदाप्तये । तत्तद्ददाति सोऽध्यक्षस्तैस्तैर्देवगणैः शिवे ।।

बहुनात्र किमुक्तेन तवाग्रे कथ्यते प्रिये । ध्येयः पूज्यः सुखाराध्यस्तं विना नास्ति मुक्तये ।।

नायासो नोपवासश्च कायक्लेशो न विद्यते । नैवाचारादिनियमो नोपचाराश्च भूरिशः ।।
न दिक्कालविचारोऽस्ति न मुद्रान्याससंहतिः । यत्साधने कुलेशानि तं विना कोऽन्यमाश्रयेत् ।।

हे सुव्रते ! जैसे तुम्हारी अर्चना से, ध्यान-पूजा और जप करने से सभी देवियाँ प्रसन्न होती हैं, वैसे ही सर्वेश्वर के अर्चनादि से सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं, यह जान लो । जैसे नदियाँ विवश होकर सरिता स्वामी सागर में मिलती हैं, वैसे ही सभी देवों के पूजनादि कर्म हे देवि ! उसी सर्वेश्वर के लिये सम्पन्न होते हैं। जो-जो व्यक्ति जिस-जिस फल की इच्छा से जिस-जिस देवता की पूजा श्रद्धा से करता है, हे शिवे ! वही अध्यक्ष परमेश्वर पुरुषोत्तम उन-उन देवताओं के द्वारा वही-वही फल उस-उस मनुष्य को प्रदान करता है। हे प्रिये! इसके बारे में और क्या कहूँ । तुमसे इतना भर कहता हूँ कि उस परमात्मा के अतिरिक्त मोक्ष के लिये ध्येय, पूज्य और सुखाराध्य दूसरा कोई नहीं है। उस परब्रह्म की उपासना में श्रम नहीं है, उपवास नहीं है, शरीरसम्बन्धी कोई कष्ट नहीं है, आचारादि कोई नियम नहीं है, बहुत से उपचारों की आवश्यकता नहीं है, दिशा और काल का विचार नहीं है, मुद्रा और न्यास अपेक्षित नहीं है । हे कुलेशानि ! जिसके साधन में पूर्वोक्त श्रमादि नहीं हैं तो उससे भिन्न अन्य किसी का आश्रय कोई क्यों ग्रहण करेगा ? ।।

सुषुप्त शक्ति को जागृत करके अमृतस्थान में समासीन परमशिव से उसे मिलाना एवं चन्द्रामृत प्राप्त करके शरीर को अमृतमय एवं चिन...
09/08/2025

सुषुप्त शक्ति को जागृत करके अमृतस्थान में समासीन परमशिव से उसे मिलाना एवं चन्द्रामृत प्राप्त करके शरीर को अमृतमय एवं चिन्मय बनाना शैवशाक्त तान्त्रिकों की मुख्य साधना रही है। साधना के क्षेत्र में 'भैरवापत्ति', 'चिन्मयीकरणं', 'शक्तिसमावेश', 'योभोगसामञ्जस्यवाद', 'विश्वाहन्ता' 'पूर्णाहन्ता' की अनुभूति, शक्तिसायुज्य, 'शक्ति-जागरण', 'ग्रन्थिभेदन, चक्रभेदन एवं 'सामरस्य' ही शैवशाक्त साधना के मुख्य विषय रहे हैं।

तान्त्रिकों की साधना की लक्ष्यभूत जो परावस्था है वह शिवशक्ति का 'सामरस्य' ही है-

'सहस्रकमले शक्तिः शिवेन सह मोदते।

सा चावस्था परा ज्ञेया सैव निवृतिकारणम् ॥ (वामके तन्त्र)

देवी की आदर्श पूजा वह है जिसमें साधक स्वयं शिव बनकर देवी की पूजा करे उसका क्रीत दास बनकर नहीं-

'शिवरूपी स्वयं भूत्वा देवीपूजां समाचरेत् ॥' (तोडल तन्त्र)

