08/09/2025
गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण अवधि है जिसमें पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी लोक पर आती हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ये कर्म करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है, पितृदोष दूर होता है और परिवार को सुख-समृद्धि व मोक्ष मिलता है। इस दौरान कौओं और गायों को भोजन कराना, अन्न दान करना तथा दक्षिण दिशा में जल अर्पित कर दीपक जलाना भी लाभकारी माना जाता है।
पितृ पक्ष का महत्व और उद्देश्य
पूर्वजों का सम्मान:
पितृ पक्ष पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है।
पितृलोक में समय:
गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद आत्मा कुछ समय के लिए पितृलोक में बिताती है, और पितृ पक्ष के दौरान वह पृथ्वी पर आती है।
शांति और मोक्ष:
पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनका तर्पण करने से उन्हें शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ दोष और उसके निवारण
पितृ दोष का कारण:
यदि किसी व्यक्ति का विधि-विधान से अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म न किया जाए, तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और परिजनों को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। पितरों का अपमान भी पितृ दोष का कारण बनता है।
पितृ दोष निवारण के उपाय:
श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान: पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना पितृदोष से मुक्ति का सबसे अच्छा उपाय है।
अन्न दान: प्रत्येक अमावस्या पर ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान या भोजन कराना चाहिए।
जीवों को भोजन: कौए, गाय और कुत्ते जैसे जीवों को रोटी खिलाना भी पितृ दोष को दूर करता है।
जल और दीपक: पितृपक्ष में दक्षिण दिशा में सुबह जल अर्पित करना और शाम को दीपक जलाना लाभकारी होता है।
श्राद्ध और तर्पण
तर्पण और श्राद्ध का महत्व:
पितरों का तर्पण करने से उनकी कृपा साधक पर बरसती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
कौन कर सकता है श्राद्ध:
गरुड़ पुराण के अनुसार, कुल की कोई भी संतान, चाहे वह पुत्र हो या पुत्री, अपने माता-पिता का श्राद्ध कर सकती है।