Writing is a passion

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"यदि आप केवल वे पुस्तके पढ़ते है, जो दूसरे भी पढ़ रहे है,तो आप केवल वही सोच सकते है,जो दूसरे भी सोच रहे हैं।"~ हारूकी मु...
30/09/2023

"यदि आप केवल वे पुस्तके पढ़ते है,
जो दूसरे भी पढ़ रहे है,
तो आप केवल वही सोच सकते है,
जो दूसरे भी सोच रहे हैं।"
~ हारूकी मुराकामी

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"जीवन एक ऐसी परीक्षा हैजिसका पाठ्यक्रम अज्ञात हैऔर प्रश्न-पत्र भी निर्धारित नहीं हैऔर न ही कोई मॉडल उत्तर है।"~ सुधा मूर...
25/09/2023

"जीवन एक ऐसी परीक्षा है
जिसका पाठ्यक्रम अज्ञात है
और प्रश्न-पत्र भी निर्धारित नहीं है
और न ही कोई मॉडल उत्तर है।"
~ सुधा मूर्ति
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#हिंदीपंक्तियाँ #हिंदीसाहित्य #हिंदी

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ' दिनकर ' ...Like 👍Comment 💌Share ❤️...FollowFollowFollowFollow...Show your love 💕...Like👍Commen...
23/09/2023

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ' दिनकर ' ...
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के म...
22/09/2023

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें

अहमद फ़राज़
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" मिट्टी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है। "~ रबीन्द्रनाथ टैगोरFollow me -
21/09/2023

" मिट्टी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है। "
~ रबीन्द्रनाथ टैगोर
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"देह कभी दुल्हन नही बनती,और रूह कभी विधवा नही होती।"~ अमृता प्रीतमFollow for followback -                 ect
18/09/2023

"देह कभी दुल्हन नही बनती,
और रूह कभी विधवा नही होती।"
~ अमृता प्रीतम
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दिल ना- उम्मीद तो नहीं             नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम          मगर शाम ही तो है ...!!  🌿🌿   *फ़ैज़ अहमद फ...
13/09/2023

दिल ना- उम्मीद तो नहीं
नाकाम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम
मगर शाम ही तो है ...!!

🌿🌿 *फ़ैज़ अहमद फ़ैज़*🌿
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"सभ्यता का युग तब आएगा, जब औरत की मर्ज़ी के बिना कोई औरत के जिस्म को हाथ नहीं लगाएगा।"~ अमृता प्रीतमFollow me -  Follow ...
12/09/2023

"सभ्यता का युग तब आएगा, जब औरत की मर्ज़ी के बिना कोई औरत के जिस्म को हाथ नहीं लगाएगा।"

~ अमृता प्रीतम

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ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आएँगे ग़म ज़ियादा हैं लिफ़ाफ़े में नहीं आएँगे हम न मजनूँ हैं न फ़रहाद के कुछ लगते हैं हम क...
11/09/2023

ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आएँगे

ग़म ज़ियादा हैं लिफ़ाफ़े में नहीं आएँगे

हम न मजनूँ हैं न फ़रहाद के कुछ लगते हैं

हम किसी दश्त तमाशे में नहीं आएँगे

मुख़्तसर वक़्त में ये बात नहीं हो सकती

दर्द इतने हैं ख़ुलासे में नहीं आएँगे

उस की कुछ ख़ैर-ख़बर हो तो बताओ यारो

हम किसी और दिलासे में नहीं आएँगे

जिस तरह आप ने बीमार से रुख़्सत ली है

साफ़ लगता है जनाज़े में नहीं आएँगे

मेरे अंदर इश्क़ था .....
10/09/2023

मेरे अंदर इश्क़ था .....

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