क्योंकि तभी उसको अनुभव हो सकेगा कि-

'अहं देवी न चान्योऽस्मि ।'

30/07/2025

विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक ,तांत्रिक,यौगिक विषयक विद्याओं से जुड़ने हेतु आप टेलीग्राम समूह से जुड़ सकते हैं।
नीचे आप सभी को लिंक प्राप्त होगा

https://t.me/shaivtantra

शिव अभिषेक में विभिन्न सामग्रियों का उपयोग : भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है, और प्रत्येक...
23/07/2025

शिव अभिषेक में विभिन्न सामग्रियों का उपयोग :

भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है, और प्रत्येक सामग्री का अपना विशिष्ट महत्व है।

विभिन्न सामग्रियों के फल:
जल:
रोग, दुःख और नकारात्मकता को दूर करता है।

दूध:
पवित्रता, स्वास्थ्य और मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है।

दही:
पशु, भवन और वाहन प्राप्ति में सहायक है।

शहद:
धन, समृद्धि और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है।

गन्ने का रस:
लक्ष्मी प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए।

पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर):
सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति और पापों का नाश।

तीर्थ जल:
मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।

इत्र युक्त जल:
रोग, पीड़ा और कष्टों से छुटकारा।

चंदन:
शीतलता, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

बेलपत्र:
भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करता है।

धतूरा:
भगवान शिव को प्रिय है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

गंगाजल:
पवित्रता और शुद्धि का प्रतीक है, और सभी पापों को धो देता है।

अन्य महत्वपूर्ण सामग्री:
भांग:
भगवान शिव को प्रिय है, और इसका उपयोग शारीरिक और मानसिक शांति के लिए किया जाता है।

फूल:
विभिन्न प्रकार के फूल भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं, जैसे कि कमल, गुलाब, मदार, अपराजिता, आदि, जो विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं।

फल:
विभिन्न प्रकार के फल भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं, जैसे कि बेल, बेर, सेब, अनार, केला, आदि, जो समृद्धि, सुख और शांति प्रदान करते हैं।

पान का पत्ता:
भगवान शिव को प्रिय है, और इसका उपयोग पूजा और अभिषेक में किया जाता है।

सुपारी:
भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव को अर्पित की जाती है, और शुभता का प्रतीक है।

मिठाई:
भगवान शिव को भोग लगाया जाता है, और यह खुशी और समृद्धि का प्रतीक है।

धूपबत्ती:
पूजा में सुगंध और सकारात्मकता फैलाती है।

कपूर:
आरती में उपयोग किया जाता है, और यह शुद्धता और प्रकाश का प्रतीक है।

निष्कर्ष:
शिव अभिषेक में उपयोग की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का अपना महत्व है, और यह माना जाता है कि इन सामग्रियों का उपयोग भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

टेलीग्राम लिंक

https://t.me/shaivtantra

श्रावण मास ( शिव सेवा शिव कृपा शिव दर्शन)श्रावण मास शिव कृपा हेतु बेहद महत्वपूर्ण समय है और यह ऐसा समय है कि यदि आप स्वय...
20/07/2025

श्रावण मास ( शिव सेवा शिव कृपा शिव दर्शन)

श्रावण मास शिव कृपा हेतु बेहद महत्वपूर्ण समय है और यह ऐसा समय है कि यदि आप स्वयं अपने भक्ति श्रद्धा अनुसार जितनी शिव सेवा कर सकें उतना ही आप पर कृपा होती है।ज्यादा से ज्यादा स्वयं से पूजन अभिषेक करने की कोशिश कीजिए और पारिवारिक आयोजन पर किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा।
यह विशेष ध्यान रहे कि आपको नियमित किसी एक नियम का पालन करते हुए शिव सेवा करनी है और यदि व्यक्ति किसी एक नियम को लेके शिव सेवा इस श्रावण मास से लेके अगले श्रावण मास तक कर ले जाए अर्थात एक वर्ष तो समझिए पूरा जीवन आपका पलट सकता है।
एक वर्ष नियमित अनुशासन से किया हुआ कोई भी शिव पूजा क्रम आपको जीवन पर्यंत शिव भक्ति से विमुख नहीं होने देता और आप आध्यात्मिक और भौतिक दोनों का आनंद लेते है।
स्वयं करें स्वयं प्राप्त करें किसी पर निर्भर न रहें ,निर्भरता सिर्फ मार्गदर्शन हेतु होना चाहिए न कि कर्म हेतु की आपका हवन कोई और कर दे,आपका पूजा कोई और कर दे ,ज्यादा से ज्यादा कोशिश कीजिए स्वयं करने की क्योंकि शायद आपके अंदर जो भाव भक्ति हो और जिस भाव से आप पूजन करें और उससे आपको जो प्राप्त हो जाए शायद वो बड़े से बड़े प्रक्रिया पूजा करने पर भी प्राप्त न हो।

आप अपनी आवश्यकता चाहे वो भौतिक हो अथवा आध्यात्मिक अलग अलग मनोभाव वाले मंत्रों से शिव लिंग पर सामान्य अभिषेक करके अपने सारे मनोरथ पूर्ण कर सकते है और मुख्य मुख्य अवसरों पर पूजन आयोजन किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा करवा सकते है।लेकिन नियमित पूजन का कोई एक क्रम पकड़ कर आप बिना खंडन एक वर्ष तो अवश्य करें।फिर कुछ कहने कुछ समझने की जरूरत नहीं रह जाएगी।मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

मैने सामान्य जो सब कर सकते है एक ऐसी दिव्य प्रक्रिया बताई थी जिसका नाम शिव लेखनी है ये उन सभी के लिए है जो सरलतम से सरलतम है और कोई भी व्यक्ति कर सकता है।महिलाएं करें तो पूरा घर उन्नति करता है।

अतः शिव लेखनी जो भी करना चाहेंगे मै उन्हें व्यक्तिगत रूप से शिव लेखनी दूंगा और यह प्रक्रिया चमत्कारी ,अत्यंत सरल और शिव कृपा प्रदान करने वाली है।

श्रावण माह में हम शिव सेवा क्रम के कई कार्य कर रहे है जिनमें अनुष्ठानों से लेके बहुत सी प्रक्रियाएं शामिल हैं और शिव लेखिनी की विद्या को प्रदान करने को भी शिव सेवा का अंग मानकर मै उसे आप सभी को प्रदान करने हेतु तत्पर हु आप सब अवश्य करें और आगे बढ़ें।

टेलीग्राम लिंक

https://t.me/shaivtantra

जय मां
जय बाबा

हम गुरु का चयन नहीं करते हैं; गुरु हमारा चयन करता है, गुरु हमें अपनाता है।परमात्मा ही हमारा वरण करता है...'यमेवैष वृणुते...
10/07/2025

हम गुरु का चयन नहीं करते हैं; गुरु हमारा चयन करता है, गुरु हमें अपनाता है।

परमात्मा ही हमारा वरण करता है...

'यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः'।

गुरुपूर्णिमा की हार्दीक शुभकामनाएं.!!

कामाख्या वरदे देवी नील पर्वत वासिनीत्वं देवी जगन्नमाता योनी मुद्रे नमोस्तुतेकामाख्ये काम सम्पने कामेश्वरी हर प्रिये ।काम...
22/06/2025

कामाख्या वरदे देवी नील पर्वत वासिनी
त्वं देवी जगन्नमाता योनी मुद्रे नमोस्तुते
कामाख्ये काम सम्पने कामेश्वरी हर प्रिये ।
कामनां देहि मे नित्यं कामेश्वरी नमोस्तुते ।
कामदे कामरुपस्थे सुभगे सुरसेविते ।
करोमि दर्शनं देव्यां सर्वकामार्थ सिद्धेय ।

आप सभी को अंबुबाची के महान तांत्रिक पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

शक्ति कृपा संबंधित महत्वपूर्ण चर्चाजीवन में आप सभी ने अवश्य एक चीज का अनुभव किया होगा कि यदि आप स्वयं के प्रगति या अच्छे...
05/05/2025

शक्ति कृपा संबंधित महत्वपूर्ण चर्चा

जीवन में आप सभी ने अवश्य एक चीज का अनुभव किया होगा कि यदि आप स्वयं के प्रगति या अच्छे के लिए कोई कदम उठाया हो और आप यदि उसमें सफल नहीं हो पाए हो तो आपको तीन तरह की चीजों का सामना करना पड़ता है
प्रथम की सामने वाला हो सकता है उस परिस्थिति में आपको ढेर सारा ज्ञान दे की ऐसा नहीं करना चाहिए वैसा नहीं करना चाहिए अथवा अलग अलग विचार रखे।
दूसरा या तो फिर आपके असफलता के मजे ले मजाक उड़ाए।
तीसरा स्वय का मन भी अपना साथ नहीं देता और स्वयं को कोसता है।

या तो फिर प्रारब्ध,ग्रह नक्षत्र इन सब की बाते होती है।

अर्थात कुल मिला कर कोई भी व्यक्ति के सुझाव में आपकी परेशानी का समाधान नहीं अपितु आपके आत्मविश्वास को गिराने वाली बातें ही रहती है।

ऐसी परिस्थिति में आपको सिर्फ और सिर्फ उग्र शक्तियों के सानिध्य में ही जाना चाहिए।व्यक्ति उग्र शक्तियों के प्रकृति को देखते हुए भयवश उनकी साधना उपासना से डरता है जबकि सबसे ज्यादा उग्र शक्तियों के भीतर ही सबसे ज्यादा सौम्यता व्याप्त रहती है।यह सर्वप्रथम आपके परेशानियों से आपको तारती है बिना किसी शर्त सर्वप्रथम आपके मस्तिष्क को शांत करती है।धन की समस्या हो अथवा कोई भी भौतिक विवाद,आपको किसी शत्रु के विषय में सोचने की आवश्यकता नहीं होती न ही आपको किसी के द्वारा आपके प्रति निंदा अथवा किसी प्रपंच के विषय में ज्यादा सोचना पड़ता है।आपके प्रति बैर रखने वाले लोगों के जीवन में कब तांडव शुरू हो जाए उन्हें खुद नहीं समझ आएगा ।आप सिर्फ शांत रहे और उग्र शक्तियों के सानिध्य में रहे,तर जायेंगे। इन सब से तारती है और जब आप परेशानियों से बाहर आते है तो मस्तिष्क शांत हो जाता है।फिर आध्यात्मिकता भी चरम पर जाती है और आप पूर्णतः तर जाते है।

महाविद्याओं के उग्र स्वरूप हो अथवा किसी भी देव के उग्र स्वरूप हो।विधिवत मार्गदर्शन ले कर उपासना कीजिए।पहले उपासक बनिए साधक बाद में बनाएगा पूर्णतः निकल जाएंगे सभी विपत्तियों से।

क्रमवत साधना हो अथवा गुरु प्रदत्त सिर्फ एक अनुकूल मंत्र है।गुरु के दिशा निर्देश में करें विपन्न से विपन्न परिस्थिति से बाहर निकलेंगे और आनंद लेंगे।

आइए उपासना कीजिए ,आनंदित होइए।मै आप सभी को इस यात्रा से जोड़ने हेतु तत्पर हु।

आनंद शिव

02/05/2025

प्रस्तुत है : सिद्ध महा-लक्ष्मी साधना

यह एक प्रत्यक्ष अनुभव कराने वाली
साधना है।
यह मन्त्र साधना विधि इस कलयुग में अत्यंत चमत्कारी है जिसे किसी भी शुभमुहूर्त से दीक्षा ले कर साधना शुरू की जाती है। अतः दुःख-दरिद्रता मिटाने के लिए
इसकी साधना अवश्य करें।
निश्चित सफलता के लिए साधना की
तैयारी करें
साधना के अष्टलक्ष्मी संस्कारित कमलगट्टे की माला की आवश्यकता पड़ेगी। इसकी माला से साधना किये जाने पर सफलता की निश्चिंतता बनी रहेगी। साथ ही एक सिद्ध सूर्य-कुबेर सूत्र , जिसे कलाई पर धारण कर /बाँध कर जप-साधना की जाती है। इसके लिए संपर्क कर सकते हैं।
2. सिद्धिदायक उच्छिष्ट गणपति के तंत्र
उपलब्ध कर लें। इसे धारण करने के बाद साधना करें ताकि बुरी-शक्तियों का आगमन न हो, विघ्न न पड़ें और साधनाकाल में स्थान परिवर्तन का दोष न पड़े क्यों कि यह पंद्रह दिनों की साधना है जिसे अपने पूजा स्थल पर करना होता है और स्थान परिवर्तन नहीं किया जाता
किन्तु , उच्छिष्ट गणपति के तंत्र धारण करने के बाद , यदि कहीं जाना पड़ जाए तो जहाँ भी साधक जाए वहां अपनी साधना कर सके। स्थान परिवर्तन का दोष नहीं होता। लाल ऊनि आसन या रेशमी लाल आसन उपलब्ध कर लें।

साधना ऐसे करें
१. साधना समय - दीक्षा एवं सामग्री उपलब्ध करने के बाद शुभ मुहूर्त लेकर साधना शुरू करें २. अपने पूजन स्थल पर पश्चिम दिशा की ओर सम्मुख होकर बताए गए लाल आसन पर बैठे।
३. गाय के घी की दीपक जलाएं, इसे अपने सामने कुछ दायीं तरफ रखें और दीपक का मख अपनी ओर रखें।
जप-साधनाकाल में दीपक बुझे नहीं - इस बात का ध्यान रखें।
४. उच्छिष्ट गणपति के मंत्र जप 7, 14, 15, 23, 32, 50 या एक माला (108 बार) जप करें - मंत्र है -
ॐ रत रत ह्रीं ह्रीं उच्छिष्ट
गणपतियै नमः

Om rat rat hrim hrim uchchisht
ganpatiyai namah

इसके बाद महालक्ष्मी के मूल-मन्त्र का जप 15 माला करें। जप बताई गयी उपरोक्त माला से करें।

मूलमंत्र है -

टेलीग्राम ग्रुप से प्राप्त करें

टेलीग्राम लिंक

https://t.me/shaivtantra

निर्देश - १. आँखें बंदकर जप करें। प्रत्येक माला-जप के बाद आँखें खोल सकते हैं और पुनः आँखें बंदकर अगला माला जप कर सकते हैं। २. माला जप पूर्ण होने के बाद आप यदि ध्यान भी करें तो विशेष अनुभव प्राप्त होते है।

३. पंद्रह दिन लगातार साधना करनी है। साधना संध्या सात बजे से मध्य रात्रि २ बजे के अंतर्गत कर सकते हैं।
४. मंत्र-साधनाकाल में कोई डिस्टर्ब न करे - इस बात का ख्याल रखें।
५. पुरे साधनाकाल तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। ६. पंद्रह दिनों तक साधना करने के बाद दशांश हवनादि कार्य संपन्न करें।
हवन सामग्री
धान की लावा + मिश्री + घी + पंचमेवा।
५. पुरे साधनाकाल तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। ६. पंद्रह दिनों तक साधना करने के बाद दशांश हवनादि कार्य संपन्न करें।
हवन सामग्री
धान की लावा + मिश्री + घी + पंचमेवा।
कुँए या समुद्र में विसर्जित कर दें।
इस साधना की विशेषताएं - व्यापर फलता-फूलता है। आय बहुत बढ़ जाती है। आर्थिक योजनाओं में सफलता मिलती है।सट्टा या जुआ या शेयर मार्केटिंग के लिए पूंजी लगाकर उत्तम सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

ऐसे 3 अनुष्ठान पूर्ण करके नित्य 3 माला जप करते चले फिर जीवन में देखे की किस प्रकार से आनन्द से भर जाते है।

आनंद शिव

आप सभी को हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो।हनुमान जयंती की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।हनुमान तांडव ।। छंद रेणकी।।   हनुमा...
12/04/2025

आप सभी को हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो।हनुमान जयंती की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।

हनुमान तांडव ।। छंद रेणकी।।
हनुमान तांडव

।। छंद रेणकी।।
सुरताणिया जगमालसिंह'ज्वाला’ रचित
दोहा
डगमग पग लग डोलती,थग थग धरणी थाय।
भगतवसल इण भुवन से,जग जग जस नह जाय।1।
गढ़ लंका सब गोखड़ा,भांगया तु भरपूर।
उछल उछल उधयान में,रमे रास लंगूर।2।

रट रट मुख राम,निपट झट नटखट,परगट तांडव रुप रचे।
कट कट कर दंत,पटक झट तरु वट,लपट झपट कपि नाच नचे।
दट दट झट दोट,चोट अति चरपट,लट पट दाणव मार लहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।1।

फरररर आभ, पंथ बहे फररर,घररर नाद युँ साद घुरे।
डर डर कर सोय,अचर अरु वनचर,फर फर नभचर, आज फरे।
थर थर अति पीठ,कमठ थिर थिरके,ढररर लंका कोट ढहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।2।

हड़ड़ड़ हाक धाक देय हनुमंत,कड़ड़ड़ यु ब्रह्मण्ड कंपे।
गड़ड़ड़ गाज आभ होवे गड़ गड़,धड़ड़ड़ कोप धरा धरपे।
चड़ चड़ गिरी सूर,हूर हस हड़ हड़,तड़तड़ करतल नाद वहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।3।

बळ वळ अति प्रबळ,निर्मळ मुख मळकत,जळकत शशि जिम रूप जयो।
पळ पळ प्रतिबिम्ब,जळळ तळ थळ जळ,भळळळ भाण उजाण भयो।
हळळळ हीर वीर होवे हळ हळ,छळ छळ वपु वळ रुप वहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।4।

रजनीचर समर,धरे अज अनुचर कर कर धर वध,ढेर करे।
निरखत सब नजर,देव नर किन्नर,भर भर उर अति नूर भरे।
हर हर कर नगर डगर धर बंदर,घर घर अंदर अगन दहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।5।

खळ खळ अति रगत,बहे नद खळळळ,ढळळळ आंत्रड़ भोम ढळे।
खळ दळ झट मचळ,घसळ दय वळ वळ,गळळळ काळज पेट गळे।
दळ दळ सोय नाथ हाथ जु खळ दळ,पळ पळ शिव सब खबर लहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।6।

दट दट भट मुंड, शुंड शर कट कट,लट लट धरणी सीस रढे।
पट पट भट हाथ लेय झट पटकत,चटकत प्राण जु बाण चढ़े।
गट गट झट गटक,झटक लहु जोगण,मरघट के सम लंक वहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।7।

भर भर भणडार,द्वार सुख सागर,नागर निश दिन आप नमों।
घर पर धन धान देय हर धीणो,समरथ कुण धर आप समों।
हर हर ‘जगमाल’,रटे निशि वासर,कथे छंद फरजंद कहै।
जय जय हनुमान,जयति जय जय जय,बिकट पंथ बजरंग बहै।8।

कड़ड़ दंत कड़ड़ाट,नाट नटराज नचायो।
धड़ड़ धरा धड़ड़ाट,दाट दैतांण डचायो।
हड़ड़ हचे हडुमान,गान चारण मिळ गावै।
अखिल उचारे ओम,वयोम पुष्प वरसावे।
हसे हसे श्री राम हिव,छड़ड़ड़ शिव चलम छड़ड़ावे।
'जगमाल’ सि पोवे जबर, ,गड़ड़ गजब गीत गड़ड़ावे

Address

Varanasi
221002

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Spiritualdiscussionwithprashant posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Spiritualdiscussionwithprashant:

Share

Category